अल्लामा इक़बाल की नज़मे

अल्लामा इक़बाल की नज़मे0%

अल्लामा इक़बाल की नज़मे लेखक:
कैटिगिरी: शेर व अदब

अल्लामा इक़बाल की नज़मे

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

लेखक: अल्लामा इक़बाल
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अल्लामा इक़बाल की नज़मे
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अल्लामा इक़बाल की नज़मे

अल्लामा इक़बाल की नज़मे

लेखक:
हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.


अल्लामा इक़बाल की ये नज़मे हमने रे्ख्ता नामक साइट से ली है और इनको बग़ैर किसी कमी या ज़्यादती के मिनो अन एक किताबी शक्ल मे जमा कर दिया है। इन नज़मो की तादाद उन्तीस है।

तराना- ए- हिन्दी

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा

हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा

ग़ुर्बत में हों अगर हम रहता है दिल वतन में

समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा

पर्बत वो सब से ऊँचा हम - साया आसमाँ का

वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा

गोदी में खेलती हैं इस की हज़ारों नदियाँ

गुलशन है जिन के दम से रश्क - ए - जिनाँ हमारा

ऐ आब - रूद - ए - गंगा वो दिन है याद तुझ को

उतरा तिरे किनारे जब कारवाँ हमारा

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा

यूनान ओ मिस्र ओ रूमा सब मिट गए जहाँ से

अब तक मगर है बाक़ी नाम - ओ - निशाँ हमारा

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

सदियों रहा है दुश्मन दौर - ए - ज़माँ हमारा

'इक़बाल ' कोई महरम अपना नहीं जहाँ में

मालूम क्या किसी को दर्द - ए - निहाँ हमारा

तस्वीर- ए- दर्द

नहीं मिन्नत - कश - ए - ताब - ए - शुनीदन दास्ताँ मेरी

ख़मोशी गुफ़्तुगू है बे - ज़बानी है ज़बाँ मेरी

ये दस्तूर - ए - ज़बाँ - बंदी है कैसा तेरी महफ़िल में

यहाँ तो बात करने को तरसती है ज़बाँ मेरी

उठाए कुछ वरक़ लाले ने कुछ नर्गिस ने कुछ गुल ने

चमन में हर तरफ़ बिखरी हुई है दास्ताँ मेरी

उड़ा ली क़ुमरियों ने तूतियों ने अंदलीबों ने

चमन वालों ने मिल कर लूट ली तर्ज़ - ए - फ़ुग़ाँ मेरी

टपक ऐ शम्अ आँसू बन के परवाने की आँखों से

सरापा दर्द हूँ हसरत भरी है दास्ताँ मेरी

इलाही फिर मज़ा क्या है यहाँ दुनिया में रहने का

हयात - ए - जावेदाँ मेरी न मर्ग - ए - ना - गहाँ मेरी

मिरा रोना नहीं रोना है ये सारे गुलिस्ताँ का

वो गुल हूँ मैं ख़िज़ाँ हर गुल की है गोया ख़िज़ाँ मेरी

दरीं हसरत सरा उमरीस्त अफ़्सून - ए - जरस दारम

ज़ फ़ैज़ - ए - दिल तपीदन - हा ख़रोश - ए - बे - नफ़स दारम

रियाज़ - ए - दहर में ना - आश्ना - ए - बज़्म - ए - इशरत हूँ

ख़ुशी रोती है जिस को मैं वो महरूम - ए - मसर्रत हूँ

मिरी बिगड़ी हुई तक़दीर को रोती है गोयाई

मैं हर्फ़ - ए - ज़ेर - ए - लब शर्मिंदा - ए - गोश - ए - समाअत हूँ

परेशाँ हूँ मैं मुश्त - ए - ख़ाक लेकिन कुछ नहीं खुलता

सिकंदर हूँ कि आईना हूँ या गर्द - ए - कुदूरत हूँ

ये सब कुछ है मगर हस्ती मिरी मक़्सद है क़ुदरत का

सरापा नूर हो जिस की हक़ीक़त मैं वो ज़ुल्मत हूँ

ख़ज़ीना हूँ छुपाया मुझ को मुश्त - ए - ख़ाक - ए - सहरा ने

किसी को क्या ख़बर है मैं कहाँ हूँ किस की दौलत हूँ

नज़र मेरी नहीं ममनून - ए - सैर - ए - अरसा - ए - हस्ती

मैं वो छोटी सी दुनिया हूँ कि आप अपनी विलायत हूँ

न सहबा हूँ न साक़ी हूँ न मस्ती हूँ न पैमाना

मैं इस मय - ख़ाना - ए - हस्ती में हर शय की हक़ीक़त हूँ

मुझे राज़ - ए - दो - आलम दिल का आईना दिखाता है

वही कहता हूँ जो कुछ सामने आँखों के आता है

अता ऐसा बयाँ मुझ को हुआ रंगीं - बयानों में

कि बाम - ए - अर्श के ताइर हैं मेरे हम - ज़बानों में

असर ये भी है इक मेरे जुनून - ए - फ़ित्ना - सामाँ का

मिरा आईना - ए - दिल है क़ज़ा के राज़ - दानों में

रुलाता है तिरा नज़्ज़ारा ऐ हिन्दोस्ताँ मुझ को

कि इबरत - ख़ेज़ है तेरा फ़साना सब फ़सानों में

दिया रोना मुझे ऐसा कि सब कुछ दे दिया गोया

लिखा कल्क - ए - अज़ल ने मुझ को तेरे नौहा - ख़्वानों में

निशान - ए - बर्ग - ए - गुल तक भी न छोड़ उस बाग़ में गुलचीं

तिरी क़िस्मत से रज़्म - आराइयाँ हैं बाग़बानों में

छुपा कर आस्तीं में बिजलियाँ रक्खी हैं गर्दूं ने

अनादिल बाग़ के ग़ाफ़िल न बैठें आशियानों में

सुन ऐ ग़ाफ़िल सदा मेरी ये ऐसी चीज़ है जिस को

वज़ीफ़ा जान कर पढ़ते हैं ताइर बोस्तानों में

वतन की फ़िक्र कर नादाँ मुसीबत आने वाली है

तिरी बर्बादियों के मशवरे हैं आसमानों में

ज़रा देख उस को जो कुछ हो रहा है होने वाला है

धरा क्या है भला अहद - ए - कुहन की दास्तानों में

ये ख़ामोशी कहाँ तक लज़्ज़त - ए - फ़रियाद पैदा कर

ज़मीं पर तू हो और तेरी सदा हो आसमानों में

न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो

तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में

यही आईन - ए - क़ुदरत है यही उस्लूब - ए - फ़ितरत है

जो है राह - ए - अमल में गामज़न महबूब - ए - फ़ितरत है

हुवैदा आज अपने ज़ख़्म - ए - पिन्हाँ कर के छोड़ूँगा

लहू रो रो के महफ़िल को गुलिस्ताँ कर के छोड़ूँगा

जलाना है मुझे हर शम - ए - दिल को सोज़ - ए - पिन्हाँ से

तिरी तारीक रातों में चराग़ाँ कर के छोड़ूँगा

मगर ग़ुंचों की सूरत हूँ दिल - ए - दर्द - आश्ना पैदा

चमन में मुश्त - ए - ख़ाक अपनी परेशाँ कर के छोड़ूँगा

पिरोना एक ही तस्बीह में इन बिखरे दानों को

जो मुश्किल है तो इस मुश्किल को आसाँ कर के छोड़ूँगा

मुझे ऐ हम - नशीं रहने दे शग़्ल - ए - सीना - कावी में

कि मैं दाग़ - ए - मोहब्बत को नुमायाँ कर के छोड़ूँगा

दिखा दूँगा जहाँ को जो मिरी आँखों ने देखा है

तुझे भी सूरत - ए - आईना हैराँ कर के छोड़ूँगा

जो है पर्दों में पिन्हाँ चश्म - ए - बीना देख लेती है

ज़माने की तबीअत का तक़ाज़ा देख लेती है

किया रिफ़अत की लज़्ज़त से न दिल को आश्ना तू ने

गुज़ारी उम्र पस्ती में मिसाल - ए - नक़्श - ए - पा तू ने

रहा दिल - बस्ता - ए - महफ़िल मगर अपनी निगाहों को

किया बैरून - ए - महफ़िल से न हैरत - आश्ना तू ने

फ़िदा करता रहा दिल को हसीनों की अदाओं पर

मगर देखी न उस आईने में अपनी अदा तू ने

तअस्सुब छोड़ नादाँ दहर के आईना - ख़ाने में

ये तस्वीरें हैं तेरी जिन को समझा है बुरा तू ने

सरापा नाला - ए - बेदाद - ए - सोज़ - ए - ज़िंदगी हो जा

सपंद - आसा गिरह में बाँध रक्खी है सदा तू ने

सफ़ा - ए - दिल को क्या आराइश - ए - रंग - ए - तअल्लुक़ से

कफ़ - ए - आईना पर बाँधी है ओ नादाँ हिना तू ने

ज़मीं क्या आसमाँ भी तेरी कज - बीनी पे रोता है

ग़ज़ब है सत्र - ए - क़ुरआन को चलेपा कर दिया तू ने

ज़बाँ से गर किया तौहीद का दावा तो क्या हासिल

बनाया है बुत - ए - पिंदार को अपना ख़ुदा तू ने

कुएँ में तू ने यूसुफ़ को जो देखा भी तो क्या देखा

अरे ग़ाफ़िल जो मुतलक़ था मुक़य्यद कर दिया तू ने

हवस बाला - ए - मिम्बर है तुझे रंगीं - बयानी की

नसीहत भी तिरी सूरत है इक अफ़्साना - ख़्वानी की

दिखा वो हुस्न - ए - आलम - सोज़ अपनी चश्म - ए - पुर - नम को

जो तड़पाता है परवाने को रुलवाता है शबनम को

ज़रा नज़्ज़ारा ही ऐ बुल - हवस मक़्सद नहीं उस का

बनाया है किसी ने कुछ समझ कर चश्म - ए - आदम को

अगर देखा भी उस ने सारे आलम को तो क्या देखा

नज़र आई न कुछ अपनी हक़ीक़त जाम से जम को

शजर है फ़िरक़ा - आराई तअस्सुब है समर उस का

ये वो फल है कि जन्नत से निकलवाता है आदम को

न उट्ठा जज़्बा - ए - ख़ुर्शीद से इक बर्ग - ए - गुल तक भी

ये रिफ़अत की तमन्ना है कि ले उड़ती है शबनम को

फिरा करते नहीं मजरूह - ए - उल्फ़त फ़िक्र - ए - दरमाँ में

ये ज़ख़्मी आप कर लेते हैं पैदा अपने मरहम को

मोहब्बत के शरर से दिल सरापा नूर होता है

ज़रा से बीज से पैदा रियाज़ - ए - तूर होता है

दवा हर दुख की है मजरूह - ए - तेग़ - ए - आरज़ू रहना

इलाज - ए - ज़ख़्म है आज़ाद - ए - एहसान - ए - रफ़ू रहना

शराब - ए - बे - ख़ुदी से ता - फ़लक परवाज़ है मेरी

शिकस्त - ए - रंग से सीखा है मैं ने बन के बू रहना

थमे क्या दीदा - ए - गिर्यां वतन की नौहा - ख़्वानी में

इबादत चश्म - ए - शाइर की है हर दम बा - वज़ू रहना

बनाएँ क्या समझ कर शाख़ - ए - गुल पर आशियाँ अपना

चमन में आह क्या रहना जो हो बे - आबरू रहना

जो तू समझे तो आज़ादी है पोशीदा मोहब्बत में

ग़ुलामी है असीर - ए - इम्तियाज़ - ए - मा - ओ - तू रहना

ये इस्तिग़्ना है पानी में निगूँ रखता है साग़र को

तुझे भी चाहिए मिस्ल - ए - हबाब - ए - आबजू रहना

न रह अपनों से बे - परवा इसी में ख़ैर है तेरी

अगर मंज़ूर है दुनिया में ओ बेगाना - ख़ू रहना

शराब - ए - रूह - परवर है मोहब्बत नौ - ए - इंसाँ की

सिखाया इस ने मुझ को मस्त बे - जाम - ओ - सुबू रहना

मोहब्बत ही से पाई है शिफ़ा बीमार क़ौमों ने

किया है अपने बख़्त - ए - ख़ुफ़्ता को बेदार क़ौमों ने

बयाबान - ए - मोहब्बत दश्त - ए - ग़ुर्बत भी वतन भी है

ये वीराना क़फ़स भी आशियाना भी चमन भी है

मोहब्बत ही वो मंज़िल है कि मंज़िल भी है सहरा भी

जरस भी कारवाँ भी राहबर भी राहज़न भी है

मरज़ कहते हैं सब इस को ये है लेकिन मरज़ ऐसा

छुपा जिस में इलाज - ए - गर्दिश - ए - चर्ख़ - ए - कुहन भी है

जलाना दिल का है गोया सरापा नूर हो जाना

ये परवाना जो सोज़ाँ हो तो शम - ए - अंजुमन भी है

वही इक हुस्न है लेकिन नज़र आता है हर शय में

ये शीरीं भी है गोया बे - सुतूँ भी कोहकन भी है

उजाड़ा है तमीज़ - ए - मिल्लत - ओ - आईं ने क़ौमों को

मिरे अहल - ए - वतन के दिल में कुछ फ़िक्र - ए - वतन भी है

सुकूत - आमोज़ तूल - ए - दास्तान - ए - दर्द है वर्ना

ज़बाँ भी है हमारे मुँह में और ताब - ए - सुख़न भी है

नमी - गर्दीद को तह रिश्ता - ए - मअ 'नी रिहा कर्दम

हिकायत बूद बे - पायाँ ब - ख़ामोशी अदा कर्दम

तारीख की दुआ

(उंदुलुस के मैदान - ए - जंग में)

ये ग़ाज़ी ये तेरे पुर - असरार बंदे

जिन्हें तू ने बख़्शा है ज़ौक़ - ए - ख़ुदाई

दो - नीम उन की ठोकर से सहरा ओ दरिया

सिमट कर पहाड़ उन की हैबत से राई

दो - आलम से करती है बेगाना दिल को

अजब चीज़ है लज़्ज़त - ए - आश्नाई

शहादत है मतलूब - ओ - मक़्सूद - ए - मोमिन

न माल - ए - ग़नीमत न किश्वर - कुशाई

ख़याबाँ में है मुंतज़िर लाला कब से

क़बा चाहिए उस को ख़ून - ए - अरब से

किया तू ने सहरा - नशीनों को यकता

ख़बर में नज़र में अज़ान - ए - सहर में

तलब जिस की सदियों से थी ज़िंदगी को

वो सोज़ उस ने पाया उन्हीं के जिगर में

कुशाद - ए - दर - ए - दिल समझते हैं उस को

हलाकत नहीं मौत उन की नज़र में

दिल - ए - मर्द - ए - मोमिन में फिर ज़िंदा कर दे

वो बिजली कि थी नारा - ए - ला - तज़र में

अज़ाएम को सीनों में बेदार कर दे

निगाह - ए - मुसलमाँ को तलवार कर दे

तुलू- ए- इस्लाम

दलील - ए - सुब्ह - ए - रौशन है सितारों की तुनुक - ताबी

उफ़ुक़ से आफ़्ताब उभरा गया दौर - ए - गिराँ - ख़्वाबी

उरूक़ - मुर्दा - ए - मशरिक़ में ख़ून - ए - ज़िंदगी दौड़ा

समझ सकते नहीं इस राज़ को सीना ओ फ़ाराबी

मुसलमाँ को मुसलमाँ कर दिया तूफ़ान - ए - मग़रिब ने

तलातुम - हा - ए - दरिया ही से है गौहर की सैराबी

अता मोमिन को फिर दरगाह - ए - हक़ से होने वाला है

शिकोह - ए - तुर्कमानी ज़ेहन हिन्दी नुत्क़ आराबी

असर कुछ ख़्वाब का ग़ुंचों में बाक़ी है तू ऐ बुलबुल

नवा - रा तल्ख़ - तरमी ज़न चू ज़ौक़ - ए - नग़्मा कम - याबी

तड़प सेहन - ए - चमन में आशियाँ में शाख़ - सारों में

जुदा पारे से हो सकती नहीं तक़दीर - ए - सीमाबी

वो चश्म - ए - पाक हैं क्यूँ ज़ीनत - ए - बर - गुस्तवाँ देखे

नज़र आती है जिस को मर्द - ए - ग़ाज़ी की जिगर - ताबी

ज़मीर - ए - लाला में रौशन चराग़ - ए - आरज़ू कर दे

चमन के ज़र्रे ज़र्रे को शहीद - ए - जुस्तुजू कर दे

सरिश्क - ए - चश्म - ए - मुस्लिम में है नैसाँ का असर पैदा

ख़लीलुल्लाह के दरिया में होंगे फिर गुहर पैदा

किताब - ए - मिल्लत - ए - बैज़ा की फिर शीराज़ा - बंदी है

ये शाख़ - ए - हाशमी करने को है फिर बर्ग - ओ - बर पैदा

रबूद आँ तुर्क शीराज़ी दिल - ए - तबरेज़ - ओ - काबुल रा

सबा करती है बू - ए - गुल से अपना हम - सफ़र पैदा

अगर उस्मानियों पर कोह - ए - ग़म टूटा तो क्या ग़म है

कि ख़ून - ए - सद - हज़ार - अंजुम से होती है सहर पैदा

जहाँबानी से है दुश्वार - तर कार - ए - जहाँ - बीनी

जिगर ख़ूँ हो तो चश्म - ए - दिल में होती है नज़र पैदा

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे - नूरी पे रोती है

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा - वर पैदा

नवा - पैरा हो ऐ बुलबुल कि हो तेरे तरन्नुम से

कबूतर के तन - ए - नाज़ुक में शाहीं का जिगर पैदा

तिरे सीने में है पोशीदा राज़ - ए - ज़िंदगी कह दे

मुसलमाँ से हदीस - ए - सोज़ - ओ - साज़ - ए - ज़िंदगी कह दे

ख़ुदा - ए - लम - यज़ल का दस्त - ए - क़ुदरत तू ज़बाँ तू है

यक़ीं पैदा कर ऐ ग़ाफ़िल कि मग़लूब - ए - गुमाँ तू है

परे है चर्ख़ - ए - नीली - फ़ाम से मंज़िल मुसलमाँ की

सितारे जिस की गर्द - ए - राह हों वो कारवाँ तो है

मकाँ फ़ानी मकीं फ़ानी अज़ल तेरा अबद तेरा

ख़ुदा का आख़िरी पैग़ाम है तू जावेदाँ तू है

हिना - बंद - ए - उरूस - ए - लाला है ख़ून - ए - जिगर तेरा

तिरी निस्बत बराहीमी है मेमार - ए - जहाँ तू है

तिरी फ़ितरत अमीं है मुम्किनात - ए - ज़िंदगानी की

जहाँ के जौहर - ए - मुज़्मर का गोया इम्तिहाँ तो है

जहान - ए - आब - ओ - गिल से आलम - ए - जावेद की ख़ातिर

नबुव्वत साथ जिस को ले गई वो अरमुग़ाँ तू है

ये नुक्ता सरगुज़िश्त - ए - मिल्लत - ए - बैज़ा से है पैदा

कि अक़्वाम - ए - ज़मीन - ए - एशिया का पासबाँ तू है

सबक़ फिर पढ़ सदाक़त का अदालत का शुजाअत का

लिया जाएगा तुझ से काम दुनिया की इमामत का

यही मक़्सूद - ए - फ़ितरत है यही रम्ज़ - ए - मुसलमानी

उख़ुव्वत की जहाँगीरी मोहब्बत की फ़रावानी

बुतान - ए - रंग - ओ - ख़ूँ को तोड़ कर मिल्लत में गुम हो जा

न तूरानी रहे बाक़ी न ईरानी न अफ़्ग़ानी

मियान - ए - शाख़ - साराँ सोहबत - ए - मुर्ग़ - ए - चमन कब तक

तिरे बाज़ू में है परवाज़ - ए - शाहीन - ए - क़हस्तानी

गुमाँ - आबाद हस्ती में यक़ीं मर्द - ए - मुसलमाँ का

बयाबाँ की शब - ए - तारीक में क़िंदील - ए - रुहबानी

मिटाया क़ैसर ओ किसरा के इस्तिब्दाद को जिस ने

वो क्या था ज़ोर - ए - हैदर फ़क़्र - ए - बू - ज़र सिद्क़ - ए - सलमानी

हुए अहरार - ए - मिल्लत जादा - पैमा किस तजम्मुल से

तमाशाई शिगाफ़ - ए - दर से हैं सदियों के ज़िंदानी

सबात - ए - ज़िंदगी ईमान - ए - मोहकम से है दुनिया में

कि अल्मानी से भी पाएँदा - तर निकला है तूरानी

जब इस अँगारा - ए - ख़ाकी में होता है यक़ीं पैदा

तो कर लेता है ये बाल - ओ - पर - ए - रूह - उल - अमीं पैदा

ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें

जो हो ज़ौक़ - ए - यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें

कोई अंदाज़ा कर सकता है उस के ज़ोर - ए - बाज़ू का

निगाह - ए - मर्द - ए - मोमिन से बदल जाती हैं तक़दीरें

विलायत पादशाही इल्म - ए - अशिया की जहाँगीरी

ये सब क्या हैं फ़क़त इक नुक्ता - ए - ईमाँ की तफ़्सीरें

बराहीमी नज़र पैदा मगर मुश्किल से होती है

हवस छुप छुप के सीनों में बना लेती है तस्वीरें

तमीज़ - ए - बंदा - ओ - आक़ा फ़साद - ए - आदमियत है

हज़र ऐ चीरा - दस्ताँ सख़्त हैं फ़ितरत की ताज़ीरें

हक़ीक़त एक है हर शय की ख़ाकी हो कि नूरी हो

लहू ख़ुर्शीद का टपके अगर ज़र्रे का दिल चीरें

यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह - ए - आलम

जिहाद - ए - ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें

चे बायद मर्द रा तब - ए - बुलंद मशरब - ए - नाबे

दिल - ए - गरमे निगाह - ए - पाक - बीने जान - ए - बेताबे

उक़ाबी शान से झपटे थे जो बे - बाल - ओ - पर निकले

सितारे शाम के ख़ून - ए - शफ़क़ में डूब कर निकले

हुए मदफ़ून - ए - दरिया ज़ेर - ए - दरिया तैरने वाले

तमांचे मौज के खाते थे जो बन कर गुहर निकले

ग़ुबार - ए - रहगुज़र हैं कीमिया पर नाज़ था जिन को

जबीनें ख़ाक पर रखते थे जो इक्सीर - गर निकले

हमारा नर्म - रौ क़ासिद पयाम - ए - ज़िंदगी लाया

ख़बर देती थीं जिन को बिजलियाँ वो बे - ख़बर निकले

हरम रुस्वा हुआ पीर - ए - हरम की कम - निगाही से

जवानान - ए - ततारी किस क़दर साहब - नज़र निकले

ज़मीं से नूरयान - ए - आसमाँ - परवाज़ कहते थे

ये ख़ाकी ज़िंदा - तर पाएँदा - तर ताबिंदा - तर निकले

जहाँ में अहल - ए - ईमाँ सूरत - ए - ख़ुर्शीद जीते हैं

इधर डूबे उधर निकले उधर डूबे इधर निकले

यक़ीं अफ़राद का सरमाया - ए - तामीर - ए - मिल्लत है

यही क़ुव्वत है जो सूरत - गर - ए - तक़दीर - ए - मिल्लत है

तू राज़ - ए - कुन - फ़काँ है अपनी आँखों पर अयाँ हो जा

ख़ुदी का राज़ - दाँ हो जा ख़ुदा का तर्जुमाँ हो जा

हवस ने कर दिया है टुकड़े टुकड़े नौ - ए - इंसाँ को

उख़ुव्वत का बयाँ हो जा मोहब्बत की ज़बाँ हो जा

ये हिन्दी वो ख़ुरासानी ये अफ़्ग़ानी वो तूरानी

तू ऐ शर्मिंदा - ए - साहिल उछल कर बे - कराँ हो जा

ग़ुबार - आलूदा - ए - रंग - ओ - नसब हैं बाल - ओ - पर तेरे

तू ऐ मुर्ग़ - ए - हरम उड़ने से पहले पर - फ़िशाँ हो जा

ख़ुदी में डूब जा ग़ाफ़िल ये सिर्र - ए - ज़िंदगानी है

निकल कर हल्क़ा - ए - शाम - ओ - सहर से जावेदाँ हो जा

मसाफ़ - ए - ज़िंदगी में सीरत - ए - फ़ौलाद पैदा कर

शबिस्तान - ए - मोहब्बत में हरीर ओ परनियाँ हो जा

गुज़र जा बन के सैल - ए - तुंद - रौ कोह ओ बयाबाँ से

गुलिस्ताँ राह में आए तो जू - ए - नग़्मा - ख़्वाँ हो जा

तिरे इल्म ओ मोहब्बत की नहीं है इंतिहा कोई

नहीं है तुझ से बढ़ कर साज़ - ए - फ़ितरत में नवा कोई

अभी तक आदमी सैद - ए - ज़बून - ए - शहरयारी है

क़यामत है कि इंसाँ नौ - ए - इंसाँ का शिकारी है

नज़र को ख़ीरा करती है चमक तहज़ीब - ए - हाज़िर की

ये सन्नाई मगर झूटे निगूँ की रेज़ा - कारी है

वो हिकमत नाज़ था जिस पर ख़िरद - मंदान - ए - मग़रिब को

हवस के पंजा - ए - ख़ूनीं में तेग़ - ए - कार - ज़ारी है

तदब्बुर की फ़ुसूँ - कारी से मोहकम हो नहीं सकता

जहाँ में जिस तमद्दुन की बिना सरमाया - दारी है

अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी

ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है

ख़रोश - आमोज़ बुलबुल हो गिरह ग़ुंचे की वा कर दे

कि तू इस गुलसिताँ के वास्ते बाद - ए - बहारी है

फिर उट्ठी एशिया के दिल से चिंगारी मोहब्बत की

ज़मीं जौलाँ - गह - ए - अतलस क़बायान - ए - तातारी है

बया पैदा ख़रीदा रास्त जान - ए - ना - वान - ए - रा

पस अज़ मुद्दत गुज़ार उफ़्ताद बर - मा कारवाने रा

बया साक़ी नवा - ए - मुर्ग़ - ज़ार अज़ शाख़ - सार आमद

बहार आमद निगार आमद निगार आमद क़रार आमद

कशीद अब्र - ए - बहारी ख़ेमा अंदर वादी ओ सहरा

सदा - ए - आबशाराँ अज़ फ़राज़ - ए - कोह - सार आमद

सरत गर्दम तोहम क़ानून पेशीं साज़ दह साक़ी

कि ख़ैल - ए - नग़्मा - पर्दाज़ाँ क़तार अंदर क़तार आमद

कनार अज़ ज़ाहिदाँ बर - गीर ओ बेबाकाना साग़र - कश

पस अज़ मुद्दत अज़ीं शाख़ - ए - कुहन बाँग - ए - हज़ार आमद

ब - मुश्ताक़ाँ हदीस - ए - ख़्वाजा - ए - बदरौ हुनैन आवर

तसर्रुफ़ - हा - ए - पिन्हानश ब - चश्म - ए - आश्कार आमद

दिगर शाख़ - ए - ख़लील अज़ ख़ून - ए - मा नमनाक मी गर्दद

ब - बाज़ार - ए - मोहब्बत नक़्द - ए - मा कामिल अयार आमद

सर - ए - ख़ाक - ए - शाहीरे बर्ग - हा - ए - लाला मी पाशम

कि ख़ूनश बा - निहाल - ए - मिल्लत - ए - मा साज़गार आमद

बया ता - गुल बा - अफ़ोशनीम ओ मय दर साग़र अंदाज़ेम

फ़लक रा सक़फ़ ब - शागाफ़ेम ओ तरह - ए - दीगर अंदाज़ेम

नया शिवाला

सच कह दूँ ऐ बरहमन गर तू बुरा न माने

तेरे सनम - कदों के बुत हो गए पुराने

अपनों से बैर रखना तू ने बुतों से सीखा

जंग - ओ - जदल सिखाया वाइज़ को भी ख़ुदा ने

तंग आ के मैं ने आख़िर दैर ओ हरम को छोड़ा

वाइज़ का वाज़ छोड़ा छोड़े तिरे फ़साने

पत्थर की मूरतों में समझा है तू ख़ुदा है

ख़ाक - ए - वतन का मुझ को हर ज़र्रा देवता है

आ ग़ैरियत के पर्दे इक बार फिर उठा दें

बिछड़ों को फिर मिला दें नक़्श - ए - दुई मिटा दें

सूनी पड़ी हुई है मुद्दत से दिल की बस्ती

आ इक नया शिवाला इस देस में बना दें

दुनिया के तीरथों से ऊँचा हो अपना तीरथ

दामान - ए - आसमाँ से इस का कलस मिला दें

हर सुब्ह उठ के गाएँ मंतर वो मीठे मीठे

सारे पुजारियों को मय पीत की पिला दें

शक्ति भी शांति भी भगतों के गीत में है

धरती के बासीयों की मुक्ती प्रीत में है

नानक

क़ौम ने पैग़ाम - ए - गौतम की ज़रा परवा न की

क़द्र पहचानी न अपने गौहर - ए - यक - दाना की

आह बद - क़िस्मत रहे आवाज़ - ए - हक़ से बे - ख़बर

ग़ाफ़िल अपने फल की शीरीनी से होता है शजर

आश्कार उस ने किया जो ज़िंदगी का राज़ था

हिन्द को लेकिन ख़याली फ़ल्सफ़ा पर नाज़ था

शम - ए - हक़ से जो मुनव्वर हो ये वो महफ़िल न थी

बारिश - ए - रहमत हुई लेकिन ज़मीं क़ाबिल न थी

आह शूदर के लिए हिन्दोस्ताँ ग़म - ख़ाना है

दर्द - ए - इंसानी से इस बस्ती का दिल बेगाना है

बरहमन सरशार है अब तक मय - ए - पिंदार में

शम - ए - गौतम जल रही है महफ़िल - ए - अग़्यार में

बुत - कदा फिर बाद मुद्दत के मगर रौशन हुआ

नूर - ए - इब्राहीम से आज़र का घर रौशन हुआ

फिर उठी आख़िर सदा तौहीद की पंजाब से

हिन्द को इक मर्द - ए - कामिल ने जगाया ख़्वाब से

नाला- ए- फ़िराक़

जा बसा मग़रिब में आख़िर ऐ मकाँ तेरा मकीं

आह ! मशरिक़ की पसंद आई न उस को सरज़मीं

आ गया आज इस सदाक़त का मिरे दिल को यक़ीं

ज़ुल्मत - ए - शब से ज़िया - ए - रोज़ - ए - फ़ुर्क़त कम नहीं

''ताज़ आग़ोश - ए - विदाइ 'श दाग़ - ए - हैरत चीदा अस्त

हम - चू शम - ए - कुश्ता दर - चश्म - ए - निगह ख़्वाबीदा अस्त ''

कुश्ता - ए - उज़लत हूँ आबादी में घबराता हूँ मैं

शहर से सौदा की शिद्दत में निकल जाता हूँ मैं

याद - ए - अय्याम - ए - सलफ़ से दिल को तड़पाता हूँ मैं

बहर - ए - तस्कीं तेरी जानिब दौड़ता आता हूँ मैं

आँख को मानूस है तेरे दर - ओ - दीवार से

अज्नबिय्यत है मगर पैदा मिरी रफ़्तार से

ज़र्रा मेरे दिल का ख़ुर्शीद - आश्ना होने को था

आइना टूटा हुआ आलम - नुमा होने को था

नख़्ल मेरी आरज़ूओं का हरा होने को था

आह ! क्या जाने कोई मैं क्या से क्या होने को था !

अब्र - ए - रहमत दामन - अज़ - गलज़ार - ए - मन बर्चीद - ओ - रफ़त

अंदकै बर - ग़ुंचा हाए आरज़ू बारीद - ओ - रफ़्त

तू कहाँ है ऐ कलीम - ए - ज़र्रा - ए - सीना - ए - इल्म !

थी तिरी मौज - ए - नफ़स बाद - ए - नशात - अफ़ज़ा - ए - इल्म

अब कहाँ वो शौक़ - ए - रह - पैमाई - ए - सहरा - ए - इल्म

तेरे दम से था हमारे सर में भी सौदा - ए - इल्म

''शोर - ए - लैला को कि बाज़ - आराइश - ए - सौदा कुनद

ख़ाक - ए - मजनूँ - रा ग़ुबार - ए - ख़ातिर - ए - सहरा कुनद ''

खोल देगा दश्त - ए - वहशत उक़्दा - ए - तक़दीर को

तोड़ कर पहुँचूँगा मैं पंजाब की ज़ंजीर को

देखता है दीदा - ए - हैराँ तिरी तस्वीर को

क्या तसल्ली हो मगर गिरवीदा - ए - तक़रीर को

''ताब - ए - गोयाई नहीं रखता दहन तस्वीर का

ख़ामुशी कहते हैं जिस को है सुख़न तस्वीर का ''

फ़रमान- ए- ख़ुदा

उठ्ठो मिरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो

काख़ - ए - उमरा के दर ओ दीवार हिला दो

गर्माओ ग़ुलामों का लहू सोज़ - ए - यक़ीं से

कुन्जिश्क - ए - फ़रोमाया को शाहीं से लड़ा दो

सुल्तानी - ए - जम्हूर का आता है ज़माना

जो नक़्श - ए - कुहन तुम को नज़र आए मिटा दो

जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी

उस खेत के हर ख़ोशा - ए - गंदुम को जला दो

क्यूँ ख़ालिक़ ओ मख़्लूक़ में हाइल रहें पर्दे

पीरान - ए - कलीसा को कलीसा से उठा दो

हक़ रा ब - सजूदे सनमाँ रा ब - तवाफ़े

बेहतर है चराग़ - ए - हरम - ओ - दैर बुझा दो

मैं ना - ख़ुश ओ बे - ज़ार हूँ मरमर की सिलों से

मेरे लिए मिट्टी का हरम और बना दो

तहज़ीब - ए - नवी कारगह - ए - शीशागराँ है

आदाब - ए - जुनूँ शाइर - ए - मशरिक़ को सिखा दो

फ़रिश्ते आदम को जन्नत से रुख़्सत करते हैं

अता हुई है तुझे रोज़ ओ शब की बेताबी

ख़बर नहीं कि तू ख़ाकी है या कि सीमाबी !

सुना है ख़ाक से तेरी नुमूद है लेकिन

तिरी सरिश्त में है कौकबी ओ महताबी !

जमाल अपना अगर ख़्वाब में भी तू देखे

हज़ार होश से ख़ुश - तर तिरी शकर - ख़्वाबी

गिराँ - बहा है तिरा गिर्या - ए - सहर - गाही

इसी से है तिरे नख़्ल - ए - कुहन की शादाबी !

तिरी नवा से है बे - पर्दा ज़िंदगी का ज़मीर

कि तेरे साज़ की फ़ितरत ने की है मिज़्राबी !

फ़ुनून- ए- लतीफ़ा

ऐ अहल - ए - नज़र ज़ौक़ - ए - नज़र ख़ूब है लेकिन

जो शय की हक़ीक़त को न देखे वो नज़र क्या !

मक़्सूद - ए - हुनर सोज़ - ए - हयात - ए - अबदी है

ये एक नफ़स या दो नफ़स मिस्ल - ए - शरर क्या !

जिस से दिल - ए - दरिया मुतलातिम नहीं होता

ऐ क़तरा - ए - नैसाँ वो सदफ़ क्या वो गुहर कया !

शायर की नवा हो कि मुग़न्नी का नफ़स हो

जिस से चमन अफ़्सुर्दा हो वो बाद - ए - सहर क्या !

बे - मोजज़ा दुनिया में उभरतीं नहीं क़ौमें

जो ज़र्ब - ए - कलीमी नहीं रखता वो हुनर क्या

मस्जिद- ए- क़ुर्तुबा

सिलसिला - ए - रोज़ - ओ - शब नक़्श - गर - ए - हादसात

सिलसिला - ए - रोज़ - ओ - शब अस्ल - ए - हयात - ओ - ममात

सिलसिला - ए - रोज़ - ओ - शब तार - ए - हरीर - ए - दो - रंग

जिस से बनाती है ज़ात अपनी क़बा - ए - सिफ़ात

सिलसिला - ए - रोज़ - ओ - शब साज़ - ए - अज़ल की फ़ुग़ाँ

जिस से दिखाती है ज़ात ज़ेर - ओ - बम - ए - मुम्किनात

तुझ को परखता है ये मुझ को परखता है ये

सिलसिला - ए - रोज़ - ओ - शब सैरफ़ी - ए - काएनात

तू हो अगर कम अयार मैं हूँ अगर कम अयार

मौत है तेरी बरात मौत है मेरी बरात

तेरे शब - ओ - रोज़ की और हक़ीक़त है क्या

एक ज़माने की रौ जिस में न दिन है न रात

आनी - ओ - फ़ानी तमाम मोजज़ा - हा - ए - हुनर

कार - ए - जहाँ बे - सबात कार - ए - जहाँ बे - सबात

अव्वल ओ आख़िर फ़ना बातिन ओ ज़ाहिर फ़ना

नक़्श - ए - कुहन हो कि नौ मंज़िल - ए - आख़िर फ़ना

है मगर इस नक़्श में रंग - ए - सबात - ए - दवाम

जिस को किया हो किसी मर्द - ए - ख़ुदा ने तमाम

मर्द - ए - ख़ुदा का अमल इश्क़ से साहब फ़रोग़

इश्क़ है अस्ल - ए - हयात मौत है उस पर हराम

तुंद ओ सुबुक - सैर है गरचे ज़माने की रौ

इश्क़ ख़ुद इक सैल है सैल को लेता है थाम

इश्क़ की तक़्वीम में अस्र - ए - रवाँ के सिवा

और ज़माने भी हैं जिन का नहीं कोई नाम

इश्क़ दम - ए - जिब्रईल इश्क़ दिल - ए - मुस्तफ़ा

इश्क़ ख़ुदा का रसूल इश्क़ ख़ुदा का कलाम

इश्क़ की मस्ती से है पैकर - ए - गुल ताबनाक

इश्क़ है सहबा - ए - ख़ाम इश्क़ है कास - उल - किराम

इश्क़ फ़क़ीह - ए - हराम इश्क़ अमीर - ए - जुनूद

इश्क़ है इब्नुस - सबील इस के हज़ारों मक़ाम

इश्क़ के मिज़राब से नग़्मा - ए - तार - ए - हयात

इश्क़ से नूर - ए - हयात इश्क़ से नार - ए - हयात

ऐ हरम - ए - क़ुर्तुबा इश्क़ से तेरा वजूद

इश्क़ सरापा दवाम जिस में नहीं रफ़्त ओ बूद

रंग हो या ख़िश्त ओ संग चंग हो या हर्फ़ ओ सौत

मोजज़ा - ए - फ़न की है ख़ून - ए - जिगर से नुमूद

क़तरा - ए - ख़ून - ए - जिगर सिल को बनाता है दिल

ख़ून - ए - जिगर से सदा सोज़ ओ सुरूर ओ सुरूद

तेरी फ़ज़ा दिल - फ़रोज़ मेरी नवा सीना - सोज़

तुझ से दिलों का हुज़ूर मुझ से दिलों की कुशूद

अर्श - ए - मोअल्ला से कम सीना - ए - आदम नहीं

गरचे कफ़ - ए - ख़ाक की हद है सिपहर - ए - कबूद

पैकर - ए - नूरी को है सज्दा मयस्सर तो क्या

उस को मयस्सर नहीं सोज़ - ओ - गुदाज़ - ए - सजूद

काफ़िर - ए - हिन्दी हूँ मैं देख मिरा ज़ौक़ ओ शौक़

दिल में सलात ओ दुरूद लब पे सलात ओ दुरूद

शौक़ मिरी लय में है शौक़ मिरी नय में है

नग़्मा - ए - अल्लाह - हू मेरे रग - ओ - पय में है

तेरा जलाल ओ जमाल मर्द - ए - ख़ुदा की दलील

वो भी जलील ओ जमील तू भी जलील ओ जमील

तेरी बिना पाएदार तेरे सुतूँ बे - शुमार

शाम के सहरा में हो जैसे हुजूम - ए - नुख़ील

तेरे दर - ओ - बाम पर वादी - ए - ऐमन का नूर

तेरा मिनार - ए - बुलंद जल्वा - गह - ए - जिब्रील

मिट नहीं सकता कभी मर्द - ए - मुसलमाँ कि है

उस की अज़ानों से फ़ाश सिर्र - ए - कलीम - ओ - ख़लील

उस की ज़मीं बे - हुदूद उस का उफ़ुक़ बे - सग़ूर

उस के समुंदर की मौज दजला ओ दनयूब ओ नील

उस के ज़माने अजीब उस के फ़साने ग़रीब

अहद - ए - कुहन को दिया उस ने पयाम - ए - रहील

साक़ी - ए - रबाब - ए - ज़ौक़ फ़ारस - ए - मैदान - ए - शौक़

बादा है उस का रहीक़ तेग़ है उस की असील

मर्द - ए - सिपाही है वो उस की ज़िरह ला - इलाह

साया - ए - शमशीर में उस की पनह ला - इलाह

तुझ से हुआ आश्कार बंदा - ए - मोमिन का राज़

उस के दिनों की तपिश उस की शबों का गुदाज़

उस का मक़ाम - ए - बुलंद उस का ख़याल - ए - अज़ीम

उस का सुरूर उस का शौक़ उस का नियाज़ उस का नाज़

हाथ है अल्लाह का बंदा - ए - मोमिन का हाथ

ग़ालिब ओ कार - आफ़रीं कार - कुशा कारसाज़

ख़ाकी ओ नूरी - निहाद बंदा - ए - मौला - सिफ़ात

हर दो - जहाँ से ग़नी उस का दिल - ए - बे - नियाज़

उस की उमीदें क़लील उस के मक़ासिद जलील

उस की अदा दिल - फ़रेब उस की निगह दिल - नवाज़

आज भी इस देस में आम है चश्म - ए - ग़ज़ाल

और निगाहों के तीर आज भी हैं दिल - नशीं

बू - ए - यमन आज भी उस की हवाओं में है

रंग - ए - हिजाज़ आज भी उस की नवाओं में है

दीदा - ए - अंजुम में है तेरी ज़मीं आसमाँ

आह कि सदियों से है तेरी फ़ज़ा बे - अज़ाँ

कौन सी वादी में है कौन सी मंज़िल में है

इश्क़ - ए - बला - ख़ेज़ का क़ाफ़िला - ए - सख़्त - जाँ

देख चुका अल्मनी शोरिश - ए - इस्लाह - ए - दीं

जिस ने न छोड़े कहीं नक़्श - ए - कुहन के निशाँ

हर्फ़ - ए - ग़लत बन गई इस्मत - ए - पीर - ए - कुनिश्त

और हुई फ़िक्र की कश्ती - ए - नाज़ुक रवाँ

चश्म - ए - फ़िराँसिस भी देख चुकी इंक़लाब

जिस से दिगर - गूँ हुआ मग़रबियों का जहाँ

मिल्लत - ए - रूमी - निज़ाद कोहना - परस्ती से पीर

लज़्ज़त - ए - तज्दीदा से वो भी हुई फिर जवाँ

रूह - ए - मुसलमाँ में है आज वही इज़्तिराब

राज़ - ए - ख़ुदाई है ये कह नहीं सकती ज़बाँ

नर्म दम - ए - गुफ़्तुगू गर्म दम - ए - जुस्तुजू

रज़्म हो या बज़्म हो पाक - दिल ओ पाक - बाज़

नुक़्ता - ए - परकार - ए - हक़ मर्द - ए - ख़ुदा का यक़ीं

और ये आलम तमाम वहम ओ तिलिस्म ओ मजाज़

अक़्ल की मंज़िल है वो इश्क़ का हासिल है वो

हल्क़ा - ए - आफ़ाक़ में गर्मी - ए - महफ़िल है वो

काबा - ए - अरबाब - ए - फ़न सतवत - ए - दीन - ए - मुबीं

तुझ से हरम मर्तबत उंदुलुसियों की ज़मीं

है तह - ए - गर्दूं अगर हुस्न में तेरी नज़ीर

क़ल्ब - ए - मुसलमाँ में है और नहीं है कहीं

आह वो मरदान - ए - हक़ वो अरबी शहसवार

हामिल - ए - ख़ल्क़ - ए - अज़ीम साहब - ए - सिद्क - ओ - यक़ीं

जिन की हुकूमत से है फ़ाश ये रम्ज़ - ए - ग़रीब

सल्तनत - ए - अहल - ए - दिल फ़क़्र है शाही नहीं

जिन की निगाहों ने की तर्बियत - ए - शर्क़ - ओ - ग़र्ब

ज़ुल्मत - ए - यूरोप में थी जिन की ख़िरद - राह - बीं

जिन के लहू के तुफ़ैल आज भी हैं उंदुलुसी

ख़ुश - दिल ओ गर्म - इख़्तिलात सादा ओ रौशन - जबीं

देखिए इस बहर की तह से उछलता है क्या

गुम्बद - ए - नीलोफ़री रंग बदलता है क्या

वादी - ए - कोह - सार में ग़र्क़ - ए - शफ़क़ है सहाब

लाल - ए - बदख़्शाँ के ढेर छोड़ गया आफ़्ताब

सादा ओ पुर - सोज़ है दुख़्तर - ए - दहक़ाँ का गीत

कश्ती - ए - दिल के लिए सैल है अहद - ए - शबाब

आब - ए - रवान - ए - कबीर तेरे किनारे कोई

देख रहा है किसी और ज़माने का ख़्वाब

आलम - ए - नौ है अभी पर्दा - ए - तक़दीर में

मेरी निगाहों में है उस की सहर बे - हिजाब

पर्दा उठा दूँ अगर चेहरा - ए - अफ़्कार से

ला न सकेगा फ़रंग मेरी नवाओं की ताब

जिस में न हो इंक़लाब मौत है वो ज़िंदगी

रूह - ए - उमम की हयात कश्मकश - ए - इंक़िलाब

सूरत - ए - शमशीर है दस्त - ए - क़ज़ा में वो क़ौम

करती है जो हर ज़माँ अपने अमल का हिसाब

नक़्श हैं सब ना - तमाम ख़ून - ए - जिगर के बग़ैर

नग़्मा है सौदा - ए - ख़ाम ख़ून - ए - जिगर के बग़ैर