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ख़्वाब की ताबीर

ख़्वाब की ताबीर

लेखक:
हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

पेश लफ्ज़

काफ़ी अर्से से ये खयाल था कि कोई ऐसी किताब लिखी जो ख़्वाबों कि सहीह ताबीर पर मुश्तिमल हो 1 नीज़ मोमिनीन कराम का इसरार भी नाक़ाबिले बरदाश्त था क्योकि उर्दु ज़बान मे कोई ऐसा मोतबर ख़्वाब नामा मौजूद नही था जो मोमिनीन कि इस़ रोज़मररा- की अहम ज़रूरत को पूरा कर सकता 1 लेहाजा ज़ेरे नज़र किताब ताबीरूरोया कि तरतीबो तदवीन को पुख्ता तालीफिया जो मौलाना नज़र हुसैन साहब ज़फऱ मौलाना जव्वाद उल हुसैन हमदानी मौलाना सैय्यद इकरार हुसैन साहब और मौलाना गुलाम हैदर साहब पर मुश्तमिल है के सुपुर्द कर दिया गया 1 जिन्होने बडी काविश और ज़ाफिशानी से इस ख्वाब नामे को मुरत्तब किया और इस सिलसिले मे मुख्तलिफ कुतुब व तफासीर खूसूसन आयतुल्लाहुल् उज़म मौहिदिदसे आज़म जनाब मौ. बाक़िर साहब कददसल्लाहो की माया नाज़ किताब बिहारूल अननार को पेशे नज़र रखा और उसके अलावा दीगर मशहुरो म्रारूफ कुतुब से इस्तिफादा किया बख़्ता तालीफिया ने अपने तई इन्तिहाई कोशिश की कि कोई ऐसा मवाद इस किताब मे गैर मौजूद हो लेकिन ज़मानए हाल मे शाया किया जा रहा है उम्मीद है कि हिन्दी जानने वाले इस्तेफादा करेगे।

बिस्मिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम.

अक़्सामे ख़्वाब. ख़्वाब की चार क़िस्में होती हैं। 1. वो ख़्वाब जो अल्लाह तआला की तरफ से हो और उसकी तावील व तबीर होती है। 2. वो ख़्वाब जो वसावसे शैतान से हो। 3. वो ख़्वाब जो ग़ल्बऐ अग़लात यानी सफ़रा ,सौदा , बल्ग़म या खून में से किसी एक की ज़्यादती की वजह से हो मसलन जिस शख़्स को सौदा का ग़ल्बा हो उसे उमूमम ख़वाब मे स्यिह रंग की ख़ौफनाक चीज़े नज़र आती हैं। 4. वो ख़्वाब जो अफकारो तफक्कुरात की वजह से हो।पहले ख़्वाब के अलावा दीगर ख़्वाब परेशान और मुख़्तलित और मुतलब्बिस बे हकीकत होते हैं(सफीनतुल बिहार)

वैसे मशहूर है कि ख़्वाब वो है जो सुबहे सादिक़ से पहले रोज़ा रखने के वक़्त आये सच्चा ख़वाब वो है जो दिन में आये।

ख़्वाब की पहली क़िस्म

यह ख़्वाब सालेह और सादिक़ होता है उसका तअल्लुक़ अंबिया और अईम्माए ताहेरीन(अ. स.)से है और कभी ये ख़्वाब नेक और सालेह बन्दों को भी देखने मे आता है।जिसमें किसी मुतवक़्क़े अम्र की जानिब इशारा होता है और ये किसी होने वाले खौफ़नाक अम्र से तहज़ीर होती है या किसी मुफीद और अच्छे अम्र की ताबीर होती है।

कुर्आने मजीद में ख़्वाबों का तज़किरा

कलामे पाक में अंबिया और ग़ैर अंबिया के ख़्वाबों का ज़िक्र मौजुद है जिससे मालूम होता है के तमाम ख़्वाब बे हक़ीकत नहीं होते बल्कि अकसर औक़ात सालेह और सादिक़ भी होते है जैसा कि सूराए युसूफ में है. ,,जब हज़रत युसुफ ने अपने बाप से कहा ऐ बाबा में ने ग्याराह सितारों और सूरज और चॉद को (ख़्वाब में देखा है) मैंने देखा है कि ये सब मुझे सज्दह कर रहे हैं।

हज़रत युसुफ के साथ और भी दो जवान आदमी कैंद में दाख़िल हुए उन में से एक ने कहा कि मैंने ख़्वाब देखा है कि मैं शराब बनाने के वास्ते अंगूर निचौड़ रहा हूं और दूसरे ने कहा कि मैने भी ख्वाब मे अपने को देखा है कि मै अपनै सर सर रोटियां उठाये हुऐ हू और परिन्दे उसमे से खा रहे है और (युसुफ) हमे इसकी ताबीरल बताईये क्योकि हम तुम को यकीनन नेकोकार से समझते है 1

इस ख्नाब की ताबीर ऐ मेरे कैदखाने के दोनो रफीको (अच्छा ताबीर सुनो) तुममे एक (जिसने अंगूर निचोड़ा) अपने मालिक को शराब पिलाने का काम करेगा और दूसरा जिसने सर पर रोटियां देखी , सूली दिया जायेगा और परिन्दे उसके सर को नोच कर खायेंगें 1 जिस अम्र के मुतअल्लिक तुम दरयाफ्त करते हो उसका फैसला हो गया (इसी असना मै बादशाह ने भी ख्वाब देखा) और कहा मैने ख्वाब देखा है कि सात मोटी ताज़ी गायें हैं उनको सात दुबली पतली गायें खाये जाती है और सात ताज़ा सब्ज़ बालियां देखी और सात सूखी बालियां ऐ दरबार के सरदार अगर तुमको ख्वाब की ताबीर देनी आती है तो मेरे इस ख्वाब के बारे मे हुक्म लगाओ।

इस ख्वाब की ताबीर (कैदखाने से निजात पाने वाला गया और कहा) ऐ बड़े सच्चे युसुफ ज़रा हमे ये तो बताईये कि सात मोटी ताज़ा गायों को सात दुबली पतली गाये खा जाती है और सात बालियॉं है।हरी सरसब्ज़ और फिर सात सुखी हुई इसकी ताबीर क्या है।ताकि मै लोगौ के पास पलट कर जाऊं और बयान करूं ताकि भी (तुम्हारी कद्र) मालूम हो जाये।युसुफ ने कहा कि (इसकी ताबीर ये है) तुम लोग मुतवातिर सात काश्तकारी करते रहो तो जो फसल तुम काटो उसके बाद बड़े खुश्क साली के सात बरस आयेंगे कि जो कुछ तुम लोगों ने इन सात सालो के वास्ते पहले से जमा कर रखा होगा सब खा जायेंगे मगर कदरे कलील जो तुम बीज के वास्ते बचा कर रखोगे बस उसके बाद एक साल ऐसा आयेगा जिसमे लोग उस साल उसे शराब के लिये निचोड़ेगें।तो एक दफा हज़रत इब्राहीम ने कहा कि बेटा (इस्माईल) मै ख्वाब मे (वही के ज़रिये) क्या देखाता हूं कि मै खुद तुम्हे ज़िब्हा कर रहा हूं तो तुम भी ग़ौर करो इस मे तुम्हारी क्या राय है इस्माईल (अ. स.) ने कहा अब्बा जान जो आपको हुक्म हुआ है।उसे (बेतअम्मुल) कीजियेगा अग़र खुदा ने चाहा आप मुझे सब्र करने वालो मे पायेगे।

बेशक खुदा ने अपने रसूल कोस सच्चा (मुताबिके वाकआ) ख्वाब दिखायात था कि तुम इन्शाअल्लाह मस्जिदुल हराम (मक्का) मे अपना सर मुडवाकर और थोडे से बाल कटवाकर बहुत अमनो इत्मिनान से दाखिल होगे और किसी का खौफ न करोगे।

चन्द अहम ख्वाब का ज़िक्र

उम्मल फज़ल बिन्ते हारिस बयान करती है कि मै पैग़म्बरे इस्लाम की खिदमत मे हाज़िर हुई और अर्ज़ कि मै ऐ अल्लाह के रसूल (स. अ.) मैने आज रात एक बुरा ख्वाब देखा है कि आपके जिस्में मुबारक का एक टुकड़ा कट गया और मेरी गोद मे रखा गया।हुजूर (स. अ.) ने फरमाया तूने अच्छा ख्वाब देखा है मेरी बेटी फात्मा (स. अ.) के यहां इन्शाअल्लाह एक बच्चा पैदा होगा जिसे तू गोद मे उठायेगा।उम्मुल फ़ज़ल कहती है आलिया बीबी के यहां हुसैन(अ. स.) पैदा हुये तो मैने उनहें गोद मेने एक दिन हुसैन इब्ने अली (अ. स.) को गोद मे उठाया नबीऐ करीम (स. अ.) के पास आई और उन्हें आपकी की गोद मे रखा।फिर जो मेरी तवज्ज़ोह किसी और तरफ हुई तो मैने देखा कि रसूल अल्लाह की दोनो आंसऔ से छलक रही है।मैने अर्ज़ की ऐ अल्लाह के रसूल (स. अ.) मेरे मां बाप आप पर फिदा हो गया।फरमाया अभी-अभी मेरे पास जिब्रील मेरे पास सुर्ख मिटटी ले आये है (मिश्कात)

2. हज़रत फात्मा (स. अ.) ने अपनी वफात से कुछ दिन पहले ख्वाब मे देखा आप जन्नत मे दाखिल हई और आपको पैग़म्बरे खुदा (स. अ.) ने गले से लगाया और पेशानी पर बोसे दिये और फरमाया मकान ऐ मेरी बेटी तू मेरे पास चन्द दिन के बाद आ जायेगी।और य़े ख्वाब सैय्यदा (स. अ.) नेअमीरूल मोमिनीन मुझे ख़्वाब में बाबा मिले और वो मुझे अपने यहां बुला रहे है।अब मै इस दारे फानी से चन्द दिन के बाद हमेशा के लिये रूख्सत हो जाऊगी।बिहारूल अनवार मे आलिया बीबी के चन्द और खवाबो का भी जिक्र है (सफीना)

3. जनाबे अमीरूल मोमिनीन ने ख्वाब मे दूखा कि कुछ आदमी आसमान से सरज़मीने करबला पर उतरे है।उन्होने सरज़मीन करबला के आस पास एक ख़त खीचा है और इस ज़मीन मे खजूरो के दरख्त ताज़ा खून मे डूबा हुआ फरयाद करके मदद तलब कर रहा और कोई उसकी मदद नही करता।

4. हुसैन इब्ने अली (अ. स.)ने ख्वाब मे अपने नाना को देखाकि उन्होने मुझे अपने सीने से लगाया और पेशानी पर बोसे दिये और फ़रमाया ऐ हुसैन मरा बाप तुझ पर कुर्बान हो जाये गोया मै तुझ तेरे खून मे ग़ल्तॉ देख रहा हुं।

5. नवी मोहरर्म की अस्र को मज़लूमे करबला ने ख्वाब मे नबीऐ करीम (स. अ।) को देखा आप फ़रमा रहे है बेटा कल तू हमारे पास पहुंच जायेगा।

6, जनाबे सकीना बीबी का एक पुरदर्द ख्वाब किताबे बिहारूल अनवार मे मज़कूर है कि बीबी ने दामिश्क मे देखा कि नूर के पॉच नाके है उन पर पॉच शख्स सवार है और उनके इर्द गिर्द मलाएका हैं औऱ हर नाके के हमराह एक खादिम है तो मैने पूछा ये कौन लौग है।खादिम ने जवाब दिया अव्वल हज़रत आदम सफीयुल्ला चौधे हज़रत ईसा रूहुल्ला है मैने पूछा ये हज़रत कौन है अपने महासिने शरीफ को हाथ में पकड़े हुये हैं और निहायत करबो अलम से कभी गिरते हैं कभी उठते हैं।कहा कि वो तुम्हारे नाना रसबल उल्लाह (स. अ.) हैं।मैने पूंछा ये हज़रत कहॉ जाते हैं तो कहा तुम्हारे बाबा के पास और ज़ल्मो सित्म जो उनके बाद मुझपर गुज़रे हैं बयान करूं।इसी असना में नूर के पॉच हौदज नज़र आये जिन पर पॉच बीबीयॉ बै थी।मैने इस खादिम से पूछा ये कौन है।उसने कहा अव्वल हव्वा उमम्मुल बशर दुसरी आसिया दुख़्तरे मज़ाहिम तीसरी मरयम बिन्ते इमरान चौथी खूवेलद मैने पूछा पॉचवी बीबी कौन है जोअपने हाथ सर पर रखे हुये है जो कभी बैठ जाती है कहा कि ये तुम्हारी दादी फातिमा ज़हरा (स.) दुखतरे रसूल खुदा (स. अ.)है मैने कहा बखुदा मै ज़रूर उनसे अपने मसाएब अर्ज़ करूंगी फिर मै उनके सामने गयी और बकमाले अदब खड़ी होकर रोती रही मौने अज़ की ऐ दादी अम्मा खुदा की क़सम मुस्मानो ने हमारे हक़ का इन्कार किया ऐ दादी खुदा कि क़सम उन लोगो ने हमारी इज़्जत और हुर्मत का ख़याल न किया

दादी अम्मा इऩ लोगो ने मेरे बाबा हुसैन (अ. स.) को शहीद कर डाला ये सुन कर खातून क़यामत ने फरमाया बेटी सकीना ज़्यादा न रो कि तेरे रोने से मेरा दिल टुकड़े और मेरा जिगर ज़ख्मी हो रहा।ये तेरे बाबा हुसैन का कुर्ता मेरे पास है उसको मै जुदा नकरूगी यहॉ तक कि अपने परवरदिगार के सामने जाऊंगी।उसले बाद मेरी ऑख खुल गयी।

7. इसी तरह बिहारूल अनवार में हिन्दा ज़ौजए यज़ीद(ल.)से रिवायत है वो कहती है कि मै अपनी ख्वाबगाह मैने देखा कि आसमान का एक दर गिरोह उतर रहे है और कह रहे है अस्सलामो अलैका या अबाअब्दिल्लाह अलैका यबना रसुलिल्लाह।इसी अस्ना मे एक अब्र नमूदार हुआ उसमें से बहुत से आदमी उतरे और बुज़ुर्ग जिनका चेहरा निहायत ताबिन्दा व दरख़शॉ था दौड़े हुये सरे हुसैन (अ. स.) की तरफ आये और झुक कर दन्दाने मुबारक के बोसे देने लगे और रो रो कर कह रहे थे ऐ मेरे फ़रज़न्द तुझे क़त्ल किया गया तुझको किसी ने न पहचाना तुझे पानी तक न दिया गया ऐ मेरे नाना रसूले खुदा हूं और येतेरा बाप अलीये मुतुर्ज़ा हैं और ये तेरा भाई हसने मुज्तुब और ये तेरा चचा जाफरे तय्यार और अकीलो हम्ज़ा व अब्बास है।इसी तरह हुज़ूरे अपने अहलेबैत मे से एक एक का नाम ले रहे थे।हिन्दा कहती हैं कि मैं इस खवाब को देखकर बहुत डरी औऱ निहायत परेशानी की हालत मे बेदार हुई।अचानक एक नूर देखा कि सरे हुसैन पर फैला हुआ है पस मैंने यज़ीद को ढूडॉ देखा कि वो एक तारीक कमरे मे अपना मुंह दीवार की तरफ किये हुये निहायत ग़म में कह रहा है कि मुझको हुसैन से क्या काम था मैने हुसैन इब्ने अलली को क़त्ल कराके क्या लिया।

8. बसरे के एक आदमी ने ख़्वाब देखा कि वो हौज़े कौसर पर आया और इमाम हसन व हुसैन (अ. स.) से पानी मांगा तो दोनों शहज़ादों को पैग़म्बरे इस्लाम (अ. स.) ने उसे पानी पिलाने से मना फरमाया और हुज़ूर ने उससे फरमाया कि तेरा एक पड़ोसी है जो अली (अ. स.) की शान में गुस्ताख़ियॉ करता है और तूने कभी उसे मना नहीं किया इस मर्द ने अर्ज़ की ऐ अल्लाह के रसूल (स. अ.)वो मेरा पड़ोसी दुनियादार होने की वजह से बड़ा मग़रूर है और मैं एक तंगदस्त और फक़ीर आदमी हूं उसे मना करने की मुझमे ताक़त नही तो पैग़म्बर ने एक तेज़ छुरी निकाली और फरमाया जा और उसे इस छुरी से ज़िब्हा कर दे।वो कहता है कि मैं गया और उसे चारपाई पर लेटा हुआ पाया तो मैने आलमे ख़्वाब में उसे उसकी चारपाई पर ज़िब्हा कर डाला और खून से लथड़ी हुई छुरी लेकर मैं पैंग़म्बरे इस्लाम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ।तो हुज़ूर ने हुसैन (अ. स.) से फरमाया उसे पानी पिलाओ पस वो मर्द कहता है कि मैं घबराया हुआ बेदार हुआ जब सुबहा हई तो मैंने रोने पीटने की आवाज़ें सुनी और जब रोने पीटने की वजह पूंछी तो मुझे एक आदमी ने कहा कि फलॉ आदमी अपनी चारपाई पर मकतूल और मज़बूह पाया गया है (सफीना) 9. बिहारूल अनवार में है कि मदायनी ने कहा पैग़म्बरे ख़ुदा (स. अ.) ने उम्मुल मोमिनीन उम्मे सलमा को एक शीशी दी जिसमें ख़ाके करबला थी और पैंग़म्बर (स. अ.) ने फरमाया था कि ऐ उम्मे सलमा जब ये ख़ाक ताज़ा खून हो जायेगी तो समझ लेना कि मेरा फरज़न्द हुसैन (अ. स.) शहीद कर दिया गया सलमा कहती हैं कि एक रोज़ बीबी सलमा के घर से नौहा ओ ज़ारी की आवाज़ बुलन्द हुई पस मैं सबसे पहले वहॉ गयी ,माजरा पूंछा तो आप ने फरमाया कि अभी अभी पैग़म्बरे खुदा (स. अ.) को ख़्वाब में देखा कि आपने फरमाया कि अभी अभी पैगम्बर खुदा (स. अ.)को ख्नाब में देखा कि आप के सर मुबारक और रीशे मुबारक पर गर्दो गुबार है।मैने अर्ज़ की ऐ अल्लाह के रसूल (अ. स.) शहीद कर दिया गया है ये सुन कर मै घबरा कर उठी और शीशी को देखा कि ताज़ा खनू जोश मार रहा था।सलमा कहती है मैने देखा के उम्मे सलमा बीबी उस शीशीको आगे रखे रखे हुए थी।

10 इसीतरहा रोज़े आशूरह अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ने भी दोपहर के वक्त ख्वाब देखा कि आप परागन्दा मुंह और गुबार आलूद है और आपके हाथ मे एक शीशी है जिसमे खून है तो इब्ने अब्बास ने पूंछा ये क्या है. आपने फरमान ये हुसैन और उस के असाब का खून है इब्ने अब्बास कहते है जिस दिन मैने ख्वाब देखा था (सवाएके मोहरका सफा 191)

11 हिनान इब्ने सदीर सैरनी से रिवायत है कि मैनेअपने बाप से सुना वो कहते कि मैने पैग़म्बर इस्लाम (स. अ.) को ख्वाब मे देखा आपने सामने एक तबक था।मैं हुजूर (स. अ.)के करीब गया और सलाम किया देकता हूं कि उसमे ताजा ख़जूरें थीं हुजूर (स. अ.) उसमे लगे तो मै हुजूर (स. अ.) के करीब हुआ मैने अर्ज़ की ऐ अल्लाह के रसूल (स. अ.) मुझे भी ख्जुर का एक दाना दीजिये हुजूर (स. अ.) ने मुझे एक दाना दिया और मैने उसे खाया फिर मैने अर्ज़ की मुझे एक और खजूर का दाना दिया मैने उसे भी खालिया पस जब दाना खा लेता तो फिर सवाल करता यहां तक कि आपने मुझे ख़जूर के आठ दाने दिये और मैने उन्हे खाया फिर मैने मॉगा तो हुजूर (स. अ.) फरमाया कि यही काफी है वो कहता है कि मै अपने इस ख्वाब से बेदार हुआ तो सुबह को इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ. स.) के पास हाज़िर हुआ देखा हुजूर (स. अ.) के सामने देखा था पस मैने इमाम को सलाम अर्ज़ किया तो हुजूर (अ. स.) ने जवाबे सलाम दिया फिर अपने तबक से रूमाल उठाया तो क्या देखता हूं कि उसमे सेखाने लगे मै मुतअज्जिब हुआ और अर्ज़ की मै आप पर कुर्बान हो जाऊं मुझे एक दाना दीजिये हुजूर (अ. स.) ने एक दाना दिया और मैने खायाफिर तलब किया यहॉ तक आठ दानेखाये फिर मॉगा तो आपने फरमाया (अगर मेरे नाना रसूल स. अ. तुझे और खुजूर देते तो मै भी तुझे ज़रूर ज़्यादा देता)इस के बाद मैने रात वाला ख़्वाब सुनाया तो हुजूर इस तरह तुतबस्सिम हुए कि आप इस वाकिए को ख़ूब जानते है।

12. इसी तरह हारून मिसरी जो मुतवक्किल के क़ायदीन में से था ने रसूल पाक (स. अ.) उसको मना फरमा रहे हैं कि वो कर्बला न जाये और मुतवक्किल के हुक्म से क़ब्र हुसैन (अ.) को न खोद।लेकिन वो बाज़ न आया और जिस तरहा मुत्वक्किल ने उसे हुक्म दिया था उस काम को करने के लिये जाना चाहता था उसने दोबारा रसूल पाक (स.)को ख्वाब मे देखा तो आप ने उसे ऐसा तमाचा मारा और उसके मुंह पर थूका पास उसका मुंह तारकोल की तरह सियाह हो गया और उससे काफी मुददत तक बदबू आती रही।

13 खजूरों वाला ख्वाब एक और तरह से मंकूल है कि अबी कि अबी हबीब बनाजी ने पैग़म्बर इस्लाम (स.) को ख्वाब मे देखा कि आपके सामने एक तबक़ है जिसमे सेहानी खजूरें हैं।हुजूर (स.) ने एक मुठठी खजूरो की दी।उसने ख़्वाब मे ही उन्हे शुमार किया तो अठठाराह थीं फिर वो आलमे बेदारी मे इमाम रज़ा (अ.) के पास पहुंचा आप के सामने उसी तर सेहानी खजूरों का तबक था आपने अबी हबीब को उन खुजूर की एक मुठठी दी उसने शुमार किया तो वो इठठाराह थी उसने अर्ज़ किया मौला कुछ और दीजिये तो अपने फरमाया अगर मेरे नाना कुछ और देते तो मै भी ज़्यादा देता (सवाएके मोहर्रेका सफ़ा 203)

14 एक खुरासानी ने नबीये ने नेबीय करीम (स.)को ख़्वाब मे देखा कि आप उससे फरमा रहे है के उस वक्त तुम्हारा क्या हाल होगा जब तुम्हारी ज़मीन में मेरा एक टुकड़ा दफन किया जायेगा और तुम्हारी ज़मीन मे मेरा एक सितारा गायब हो जायेगा (ये इमाम रज़ा अ. की तरफ इशारा है)

15 सवेएके मोहर्रका मे है कि एक कारी जब तैमूर लंग की कब्र के पास गुज़रता था तो इस पकड़ो और जंजीर मे जकड़ो फिर इस जहन्नुम मे दाखिल करो (फरिश्तों से खिताब)- इस आयत को बार बार दोहराता था वे कहता है कि मै एक दफा सोया हुया था मैने ख़्वाब मे रसूल करीम (स.)को बैठे हुये और देखा कि तैमूरलंग भी आप के साथ बैठा हुआ है।कारी कहता है मैने उसे झिड़का और डांटा और कहा कि ऐ अल्लाह के दुश्मन इधर आ गया है और मैने इरादा किया कि उसका हाथ पकड़ कर उसे नबीये करीम (स.) के पहलू से उठा लूं पस नबीये करीम (स.) ने मूझसे फरमाया इसे छोड़ दो क्योंकि ये मेरी ज़्रर्रियत से मोहब्बत रखता थ।मै घबरा के बेदार हुआ और जो कुछ मै उसकी कब्र पर पढ़ता था वो छोड़ दिया।

16 सनाएके मोहर्रेका के मोअल्लिफ इब्ने हजरे मक्की ने इस मज़कूरा बाला ख़्वाब के नीचे तैमूरलंग का एक और वाक़िआ भी लिखा है जिसका यहॉ जिक्र करना मुनासिब है मालूम होता है कि जमाले मुर्सदी और शहाबे कोरानी से रिवायत है के तैमूरलंग के किसी बेटे ने उनसे बयान किया है के जब तैमूरलंग मरज़ुल मौत में मुब्तिला हुआ तो एक दिन बहुत ज़्यादा बैचेन हुआ और जिससे उसका चेहरा सियाह हो गया और रंग तब्दील हो गया फिर उसे इफाक़ा हुआतो लोगो ने उससे उसकी हालत का ज़िक्र किया उसने कहा के मलाएकए अज़ाब मेरे पास आये तो मेरी ये हालत हो गयी फिर रसूले पाक (स.) तशरीफ लाये तो मलाएका से फरमाया इससे दूर हो जाओ और चले जाओ क्योंकि मेरी ज़ुर्रियत से मोहब्बत रखता था और उन पर अहसान करता था (सवाएके माहेर्रेका सफा 244 नयाबीउल्मवद्दत सफा 394) 17. नयाबीउल्मवद्दत मोअल्लिफा सुलेमान कुन्दुजी ने सफा 389 पर लिखा है एक शख़्स अब्दुल्लाह बिन मुबारक एक साल में हज करता और एक साल घर पर क़याम करता था कि एक दफा जब उसके हज करने का साल आया तो वो कहता है कि मैं मरो शाहजहॉसे निकला और उस वक़्त मेरे पास पॉच सौ दीनार थे पस मैं कूफे में ऊंटों के फरोख़्त होने के बाज़ार में ऊंट ख़रीदने पहुंचा तो मैंने एक मुजब्ला पर (कूड़े करकट का ढेर) एक औरत को देखा जो मुर्दा बत्तख़ के परो बाल नोच रही थी मैंने उससे कहा बीबी ये क्या कर रही हैं।उसने कहा इसके मुतअल्लिक़ न पूंछो मैंने इस बीबी से इसरार किया तो उसने कहा कि मैं औलादे अली से एक सैय्यदज़ादी हुं और मेरी चार यतीम बेटियां हैं और अब चौथा दिन है के हमने कोई चीज़ नही खाई और आज हमारे लिये ये मुदार्र हलाल है।रावी कहता है मैंने अपने में कहा ऐ अब्बदुल्लाह तू किस ख़्याल में है पस मैंने तमाम दीनार उसके कपड़े के कोने में लपेट दिये।वो सर झुकाये बैठी थी और ऊपर नहीं देखती थी।पस मैं अपनी मंज़िल पर चल पड़ा फिर अपने शहर मरो शाहजहॉ मैं आया और अय्यामे हज में वही क़याम किया जब दूसरे हाजी हज करके वापस आ गये तो मैं अपने हाजी हमसायों और दोस्तों से मुलाक़ात के लिये निकला जो हाजी मुझसे मिलता था मैं उससे कहता था कि अल्लाह ताला तेरे हज और कोशिशो सई को कुबूल और मंज़ुर फरमाये और वो भी मेरे लिये यही अल्फाज़ दोहराता था कि हम हज के मवाके पर फलॉ जगह जमा हुये (यानी तू और हम)पस मैंने वो रात निहायत फिक्रो परेशानी में गुज़ारी एक दफा मुझपर नींद का ग़लबा हुआ तो ख़्वाब में नबीये करीम (स.)को देखा आप मुझसे फरमा रहे हैं बन्दये ख़ुदा तूने मेरी औलाद में से एक मेरी मिस्कीन और मुफ्लिस बच्ची की फऱयाद रसी की है पस मैंने अल्लाह से सवाल किया है कि अल्लाह तेरी सूरत में एक फरिश्ते को पैदा करे जो रोज़े कयामत तक हर साल तेरी तरफ से हज करता रहे।नयाबीउल्मवद्दत में इस क़िस्म के और भी कई ख़्वाल मज़कूर है जिन से ज़ाहिर होता है के औलादे नबी व अली के एहतराम और उनकी एआनत व इमदाद करने का बहुत ज्यादा अजरो सवाब है एक हदीस मे है. नबीये करीम (स.) ने फरमाया रोज़े कयामत मै चार किस्म के आदमीयों की शफायत करूगा।( 1)जो शख्स मेरी ज़र्रियत की इज्ज़त और ऐहतराम करने वाला हो।( 2) जो शख्स उनकी हाजात को पूरा करने वाला हो।( 3) जिस शख्स के पास मेरी औलाद के अफराद किसी काम मे बामजबूरी और मुज्तर होकर जायें तो उमके उमूर की अन्जामदेही मे जददो जेहद करने वाला हो।( 4) जो शख्स अपने दिल और ज़बान से उनके साथ मोहब्बत करने वाला हो।

दुआ है कि खुदान्दे आलम हर मुसलमान और मोमिन को औलादे नबी का एहतराम करने के लिये तौफीक फरमाये और सादात को भी अपने आबाये मोअल्लिब बिन अजदादे ताहेरीन की सीरतो किरदार को अपनाने की तौफीक मरहेमत फरमाए।ताकि किसी ज़हिरो बय्यन को नके अख्लाको अतवार और आमाल पर नुक्ता चीनी करने और एतराज़ करने का मौका ने मिले।

18. अबुलफ़र्ज इब्ने जोज़ी ने अपनी किताब मुल्तफ़िज़ मे रिवायत की है कि बल्ख़ में एक अलवी सय्यद था उसकी बीवी और बेटियॉ थीं उस सैय्यद की वफ़ात हो गयी और वो सैय्यद ज़ादी आदा से डर कर बेटियों को मस्जिद दाखिल किया और खुद शहर की गलियों मे फिरने लगी।एक जगह लोगों कोए एक शेकुलवद के पास जमा देखा उस सैय्यदज़ादी ने अपनी बीती सुनाई तो शेख ने कहा अपनी सैय्यदज़ादी होना का सूबूत पेश करो पस वो उससे नाउम्मीद होकर मस्जिद की तरफ लौटी तो एक शेख को दुकान पर देखा कि उसके इर्द गिर्द लोगों की एक जमात थी और वो शख्स मजूसी था पस बीबी ने उसके सामने अपने हालात तफसीलन बयान किये। मजूसी ने अपने ख़ादिम से कहा जा कर अपने सरदार से कहो के वो इस बीबी के साथ फलॉ मस्जिद मे जाये और उसे और उसेकी बेटियों को घर ले आये।वो मजूसिया इस सैय्यदज़ादी और उसकी बेटियों को अपने घर ले आई उन्हें रिहाईश के लिये अलाहिदा जगह दी।उनको क़ीमती लिबास दिये और उन्हें उम्दाह खाने खिलाये जब निस्फ़ शब हुई तो मुसलमान शेख़ुलवनद ने अपने ख़्वाब में सब्ज़ ज़मर्रूद का एक महल देखा उसने पूंछा ये किस का महल है किसी ने कहा ये मुसलमान मर्द का महल है उसने कहा या रसुल अल्लाह (स.) मैं मुसलमान मर्द हूं तो आपने फरमाया अपने मुसलमान होने का सूबूत पेश करो और जो कुछ तूने उस सैय्यदज़ादी से कहा भूल गया।ये महल उस शेख़ का है जिसके घर सैय्यदज़ादी मौजूद है। पस वो मुस्लमान मर्द बेदार हुआ और रोता हुआ बाहर निकला। लोगों से पूंछा तो उसे बताया गया कि वो सैय्यदज़ादी मजूसी के घर हैं। मजूसी के पास आया और कहा कि मैं इस सैय्यदज़ादी की ज़ियारत करना चाहता हूं। मजूसी ने कहा ये तू नही कर सकता। उसने कहा हज़ार दीनार लेले और सैदानियों को मेरेसुपुर्द कर दे। जब उस मुसलमान ने इसरार किया तो मजूसी ने कहा के वो ख़नाब जो तूने देखा है मै भी देख चूका हूं और वो महल अल्लाह ने सिर्फ मेरे लिये पैदा किया है और खुदा की कसम मेरे घर में इस वक्त कोई भी ऐसा आदमी नही जो इस सैय्यदज़ादी की बरकत की वजह से मुस्लमान न हो गया हो और मैने ख़्वाब मे नबीये करीम (स.) को देखा है और ये इस एहतराम का बदला है जो मेरी मुसीबतज़दा बच्ची का किया है।

ख़्वाब के मुतअल्लिक चन्द मुफीद मालूमात

हज़रत जाफरे साद़िक (अ.) से मन्कूल है कि ख़्वाब की तीन किस्मे है.

1. मोमिन के लिये ख़ुदा की तरफ से खुशखबरी का आना।

2. शैतान का डराना।

3. परेशान ख़यालात का दिखाई देना।

दूसरी मोतबर हदीस मे फरमाया के झूठू ख़्वाब जिन का असर नही होता वो ख्वाब है जो रात के अव्वल हिस्से मे दिखाई देते हैं ये सरकश शैतानो के ग़ल्बा पाने का वक्त है और चन्द ख़यालात को मुशक्कल करके दिखाते है जिनकी असलियत कुछ नहीं होती। रहे सच्चे ख़वाब तो गिनती के हो है और रात के पिछली तिहाई मे तुलए सुबह सादिक तक दिखाई देते है क्योंकि ये फरिशतों के उतरने का वक्त है। ये ख़्वाब झूठे नही होते सिवाये इसके के मोमिन हालते जुनुब मे या बे वजू सो गया हो या सोने से पहले जो कुछ ख़ुदा का ज़िक्र और उसकी याद करनी चाहिये वो न किया हो इन हालात में उसका ख़्वाब सच्चा न होगा।या उसका असर देर मे ज़हिर होगा।

जनाब रसूल खुदा ने फरमाया कि जिसने मुझे ख़्वाब मे देखा वो ऐसा ही है जैसा कि बेदारी मे देखा क्योंकि शैतान किसी की नींद और बेदारी मे न मेरी शक्ल अख़्तियार कर सकता है। एक हदीस मे है फ़रमाया कि मोमिन का ख़्वाब पैग़म्बरी के सत्तर हिस्सों मे से एक हिस्सा है।

मन्कूल है आप (स.) ने फरमाया आखरी ज़माने में मोमिन का ख़्वाब झूठा होगा। बल्कि जो शख़्स जितना सच्चा होगा उतना उसका ख़्वाब सच्चा होगा।

दुसरी हदीस मे मन्कूल है कि मोमिन का ख़्वाब सच्चा होता है क्योंकि उसका नफ़्स पाक है। और यकीन दुरूस्त है पस जब उसकी रूह तन से निकलती है तो फरिश्तों से मुलाकात करती है इस सबब उसका ख़्वाब बामंज़िलए वही के है।

मन्कूल है पैग़म्बरे खुदा (स.) के बाद सिलसिलये वही मन्कता हो गया मगर खुशख़बरी देने वाले ख़्वाब बाकी है। जनाबे इमाम मोहम्मद बाकिर (अ.)से मन्कूल है एक शख़्स ने सरकारे रिसालत (स.) से इस आयत की तफसीर पूंछी (जो लोग इमान्दार और परहेज़गार है उन के लिये ज़िनदगानिये दुनिया मे भी खुशखबरी है और आखिरत मे भी) आंहज़रत (स.) ने इर्शाद फरमाया कि जिन्दगानिये दुनिया की खुश ख़बरी से मुराद नेक ख़्वाब है जो मोमिन दुनिया मे देखता है और उनकी खुशख़बरी से खुश होता है।

मोअब्बिर ख़्वाब कैसा हो.

ताबीर ख़्वाब का इल्म बहुत दकीक है और ये इल्म अंबिया और औसीया के लिये मख़सुस है ख़्वाबों की ताबीर बयान करना हज़रत युसुफ का मोजिज़ा था हॉ जिन लोगों को इल्मे रोया की किताबों पर उबूर हासिल है औरयही उनका रोज़मर्रा का मशग़ला है वो भी ताबीर ख़्वाब सही बयान करने में कुछन कुछ दस्तरस रखते है।एक मोतबर हदीस में इमाम मोहम्मद बाकर (अ.) सेमन्कूल है कि अपना ख़्वाब सिर्फ उस मोमिन से बयान करो जिसका दिल हसदो अदावत से ख़ाली हो और वो नफ्से सरकश का ताबेदार न हो और नीज़ आंजनाब से मरवी है के रसूले पाक (स.) फरमाया करते थे कि मोमिन का ख़्वाब उस वक़्त तक आसमान व जमीन के माबैन उसके सर पर मोअल्लक़ रहता है जब तक कि वो खुद या कोई और उसकी ताबीर न दे फिर जैसे ताबीर दी जाती है वैसाही वाकेआ होता है इस लिये मुनासिब नही के तुम अपना ख़्वाब किसी अक्लमन्द आदमी केसिवा और से बयान करो।

इन रिवायात से साफ़ वाज़ेह है कि इन्सान अपना ख़वाब हर किसी को न सुनाता फिरे ऐसे शख़्स से अपना ख़्वाब बयान करे जो पाबन्दे नमाज़ रोज़ा और नेक, पाक सीरत, पाकीज़ा किरदार और अक्लमन्द और साहिबे इल्मो हमदर्द हो जैसे कि एक मोतबर रिवायत है मज़कूर है कि रिसालत मआब (स.) के ज़माने में एक औरत का शौहर सफर में गया हुआ था। औरत ने ख़्वाब मे देखा कि मेरे घर का एक सुतून टूट गया वौ और हुज़ूर (स.) की ख़िदमत मे हाज़िर हुई और अपना ख़्वाब अर्ज किया। आपने (स.) ने फरमाया तेरा शौहर सही ओ सलामत सफर से वापस आयेगा चुनाचे ऐसा ही हुआ। दूसरी दफा उस का शौहर फिर सफर पर गया और उस औरत ने वैसा ही ख़्वाब देखा और इस बार हुजूर (स.) ने वही ताबीर दी और उसका शौहर उसी तरह वापस आ गया। तीसरी मर्रतबा वो फिर सफर पर गया। उस औरत ने फ़िर वही ख़्वाब किसी और से बयान किया उसने कहा कि तेरा शौहर मर जायेगा और उसी तरह हुआ। ख़बर हुजूर (स.) तक पहुंची तो आप (स.) ने फरमाया कि ऐ शख्स तूने उसे नेक ताबिर क्यों न दी।

नींद मे डरना और डरावने ख़्वाब देखना

1. हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक (अ.)से मनकूल है कि जो शख्स सोते मे डरता हो तो सोने से पहले दस मर्तबा ये कहले लाइलाहिल्लाहो वादहू ला शरीका लहू युहयी ओ वयुमीतो युहयी वहोवा हय्युन ला यमूतो इसके बाद हज़रत फातिमा (स.) की तस्बीह पढा करे और तिब्बुल अईम्मा मे ये और मज़ीद है के आयतुल कुर्सी और सुरऐ कुल हो वल्लाहो अहद भी पढ़ लिया कऱे।

2. हज़रत अमीरूल मोमिनीन (अ.) से मनकूल है कि जो शख़्स सोते मे डरे या नींद न आने से परेशानी होती तो ये आयत पढ़े. फज़रब्ना अला आज़ानेहिम फिल्कहफे सिनीना आददन सुम्मा बअस्नाहुम ले नालमा अय्यहिज़्बैने अहसा लेमा लवेसू अमद (पारा 15 रूकअ 13. 3 सुर कहेफ) अगर बच्चा ज़्यादा रोता हो तो इस पर भी यही आयत पढ़नी चाहिये।

3. हदीस सहीह मे हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर (अ.) से मनकूल है कि जो शख़्स सोते में डरता हो उस चीहिये के सोते वक़्त मअज़तैन और आयतल कुर्सी पढ़े।

4. दूसरी रिवायत में है कि रात को डरने से महफज़ रहने के लिये दस मर्तबा ये दुआ पढ़ लिया करे. अऊज़ो बेकलेमातिलल्लाहे मिन गज़बेही व मिन एकाबेही मिन सर्श इबादेही वमिन हमाज़तिशश्यातीना वा अऊजूबेका रब्बी अय्यहज़रूना फिर आयतल कुर्सी और ये पढ़े इज़युग़शशिकुमुन नाआसो णानत मिनहो वजअलना नौम कुम सुबाता।

5. हदीस में वारिद है कि शहाब इब्नेअब्दुल्लाह ने इमाम जाफ़र सादिक (अ.) की ख़िदमत में हाज़िर होकर अर्ज़ की कि एक औरत मेरे ख़्वाब मे आकर डराती है हज़रत ने फरमाया कि बिस्तर पर अपने साथ एक तस्बीह ले जाया कर और 34 मर्तबा अल्लाहो अकबर 33 मर्तबा सुब्हानल्लाह 33 मर्तबा अल्हम्दो लिल्लाह कहकर दस मर्तबा ये दुआ पढ़ा कर. ला इल्ललाहो वहदहू ला शरीका लहूलमुल्को बालहूल हम्दो युहयी वा युमीतो व युहयी बे यदहिल ख़ैरो वलतुख़्तला कल्ले शैइन क़दीर।ज़ाहिरन तस्बीहे फातिमा ज़हरा (स.) पढ़ें या बाद।

6. हदीस सहीह में इन्ही हज़रत से मनकूल है के जिसे नीद मे एहतेलाम हो जाने का डर हो वह बिस्तर पर लेट कर ये दुआ पढ़ लिया करें (अल्ला हुम्मा इन्नी अऊज़े बिका मिनल एहतेलामे व मिन सूइल अहलाम व मंयतला अबा बियश्शैताने फिल यकतति वल मनाम)।

7. हदीसे हसन में इमाम जाफरे सादिक़ (अ.)से मनक़ूल है अगर कोई शख्स परेशान ख़्वाब देखे तो उसको चाहिये कि वो करवट बदले और कहे (इन्नमन नजवा मिनश्शैताने लेयाजोनललज़ीना आमनू व लैसा बेज़ारहुम शैअनइल्ला बेइज़निल्लाह) इसके बाद ये कहे (उज़तो बिमा आज़त बिहि मलाएकतुल्ला हिल मुकर्रेबूना बा अम्बीयाहुल मुर्ससलूना वा इबादाहुल सालेहूना मिन शर्री मा रऐतो व मिन शर्रीश्शैतानिर्रजीम)।

8. दूसरी रिवायत में इन्हीं हज़रत से इस तरह मनकूल है कि जब कोई शख़्स परेशान ख़्वाब देख कर जाग उठे तो य कहे कि (अऊज़ो बिहा आज़त बिही मलाएकतिल्लाहिल्मुकर्रबूना व अम्बियाए हिल्मुरसलूना व एबादिल्लाहिस्सालेहूना वल्अइम्मतिरेशीदनल्महादैय्यना मिन शर्रे मा रऐतो मिन रोयाया अन तजुर्रोनी मिनश्शैयातिर्रजीम-) इसके बाद बाई तरफ थूक दें।

एक और रिवायत मे वारिद हुआ है कि किसी शख़स ने इन हज़रत से शिकायत की कि मेरी लड़की रात दिन डरती रहती है फरमाया उसे फ़संद करा दे।

10. दुसरी रिवायत मे यूं मनकूल है कि किसी शख़्स ने आंहज़रत से शिकायत की कि मेरी लड़की सोते मे डरती है कभी कभी तो उसकी हालत ऐसी हो जाती है कि उसके आज़ा ढीले पड जाते है।लोगो का कौल है कि ये जिन के तसर्रूफ के सबब है।फरमाया कि इसका फ़सद कर दे और अर्क सोया शहद मे मिला कर पिला दे और तीन दिन पिला।येअमल करना था कि उस लड़की को आराम आ गया।दूसरी हदीस में मनकूल है कि एक शख़्स इमाम जाफरे सादिक (अ. स.) के पास ये शिकायत लाया कि एक औरत मुझेख़वाब मे आ कर डराती है हज़रत ने फरमाया के शायद ज़कात अदा नहीं करता।अर्ज़ किया यब्ना रसूल अलिलाह (स.) मै तो बराबर ज़कात देता हूं तो फ़रमाया मुस्तहक को न पहुंचतीहोगी।ये सुन कर उसने ज़कात की रक़म आंहज़रत (अ.) की ख़िदमत में भेंज दी कि मुस्तहक को पहुचा दे।इसके साथही नो कैफ़ियत भी जाती रही।

11. एक हदीस मे अमीरूल मोमिनीन(अ.)से मनकूल है आप ने फरमाया कि आग से जलने और पानी मे ग़र्क होन से महफय़ूज़ रहने के लिये ये दुआ पढ़ी जाऐ. बिस्मिल्ला होर्रहमानिर्रहीम अल्लाहुल्लज़ी नज़्जललिकताबा व होवा यतवल्लस्सलेहीना वमा क़दरूल्लाहा हक्का क़दरिही सुब्हानहू व तआला अम्मा मुसरेकून — पारा 24 रूकूअ 14 सुर. जुम्र।

12. किताबे खुलासतुल अज़कार मे सैय्यदा आलिया जनाब फातिमा ज़हरा (स.) से रिवायतहै कि एकरात म़ जामए ख़वाब पहन चुकी थी और सोना चाहती थी तो जनाबे रसूले खुदा मेरे पास तशरीफ लाए और फरमाया ऐ फातेमा जब तक येचार अमल न कर लीजिये न सोईये। 1. खत्मे कुआर्न कीजिये 2. तमाम पैग़म्बरो को अपना शफ़ीअ बनाईये 3. मोमेनीन को अपनी तरफ से खुश कीजिये। 4. हज व उमरा कीजिये। पस पैग़म्बर (स.) ये कहकर नमाज़ मे मशगूल हो गये और मैने उनके नमाज़ से फारिग़ होने तक तवक्कुफ किया। जब आप नमाज़ से फारिग़ हुये तो मैने अर्ज़ की या रसूलल्लाह (स.) आपने जिन चार चीज़ो का हुक्म दिया है मै उनको इस वक़्त बजा लाने की कुदरत नही रखती। आंहज़रत मुतबस्सि हुये और फरमाया बेटी जब तू सुरह कुल होवल्लाहो अहद तीन मर्तबा पढ़ेगी तो गोया तूने कुर्आन मजीद खत्म किया और जब तू मुझपर और पहले पैग़म्बरो पर सलवात भेजेगी तो हम तमाम पैग़म्बर रोज़े क़यामत तेरे शफीअ होंगे और बैटी जब तू मोनिनीन के लिये इस्तिग़फार करेगी तो तमाम मोमिनीन तुझसे खुश होगें और बेटी जब तू सुब्हानल्लाहे वल्हमदो लिल्लाहे वला इलाहा इलल्लाहो वल्लाहो अकबर पढ़गी तो गोया तूने और उमरा कर लिया।

13. और रिवायत है कि जो शख़् सोते वक्त तीन मर्तबा पढ. यफअलुल्लाहा मा यंशाओ बिकुदरतिही वा यहकोमो मायुरीदो बेइज़्ज़तिही. तो वो इस तरह होगा गोया उसने हज़ार रकत नमाज़ पढ़ी।

चोरों और दरिन्दो से महफ़ज़ रहने की दुआऐ

हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर (अ.) से मन्कूल है जो शख़्स ये दुआ रात को पढ़े तो मै ज़ामिन हूं कि उसे स़ॉप बिच्छू वग़ैरा से ता सुबहा ज़रर न पहुंचेगा. आऊज़ो बेकल्मातिल्लाहिम्माते कुल्लेहल्लती ला युजाविज़ हुन्ना बररून वला फ़ाजेरून्निवल्लज़ी ला योहक़रो जासोहू मिन शर्रे मा ज़राआ वमिन शर्रेबराआ व मिन शर्रे शैताना व शरकदिही मिन शर्र कुल्ले दाब्बातिन होवा आख़ेजुन बेना सियातेहा इन्ना रब्बी अला सेरातिम्मुस्तक़ीम।

नीज़ जो शख़्स तीन मर्तबा इस दुआ को पढ़े तो इस शब सॉप बिचछू और चोर के ज़रर से महफ़ूज़ रहेगा. अक़दत्तो ज़बानित्अकरब व लिसानिल्हय्याते रयददस्सारके बकौले अशहदो अन ला इलाहा इल्लल्लाहो व अशहदो अन्ना मोहम्मदर्रसूल्लाहे सल्लल्लाहो अलेहे व आलेही व सल्लमा।

जो शख़्स सोते वक़्त दाहिनी करवट लेटे और अपना दायॉ हाथ रूख़्सार के नीचे रखे और एक मर्तबा ये दुआ पढ़े तो अल्लाह ताला चोरों से और मकान के नीचे दबने से और जलने से उसे महफूज़ रखेगा और सुबह तक मलाएका उसके लिये इस्तिग़फार करते रहेंगे. बिस्मिल्लाहे वज़अतो जनबी लिल्लाहे व अला मिल्लते इब्राहिमा व दिने मोहम्मनि सल्लल्लाहो अलेहे व आलेही व विलायते मिनफतरा जल्लाहा अलय्या ताआतो माशाअल्लाहो व मालम यशाओ लम यकुन.।

जो शख़्स रात को दस मर्तबा ये दुआ पढ़ेतो ख़्वाब में न डरेगा. ला इलाहा इल्ललाहो वहदहू ला शरीका लहू युहयी वा युमीतो वहोवा हय्ययुल्ला यमूतो.।

जब कोई शख़्स होलनाक ख़्वाब देखे या सोते में डरे तो बेदार होकर तीन मर्तबा बॉयी तरफ थूके और दूसरा पहलू बदल कर ये दुआ पढ़े. बेरब्बेमूसा व ईसा व इब्राहिमल्लज़ी व नी मोहम्मदेनिल्मुस्तुफा मिन शर्रे हाज़र्रोया व शर्रे मा फीहा.।