शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

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शिओं के बुज़ुर्ग उलमा लेखक:
कैटिगिरी: शियो का इतिहास

शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

लेखक: मौलाना सैय्यद क़मर ग़ाज़ी जैदी
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शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

शिओं के बुज़ुर्ग उलमा

लेखक:
हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

शेख मुहम्मद कुलैनी अलैहिर्रहमा

जन्म

शेख मुहम्मद कुलैनी का जन्म ग्यारहवे इमाम हजरत हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के समय मे सन्259 हिजरी क़मरी मे शहरे रै से 38 कि. मी. दूर कुलैन नामक स्थान पर हुआ था। आपके पिता याक़ूब एक श्रेष्ठ व्यक्ति थे उन्होने बचपन मे ही मुहम्द को प्रशिक्षित कर इस्लामी मान्यताओं से परिचित करा दिया था। शेख मुहम्मद कुलैनी तीसरी शताब्दी हिजरी के अन्तिम व चौथी शताब्दी हिजरी के प्रारम्भिक चरण मे शियों के उच्च कोटी के विद्वान थे वह फ़िक्ह व हदीस मे दक्ष थे। उनके द्वारा वर्णित हदीसों को सत्य व विशवासनीय माना जाता था। इसी कारण आपको सिक़्कतुल इस्लाम की उपाधि दी गयी थी।

क़ुम की यात्रा

शेख कुलैनी का काल हदीस का काल था। समस्त इस्लामी देशो मे हदीस का वर्णन करने ,हदीस को सुनने व हदीस को लिखने का अभियान चला हुआ था। शेख कुलैनी ने समय की अवश्यक्ता अनुसार शिया विचार धारा के विकास व उत्थान के लिए इस मार्ग पर चलना उचित समझा। और अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपने प्रियः जन्म स्थान कुलैन को त्याग कर क़ुम की ओर प्रस्थान किया। क़ुम उस समय मुहद्दिसो व रावियों का गढ़ था।

शेख कुलैनी के उस्ताद

क़ुम मे आने के बाद शेख कुलैनी ने उस समय के पवित्र व्यक्तित्व वाले उच्चय कोटी के आलिम (विद्वान) अहमद पुत्र मुहम्मद पुत्र ईसा से हदीस का ज्ञान प्राप्त करने लगे। तथा इस के साथ ही साथ उस समय के श्रेष्ठतम विद्वान अहमद पुत्र इदरीस से भी ज्ञान लाभ प्राप्त करने लगे। अहमद पुत्र इदरीस मुअल्लिम(शिक्षक) की उपाधि से प्रसिद्ध हैं। मुअल्लिम वह व्यक्ति हैं जिनके सम्बन्ध मे शेख तूसी ने अपनी किताब रिजाल मे लिखा है कि “वह हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के सहाबियों मे से थे और उनको इमाम के साथ रहने श्रेय प्राप्त हुआ था। ”

प्रसिद्ध विद्वान नजाशी मुअल्लिम के सम्बन्ध मे लिखते हैं कि “चूँकि मुल्लिम ने इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम से ज्ञान प्राप्त किया था। और क्योंकि वह शेख कुलैनी के गुरू हैं इस लिए उनको मुअल्लिम कहा जाता है। ”

शेख कुलैनी ने अपने ज्ञान मे वृद्धि हेतू उस समय के एक और महान विद्वान अब्दुल्लाह पुत्र जाफ़र हुमैरी से भी ज्ञान लाभ प्राप्त किया। अब्दुल्लाह वह महान विद्वान हैं जिनका उस समय के हदीस ,रिजाल व इतिहास के सभी विद्वान आदर करते थे। वह भी इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के असहाब मे थे। उन्होने बहुत सी किताबे लिखी परन्तु इस समय उनकी (क़ुर्बुल असनाद) नामक केवल एक ही किताब मौजूद है।

शेख कुलैनी ने अन्य जिन लोगों से ज्ञान लाभ प्राप्त किया वह निम्ण लिखित हैं।

1-अहमद पुत्र मुहम्मद पुत्र आसिमे कूफ़ी

2-हसन पुत्र फ़ज़्ल पुत्र ज़ैद यमानी

3-मुहम्मद पुत्र हसन सफ़्फ़ार

4-सुहैल पुत्र ज़ियाद आदमी राज़ी

5-मुहम्मद पुत्र हसन ताय़ी

6-मुहम्मद पुत्र इस्माईल नेशापुरी

7-अहमद पुत्र मेहरान

शेख कुलैनी का क़ुम से प्रस्थान

क़ुम उस समय शिया विचार धारा का मुख्य केन्द्र था। तथा मासूमीन अलैहिमुस्सलाम की हदीसों( प्रवचनो) के प्यासे व्यक्ति यहाँ आकर अपनी प्यास बुझाते थे। परन्तु शेख कुलैनी यहाँ पर पूर्ण रूप से तृप्त न हो सके और अपनी प्यास बुझाने के लिए उन्होने क़ुम से प्रस्थान किया और अहादीस का ज्ञान प्राप्त करने के लिए वह एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्राऐं करते रहे।अगर उन्हें किसी स्थान के बारे मे मालूम होता कि उस स्थान पर एक हदीस का जानने वाला व्यक्ति रहता है तो वह उस स्थान पर पहुँच कर उससे वह हदीस सुनते उसको याद करते व दूसरे स्थान की ओर प्रस्थान कर जाते। इसी प्रकार यात्रा करते हुए वह कूफ़े पहुँचे। कुफ़ा उस समय हदीस के महान विद्वान इब्ने उक़्दा का निवास स्थान था वह हदीस को याद करने मे विश्व विख्यात थे। उनको एक लाख हदीसें सनद के साथ याद थीं। उन्होने बहुत सी किताबे लिखी हैं उनमे सबसे प्रसिद्ध किताब रिजाल इब्ने उक़्दा नामक किताब है इस किताब मे उन्होने इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम के 4000 शिष्यों के नाम लिखें हैं और इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की बहुत सी हदीसों का उल्लेख भी किया है। यह किताब शेख तूसी अलैहिर्रहमा के समय तक उपस्थित थी परन्तु बाद मे यह किताब लुप्त हो गई।

इसके बाद शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा विभिन्न विद्वानो व मुहद्दिसों से ज्ञान लाभ प्राप्त करते हुए बग़दाद पहुँचे। जब वह बग़दाद पहुँचे तो उस समय तक उन्होने ज्ञान के क्षेत्र बहुत ख्याति प्राप्त करली थी। शिया उन पर गर्व करते थे व सुन्नी उनको आदर की दृष्टि से देखते थे। उनकी पवित्रता ,विद्वत्ता व श्रेष्ठता की ख्याति विश्व व्यापी हो गयी थी। उन के समकालीन सुन्नी विद्वान भी धार्मिक समस्याओं के समाधान के लिए उनसे सम्पर्क स्थापित करते थे।क्योंकि अन्य इस्लामी सम्प्रदायो के अनुयायी भी उनके फ़तवे को मानते थे इसी कारण वह सिक़्क़तुल इस्लाम कहलाने लगे। इस्लाम मे वह प्रथम व्यक्ति हैं जो इस उपाधि से सुशोभित हुए।

शेख कुलैनी ने अहले सुन्नत मे भी इस सीमा तक अपना वर्चस्प स्थापित किया कि इब्ने असीर नामक विद्वान ने पैगम्बर सल्लल्लाहो अलैहि वा आलिहि वसल्लम की एक हदीस लिखी कि आपने कहा कि “अल्लाह प्रत्येक शताब्दी के आरम्भ मे एक व्यक्ति को चुनता है जो उसके धर्म को जीवित रखे। ” बाद मे इब्ने असीर ने इस हदीस की व्याख्या करते हुए लिखा कि “प्रथम शताब्दी मे शिया मज़हब को जीवित करने वाले महम्मद पुत्र अली हज़रत इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम थे और दूसरी शताब्दी मे यह कार्य अली पुत्र मूसा अर्थात हज़रत इमाम अली रिज़ा ने किया। और तीसरी शताब्दी मे शिया सम्प्रदाय को जीवित करने का कार्य मुहम्मद पुत्र याक़ूब कुलैनी ने किया। ”

शेख कुलैनी का इल्मी मुक़ाम (विद्वत्तीय स्थान)

शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा अपने समय के प्रसिद्ध विद्वान थे। उनकी श्रेष्ठता के लिए यही अधिक है कि उन्होने उस समय मे इल्म व तक़वे( ज्ञान व पवित्रता)के क्षेत्र मे प्रसिद्धि प्राप्त की जब इमाम ग़ैबते सुग़रा मे थे और उनके नायिब शियों के मध्य उपस्थित थे। तथा अपने ज्ञान व पवित्रता के लिए प्रसिद्ध थे और आदर की दृष्टि से देखे जाते थे। शेख कुलैनी ने उस समय शिया सम्प्रदाय का खुले आम प्रचार किया। शिया व सुन्नी दोनो सम्प्रदाय उनको आदर की दृष्टि से देखते थे।

शेख कुलैनी विद्वानों की दृष्टि मे

1-प्रसिद्ध विद्वान नजशी के अनुसार –“वह अपने समय मे शहरे रै मे शियों के पेशवा थे। उन्होने सबसे अधिक हदीसों को याद किया था तथा वह उस समय सबसे अधिक विशवसनीय समझे जाते थे। “

2-इब्ने ताऊस के अनुसार- “शेख कुलैनी समस्त लोगों के विशवासपात्र थे। ”

3-इब्ने असीर के अनुसार - “उन्होने तीसरी शताब्दी मे इमामिया(शिया) समप्रदाय को नया जीवन प्रदान किया। वह शिया सम्प्रदाय के एक महान व प्रसिद्ध विद्वान थे। ”

4-इब्ने हज्रे अस्क़लानी के अनुसार- “शेख कुलैनी मुक़तदर अब्बासी के शासन काल मे शियों के विद्वान व पेशवा थे। ”

5-मुहम्मद तक़ी मजलिसी के अनुसार- “वास्तविक्ता यह है कि शिया विद्वानो मे कुलैनी जैसा कोई दूसरा पैदा नही हुआ। अगर कोई उनकी किताबों को देखें और उनके द्वारा अर्जित की गई सूचनाओं पर अपने ध्यान को केन्द्रित करे तो उसको ज्ञात होगा कि वह अल्लाह की विशेष कृपा के पात्र थे। ”

शेख कुलैनी के शागिर्द (शिष्यगण)

शेख कुलैनी के अनेकानेक शिष्य हैं उनमे से मुख्य़ शिष्य़ इस प्रकार हैं।

1-इब्ने अबी राफ़े सुमैरी

2-अहमद पुत्र अहमद कातिब कूफ़ी

3-अहमद पुत्र अली पुत्र सईद कूफ़ी

4-अबु ग़ालिब अहमद पुत्र राज़ी

5-जाफ़र पुत्र मुहम्मद पुत्र क़ुलवीय क़ुम्मी

6-अली पुत्र मुहम्मद पुत्र मूसा दक़्क़ाक़

7-मुहम्मद पुत्र इब्राहीम नोमानी- जो इब्ने अबी ज़ैनब से प्रसिद्ध हैं। यह शेख कुलैनी के मुख्य शिष्य थे तथा उनके बहुत निकट समझे जाते थे। इन्होने शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा की काफ़ी नामक किताब को व्यवस्थित किया है।

8-मुहम्मद पुत्र अहमद सफ़वानी यह भी शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा के मुख्य शिष्यों मे से थे। इन्होने शेख की काफ़ी नामक किताब की किताबत की थी।

9-मुहम्मद पुत्र अहमद सनानी ज़ाहिरी

10-मुहम्मद पुत्र अली माजीलवीय

11-मुहम्मद पुत्र मुहम्मद पुत्र इसाम कुलैनी

12-हारून पुत्र मूसा

शेख कुलैनी की रचनाऐं

1-किताबे रिजाल

2-किताबे रद्द बर क़िरामेता

3-किताबे रसाईल आइम्मा अलैहिमुस्सलाम

4-किताबे ताबीरूर्रोया

5-मजमुआ ए अशार

6-किताबे काफ़ी यह शेख कुलैनी की एक महत्वपूर्ण किताब है तथा इस किताब को शिया सम्प्रदाय मे उच्चय स्थान प्राप्त है। यह किताब तीन भागों पर आधारित है

क-उसूले काफ़ी

ख-फरू-ए-काफ़ी

ग-रौज़ऐ-ए-काफ़ी

उसूले काफ़ी नामक भाग मे पैगम्बरे इस्लाम व आइम्मा-ए-मासूमीन अलैहिमुस्सलाम के 16199 पवित्र कथनो(हदीसों) को एकत्रित किया गया है। तथा यह भाग तीस खण्डों पर आधारित है जो इस प्रकार हैं —

अक़्ल ,फ़ज़्ल ,इल्म ,तौहीद ,हुज्जत ,ईमान व कुफ़्र ,दुआ ,फ़ज़ाइले क़ुऑन ,तहारत व हैज़ ,सलात ,ज़कात ,सौम ,हज ,निकाह ,इत्क़व तदबीर व मुकातेबा ,ईमान व नज़रात व कफ़्फ़ारात ,मइशत ,शहादात ,क़ज़ाया व अहकाम ,जनाइज़ व सदक़ात ,सैद व ज़बायेह ,अतअमाह व अशरबाह ,दवाजन व रवाजन ,ज़ी व तजम्मुल ,जिहाद ,वसाया ,फ़राइज़ ,हुदूद ,दीयात व रोज़ेह इस किताब का अन्तिम खण्ड है।

काफ़ी शेख कुलैनी की सबसे अधिक प्रसिद्ध किताब है। यह उनका महत्व पूर्ण कार्य है और इस किताब के समान दूसरी कोई भी किताब इतनी विश्वसनीयता नही रखती। इस सम्बन्ध मे इमामे ज़माना अज्जःलल्लाहु तआला फ़रःजुहु शरीफ़ का एक वाक्य मिलता है कि आपने कहा कि “काफ़ी हमारे शियों की आवश्यक्ताओं की पूर्ति हेतू काफ़ी है। ” काफ़ी शिया सम्प्रदाय की मुख्य चार किताबों मे प्रथम स्थान पर है।अन्य तीन किताबें इस प्रकार हैं---

1-मन ला यहज़ोरोहुल फ़कीह (लेखक शेख सदूक़ अलैहिर्रहमा)

2-तहज़ीब (लेखक शेख तूसी अलैहिर्रहमा)

3-इस्तेबसार ( लेखक शेख तूसी अलैहिर्रहमा)

स्वर्गवास

शेख कुलैनी अलैहिर्रहमा का स्वर्गवास सन् 329हिजरी क़मरी के शाबान मास मे बग़दाद मे हुआ। उनकी नमाज़े जनाज़ा अबु क़िरात नामक विद्वान ने पढ़ाई। शियों ने विशेष आदर के साथ आपको बग़दाद मे ही बाबे कूफ़ा नामक स्थान पर दफ़्न किया। इसी वर्ष इमामे ज़माना अलैहिस्सलाम के अन्तिम नायब अली पुत्र मुहम्मद सुमैरी अलैहिर्रहमा का भी स्वर्गवास हुआ। और इसी वर्ष ही इमाम महदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबते कुबरा शुरू हुई।

वह एक महानव विद्वान थे अल्लाह उन पर रहमत करे।

मुहम्मद पुत्र बाबवे (शेख सदूक़) अलैहिर्रहमा

जन्म

इमामे ज़माना के तीसरे नायिब(प्रतिनिधि) हुसैन पुत्र रूह नोबख्ती के समय मे शेख सदूक़ के पिता अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी बग़दाद गये। क्योंकि उनके कोई संतान नही थी इस लिए उन्हेने इमाम को एक पत्र लिखा जिसमे मे पुत्र प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की। यह पत्र उन्होने हुसैन पुत्र रोह को दिया और कहा कि आप जब इमाम की सेवा मे जाना तो मेरा यह पत्र भी इमाम की सेवा मे प्रस्तुत कर देना। इसके बाद उनको इमाम का उत्तर प्राप्त हुआ कि हमने तुम्हारे लिए दुआ कर दी है अल्लाह शीघ्र ही तुमको दो पवित्र पुत्र प्रदान करेगा।

सन्311हिजरी क़मरी मे इमाम की दुआ के फल स्वरूप शेख सदूक़ का जन्म हुआ। शेख सदूक़ ने स्वयं अपनी किताब कमालुद्दीन मे इस बात का उल्लेख किया है।

शेख सदूक़ के व्यक्तित्व पर एक दृष्टि

शेख सदूक़ एक शिक्षित परिवार मे पैदा हुए थे।शेख सदूक़ के पिता क़ुम के उच्च कोटी के विद्वान थे। शेख सदूक़ के अनुसार उन्होने200से अधिक किताबे लिखीं। शेख सदूक़ ने प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद क़ुम के महान फ़कीहो व मुहद्दिसों से हदीस व फ़िक्ह का ज्ञान प्राप्त किया। उन्होने इस ज्ञान की प्राप्ति हेहू अपने पिता अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी ,मुहम्मद पुत्र हसन पुत्र वलीद ,अहमद पुत्र अली पुत्र इब्राहीम क़ुम्मी ,हुसैन पुत्र इदरीस क़ुम्मी व इत्यादि से ज्ञान लाभ प्राप्त किया।

बोया वंश के शासन काल मे उन्होने शिया बाहुल्य़ स्थानो का भ्रमन किया। शेख सदूक़ 347 हिजरी क़मरी मे रै नामक स्थान पर अबुल हसन मुहम्मद पुत्र अहमद पुत्र अली असदी से जो इब्ने जुरादाह बरदई के नाम से प्रसिद्ध थे हदीस के क्षेत्र मे ज्ञान लाभ प्राप्त किया। 352हिजरी क़मरी मे उन्होने नेशापुर मे अबु अली हुसैन पुत्र अहमद बहीक़ी ,अबदुर्रहमान मुहम्मद पुत्र अबदूस से भी हदीस के क्षेत्र मे ज्ञान लाभ प्राप्त किया। इसी प्रकार उन्होने मरू नामक स्थान पर अबुल हसन मुहम्मद पुत्र अली पुत्र फ़कीह ,अबू यूसुफ़ राफ़े पुत्र अब्दुल्लाह ,से भी हदीस के क्षेत्र मे ज्ञान लाभ प्राप्त किया। अबु यूसुफ़ राफ़े वह महान व्यक्ति हैं जिन्होने कूफ़ा ,मक्का ,बग़दाद ,बलख व सरखस मे हदीसो को सुना था। ज्ञानीयो के लिए भ्रमन एक साधारण कार्य है। शेख सदूक़ के समय मे शिया एक सीमा तक स्वतन्त्रता का जीवन व्यतीत कर रहे थे। इसी कारण उन्होने ने सुन्नी बाहुल्य स्थानो की भी यात्राऐं की तथा शिया सम्प्रदाय को बातिल मानने वालों के सम्मुख शिया सम्प्रदाय की वास्तविक्ता को उजागर किया। उन्होने शिया सम्प्रदाय के ज्ञान ,फ़िक्ह ,हदीस ,को प्रकाशित किया। तथा इस प्रकार शिया सम्प्रदाय के उत्थान व विकास मे महत्वपूर्ण योगदान किया।

उनका ज्ञान व अध्यात्म के क्षेत्र मे इतना उच्चय स्थान था कि फ़कीहे अज़ीमुश्शानी ,व बहरूल उलूम जैसे शिया विद्वानो व फ़कीहो ने रईसुल मुहद्देसीन जैसी उपाधी के साथ उनका वर्णन किया है।

शेख सदूक़ शिया विद्वानो की दृष्टि मे

1-शेख तूसी उनके सम्बन्ध मे कहते हैं कि शेख सदूक़ अलैहिर्रहमा एक उच्चय कोटी के विद्वान ,व हाफ़िज़े हदीस थे। उन्होने लगभग 300 किताबें लिखी। ज्ञान व हिफ़ज़े हदीस के क्षेत्र मे पूरे क़ुम मे कोई उन से बढ़ कर न था।

2-मुहम्मद पुत्र इदरीस हिल्ली उनके सम्बन्ध मे लिखते हैं कि शेख सदूक़ अलैहिर्रहमा एक विश्वसनीय विद्वान ,अखबार (रिवायात) के विशेषज्ञ ,इल्मे रिजाल के महान ज्ञानी व हदीस के हाफ़िज़ थे।

3-अल्लामा बहरूल उलूम उनके सम्बन्ध मे लिखते हैं कि अबूजाफ़र मुहम्मद पुत्र अली पुत्र हुसैन पुत्र मूसा पुत्र बाबवे क़ुम्मी शियों के पेशवाओं मे से एक पेशवा व शरीअत के सतूनो मे से एक सतून (स्तंभ) हैं। वह मुहद्देसीन के सरदार हैं ।व जो कथन उन्होने आइम्मा ए सादेक़ीन से हमारी ओर परिवर्तित किये हैं वह उन मे सच्चे हैं। वह इमामे ज़माना की दुआ से पैदा हुए थे। इस प्रकार उनको यह श्रेष्ठता प्राप्त हुई।

शेख सदूक़ के असातेज़ा (गुरूजन)

मरहूम शेख अब्दुर्ऱहीम रब्बानी शीराज़ी ने शेख सदूक़ के जिन गुरूओं का वर्णन किया है उनमे से मुख्य इस प्रकार हैँ।

1-अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी

2-मुहम्मद पुत्र हसन वलीद क़ुम्मी

3-अहमद पुत्र अली पुत्र इब्राहीम

4-अली पुत्र मुहम्मद क़ज़वीनी

5-जाफ़र पुत्र मुहम्मद पुत्र शाज़ान

6-जाफ़र पुत्र मुहम्मद पुत्र क़लवीय क़ुम्मी

7-अली पुत्र अहमद पुत्र मेहरयार

8-अबुल हसन खयूती

9-अबू जाफ़र मुहम्मद पुत्र अली पुत्र असवद

10-अबू जाफ़र मुहम्मद पुत्र याक़ूब कुलैनी

11-अहमद पुत्र ज़ियाद पुत्र जाफ़र हमदानी

12-अली पुत्र अहमद पुत्र अब्दुल्लाह क़रकी

13-मुहम्मद पुत्र इब्राहीम लीसी

14-इब्राहीम पुत्र इस्हाक़ तालक़ानी

15-मुहम्मद पुत्र क़ासिम जुरजानी

16-हुसैन पुत्र इब्राहीम मकतबी

शेख सदूक़ के शिष्यगण

1-शेख मुफ़ीद

2-मुहम्मद पुत्र मुहम्मद पुत्र नोमान

3-हुसैन पुत्र अब्दुल्लाह

4-हारून पुत्र मूसा तलाकिबरी

5-हुसैन पुत्र अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी (भाई)

6-हसन पुत्र हुसैन पुत्र बाबवे क़ुम्मी (भतीजा)

7-हसन पुत्र मुहम्मद क़ुम्मी

8-अली पुत्र अहमद पुत्र अब्बास नजाशी

9-इल्मुल हुदा सैय्यिद मुर्तज़ा

10-सैय्य़िद अबुल बरकात अली पुत्र हुसैन जूज़ी

11-अबुल क़ासिम अली खिज़ाज़

12-मुहम्मद पुत्र सुलेमान हिमरानी

शेख सदूक़ की रचनाऐं

शेख तूसी ने वर्णन किया है कि शेख सदूक़ ने 300 किताबे लिखी हैं। तथा शेख तूसी ने अपनी किताब फ़हरिस्त मे उनकी 40 किताबो के नाम लिखे हैं। तथा शेख नजाशी ने अपनी किताब मे उनकी 189 किताबो का उल्लेख किया है।उनकी मुख्य किताबो के नाम इस प्रकार हैं।

1-मन ला यहज़रूल फ़क़ीह

2-कमालुद्दीन व इतमामुन् नेअमत

3-किताब आमाली

4-किताब सिफ़ाते शिया

5-किताब अयूनुल अखबार इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम

6-किताब मसादेक़हुल अखबार

7-किताब खिसाल

8-किताब ऐलालुश शराए

9-किताब तौहीद

10-किताब इसबाते विलायत अली

11-किताब मारफ़त

12-किताब मदीनःतुल इल्म

13-किताब मक़ना

14-किताब मुआनीयुल अखबार

15-किताब मशीखातहुल फ़कीह

“ मन ला यहज़रुल फ़कीह ” शेख सदूक़ की विश्व प्रसिद्ध किताब है। यह किताब अनेको बार प्रकाशित हो चुकी है। शेख सदूक़ ने इस किताब को बलख क्षेत्र के इलाक़ नामक एक गाँव मे बैठकर लिखा था। इस किताब की अनेको विद्वानो ने व्याख्या की है तथा कुछ ने इस पर नोट्स लिखे हैं।

शेख सदूक़ इस किताब की प्रस्तावना मे लिखते हैं कि जब तक़दीर मुझे खैंच कर इस गाँव मे लाई तो यहां पर मेरी भेंट सैय्यिद अबू अब्दुल्लाह (जो नेअमत के नाम से प्रसिद्धि रखते हैं।) से हुई। मैं उनसे मिलकर बहुत प्रसन्न हुआ । उन्होने कहा कि मुहम्मद बिन ज़करिया राज़ी ने तिब मे (चिकित्सा ज्ञान) एक किताब लिखी थी और उसका नाम मन ला यहज़रूत तबीब रखा था। तथा इस किताब मे तिब (चिकित्साज्ञान) से सम्बन्धित सब बातों को लिखा था। जहां पर कोई तबीब (चिकित्सक) नही होता था वहां पर इस किताब की महत्ता बहुत अधिक थी। उन्होने मुझ से कहा कि आप फ़िक्ह ,हलाल ,हराम व दीनी अहकाम पर एक किताब लिखे जिसमे सब मसाइल मौजूद हो और उस किताब का नाम ला यहज़रूल फ़कीह रखें। ताकि जो जिस हुक्म को चाहे उसमे देखे और उस पर विश्वास करे। मैने उनकी इस बात को स्वीकार किया तथा यह किताब मन ला यहज़रूल फ़कीह लिखी।

इस किताब की महत्ता इस बात से प्रकट होती है कि शिया सम्प्रदाय की चार मुख्य किताबो मे यह किताब दूसरे स्थान पर है। इस किताब के चार भाग हैं जिनको विभिन्न 544 खण्ड़ो पर विभाजित किया गया है। तथा इस किताब मे 5963 हदीसो का उल्लेख किया गया है। जिनमे से 3913 हदीसों का मुस्नद रूप से उल्लेख किया गया है ,तथा शेष 2050 हदीसों का मुरसल रूप मे उल्लेख किया गया है।

स्वर्गवास

शेख सदूक़ मुहम्मद पुत्र बाबवे क़ुम्मी सत्तर वर्ष से अधिक जीवित रहे। तथा उन्होंने 300 से अधिक किताबे लिखी। वह सन् 381 हिजरी क़मरी मे रै नामक शहर (यह शहर वर्तमान मे ईरान की राजधानी तेहरान के पास स्थित है) मे स्वर्गवासी हुए तथा वहीं पर उनकी समाधि बनायी गई।

वह एक महानव विद्वान थे अल्लाह उन पर रहमत करे।