सामाजिकता

सामाजिकता0%

सामाजिकता लेखक:
: मौलाना सैय्यद एजाज़ हुसैन मूसावी
कैटिगिरी: परिवार व समाज

सामाजिकता

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

लेखक: उस्ताद हुसैन अंसारीयान
: मौलाना सैय्यद एजाज़ हुसैन मूसावी
कैटिगिरी: विज़िट्स: 39118
डाउनलोड: 6246

कमेन्टस:

सामाजिकता
खोज पुस्तको में
  • प्रारंभ
  • पिछला
  • 20 /
  • अगला
  • अंत
  •  
  • डाउनलोड HTML
  • डाउनलोड Word
  • डाउनलोड PDF
  • विज़िट्स: 39118 / डाउनलोड: 6246
आकार आकार आकार
सामाजिकता

सामाजिकता

लेखक:
हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

सामाजिकता पर इमाम सादिक़ अलैहिस सलाम का दृष्टिकोण

इमाम सादिक़ अलैहिस सलाम फरमाते हैः

” المسلم اخو المسلم، ھو عینہ و مرآتہ، و دلیلہ، لا یخونہ و لا یخدعہ و لا یظلمہ و لا یکذبہ و لا یغتابہ “ ( ۲ ) ۔

अल्मुस्लिमो अखुल मुस्लिम होव अई नहू व मिर्आतोहू व दलीलहू लायखूनहू वलायख्दअहु वला यज्लोमोहू वला यक्ज़ेबोहू वला यक्ताबोहू।

मुसलमान , मुसलमान का भाई है वह अपने मुसलमान भाई के लिये आँख , आईना और मार्ग दर्शक है , वह उससे विश्वास घात नही करता , उसके साथ धोखा व फरेब नही करता , झूठ नहीं बोलता और उसकी ग़ीबत (बुराई) नहीं करता।

मुअल्ला बिन ख़ुनैस कहते हैः मैंने इमाम जाफरे सादिक़ अलैहिस्सलाम से पूछा: एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान पर क्या हक़ है ?

आपने फ़रमायाः एक मुसलमान पर दूसरे मुसलमान के ज़िम्मे सात अधिकार अनिवार्य व आवश्यक हैं और अगर वह उनमें से किसी एक हक़ को भी अदा नही करेगा तो ख़ुदा की विलायत (सर परस्ती) और उसकी ईताअत (पैरवी) से बाहर हो जाऐगा और उसकी बंदगी व भक्ती का कोई फायदा नहीं होगा।

मैंने इमाम अलैहिस सलाम से पूछा वह हुक़ूक़ क्या हैं ?

आपने फ़रमायाः ऐ मुअल्ला , निसंदेह मैं तुम्हारे साथ मेहरबान हूँ और डरता हूँ की तुम उसको बर्बाद न कर दो और उसकी हिफाज़त व रक्षा न करो और ख़बर होने के बावुजूद उस पर अमल न करो।

मैंने इमाम से कहाः

لاحول ولا قوة الا باللہ “

(ला हौला वलाक़ुव्वता इल्ला बिल्लाह)

आपने फरमायाः इनमें सबसे आसान हक़ यह हैः

जो अपने लिये पसन्द करते हो वही उसके लिये भी पसन्द करो , और जो अपने लिये भी पसन्द नही करते हो वह उसके लिये भी पसन्द न करो।

उसके क्रोध और ग़ुस्से से दूर रहो और उसकी खुशी हासिल करने की कोशिश करो और उसके क़ौल की पैरवी करो।

उसकी अपने माल , ज़बान हाथ और पैर से मदद करो।

उसकी आँख , आईना और मार्ग दर्शक बन जाओ।

ऐसा न हो कि वह भूखा हो और तुम पेट भर कर खाना खा लो , वह प्यासा हो और तुम सैराब हो जाओ , और वह नंगा हो और तुम कपड़े पहन लो।

अगर तुम्हारे पास कोई सेवक है और उसके पास नहीं है तो अपने सेवक को उसके पास भेजो ता की वह उसके कपड़े धोये , खाना बनाये और उसके लिये बिस्तर बिछाये।

ख़ुदा की क़सम उससे वफादारी करो , उसकी दअवत को क़बूल करो , बीमारी में उसकी देखभाल करो , उसके जनाज़े में शिरकत करो , और अगर मालूम हो जाये की उसको किसी चीज़ की ज़रुरत है तो उसको देने में जल्दी करो , ऐसा न हो कि उसे तुम्हारे आगे हाथ फैलाना पड़ जाये , उसकी ज़रुत को पुरा करने में जल्दी करो अगर ऐसा करोगे तो उसकी दोस्ती को अपनी दोस्ती से जुड़ा हुआ पाओगे।

इमाम जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम ने एक मुफ़स्सल रेवायत में दो मुसलमानों के एक दूसरे पर हुक़ूक़ को बयान किया है , आप फरमाते है कि एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान पर बहुत बड़ा हक़ है।

फिर फ़रमायाः

जो चीज़ अपने लिये पसन्द करते हो वही अपने मुसलमान भाई के लिये भी पसन्द करो , और अगर कभी किसी चीज़ की ज़रुरत पड़े तो उससे तलब करो और अगर वह तुमसे माँगे तो उसको अता करो , उसके किसी भी अच्छे काम से घबराओ मत हो , उसकी हिफाज़त करो ताकि वह तुम्हारी हिफाज़त करे , जब वह कहीं चला जाये तो उसके पीछे उसकी इज़्ज़त व आबरू की हिफ़ाज़त करो , और जब वह सामने मौजूद हो तो उसकी जियारत करो , उसका ऐहतेराम करो , क्योंकि वह तुमसे है और तुम उससे हो , अगर वह तुमसे गिला करे तो उससे जुदा न हो , ताकि उसको दरगुज़र कर सको , अगर उसको कोई चीज़ पहुँचे तो खुदा का शुक्र करो , अगर किसी मुश्किल में गिरफ्तार हो जाये तो उसका हाथ पकड़ो , अगर कोई उसके लिये जाल बिछाये और उसकी चुग़ल ख़ोरी करे तो उसकी मदद करो , और अगर कोई इंसान अपने दीनी भाई से कहे तुम पर वाय (लानत) हो तो उसकी मअनवी (बातिनी) दोस्ती खत्म हो जाती है।

आबान बिन तग़लिब कहते हैः इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम के साथ काबे का तवाफ कर रहा था मेरा एक दोस्त मेरी तरफ आया , उसने मुझसे आवेदन किया था कि मुझे एक चीज़ की ज़रुरत है वहाँ पर मेरे साथ चलो , उसने मुझे ईशारा किया , इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने उसको देखा तो फरमायाः आबान वह शख्स तुम्हें बुला रहा है , मैंने कहाः जी हाँ , फरमायाः वह तुम्हारा हम अकीदा है , मैंने कहाः जी हाँ , आपने फरमायाः उसके साथ जाओ और अपने तवाफ को तोड़ दो , मैंने कहाः अगर तवाफ वाजिब हो तब भी मैं तवाफ को छोड़ दूँ , इमाम ने फरमायाः जी हाँ।

मैं उसके साथ चला गया उसके बाद इमाम की सेवा में पहुँचा और कहाः मोमिन का मोमिन पर क्या हक़ है ? आपने फरमायाः उसको छोड़ दो , मैंने कहाः मैं आप पर फिदा हो जाऊँ , मुझे ज़रुर बताइये मैंने ज़िद की तो आपने फरमायाः आबान उसका हक़ इतना है कि अपने माल का आधा हिस्सा उसे दे दो , उसके बाद उन्होंने मेरी तरफ नज़र की और देखा की मेरा क्या हाल है , फरमायाः ऐ आबान क्या तुम नहीं जानते कि ख़ुदा ने उनको याद करते हुए कहा है कि उनको अपने ऊपर मुकद्दम रखो , मैंने कहाः जी हाँ मैं आप पर कुर्बान हो जाऊँ- आपने फरमायाः अगर तुम अपना आधा माल उसको दे दोगे तो वह तुम्हारे ऊपर मुकद्दम नहीं होगा , बल्कि तुम्हारे बराबर होगा , वह उस वक्त तुम पर मुकद्दम होगा जब तुम अपने हिस्से से भी कुछ और उसको दोगे।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम फरमातेः हैं कि इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम हमेशा फरमाते थेः

” عظموا اصحابکم و وقروھم ولا یتجھم بعضکم بعضا و لا تضاروا ولا تحاسدوا و ایاکم والبخل، کونوا عباداللہ المخلصین “( ۲ ) ۔

अज़्ज़मू अस्हाबेकुम वक्क़रुहुम वला यतहज्जमू बॉज़ोकुम बॉज़ा वला तज़ार्रु वला तोहासेदू व ईयाकुम वल कंजूसी कुनू ईबादल्लाहील मुख्लेसीन।

अपने दोस्तों का आदर करो , एक दूसरे से बहस न करो , एक दूसरे को नुक़सान न पहुचाओ , एक दूसरे से हसद न करो , कंजूसी व कन्जूसी से परहेज़ करो , और ख़ुदा के मुख़्लिस बन्दे हो जाओ।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम अपने असहाब से फरमाते हैः

”اتقوا اللہ و کونوا اخوة بررة متحابین فی اللہ، متواصلین، متراحمین، تزاوروا و تلاقوا و تذاکروا امرنا و احیوہ “ ( ۱ ) ۔

ईत्तकुल्लाह व कुनू ईख्वत बर्रत मोतहाब्बीन फिल्लाहे मोत वासेलीन मोतरा हेमीन तज़ावरु वतलाकू वतज़ा करु अमरना वअह यूहो।

ख़ुदा से डरो और नेक़ सुलूक करने वालों के दोस्त हो जाओ , एक दूसरे से मुहब्बत करो , एक दूसरे की ज़ियारत करो , एक दूसरे के यहाँ मुलाक़ात के लिये जाओ , अपनी मजालीस व महाफिल में हमारे क़वानीन को बयान करो और उनको क़ायम करो।

इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम ने पैगम्बरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से रिवायत की है कि आपने फरमायाः

जिब्रईल ने मुझसे बयान किया हैः

ख़ुदावन्दे आलम ने एक फ़रिश्ते को ज़मीन पर भेजा वह ज़मीन पर आने के बाद चलने लगा उसका गुज़र एक ऐसे घर से हुआ जिसके दरवाज़े पर एक आदमी खड़ा हुआ था और वह उस घर के मालिक से अन्दर आने की इजाज़त मांग रहा था , फरिश्ते ने उससे कहाः तुम्हें इस मालिक की क्या ज़रुरत है , उसने कहाः यह मेरा दीनी भाई है , मैं ख़ुदा के लिये उसको देखने आया हूँ , फरिश्ते ने कहाः केवल इसी लिये आये हो , उसने कहाः सिर्फ इसी लिये यहाँ आया हूं , उसने कहाः मैं ख़ुदा का भेजा हुआ हूं और ख़ुदा ने तुम्हें सलाम कहा है और फरमाया हैः तुम पर जन्नत वाजिब है , उस फरिश्ते ने कहाः ख़ुदा वन्दे आलम फरमाता हैः

जो मुसलमान भी अपने किसी मुसलमान भाई की ज़ियारत करे उसने उसकी ज़ियारत नहीं की है बल्कि मेरी ज़ियारत की है और उसका सवाब मेरे ज़िम्मे स्वर्ग है।

” تبسم الرجل فی وجہ اخیہ حسنة و صرف القذی عنہ حسنة و ما عبد اللہ بشیء احب الی اللہ من ادخال السرور علی المومن “( ۱ ) ۔

तबस्सो मुर्रजुले फिवज्हे अखीहे हसनतुँ व सर्फुल कज़ा अन्हो हसनतुँ वमा इन दल्लाहे बे शैईन अहब्बो इलल्लाह मिन इदखा लीस्सोरुर अलल मोमिन।

अपने दीनी भाई की तरफ मुसकुराहट के साथ देखना नेकी है , और उसके पास से काँटें और मिट्टी वगैरह भी दूर करना नेकी है , और ख़ुदा वन्दे आलम के नज़दीक किसी मोमिन के दिल को खुश करने से ज़्यादा कोई और बंदगी नहीं है।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि

” لقضاء حاجة امری ء من احب الی اللہ من عشرین حجة کل حجة ینفق فیھا صاحبھا ماة الف “ ( ۱ ) ۔

लेकज़ाऐ हाजते इम्रे ईम मन अहब्ब इलल्लाहे मिन ईशरीन हज्ज तीन कुल्लो हज्ज तीन यन्फेको फिहा साहेबोहा मेअत अल्फीन।

किसी मोमिन शख्स की ज़रुरत को पूरा करना ख़ुदा की बारगाह में ऐसे बीस हज से ज़्यादा पसंदीदा है जिसमें हाजी एक लाख दिरहम अल्लाह की राह में ख़र्च करे।

” ما قضی مسلم لمسلم حاجة الا ناداہ اللہ تبارک و تعالی : علی ثوابک ولا ارضی لک بدون الجنة “ ( ۲ ) ۔

मा कज़ा मुस्लि मुन लेमुस्ले मिन हाजतन इल्ला नादा हुल्लाहो तबारक व तआलाः अला स्वा बेक वला अर्ज़ी लक बेदूनील जन्नते।

कोई मुसलमान किसी मुसलमान की ज़रुरत पूरी नहीं करता मगर ख़ुदावन्दे आलम उसको आवाज़ देता है कि तुम्हारी जज़ा (पुन्य) मेरे ज़िम्मे है और मैं तुम्हारे लिये बहिश्त (स्वर्ग) से कम किसी चीज़ को पसन्द नहीं करता।

सामाजिकता (मुआशेरत) ख़राब होने का कारण

दो मुसलमान और दो इंसान जब एक दूसरे से दोस्ती का संबंध बनाते हैं तो उनके लिये आवश्यक है कि एक दूसरे के लिये धोखा , फ़रेब , चुगलखोरी , ग़ीबत , इल्ज़ाम , सुऐज़न , मुनाफ़ेक़त , बदला व इन्तेकाम , ग़लत संगत , और दुश्मनी व नफ़रत जैसे कामों से परहेज़ करें।

धोखा व फ़रेब

रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने फरमायाः

” من غش مسلما فی شراء او بیع فلیس منا و یحشر یوم القیامة مع الیھود لانھم اغش الخلق للمسلمین “( ۱ ) ۔

मन ग़श्शा मुसलेमन फी शराइन अव बैईं फ़लैस मिन्ना वयह शोरोहुम योमिल क़्यामते मअल यहूदे ले अन्नहुम अगश्शल खल्क लिल मुस्लेमिन।

जो भी किसी मुसलमान से ख़रीदने बेचने में धोखा व फ़रेब से काम ले , वह हम में से नहीं है और रोज़े क़यामत यहूदियों के साथ शुमार होगा क्योंकि यहूदी मुसलमानों के साथ धोखा व फरेब से काम लेते हैं।

फिर फरमायाः

” من بات و فی قلبہ غش لاخیہ المسلم بات فی سخط اللہ و اصبح کذلک حتی یتوب “ ( ۲ ) ۔

मन बात व फी कल्बेही ला अखीहे अलमुस्लिम बात फि सख्तल्लाहे व अस्बह कज़ा लेक हत्ता ,यतूबो।

जो भी इस हालत में रात गुज़ारे कि उसके दिल में अपने मुसलमान भाई से कोई धोखा व फ़रेब हो तो उसने ख़ुदा के नाराज़गी में रात बसर की और ऐसा ही है अगर वह ऐसी हालत में सुबह करे और तौबा करने की तौफीक़ न हो।

चुग़लखोरी

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने मंसूरे दवानिक़ी से फ़रमायाः

” لاتقبل فی ذی رحمک و اھل الرعایة من اھل بیتک قول من حرم اللہ علیہ الجنة و جعل ماواہ النار، فان النمام شاھد زور و شریک ابلیس فی الاغراء بین الناس “( ۱ ) ۔

ला तक्बल फी ज़ी रहेमेक व अहलीर रेआयते मिन अहले बैतेके मिन हर्रमल्लाहो अलैहील जन्नते व जअल मावा हुन्नार फइन्न नम्माम शाहेदन जोर व शरीको इब्लीसीन फिल इगराऐ बे इनन्नासे।

अपने रिश्तेदार और उन लोगों के मुतअल्लिक जो तुम्हारी सरपरस्ती में हैं , ऐसे लोगों की बातों को क़बूल न करो , जिन पर ख़ुदा ने जन्नत को हराम कर दिया है , और उनका ठेकाना जहन्नम है , क्योंकि चुग़लख़ोर लोगों के दरमियान इख़्तेलाफ़ डालने में झूठा गवाह है और शैतान का शरीक है।

एक हदीस में रसुले ख़ुदा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने फरमायाः

” ان شر الناس یوم القیامة المثلث قیل وما المثلث یا رسول اللہ؟ قال : الرجل یسعی باخیہ امامہ فیقلتہ فیھلک نفسہ و اخاہ و امامہ “( ۲ ) ۔

इन्न शर्रन्नासे यौमल क़्यामते अल्मो सल्लसो किल वमा मोसल्लसे या रसूलल्लाहे , कालः रजलो यसआ बेअखीहे इमामहू फयहलको नफ्सहू वअखाहो व इमामहू।

बेशक़ क़यामत के रोज़ बदतरीन लोग तीन हैं , सबने पूछा या रसूल्ल्लाह वह तीन कौन लोग हैं ? फ़रमायाः वह लोग जो अपने दीनी भाई की बादशाह के सामने चुग़लख़ोरी और जासूसी करें , और बादशाह उसको कत्ल कर दे , उसने तीन आदमियों को कत्ल किया है , अपने आप को अपने दीनी भाई को और बादशाह को।

ग़ीबत

रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम फरमाते हेः

” واللہ الذی لا الہ الا ھو ما اعطی مومن قط خیر الدنیا والآخرة الا بحسن ظنہ باللہ عز وجل والکف عن اغتیاب المومنین ، واللہ الذی لا الہ الا ھو لا یعذب اللہ عز وجل مومنا بعذاب بعد التوبة والاستغفار لہ الا بسوء ظنہ باللہ عز وجل و اغتیابہ للمومن “( ۱ ) ۔

वल्लाहे अल्लज़ी लाइलाह ईल्ला होव मा आता मोमेनुन कत्तो खैरद्दुनिया वल आखेरते इल्ला बेहुस्ने जन्नेही बिल्लाहे अज़्ज़वजल वअल्कफ्फ अन इग्तेयाबे अल मोमेनीन , वल्लाहील लज़ी ला इलाह इलल्लाह इल्ला होव सा योअज़्ज़े बुल्लाहो अज्ज़वजल मोमेनन बेअज़ाबे बॉद अल्तौबते वला इस्तगफारे लहू इल्ला बेसुऐ ज़न्नेही बिल्लाहे अज़्ज़वजल व इग्तेयाबेही लिल मोमिन।

उस ख़ुदा की कसम जिसके अलावा कोई माबूद नहीं है यकिनन किसी मोमिन को दुनिया व आखेरत की ख़ैर अता नहीं की गई मगर ख़ुदा वन्दे आलम के मुतअल्लिक अच्छा गुमान करने और मोमनीन की ग़ीबत न करने की वजह से , उस ख़ुदा की कसम जिसके अलावा कोई माबूद नहीं है , ख़ुदा वन्दे आलम किसी मोमिन को तौबा और इस्तिग़फ़ार करने के बाद अज़ाब से दोचार नहीं करता मगर ख़ुदावन्दे आलम के मोतअल्लिक बदगुमानी और मोमनीन की ग़ीबत करने की वजह से उस पर अज़ाब करता है।

फिर आँ हज़रत सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने अपने इस जुमले में इरशाद फरमायाः

” ایاکم والظن فان الظن اکذب الکذب و کونوا اخوانا فی اللہ کما امرکم اللہ ولا تتنافروا و لا تجسسوا ولا تتفاحشوا ولا یغتب بعضکم بعضا و لا تتباغوا ولا تتباغضوا ولا تتدابروا ولا تتحاسدوا فان الحسد یاکل الایمان کما تاکل النار الحطب الیابس “( ۲ ) ۔

ईया कुम वल ज़न्न फइन्न जन्नह अक्ज़बुल किज़्ब वकूनू इखवानन फिल्लाहे कमा अम्र कुमुल्लाहो वला त्तना फेरु वला तज्जेसू वला त्तफाहेशू वला यग्तेबो बॉजोकुम बॉज़न वला त्तबाऊ वला त्ताबाऐज़ू वला त्तदाबेरू वला त्तहासेदू फइन्नल हसद या कुल्लुल ईमान कमा ताकुलो अन्नारो अल्हत्ब अल्याबेस।

एक दूसरे के हक़ में बुरे गुमान से परहेज़ करो क्योंकि झूठ बोलने में सबसे बड़ा झूठ बदगुमानी है , जैसा कि हुक्म दिया गया है की ख़ुदा की राह में एक दूसरे के भाई रहो , एक दूसरे से नफरत न करो , एक दूसरे के छुपे हुए राज़ को तलाश न करो , एक दूसरे के साथ बदज़बानी न करो , एक दूसरे की ग़ीबत न करो , एक दूसरे पर ज़ुल्म न करो , एक दूसरे के साथ दुश्मनी न करो , एक दूसरे से जुदा न हो , एक दूसरे से हसद न करो , क्योंकि हसद ईमान को इस तरह खा जाता है जिस तरह आग सुखी लकड़ी को जला देती है।

आरोप और इल्ज़ाम लगाना

आरोप लगाने का शुमार बहुत बड़े गुनाहों में होता है , जिसका इंसान मुरतकिब होता है , इंसान किसी पाक दामन और शरीफ़ पर नापाकी और बुराई का इल्ज़ाम लगाता है , यह किस क़दर संगीन , कितना ग़लत और शैतानी अमल है , इस सिलसिले में क़ुरआने करीम और रिवायात ने बहुत से मतालिब पेश किये गये हैं , उन पर यक़ीन करने वाले बहुत ज़्यादा खौफ ज़दा होते है।

रसुले ख़ुदा सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से रिवायत हुई है:

” من بھت مومنا او مومنة اوقال فیہ ما لیس فیہ اقامہ اللہ تعالی یوم القیامة علی تل من نار حتی یخرج مما قالہ فیہ “( ۱ ) ۔

मन बहत मोमेन्न अव मोमेनतन अव काल फिहे मा लैस फिहे अकाम हुल्लाहो तआला यौम अल्क़यामते अला तल्ले मिन्नारीन हत्ता यखरोजो मिम्मा कालहू फिहे।

जो भी किसी मोमिन या मोमिना पर इल्ज़ाम या आरोप लगाता है , या उसके सिलसिले में कोई ऐसी बात कहे जो उसमें न पाई जाती हो तो ख़ुदावन्दे आलम क़यामत के दिन उसको आग के एक टीले पर रोकेगा ताकि उसने जो चीज़ दूसरे के मुतअल्लिक कही है उससे आज़ाद हो जाऐ।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम फरमाते हैः

” من باھت مومنا او مومنة بما لیس فیھما حبسہ اللہ عزوجل یوم القیامة فی طینة خبال حتی یخرج مما قال، قلت : وما طینة خبال ؟ قال : صدید یخرج من فروج المومسات یعنی الزوانی “( ۲ ) ۔

मन बाहत मोमेनन अव मोमेनतन बेमा लइस फिहेमा हब्सहु अल्लाहो अज़्ज़वजल यौम अल्क्यामते फि तईनतीन खेबालीन हत्ता यखरोजो मिम्मा काल , कुल्तोः वमा तईनतो खेबालीन , कालः ज़दीदीन यख्तजो मिन फरोजे अल्मोमेसात यअनी अज़्ज़वानी।

जो भी किसी मोमिन या मोमिना पर उस चीज़ का आरोप लगाये जो उसमे नहीं है , तो ख़ुदा वन्दे आलम क़यामत के दिन उसको खबाल के कीचड़ में कैद करेगा ताकि जो कुछ उसने कहा है उसको साबित करे , रावी कहता हैः मैंने आपसे पूछाः खोबाल का कीचड़ क्या है ? आपने फरमायाः ऐसा खून और गन्दगी है जो ज़ेनाकार औरतों की शर्मगाह से बाहर आता है।

मुनाफ़ेक़त

इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम मुनाफ़ेक़त के सिलसिले में फरमाते हैः

” بئس العبد عبد یکون ذا وجھین و ذا لسانین یطری اخاہ شاھدا و یاکلہ غائبا ان اعطی حسدہ و ان ابتلی خذلہ “( ۱ ) ۔

बेऐस अलअब्द अब्द यकून ज़ा वजहईन वज़ा लेसानीन यतरी अखाहो शाहेदा व या कोलोहू गाऐबा अन आता हसदहू व अन अब्तेला खज़्लहू।

कितना बुरा इंसान वह है जो दो तरह की बातें (मुनाफ़ेक़त) करे , अपने दीनी भाई की उसके सामने बहुत ज़्यादा तारीफ करे और उस में मुबालेग़ा (बढ़ा चढ़ा कर बयान करना) करे और उसके पीछे उसकी ग़ीबत करने में अपने मुर्दा भाई का गोश्त खाता है , अगर उसके भाई को कुछ अता हो तो उससे हसद करता है और अगर वह किसी मुसीबत में फँस जाता है तो उसकी मदद करने से भागता है।

फिर इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत हुई है।

” من لقی المسلمین بوجھین و لسانین جاء یوم القیامة و لہ لسانان من نار “( ۲ ) ۔

मन लका अलमुस्लेमीन बेवजहिने व लेसानीने जॉअ योमल कियामते वलहु लेसानाने मिन नॉरीन।

जो भी मुसलमान के साथ दो ज़बानों और जो चेहरों से मुलाकात करे , क़यामत के रोज़ वह ऐसी हालत में आयेगा कि उसकी आग की दो ज़बानें होंगीं।

बदला और इन्तेक़ाम

इस्लाम लोगों को दावत देता है कि अगर तुम्हारे किसी रिश्तेदार या अज़ीज़ या दोस्त ने तुम पर कोई ज़ुल्म किया है और तुम उससे बदला लेना चाहो तो जितना उसने तुम पर ज़ुल्म किया है उतना ही उससे चाहो और बेहतर तो यह है कि बदला लेने के बजाय उसे क्षमा कर दो।

” وَ جَزاء ُ سَیِّئَةٍ سَیِّئَةٌ مِثْلُہا فَمَنْ عَفا وَ اٴَصْلَحَ فَاٴَجْرُہُ عَلَی اللَّہِ إِنَّہُ لا یُحِبُّ الظَّالِمینَ “( ۱ ) ۔

व जज़ाअ सैय्ये अतीन सैय्यअतुन मिस्लोहा फमन गफा व अस्लह फअजरोहू अल्ल लाहे इन्नहू ला योहिब्बुज़्ज़ीलेमीन।

और हर बुराई (जैसे कत्ल , ज़ख़्म लगाने और माल बर्बाद करने) का बदला उसके जैसा होता है फिर जो मुआफ कर दे और (और आपस में) समझौता कर ले , उसका सवाब अल्लाह के ज़िम्मे है वह निसंदेह ज़ालिमों को दोस्त नहीं रखता है।

अमीरुल मोमेनीन अली अलैहिस्सलाम फरमाते है:

” ثلاثة لا ینتصفون من ثلاثة : شریف من وضیع و حلیم من سفیہ و مومن من فاجر “( ۲ ) ۔

सलासतो ला यन्तसेफून मिन सलासतीनः शरीफुन मिन वज़ीईन व हलीमुन मिन सफीहीन व मोमेनुन मिन फाजेरीन।

तीन लोगों को तीन लोगों से बदला नहीं लेना चाहिये: शरीफ़ व बुज़ुर्ग इंसान को पस्त व ज़लील इंसानों से , समझदार को बद अक्ल से , और मोमिन को बदकार से।

उलझना और झगड़ना

रसूले ख़ुदा सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम फरमाते हैं:

” من کثر ھمہ سقم بدنہ ومن ساء خلقہ عذب نفسہ ومن لاحی الرجال سقطت مروتہ و ذھبت کرامتہ، ثم قال رسول اللہ : لم یزل جبرئیل ینھانی عن ملاحاة الرجال کما ینھانی عن شرب الخمر وعبادة الاوثان “( ۲ ) ۔

मन कसर हम्महू सकम बदनहू व मन साअ खुल्कहू अज़ब नफसहू व मन लाहिऐ अर्रेजाल सकतत मुरव्वतो व ज़हबत केरामतोहू , सुम्म काल रसूलल्लाहोः लम यज़ल जिब्रईलो यन्हानी अन मलाहाते अर्रेजालो कमा यन्हानी अन शोर्बे अल्खमरे व ईबादतो अलअवसाने।

जिसके विचार ग़ुस्सा और ग़म वाले कामों में ज़्यादा लगे रहते हैं उसका जिस्म बीमारी से ग्रस्त हो जाता है और जिसका स्वभाव बुरा हो वह खुद को दुख , रंज , परेशानी और कष्ट में डालता है और जो लोगों के साथ दुश्मनी की वजह से उलझता और झगडता है , उसकी मुरव्वत , करामत , और ऐहतेराम खत्म हो जाता है।

उसके बाद फरमायाः जिबरईल मुझे हमेशा दुश्मनों के साथ उलझने और झगडने से इस तरह मना करते थे जिस तरह शराब ख़्वारी और बुत परस्ती से मना करते थे।

दर्दों की दवा

ऐसी हकीकत जो अध्यात्म की बीमारियों की दवा और उसकी ऑब व तॉब और रौनक़ का कारण है जिससे दिन की सच्ची पैरवी करने वालों , हकायक़ व फज़ायल के आशिकों और इल्म व अमल व बसीरत से आरास्ता अफ़राद नें बताया है और तमाम दोस्तों पर लाज़िम है कि वह एक दूसरे को उसकी ताकीद करें।

बुतून (पेट) का हराम से ख़ाली होना

हराम ऐसा माल है जो ज़ुल्मों सितम , ज़्यादती , नाजायज़ कारोबार , जैसे सूद , कम तौलना , चोरी , क़ब्ज़ा , रिश्वत , और धोखा व छल फ़रेब से हासिल होता है , बेशक हराम खानों से परहेज़ करना , इंसान के बातिन का इलाज है और वह आदमी के दिल को मुनव्वर कर देता है।

कुरआने करीम की आयात और रिवायात इंसान को हराम माल के नज़दीक होने से शदीद तौर पर मना करती है और हराम माल खाना , बातिन (अध्यात्म) की खराबी , हृदय के काले हो जाने और क़ब्र में अंधेरे का सबब बनता है।

पैग़म्बरे अकरम सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने फरमायाः

” رب اشعث اغبر مشرد فی الاسفار مطعمہ حرام و ملبسہ حرام و غذی بالحرام یرفع یدیہ فیقول : یا رب یا رب فانی یستجاب لذلک “( ۱ ) ۔

रब्बो अशअत अगबरो मुशर्रेदो फिल अस्फारे मत्अमहू हरामुन व मिल्बेसहू हरामुन व गोज़ी बिल्हरामे यर्फओ यदैहे फयकूलः या रब्बे यारब्बे फअन्नी यस्तजाबो लेज़ालेक।

बहुत बार देखने में आता है कि हराम चीज़ें खाने और पीने वाला मुसाफिर अगर जेहालत में परेशानी के साथ अपने दोनों हाथों को ख़ुदा की बारगाह में बुलन्द करता है और या रब्बे या रब कहता है , तो भी उसकी दुआ क़बूल नहीं होती आख़िरकार उस हराम से कहाँ और किस तरह उसकी दुआ स्वीकार होगी।

फिर आँ हज़रत ने फरमायाः

” من اشتری ثوبا بعشرة دراھم و فی ثمنہ درھم حرام لم یقبل اللہ تعالی صلاتہ مادام علیہ منہ شیء “( ۲ ) ۔

मन इशतेरा सौबन बेअशरते दराहिम व फि समनेही दिर्हमुन हरामुन लम युक्बलो अल्लाहो तआला सलातहू मादाम अलैहे मिन्हो शैईन।

अगर कोई दस दिरहम का एक कपड़ा ख़रीदे और उसके दिरहमों में एक दिरहम हराम हो तो जब तक वह हराम चीज़ उसके लेबास में रहेगी ख़ुदा उसकी नमाज़ को क़बूल नहीं करेगा।

दूसरी जगह फरमाते हैः

” کل لحم نبت من حرام فالنار اولی بہ “( ۳ ) ۔

कुल्लो लहमीन नब्त मिन हरामीन फन्नार अवला बेह।

जो गोश्त हराम से परवान चढ़ा है उसके लिये जहन्नम की आग ज़्यादा बेहतर है।

आपसे एक रेवायत नक्ल हुई है:

من لم یبال من این اکتسب المال لم یبال اللہ من این ادخلہ النار ( ۴ )

मन लम योबालो मिन अईन इक्तसब अल्माल लम योबा लुल्लाहो मिन अईन अद खलो हुन्नार।

जो इंसान किसी भी रास्ते से माल कमाने में लापरवाही करता हो , ख़ुदावन्दे आलम भी उसको किसी भी जगह से नर्क में दाखिल करने की परवाह नहीं करेगा।

पैग़म्बरे अकरम सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम फरमाते हैः

” درھم من ربا اشد من ثلاثین زنیة فی الاسلام “( ۵ ) ۔

दिर्हमो मिन रेबा अशद्दो मिन सलासीन ज़िनतीन फिल इस्लाम।

सूद का एक दिरहम , इस्लाम में तीस ज़ेना से बदतर है।

फिर आप फरमाते हैं:

” من اصاب مالا من ماثم فوصل بہ رحما او تصدق بہ او انفقہ فی سبیل اللہ جمع اللہ لہ ذلک جمیعا ثم قذفہ فی النار “( ۶ ) ۔

मन असाब मालन मिन मासमीन फौसल बेही रहमन अव तसद्दकबेही अव अन्फकोहू फि सबी लिल्लाहे जम अल्लाहो लहू ज़ेलेक जमिअन सुम्म कज़फहू फिन्नार।

जो भी हराम और गुनाह व पाप के रास्ते से कोई माल जमा करे , फिर उससे सिल ए रहम करे , या सदका दे , या ख़ुदा की राह में इन्फ़ाक़ करे तो ख़ुदावन्दे आलम उस सब को एक जगह जमा करता है फिर जहन्नम में डाल देता है।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने पैग़म्बरे अकरम सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से रेवायत की है कि आपने फरमायाः

” ان اخوف ما اخاف علی امتی من بعدی ، ھذہ المکاسب الحرام والشھوة الخفیة والربا “( ۷ ) ۔

इन्न अखूफ़ मा अखाफ अला उम्मती मिन बअदी , हाज़ेही अल्मकासीबो अलहरामो वश्शहवतो अल खफीअतो वर्रेबा।

अपने बाद अपनी उम्मत पर सबसे खतरनाक जिस चीज़ से ड़रता हूँ वह हराम की कमाई , छुपी हुई शहवत और सूद है।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से रेवायत हैः

” اذا اکتسب الرجل مالا من غیر حلہ ثم حج فلبی نودی لا لبیک و لا سعدیک “( ۱ ) ۔

इज़ा अक्तसब अर्रीजल मालन मिन गैर हिल्लेही सुम्म हज्ज फलब्बा नोदीय ला लब्बैक वला सअदैक।

जिस समय इंसान किसी माल को ग़ैर हलाल रास्ते से कमाता है , उसके बाद उससे हज के लिये जाता है और तलबीह (लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक) कहता है तो जवाब आता हैः तुम्हारी लब्बैक क़ुबूल नहीं होगी और तुम खुशबख़्त भी नहीं होगे।

फिर फरमाते हैः

” کسب الحرام یبین فی الذریة “( ۲ ) ۔

कस्बुल हराम योबईन फि अल ज़ुर्रीयते।

हराम रोज़ी के लक्षण इंसान की नस्ल में ज़ाहिर होते हैं।

इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम से नक्ल हुआ हैः

” ان الحرام لا ینمی و ان نمی لا یبارک لہ فیہ، و ما انفقہ لم یوجر علیہ و ما خلفہ کان زادہ الی النار “( ۳ ) ۔

इन्नल हराम ला यनमी व इन्न नमी ला योबारेको लहू फिहे , नमा अन्फकहू लम योजीर अलैहे वमा खल्फहू कान ज़ादहू अलन नार।

हराम ज़्यादा नहीं होता अगर हो जाये तो उसमें बरकत नहीं होगी और हराम को अल्लाह की राह में ख़र्च करने का कोई स्वाब नहीं है और हराम कमाने वाला अपने बाद जो चीज़ छोड़ता है वह जहन्नम की आग के लिये ईंधन होता है।

हलाल के सिलसिले में बुद्धिजीवियों और ब्रहमाज्ञानियों से रिवायत नक़्ल हुई हैः

बंदा ईमान की वास्तविकता को नहीं पहचान सकता मगर यह कि उसमें चार बातें पाई जाती हों:

वाजेबात को पैगम्बरे अकरम सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम और अहले बैत अलैहिमुस्सलाम की सुन्नत की तरह अन्जाम देता हो।

तक़वा और पाकदामनी के साथ हलाल खाना खाता करता हो।

ज़ाहिर और बातिन में जिस चीज़ से नही हुई है उससे परहेज़ करता हो।

मरते वक्त उन चीज़ों पर बाकी रहता हो।

जो भी चाहता है कि सिद्दिक़ीन (अल्लाह के सच्चे बंदों) की अलामतें उसमें पाई जायें तो वह सिर्फ हलाल चीज़ें खाये और दीन के अलावा किसी चीज़ पर अमल न करे।

जो भी चालीस दिन तक ऐसा खाना खाये जिसमें हराम का शुब्हा पाया जाता हो उसका दिल तारीक हो जाता है।

मेरे नज़दीक ऐसे एक दिरहम को छोड़ देना जिसमें हराम का शुब्हा पाया जाता हो एक लाख दिरहम सदक़ा देने से बेहतर है।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम कई दिन तक बनी अब्बास के हाकिम की क़ैद में रहे , एक नेक और शरीफ़ औरत ने जेलर के ज़रीये एक रोटी आपके लिये भेजी , जेलर ने उस रोटी को एक सीनी में रखा और आपके सामने पेश किया , इमाम ने उस रोटी को खाने से इंकार कर दिया और फरमायाः इस रोटी को न खाने का कारण यह था कि वह रोटी एक ज़ालिम के ज़रिये आई थी।

खाने में भूख और संतुलन का ध्यान रखना

पैग़म्बरे अकरम सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से पेट के खाली रहने और भूख के संदर्भ में बहुत सी महत्वपूर्ण हदीसें नक़्ल हुई हैं।

” جاھدوا انفسکم بالجوع والعطش فان الاجر فی ذلک کاجر المجاھد فی سبیل اللہ و انہ لیس من عمل احب الی اللہ تعالی من الجوع والعطش “( ۱ ) ۔

जाहदु अन्फोसकुम बिलजुऐ वलअतश फइन्न अल अज्रे फि ज़ालेक कअज्रे अलमुजाहिदे फि सबीलिल्लाहे वइन्नहू लईस मिन अमलीन अहब्बो अलल्लाहे तआला मिनल जुऐ वल अतश।

भूख और प्यास के ज़रीये अपने नफ़्सों से जेहाद करो , क्योंकि उसका स्वाब ख़ुदा की राह में जेहाद करने का स्वाब है और ख़ुदा के नज़दीक भूख और प्यास सबसे पसंदीदा अमल है।

” لایدخل ملکوت السماوات والارض قلب من ملا بطنہ “( ۲ ) ۔

ला यदखोलो मलकूतुस्समावाते वल अर्ज़ कल्ब मिन मलअन बतनेही।

जिसका पेट खाने से भरा हुआ है उसका दिल आसमान की बुलंदियों में दाख़िल नहीं होगा।

” وقیل یا رسول اللہ ای الناس افضل؟ قال : من طعمہ و ضحکہ و رضی بما یستر بہ عورتہ “( ۳ ) ۔

वक़ील यारसूलल्लाहे अइयह अन्नासे अफ़ज़लो , कालः मन तअमोहू व ज़ेहकोहू वरज़ा बेमा यस्तरो बेही औरतोहू।

रसूले ख़ुदा सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से पूछा गयाः सबसे अच्छे लोग कौन हैँ ? आपने फ़रमाया: जिसकी खुराक और हँसना कम हो और बुराईयों को छिपाने वाली चीज़ें पसन्द करता हो।

” ان اللہ یباھی الملائکة بمن قل طعمہ فی الدنیا یقول : انظروا الی عبدی ابتلیتہ بالطعام والشراب فی الدنیا فترکھما لاجلی اشھدوا یا ملائکتی ما من اکلة ترکھا لاجلی الا ابدلتہ بھا درجات فی الجنة “( ۴ ) ۔

इन्नल्लाह योबाही अल्मलाइकतो बेमन कल तअमोहू फिद्दुनिया यकूलोः अन्ज़ोरु ईला अब्दी इब्तलैतहू बित्तआमे वश्शराबे फिद्दुनिया फतरकोहोमा लेअजली अशहदो वा या मलाईकती मा मिन अक्लतीन तर्कहा लेअजली इल्ला अब्दलतहू बेहा दर्जातुन फिल जन्नत।

यक़ीनन ख़ुदा वन्दे आलम फ़रिश्तों से उस शख्स पर फख़्र व मुबाहात करता है जो दुनिया में कम खाता है। और फरमाता हैः मेरे बन्दे को देखो मैंने उसको दुनिया में खाने और पीने में आज़माया , लेकिन उसने मेरी वजह से दोनों को छोड़ दिया , गवाह रहना की वह मेरी वजह से एक वक्त का खाना नही छोड़ता मगर यह कि मैं उसको स्वर्ग की श्रेणियों से बदला देता हूँ।

” لا تمیتوا القلوب بکثرة الطعام والشراب فان القلب یموت کالزرع اذا کثر علیہ الماء “( ۱ ) ۔

ला तमीतु अल्कोलूब बेकसरते अत्तआमे वश्शराबे फइन्न कल्ब यमूतो कज़्ज़रऐ ईज़ा कसोर अलैहे अल्माओ।

दिलों को ज़्यादा खाने और पीने से मुर्दा न करो , क्योंकि दिल खेती की तरह हैं जब उनमें हद से ज़्यादा पानी दिया जाता है तो वह बर्बाद हो जाती हैं।

الفکر نصف العبادة ، و قلة الطعام ھی العبادة “ ( ۲ )

अलफिक्रो निस्फुल ईबादतो , व किल्लतो अत्तआमे हिय अल ईबादतो।

विचार करना आधी आराधना है और कम खाना खुद इबादत है।

आधी रात को तहज्जुद और इबादत

नमाज़े शब ग्यारह रकअत है और उसके पढ़ने का वक्त आधी रात से अज़ाने सुबह तक है , और यह ख़ुदावन्दे आलम की तरफ से इंसान पर वाजिब नहीं हुई है , लेकिन अगर इंसान अपने इरादे व इख्तेयार और इच्छा व रुचि से अन्जाम दे तो वह बहुत सी ऐसी फज़ीलतों को हासिल कर लेगा , जिसको ख़ुदा के अलावा कोई नहीं जानता , इस सिलसिले में कुरआने करीम फरमाता हैः

تَتَجافی جُنُوبُہُمْ عَنِ الْمَضاجِعِ یَدْعُونَ رَبَّہُمْ خَوْفاً وَ طَمَعاً وَ مِمَّا رَزَقْناہُمْ یُنْفِقُونَ ،فَلا تَعْلَمُ نَفْسٌ ما اٴُخْفِیَ لَہُمْ مِنْ قُرَّةِ اٴَعْیُنٍ جَزاء ً بِما کانُوا یَعْمَلُون ( ۳ ) ۔

ततजाफी जोनूबहुम अन मज़ाजेअ यदऔन रब्बहुम खौफन व तमअन व मिम्मा रज़क्नाहुम युन्फेकून , फला तअलम नफ्सुन मा अखफी लहुम मिन कुर्रते अयोने जज़ाऊँ बेमा कानू याअमलून।

उनके पहलू बिस्तर से अलग रहते हैं और वह अपने परवरदेगार को डर और लोभ की बुनियाद पर पुकारते रहते हैं और हमारे दिऐ हुए रिज़्क से हमारी राह में ख़र्च करते रहते हैं , अत: किसी नफ़्स को नहीं मालूम है की उसकी आंखों की ठंडक के लिये क्या क्या सामान छुपाकर रखा गया है जो उनके नेक कर्मों का पुन्य है।

” وَ الَّذینَ یَبیتُونَ لِرَبِّہِمْ سُجَّداً وَ قِیاماً “( ۱ ) ۔

वल्लज़ीना यबीतूना लेरब्बेहीम सुज्जदव व क्यामा।

यह लोग रातों को इस तरह गुज़ारते हैं कि अपने रब की बारगाह में सर बसुजूद रहते हैं और कभी हालते क़याम में रहते हैं।

पैग़म्बरे अकरम सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम रात में ख़ुदा के लिये इबादत और तहज्जुद (नमाज़े शब) के बारे में एक रिवायत में फरमाते हैः

” رکعتان یرکعھما العبد فی جوف اللیل خیر لہ من الدنیا و ما فیھا و لولا ان اشق علی امتی لفرضتھما علیھم “( ۲ ) ۔

रकअतान बर्कअहुमाअलअब्दो फी जौफे अल्लैले खेरुन लहू मिनद्दुनिया वमा फिहा वलौला अन अशक्क अला उम्मती लफरज़तोहोमा अलैहिम।

मेरा बंदा रात के अंधेरे में जो दो रकअत नमाज़ पढ़ता है उसके लिये वह तमाम चीज़ों से बेहतर है जो दुनिया में मौजूद है , अगर मेरी उम्मत के लिये सख़्त न होता तो मैं इस नमाज़ को अनिवार्य क़रार देता।

” علیکم بقیام اللیل فانہ داب الصالحین قبلکم و ان قیام اللیل قربة الی اللہ تعالی و تکفیر للذنوب و مطردةللداء عن الجسد و منھاة عن الاثم “ ( ۳ ) ۔

अलैकुम बेक्यामे अल्लैले फइन्नहू दाबो अस्सालेहीन कब्लकुम व इन्न क्याम अल्लैले कुर्तन इलल्लाहे तआला व तकफीरुँ लिज़्ज़ोनूबे व मित्रदतुन अनिल जसदे व मिन्हातुन अनिल इस्मे।

मैं तुम सबको रात में आराधना और तहज्जुद (नमाजे शब) की सिफ़ारिश करता हूँ क्योंकि रात में इबादत करना तुमसे पहले गंभीर लोगों का तरीक़ा था , और रात में इबादत करना ख़ुदा के नज़दीक होने , गुनाहों के मुआफ होने , बदन से बीमारियों के दूर होने और गुनाहों से बचने का सबब होता है।

एक रिवायत में है कि पैग़म्बरे अकरम सल्ललाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के ज़माने में एक शख्स रात के वक्त जब सब सो जाते थे तो वह ख़ुदा की इबादत के लिये उठता था , नमाज़ पढ़ता था और तिलावत करता था , और कहता था परवर्देगारा , मुझे नर्क की आग ने नेजात दे , उसके इस काम की पैग़म्बरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को खबर दी गई , आपने फरमायाः जब वह नमाज़े तहज्जुद के लिये खड़ा हो तो मुझे ख़बर करना , उसकी नमाज़ के वक्त आपको खबर दी गई तो आप उसके घर की दीवार के पिछे खड़े हुऐ और उसकी आह व फरियाद को सुना , जब सुबह हुई तो उससे फरमायाः तुमने ख़ुदावन्दे आलम से स्वर्ग की प्राथना क्यों नहीं की , अभी कुछ ही देर हुई थी कि जिबरईल नाज़िल हुए और पैग़म्बरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से कहाः फलाँ शख़्स को ख़बर दीजिये कि ख़ुदा वन्दे आलम ने उसको नर्क की आद से नेजात दी और उसको स्वर्ग में दाखिल कर दिया।

इमामे सादिक़ अलैहिस सलाम से रात की इबादत के बारे में रिवायत हुई है:

” ان من روح اللہ عزوجل ثلاثة : التھجد باللیل، وافطار الصائم ، ولقاء الاخوان “( ۲ ) ۔

इन्न मिन रुहल्लाहे अज़्ज वजल सला सतुनः अतोहज्जोदो बिल्लईले , व इफ़तारो अस्साऐमे , व लेक़ाओ अल इख़्वान।

ख़ुदा की रहमतों में से तीन चीज़ें हैः रात की इबादत , रोज़ेदार को इफ़्तार कराना और अपने दीनी भाई से मुलाकात करना।

एक शख़्स इमाम सादिक अलैहिस सलाम के पास आया और एक आवश्यकता के सिलसिले में आपसे शिकायत की और अपनी शिकायत पर ज़िद करने लगा , यहाँ तक कि वह अपनी भूख के बारे में भी शिकायत करने वाला था , इमामे सादिक अलैहिस सलाम ने उससे फरमायाः नमाज़े शब पढ़ते हो , उसने कहाः जी हाँ , आपने अपने अस्हाब की तरफ़ रुख किया और फरमायाः झूठ कहता है , जो भी गुमान करे कि वह नमाज़े शब पढ़ता है और दिन में भूखा रहता है , ख़ुदा वन्दे आलम रात की नमाज़ की वजह से उसकी दीन की रोज़ी का ज़ामिन होता है।

5. सहर के समय अल्लाह के दरबार में रोना व गिड़गिड़ाना।

जो चीज़ ख़ुदा को सबसे ज्यादा महबूब है वह सहर के वक़्त रोना गिड़गिड़ाना है , यहाँ तक कि ख़ुदा वन्दे आलम ने आदेश दिया है।

” ادْعُوا رَبَّکُمْ تَضَرُّعاً وَ خُفْیَةً إِنَّہُ لا یُحِبُّ الْمُعْتَدین “( ۲ ) ۔

उदऊ रब्बोकुम तज़र्रोअँ व खुफयतन इन्नहू ला योहिब्बुल मोअतदीन।

तुम अपने रब को गिड़गिड़ा कर और ख़ामोशी के साथ पुकारो कि वह ज़्यादती करने वालों को दोस्त नहीं रखता है।

पैग़म्बरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम फरमाते हैः

” اذا احب اللہ تعالی عبدا ابتلاہ حتی یسمع تضرعہ “( ۳ ) ۔

ईज़ा अहब्बल्लाहो तआला अब्दन ईब्तेलाहो हत्ता यसमओ तज़र्रोओहू।

जब भी ख़ुदा वन्दे आलम अपने किसी बंदे को दोस्त रखता है तो उसको ऐसी चीज़ में मुब्तला करता है कि उसके रोने और गिड़गिड़ाने की आवाज़ को सुन सके।

सहीफऐ सज्जादिया की अड़तालिसवीं दुआ में बयान हुआ हैः

” ولا ینجینی منک الا التضرع الیک “ ۔

वला यनजैनी मिन्क इल्ला अल तज़र्रओ इलैक।

तेरे दरबार में रोना व गिड़गिड़ाना मुझे अज़ाब और इन्तेकाम से नेजात देता है।

हज़रत मूसा अलैहिस सलाम पर वही (अल्लाह का संदेश) हुईः

” یا موسی کن اذا دعوتنی خائفا مشفقا وجلا عفر وجھک لی فی التراب واسجد لی بمکارم بدنک و اقنت بین یدی فی القیام و ناجنی حین تناجینی بخشیة من قلب وجل “( ۱ ) ۔

या मूसा कुन ईज़ा दअवतनी खाऐफ़न मुशफेक़न वजलन अफर वजहक ली फत्तोराबे वअस्जुद ली बेमुकारेमे बदनेक वअक्नुत बैन यदयुँ फि अल्क़्यामे व नाजनी हईन तना जिनी बेखशयतीन मिन कल्बीन वजलीन।

ऐ मूसा , जब भी मुझको पुकारो तो दर्द से डरते हुए पुकारो , अपने चेहरे को ख़ाक में मलो और अपने बेहतरीन अअज़ा से सजदा करो , मेरी बारगाह में उपासना व आराधना के लिये खड़े हो और विनय और डर का साथ मुझ से मुनाजात करो।

हज़रत ईसा अलैहिस सलाम पर वही (अल्लाह का संदेश) हुईः

یا عیسی ادعنی دعاء الغریق الحزین الذی لیس لہ مغیث یا عیسی اطب لی قلبک و اکثر ذکری فی الخلوات واعلم ان سروری ان تبصبص الی وکن فی ذلک حیا ولا تکن میتا واسمعنی منک صوتا حزینا ( ۲ ) ۔

या ईसा अदइनी दुआअल गरीक अलहज़ीने अल्लज़ी लईस लहू मोगीसो या ईसा अतीब ली कल्बक व अक्सीर ज़िक्री फि खल्वाते वआलम इन्न सरुरी इन तबस्बसो इला वकनी फी ज़ालेक हइयन वला तकुन मइतन वअसमअनी मिन्क सौतन हज़ीनन।

ऐ ईसा , मुझे इस तरह पुकारो जिस तरह दरिया में ग़र्क होने वाला पुकारता है और उसकी कोई फ़रियाद नहीं सुनता , ऐ ईसा अपने दिल को मेरे लिये ज़लील व रुसवा करो , और तन्हाई में मुझे बहुत ज़्यादा याद करो , और जान लो कि मेरी खुशी इसमें है कि भक्त की सूरत में मेरे पास आओ और उन कामों में हर्ष और आनंद के साथ करो , मुर्दा और बे ध्यानी से नहीं , मेरी बारगाह में अपने रोने व गिड़गिड़ाने की आवाज़ के साथ आओ।

इमाम सादिक़ अलैहिस सलाम से रिवायत हुई है किः

”ان اللہ عزوجل کرہ الحاح الناس بعضھم علی بعض فی المسالة و احب ذلک لنفسہ ان اللہ عزوجل یحب ان یسال و یطلب ما عندہ “( ۱ ) ۔

इन्नल्लाह अज़्ज़वजल करह इल्हाहो अल्नासे बॉज़ो हुम अला बॉज़ीन फि मसअलतीन व अहब्बो ज़ालेक लेनफ्सेही इन्नल्लाह अज़्ज़वजल योहिब्बो अन योसाल व युत्लबो मा इन्दहू।

ख़ुदावन्दे आलम लोगों के एक दूसरे से मांगने और अनुरोध करने को पसंद नही करता , लेकिन अपनी बारगाह में ज़िद करने को पसंद करता है , निसंदहे ख़ुदावन्दे आलम चाहता है कि उसके बंदे उससे अपनी मांगों को तलब करें और जो उसके पास है उसको तलब करें।

दवा ए दर्द मा रा यार दानद

बली अहवाले दिल दिलदार दानद

ज़े चशमेश पुर्स अहवाले दिल आरी

ग़मे बीमार रा बीमार दानद

व गर अज़ चशमे ऊ ख्वाबी ज़े दिल पुर्स

कि हाले मस्त रा बिस्यार दानद

दवा ए दर्द आशीक दर्द बाशद

कि मर्दे इश्क दरमाने आर दानद

तबीबे आशेकान हम ईश्क बाशद

के रन्जे ख़स्तगान ग़म ख़्वार दानद

नवाए राज़ मा बुलबुल शेनासद

के हाले ज़ार रा हम , ज़ार दानद

न हर दिल ईश्क रा दर ख़ुर्द बाशद

न हर कस शीव ए इन कार दानद

ज़े खुद बेगुज़शतेई चून फैज़ बायद

के जुज़ जाबाज़ी इन्जा आर दानद।

सभ्य और योग्य लोगों के साथ उठना बैठना।

दिल के बीमारों के लिये बेहतरीन दवा , सभ्य और लायक़ इंसानों की संगत में बैठना है , यह लोग अपनी उन्नती व प्रगति के लिये कुरआने करीम की तिलावत से इश्क़ व मोहब्बत रखते हैं , यह हर हराम से परहेज़ करते हैं , पेट भर कर खाना न खाना इनका आदत है , यह लोग अपनी रातें , इबादत , उपासना , तहज्जुद (नमाज़े शब) और इताअत में बसर करते हैं , और सहर के वक्त रोने व गिड़गिड़ाने से लज़्ज़त उठाते हैं।

जी हाँ यह क़ल्ब के लिये कीमिया हैं और बीमार दिलों के लिये दवा और इलाज हैं।

यह वह लोग हैं जिनके साथ दोस्ती और मुआशेरत करने से बरकतें , नेमतें , हेदायत और करामत हासिल होती है।

आपने इस संसार में इस बात की ओर ध्यान दिया होगा कि ख़ुदावन्दे आलम ने इंसान के बदन और दुनिया की तमाम नेमतों में एक समानता और संतुलन पैदा किया है , जिस वक्त नेमतें बदन में जाती हैं और बदन के साथ फ़िट होती हैं तो वह इंसान के बदन की सलामती , स्वास्थ और फ़ायदे का सबब बनती हैं , और अगर जंगल का सख़्त काँटा , या ज़हर आलूद घास , ज़हीरीला खान वगैरह इंसान के बदन से संतुलित होती है तो वह बीमार हो जाता है , उसकी सलामती खतरे में पड़ जाती है , उसके बदन की व्यवस्था में मुश्किल पैदा हो जाती है , बदन का खून संक्रमित हो जाता है , और हज़ारों दर्द व मुसीबतें शुरु हो जाती हैं।

लायक़ संगी भी मॉद्दी नेमतों की तरह बदन से संतुलन रखता है , जब वह इंसान के बदन के नज़दीक होता है तो उसकी बुद्धि और विचार प्रगति करते है , इंसान की मानवियत (अध्यात्म) कमाल की तरफ बढ़ती है , इंसान का ईमान दृढ़ होता है , उसका अख़लाक व व्यवहार शालीन हो जाता है , आखिरकार इंसान अच्छे लोगों की संगत की ख़ूबी और बरकत से नेक और सालेह हो जाता है , और ऐसे बंदे में बदल जाता जाता है जिससे ख़ुदा खुश और राज़ी होता है।

ईरान की इस्लामी क्रातिं की सफ़लता से पहले (1356-1357 , हिजरी शम्सी) जिस समय गली कूचों में जनता तानाशाह के विरुद्ध प्रदर्शन कर रही थी , हमारे मुहल्ले का एक चौकीदार , लोगों से नाराज़ होता था और उसके पास जो भी हथियार होता था वह उससे क्रांति कारियों पर हमला करता था , इस्लामी क्रांति के शीर्ष और वरिष्ठ नेता और उन के साथियों को बुरा भला कहता था।

इस्लामी क्रांति की सफ़लता के बाद उसको भी गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया , एक मुद्दत तक जेल में रहने के बाद उसको इस्लामी कानून के तहत क्षमा कर दिया फिर उसको उसके पुराने काम पर वापस लगा दिया गया।

इस्लामी क्रांति की सफ़लता के बाद उसने अच्छे और लायक़ जवानों की संगर इख़्तेयार की जिसके नतीजे में उनकी संगत प्रभावित साबित हुई , उसने अपने गुज़श्ता गुनाहों से तौबा की और इस्लाम से नज़दीक हो गया , जब ईरान और ईराक की जंग शुरु हुई तो वह सबसे पहले जंग पर गया और ख़ुदा की राह में जंग करता हुआ शहीद हो गया।

योग्य और लायक़ दोस्त , सिर्फ दुनिया ही में बरकत और रहमत का सबब नहीं बनते बल्कि आख़ेरत में भी इंसान को स्वर्ग की तरफ ले जाते हैं।

इब्ने अब्बास जो कि कुरआने करीम की तफ़सीर (व्याख्या) में अमीरुल मोमिनीन अली अलैहिस सलाम के बेहतरीन छात्र हैं।

یوم ندعوا کل اناس بامامھم “ ( ۱ )

यौम नदअऊ कुल्लो अनासीन बे इमामेहिम।

(उस दिन को याद करो) जब हम हर गिरोह को उसके इमाम और मार्गदर्शक के साथ बुलायेंगे।

की तफ़सीर में फरमाते हैः जब क़यामत आयेगी तो ख़ुदावन्दे आलम हिदायत के इमाम और तक़वा व परहेज़गारी की अलामत अमीरुल मोमनीन , इमाम हसन और इमाम हुसैन अलैहिमुस्सलाम को बुलायेगा , फिर उनसे कहेगाः आप लोग ख़ुद और आपकी बातों का अनुसरण करने वाले सेरात से गुज़र जायें और बिना हिसाब किताब के स्वर्ग में प्रवेश कर जायें , उसके बाद फ़िस्क़ व फुजूर व बुराईयों के मार्गदर्शकों (ख़ुदा की कसम इन्हीं में से एक यज़ीद है) को बुलायेगा और कहेगाः अपनी पैरवी करने वालों का हाथ पकड़ो और बग़ैर हिसाब को नर्क की आग की ओर में चले जाओ।