क़ायमे आले मोहम्मद अबुल क़ासिम हज़रत इमाम मोहम्मद मेहदी (अ.स.) साहेबुज़्ज़मान

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क़ायमे आले मोहम्मद अबुल क़ासिम हज़रत इमाम मोहम्मद मेहदी (अ.स.) साहेबुज़्ज़मान लेखक:
कैटिगिरी: इमाम मेहदी (अ)

क़ायमे आले मोहम्मद अबुल क़ासिम हज़रत इमाम मोहम्मद मेहदी (अ.स.) साहेबुज़्ज़मान

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

लेखक: मौलाना नजमुल हसन करारवी
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क़ायमे आले मोहम्मद अबुल क़ासिम हज़रत इमाम मोहम्मद मेहदी (अ.स.) साहेबुज़्ज़मान
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क़ायमे आले मोहम्मद अबुल क़ासिम हज़रत इमाम मोहम्मद मेहदी (अ.स.) साहेबुज़्ज़मान

क़ायमे आले मोहम्मद अबुल क़ासिम हज़रत इमाम मोहम्मद मेहदी (अ.स.) साहेबुज़्ज़मान

लेखक:
हिंदी

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

अलामते ज़हूरे मेहदी (अ.स.) के मुताअल्लिक़ अरबाबे अस्मत के इरशादात

इमाम मेहदी (अ.स.) के ज़हूर से पहले बेशुमार अलामात ज़ाहिर होंगे। फिर आखि़र में आपका ज़हूर होगा। मग़रिब व मशरिक़ पर आपकी हुकूमत होगी। ज़मीन खुद ब खुद तमाम दफ़ाएन (ज़मीन के ख़ज़ाने) उगल देगी। दुनियां की कोई ऐसी ज़मीन न बाक़ी रहेगी जिसको आप आबाद न कर दें। अलामाते ज़हूर में यह चन्द हैं:

1. औरतें मरदों के मुशाबेह होगीं। 2. मर्द औरतों जैसे होगें। 3. औरतें ज़ीन जैसी चीज़ें , घोड़े , साईकिलों , स्कूटरों , करों वग़ैरा पर सवारी करने लगेंगी। 4. नमाज़ जान बूझ कर क़ज़ा की जाने लगेगी। 5. लोग ख़ाहिशाते नफ़सानी की पैरवी करने लगेंगे। 6. क़त्ल करना मामूली चीज़ समझा जायेगा। 7. सूद का ज़ोर होगा। 8. ज़िना आम होगा। 9. अच्छी अच्छी इमारतें बहुत बनेगीं। 10. झूठ बोलना हलाल समझा जायेगा। 11. रिश्वत आम होगी। 12. शहवते नफ़सानी की पैरवी की जायेगी। 13. दीन को दुनिया के बदले बेचा जायेगा। 14. अज़ीज़दारी की परवाह न होगी। 15. अहमक़ों को आमिल बनाया जायेगा। 16. बुर्दबारी को बुज़दिली व कमज़ोरी पर महमूल किया जायेगा। 17. ज़ुल्म फ़ख़्र के तौर पर किया जायेगा। 18. बादशाह व उमरा फ़ासिक़ो फ़ाजिर होंगे। 19. वज़ीर झूठ बोलेंगे। 20. अमानत दार ख़ाएन होंगे। 21. हर एक मद्दगार ज़ुल्म परवर होगा। 22. क़ारीयाने क़ुरआन फ़ासिक़ होंगे। 23. ज़ुल्म व जौर आम होगा। 24. तलाक़ बहुत ज़्यादा होंगी। 25. फ़िसक़ो फ़ुजूर नुमायाँ होंगे। 26. फ़रेबी की गवाही क़ुबूल की जायेगी। 27. शराब नोशी आम होगी। 28. इग़लाम बाज़ी का ज़ोर होगा। 29. सिहक़ , यानी औरतें , औरतों के ज़रिए शहवत की आग बुझाएंगी। 30. माले ख़ुदा व रसूल (स अ व व ) को माले ग़नीमत समझा जायेगा। 31. सदक़ा व ख़ैरात से नाजायज़ फ़ायदा उठाया जायेगा। 32. शरीरों की ज़बान के ख़ौफ़ से नेक बन्दे ख़ामोश रहेंगे। 33. शाम से सुफ़ियानी का ख़ुरूज होगा। 34. यमन से यमानी बरामद होगा। 35. मक्के और मदीने के दरमियान ब मक़ाम ‘‘ लुद ’’ ज़मीन धंस जायेगी। 36. रूकन और मक़ाम के दरमियान आले मोहम्मद की एक मोअजि़्ज़ज़ फ़र्द क़त्ल होगी।(नुरूल अबसार पृष्ठ 155 मुद्रित मिस्र) 37. बनी अब्बास में शदीद एख़्तेलाफ़ होगा। 38. 15 शाबान को सूरज गरहन और इसी माह के आखि़र में चाँद गरहन होगा। 39. ज़वाल के वक़्त आफ़ताब अस्र के वक़्त तक क़ाएम रहेगा। 40. मग़रिब से आफ़ताब निकलेगा। 41. नफ़से ज़किया और सत्तर (70) सालेहीन का क़त्ल। 42. मस्जिदे कूफ़ा की दीवार ख़राब व बरबाद कर दी जायेगी। 43. ख़ुरासान की जानिब से सियाह (काले) झंडे बरामद होंगे। 44. मिस्र में एक मग़रेबी का ज़हूर होगा। 45. तुर्क जज़ीरे में होंगे। 46. रोम रमले में पहुँच जायेंगे। 47. मशरिक़ में एक सितारा निकलेगा जिसकी रौशनी मग़रिब तक फ़ैलेगी। 48. एक सुरखी ज़ाहिर होगी जो आसमान और सूरज पर गा़लिब आ जायेगी। 49. मशरिक़ से एक ज़बरदस्त आग भड़केगी जो तीन या सात रोज़ बाक़ी रहेगी और बरवायत शिब्लन्जी पृष्ठ 21 , वह आग मग़रिब तक फैल कर आलम को तहस नहस कर देगी। 50. अरब मुख़तलिफ़ बलाद पर क़ाबू पा लेंगे और अजम के बादशाह को मग़लूब कर देगें। 51. मिस्री अपने बादशाह और हाकिम को क़त्ल कर देंगे। 52. शाम तबाह व बरबाद हो जायेगा। 53. क़ैस व अरब के झंड़े मिस्र पर लहराएगें। 54. ख़ुरासान पर बनी कन्दा का परचम लहरायेगा। 55. फ़रात का पानी इस दरजा चढ़ जायेगा कि कूफ़े के गली कूचों में पानी होगा। 56. 60 , अद्द मुद्दीयाने नबूवत ज़ाहिर होंगे। 57. 13 नफ़र औलादे अबू तालिब से दावाए इमामत करेंगे। 58. बनी अब्बास का एक अज़ीम शख़्स ब मुक़ाम हलवलाद ख़ानक़ैन नज़रे आतश किया जायेगा। 59. बग़दाद में ख़रक़ जैसा पुल बनाया जायेगा। 60. सियाह आंधी का आना। 61. ज़लज़लों का आना। 62. अकसर मक़ामात पर ज़मीन का धंस जाना। 63. नागहानी मौतों का ज़्यादा होना। 64. जानो माल व समरात (फ़लों) की तबाही। 65. चींटीयों और टिड्डियों की कसरत जो खेती को खा जायें। 66. ग़ल्ले का कम उगना। 67. आपसी कुश्तो ख़ून की कसरत। 68. अपने सरदारो से लोगों का नाफ़रमान होना। 69. अपने सरदारों को क़त्ल करना। 70. बाज़ गिरोह का सुअर और बन्दर की सूरत में मसख़ होना। 71. आसमान से एक आवाज़ का आना जिसे तमाम अहले ज़मीन सुनेंगे। 72. आसमानी आवाज़ का हर ज़बान बोलने वाले के कान में उसी की ज़बान में पहुँचना। 73. बाज़ सूरतों का मक़ामे ऐन अल शम्स में ज़ाहिर होना। 74. 24 , चौबीस बारीशों का पै दर पै होना। 75. ज़मीन का ज़िन्दा हो कर अपने तमाम मालूमात ज़ाहिर करना।(कशफ़ल ग़म्मा पृष्ठ 134 ) 76. अच्छाई और बुराई एक नज़र से देखी जायेगी। 77. बुराई का हुक्म अपनी औलाद को दिया जायेगा और अच्छाई से रोका जायेगा। 78. लालच की वजह से बातिन ख़राब हो जायेंगे। 79. ख़ौफ़े ख़ुदा दिल से निकल जायेगा। 80. क़ुरआन का सिर्फ़ निशान रह जायेगा। 81. मस्जिदें आबाद मगर हिदायत से ख़ाली होंगी। 82. फ़ोक़हा फ़ितना परवर होंगे। 83. औरतों से मशवेरा लिया जायेगा। 84. गुनाह खुल्लम खुल्ला किया जायेगा। 85. बद अहदी आम होगी। 86. औरतों को तिजारत में शरीक किया जायेगा। 87. ज़लील तरीन शख़्स क़ौम का सरदार होगा। 88. गाने वालियों का ज़ोर होगा। 89. उस ज़माने के लोग अगलों पर बिला वजह लानत करेंगे। 90. झूठी गवाही दी जायेगी। 91. हक़ ख़त्म हो जायेगा। 92. क़ुरआन एक कोहना (पुरानी) किताब समझी जायेगी। 93. दीन अन्धा कर दिया जायेगा। 94. बदकारी ऐलान के साथ की जायेगी। 95. फ़िसक़ो फ़ुजूर में जिसकी मदह की जायेगी ख़ुश होगा। 96. लड़के औरतों की तरह उजरत पर इस्तेमाल होंगे। 97. मासियत पर माल ख़र्च करने वालों को टोका न जायेगा। 98. हमसाया हमसाये को अज़ीयत देगा। 99. नेकी का हुक्म करने वाला ज़लील होगा। 100. नेकी के रास्ते छोड़ दिये जायेंगे। 101. बैतुल्लाह मोअत्तल कर दिया जायेगा। 102. औरतें अन्जुमनें क़ायम करेंगी। 103. मर्द औरतों की तरह कंघी करेंगे। 104. मर्दों को शर्मगाहों का मुआवज़ा मिलेगा। 105. मोमिन से ज़्यादा साहेबे माल की इज़्ज़त होगी। 106. औरतें अपने शौहरों को मर्दों के साथ बद फ़ेली पर मजबूर करेंगी। 107. औरतों की दलाली करने वाले मोअज़्ज़ज़ समझे जायेंगे। 108. मोमिन ग़मगीन और ज़लील होगा। 109. हराम को हलाल किया जायेगा। 110. दीन में खुदराई की जायेगी। 111. गुनाह के लिये परदाए शब की ज़रूरत न होगी। 112. बड़े बड़े माल ख़ुदा की मासियत में सर्फ़ होंगे। 113. हुक्काम दीनदारी से दूर होंगे। 114. जज फ़ैसले में रिश्वत लेंगे। 115. हराम औरतों से ज़िना किया जायेगा , जैसे माँ बहनें। 116. मर्द अपनी जौजा की हराम कमाई खायेगा। 117. औरतें अपने मर्दों पर हुकूमत करेंगी। 118. मर्द अपनी जोजा और लोंडी को किराये पर चढ़ायेगा। 119. शरीफ़ को ज़लील समझा जायेगा। 120. हुक्काम में उसकी इज़्ज़त होगी जो आले मोहम्मद (स अ व व ) को बुरा कहेगा। 121. कु़रआन पढ़ना और सुन्ना बार होगा। 122. चुग़लखोरी आम होगी। 123. ग़ीबत को अच्छा समझा जायेगा। 124. हज और जेहाद ख़ुदा के लिये नहीं दीगर मक़ासिद के लिये किया जायेगा। 125. बादशाह यानी बर सरे इक़्तेदार तबक़ा मोमिन को काफ़िर के लिये ज़लील करेगा। 126. वीराना आबादी से बदल जायेगा। 127. नाप तोल में कमी लोंगो का ज़रिए माश होगा। 128. लोग रियासत तलबी के लिये अपने को बदज़बानी में मशहूर करेंगे ताकि ख़ौफ़ के मारे हुकूमत उनके सिपुर्द कर दी जाये। 129. नमाज़ बिल्कुल हलकी और बेअहमियत कर दी जायेगी। 130. माले कसीर के बावजूद ज़कात न दी जायेगी। 131. मय्यत क़ब्र से निकालीं जायेगी। 132. क़ब्र से कफ़न चुरा कर बेचा जायेगा। 133. इन्सान सुबह शाम नशे में होगा। 134. चोपायो के साथ बदफ़ेली की जायेगी। 135. चौपाए चौपायों को फाड़ खायेंगे। 136. लोग जानमाज़ पर बरहैना जायेंगे। 137. लोगों के क़ुलूब सख़्त हो जायेंगे। 138. लोगों की आंखें बेहयाई करेंगी। 139. ज़िक्रे ख़ुदा लोगों पर बार होगा। 140. माले हराम आम होगा। 141. नमाज़ सिर्फ़ दिखावे के लिये पढ़ी जायेगी। 142. फ़क़ीह दीन के सिवा दूसरे कामों के लिये फ़िक़ा हासिल करेंगे। 143. लोग ग़ासिब का साथ देंगे। 144. हलाल रोज़ी कमाने वाले की मज़म्मत की जायेगी। 145. तालिबे हराम की मदाह की जायेगी। 146. हरमैन शरीफ़ैन में ऐसे अमल होंगे जो मन्शाए ख़ुदा वन्दी के खि़लाफ़ होंगे। 147. आलाते ग़िना (गाने बजाने की चीज़ें) मक्के व मदीने में आम हों जायेंगी। 148. हक़ की हिदायत को मना किया जायेगा। 149. लोग एक दूसरे की तरफ़ देखेंगे और अहले शहर उनकी इक़्तेदा करेंगे चाहे वह कुछ करें। 150. नेकी के रास्ते ख़ाली हो जायेंगें। 151. मय्यत का मज़हका़ उड़ाया जायेगा। 152. हर साल बुराईयों मे ईज़ाफ़ा होगा। 153. मजलिस में सिर्फ़ माल दार की इज़्ज़त की जायेगी। 154. फ़क़ीरों को मज़हक़े के तौर पर माल दिया जायेगा। 155. आसमानी मख़ादफ़ से कोई ख़ौफ़ न खायेगा। 156. मर्द और औरतें सब के सामने ख़्वाहिशाते नफ़सानी की आग बुझायेंगे। 157. अपनी इज़्ज़त के ख़ौफ़ से कोई शरीफ़ किसी को रोक टोक न सकेगा। 158. मासियत में माल ख़ुशी से सर्फ़ किया जायेगा लेकिन ख़ुदा की राह में बिल्कुल न दिया जायेगा। 159. वालेदैन की तरफ़ से औलाद को आक़ करना आम हो जायेगा। 160. वालेदैन अपनी औलाद की निगाह में सुबुक़ होंगे। 161. औलाद अपने वालेदैन पर इफ़तेरा करने में ख़ुशी महसूस करेगी। 162. औरतें मुल्क व हुकूमत पर गा़लिब हो जायेंगी। 163. फ़रज़न्द अपने बाप पर बोहतान बांधेगा। 164. लड़का माँ बाप पर बद दुआ करेगा। 165. फ़रज़न्द माँ बा पके जल्द मरने की तमन्ना करेगा। 166. इंसान जिस दिन कोई गुनाह न करेगा उस दिन ग़मगीन रहेगा। 167. बादशाह गरानी के लिये ग़ल्ला रोकेगा। 168. आइज़्ज़ा का माल फ़रेब से तक़सीम किया जायेगा। 169. जुआ खेला जायेगा। 170. शराब के ज़रिये से मरीज़ों का इलाज किया जायेगा। 171. अच्छाई और बुराई दोनों की तलक़ीन बराबर हैसियत रखेगी। 172. मुनाफ़िक़ और दुश्मने ख़ुदा की हवा बंधेगी और अहले हक़ मक़हूर (बे इज़्ज़त) रहेंगे। 173. उजरत ले कर अज़ान कही जायेगी और ऐवज़ ले कर नमाज़ पढ़ाई जायेगी। 174. ख़ुदा से न डरने वाले मस्जिदों पर क़ाबिज़ होंगे। 175. मस्जिदों में न अहल जमा हो कर ग़िबतें करेंगे। 176. बद मस्त रसमी तौर पर जमाअत में खड़े हो कर नमाज़ पढ़ेंगे। 177. यतीमों का माल खाने वाले की मदह की जायेगी। 178. क़ाज़ी हुक्मे ख़ुदा के खि़लाफ़ फ़ैसला करेगा। 179. हुक्काम लालच की वजह से ख़ाइनों पर भरोसा करेंगे। 180. मीरास बदकारी में सर्फ़ की जायेगी। 181. मिम्बर पर तक़वे का ज़िक्र किया जायेगा लेकिन वाएज़ ख़ुद अमल नहीं करेगा। 182. नमाज़ के अवक़ात की परवाह न की जायेगी। 183. सदक़ा व ख़ैरात ख़ुशनूदिये ख़ुदा के लिये नहीं सिर्फ़ सिफ़ारिश पर दिया जायेगा। 184. इन्सान का मक़सूदे हयात सिर्फ़ पेट पालना और ऐश करना होगा। 185. हक़ की निशानियां मिट जायेंगी। 186. भाई भाई से हसद करेगा। 187. अपने दोस्तों के साथ ख़यानत की जायेगी। 188. दिलों में ज़हर की तरह तकब्बुर दौड़ जायेगा। 189. ज़ोहद ख़त्म हो जायेगा। 190. लोगों की शक्लें इन्सानी और दिल शैतानी हो जायेंगे। 191. उनकी उम्रें क़लील और उनकी तमन्नाएं कसीर होंगी।(बेहारूल अनवार जिल्द 13 पृष्ठ 174 मुद्रित ईरान) 192. कनीज़ों से मशविरे किये जायेंगे। 193. बच्चे मिम्बरों पर बैठेंगे। 194. ऐसे हाकिम होंगे कि जब उनसे कोई बात करेगा तो क़त्ल कर दिया जायेगा। 195. हुक्काम शुरफ़ा के माल को अपना माल समझेंगे। 196. औरतों की आबरू रेज़ी करेंगे। 197. कुछ चीज़ें मशरिक़ से और कुछ मग़रिब से लाई जायेंगी जिनसे उम्मत का इम्तेहान किया जायेगा। 198. मस्जिद नक़शों निगार से मुज़अय्यन की जायेगी। 199. कु़रआन मजीद सजाये जायेंगे। 200. मस्जिदों की मिनारें बलन्द बनाई जायेंगी। 201. मर्द सोना इस्तेमाल करेंगे। 202. रेशमी कपड़े पहनेगें। 203. चीते की खाल का फ़र्श बनायेंगे। 204. सूद ख़ोरी ज़ाहिर बज़ाहिर होगी। 205. हदे शरई न की जायेगी। 206. शरीर अफ़राद हाकिम होंगे। 207. मालदार तफ़रीह के लिये , ग़रीब दिखाने के लिये मुतवसित तिजारत के लिये हज करेंगे। 208. क़ुरआन मजीद सुर से पढ़ा जायेगा। 209. वल्द अज़ ज़ेना की कसरत होगी। 210. ख़ुशामद बहुत ज़्यादा राएज होगी। 211. लिबास पर फ़ख़रो मुबाहात किया जायेगा। 212. उमरा शतरन्ज खेलेंगे। 213. क़ारियाने क़ुरआन और अब्बाद एक दूसरे पर लानत करेंगे। 214. मालदार फ़ख़ीरों से दूर भागेंगे। 215. मुल्की नज़्म व नस्क़ में वह लोग दख़ील होंगे जिनको उससे हिस व मिस न होगा। 216. ज़मीने ऐतिराफ़ से धंस जायेंगी।(तफ़सीर अली बिन इब्राहीम क़ुम्मी पृष्ठ 229 ) 217. दरिन्दें इन्सानों से बाते करने लगेंगे। 218. लोंगो से उनके कोड़े और जूते कलाम करने लगेंगे। 219. इन्सान की राने बोलने लगेंगी और वह इसके घर के लोगों ने जो कुछ किया होगा घर के मालिक को बताने लगेगी।(नियाबुल मोवद्दता पृष्ठ 431 बहवाला तिरमिज़ी) 220. सुफ़यानी , ख़ुरासानी , यमानी का ख़ुरूज एक ही दिन , एक ही महीना , एक ही साल में होगा। 221. हुकूमते शाम , हमस महतसकीन , अरदन कफ़ससरीन पर ग़ालिब आ जायेगी। 222. तूफ़ान का ज़ोर होगा। 223. वादी याबिस से ‘‘ इब्ने आक़लातुल अकबाद ’’ खुरूज करेंगे। 224. मोमेनीन का इम्तेहान ख़ौफ़ , जू अन्कस अमवाल , नक़श , समरात से होगा। 225. शाम का ‘‘ क़रिया ’’ जाबीह ज़मीन में धंस जायेगा। 226. क़त्ले नफ़से ज़किया के 15 दिन बाद इमाम मेहदी (अ.स.) का ज़हूर होगा।(आलम अलवरा तबरसी पृष्ठ 262 मुद्रित बम्बई 1312 हिजरी) 227. दुनियां में झगड़े बखेड़े बेइन्तेहां होंगे। 228. नए नए फ़ितने पैदा होंगे। 229. आमदो रफ़्त के रास्ते बन्द हों जायेंगे। 230. लोग एक दूसरे को लूटने लगेगें।(अरजहुल मतालिब पृष्ठ 472 ) 231. मर्दों की कमी और औरतों की ज़्यादती होगी। 232. हेजाज़ से आग निकलेगी। 233. मस्जिदों से(लाऊड स्पीकर वग़ैरा के ज़रिये से) आवाज़ें बुलन्द होंगी। 234. रेशमी लिबास मर्द पहनने लगेगें। 235. मशरिक़ मग़रिब जज़ीराए अरब में ज़मीन धंस जायेंगी। 236. यमन और अदन से आग भड़कने लगेगी।(मिशक़ात पृष्ठ 461 ) 237. अच्छे लोग ख़त्म हो जायेंगे और बुरों की कसरत होगी। 238. मुक़द्देराते इलाही की मुख़ालेफ़त आम होगी। 239. माल के लाने ले जाने वाले चोरी करेंगे। 240. हराम ख़ोरी आम होगी। 241. गरानी हद से बढ़ जाएगी। 242. दरिया ख़ुश्क हो जायेंगे। 243. बारिश बन्द हो जायेगी। 244. अहले बरबर ज़र्द झंडे ले कर मिस्र पहुँच जायेंगे। 245. सख़र की औलाद से एक शख़्स खुरूज करेगा। 246. बर सरे आम औरतों की छातियों से खेला जायेगा। 247. सफ़ेद पिंडलियों की औरतें सड़कों पर बरैहना मिलेगी। 248. एक यमनी बादशाह हसन नामी यमन से खुरूज करेगा। 249. हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) फ़रमाते हैं क़ुरसे आफ़ताब (सूरज के गोले) के क़रीब आसमान पर एक हाथ ज़ाहिर होगा। 250. हज का रास्ता बन्द कर दिया जायेगा। 251. मर्दों से बदफ़ेली के लिये ताक़तवर ग़िजा़ए खाई जायेंगी। 252. दौलत के ज़ोर से हुकूमत हासिल की जायेगी। 253. झूठी क़सम खाना फ़ैशन में दाखि़ल होगा। 254. ज़ख़ीरा अन्दोज़ी होगी। 255. मस्जिदे बरासा जो जंगे नहरवान के बाद हज़रत अली (अ.स.) ने राहिब ज़रिये से बनाई थी , तबाह कर दी जायेगी। 256. क़ज़वैन में एक काफ़िर की अज़ीम हुकूमत होगी। 257. तकरीत से एक शख़्स ‘‘ औफ़ सलमा ’’ नामी ख़ुरूज करेगा। 258. मक़ामे क़रक़िया में जंगे अज़ीम होंगी। 259. तुर्क मैदाने जंग में उतर आयेंगे। 260. अहले नाक़ूस नसारा की हुकूमते आलम पर छा जायेंगे। 261. इस्लामी मुमालिक में बेशुमार कलीसे बनाये जायेंगे।(किताब अल वसाएल अलहाज मोहम्मद अली पृष्ठ 207 मुद्रित बम्बई 1329 हिजरी) 262. औरतें ऊंट के कोहान की तरह सर के बाल बनाएंगी। 263. औरतें ऐसे कपड़े पहनेंगी कि बरैहना मालूम होंगी। 264. औरतें ज़ीनत कर के बाहर निकला करेंगी।(बेहारूल अनवार) 265. लड़के लम्बे बाल रखेंगे। 266. बेवकूफ़ तफ़रीह के लिये इस्तेमाल किये जायेंगे। 267. मस्जिदें ख़ूबसूरत बनाई जायेंगी। 268. बड़ी बड़ी इमारतें बनाई जायेंगी। 269. क़हवे की मुख़्तलिफ़ क़िस्में इस्तेमाल होंगी। 270. लोग सवारियों से टकरा कर मरेंगे। 271. लोग रात में सोयेंगे और सुबह को मुर्दा होंगे। 272. रोयते हिलाल पर इख़्तेलाफ़ होंगे। 273. लोग आलाते ग़िना जेब में रख कर घूमा करेंगे। 274. हिन्द तिब्बत की वजह से तबाह होगा और तिब्बत की तबाही चीन की वजह से होगी।(मनाक़िब) 275. मिस्र में अमीर अल आमरा का क़याम होगा। 276. अरबो की हुकूमत छिन जायेगी।(कशफ़ुल ग़म्मा) 277. अदन की गहराई से आग निकलेगी।(रिसालाए ग़ैबत तूसी पृष्ठ 281 ) 278. दुनियां में हबशियों की हुकूमत क़ायम हो जायेंगी। 279. शाम में चीनी घुस जायेंगे तब ज़हूर होगा।(इलजा़म अल निसाब पृष्ठ 183 )

हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) का ज़हूर मौफ़ूरुल सुरूर

हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) के ज़हूर से पहले जो अलामात जा़हिर होंगी उनकी तकमील के दौरान ही में नसारा फ़तेह ममालिके आलम का इरादा कर के उठे खड़े होंगे और बेशुमार ममालिक पर क़ाबू हासिल करने के बाद उन पर हुक्मरानी करेंगे। इसी ज़माने में अबू सुफ़ियान की नस्ल से एक ज़ालिम पैदा होगा जो अरब व शाम पर हुक्मरानी करेगा। इसकी दिली तमन्ना यह होगी की सादात के वजूद से मुमालिके मीरूसा ख़ाली कर दिये जायें और नस्ले मोहम्मदी का एक फ़रज़न्द भी बाक़ी न रहे। चुनान्चे वह सादात को निहायत बेदर्दी से क़त्ल करेगा। फिर इसी असना में बादशाहे रोम को नसारा के एक फ़िरक़े से ज़ग करना पड़ेगी शाहे रोम एक फ़िरक़े को हमवार बना कर दूसरे फ़िरक़े से जंग करेगा और शहर क़ुसतुनतुनयां पर क़ब्ज़ा कर लेगा। क़ुसतुनतुनियां का बादशाह वहां से भाग कर शाम में पनाह लेगा , फिर वह नसारा के दूसरे फ़िरक़े की मुवावनत से फ़िरक़ये मुख़लिफ़ के साथ नर्बद आज़मा होगा। यहां तक कि इस्लाम को ज़बर दस्त फ़तेह नसीब होगी। फ़तेह इस्लाम के बवजूद नसारा शोहरत देंगे कि ‘‘ सलीब ’’ ग़ालिब आयेगी उस पर नसारा और मुसलमानों मे जंग होगी और नसारा ग़ालिब आजायगें। बादशाहे इस्लाम क़त्ल हो जायेगा और मुल्के शाम पर भी नसारा का झंडा लहराने लगेगा और मुसलमानों का क़त्ले आम होगा। मुसलमान अपनी जान बचा कर मदीने की तरफ़ कूच करेंगे और नसारा अपनी हुकूमत को वुस्अत देते हुए ख़ैबर तक पहुँचेंगे। इस्लामियां आलम के लिये कोई पनाह न होगी। मुसलमान अपनी जान बचाने से आजिज़ होंगे। उस वक़्त वह गिरोह सारे आलम में मेहदी (अ.स.) को तलाश करेंगे , ताकि इस्लाम महफ़ूज़ रह सके और उनकी जानें बच सकें और अवाम ही नहीं मुल्क के कुतुब , अबदाल और औलिया , जुस्तजू में मशग़ूल व मसरूफ़ होंगे नागाह आप मक्का ए मोअज़्ज़मा में रूकनव मक़ाम के दरमियान से बरामद होंगे।(क़यामत नामा क़दो तह अल मोहद्देसीन शाह रफ़ीउद्दीन देहलवी पृष्ठ 3 मुद्रित पेशावर 1926 0 ) उलमाए फ़रीक़ैन का कहना है कि आप क़रिया ‘‘ क़रआ ’’ से रवाना हो कर मक्कए मोअज़्ज़मा से ज़हूर फ़रमाएंगे।

(ग़ाएतल मक़सूद पृष्ठ 165, नूरूल अबसार पृष्ठ 154 )

अल्लामा कुन्जी शाफ़ई और अली बिन मोहम्मद साहब किफ़ायतुल अस्र का ब हवाला अबू हुरैरा बयान करते हैं कि हज़रत सरवरे कायनात (स अ व व ) ने इरशाद फ़रमाया है कि इमाम मेहदी (अ.स.) क़रया (क़रआ) (जो मदीने से बतरफ़ मक्का तीस मील के फ़ासले पर वाक़े है(मजमुअल बहरैन पृष्ठ 435 ) निकल कर मक्का ए मोअज़्ज़मा से ज़हूर करेंगे , वह मेरी ज़िरा पहने होगे। मेरी तलवार लगाए होंगे और मेरा अमामा बांधे होंगे। उनके सर पर अब्र का साया होगा और मलक आवाज़ देता होगा यही इमाम मेहदी (अ.स.) हैं इनकी इत्तेबा करो। एक रवायत में है कि जिब्राईल आवाज़ देगें और ‘‘ हवा ’ ’ इसको सारी कायनात में पहुँचा देगी और लोग आपकी खि़दमत मे हाज़िर होंगे।(ग़ाएतुल मक़सूद पृष्ठ 165 )

लुग़ाते सरवरी पृष्ठ 530 में है कि आप क़स्बाए ख़ैरवाँ से ज़हूर फ़रमाएंगे। मासूम का फ़रमान है कि इमाम मेहदी (अ.स.) के ज़हूर के मुताअल्लिक़ किसी का कोई वक़्त मोअय्यन करना फ़िल हक़ीक़त अपने आप को इल्में ग़ैब में ख़ुदा का शरीक क़रार देना है। वह मक्के में बे ख़बर ज़हूर करेंगे , उनके सर पर ज़र्द रंग का अमामा होगा। बदन पर रिसालत मआब (स अ व व ) की चादर और पाँव में उन्हीं की नालैने मुबारक होगी। वह अपने सामने चन्द भेड़ें रखेंगे। कोई उन्हें पहचान न सकेगा और उसी हालत में यको तन्हा बग़ैर किसी रफ़ीक़ के काबातुल्लाह में आ जायेंगे। जिस वक़्त आलम सियाहिए शब की चादर ओढ़ लेगा और लोग सो जायेंगे उस वक़्त मलाएका सफ़ ब सफ़ उतरेंगे और हज़रत जिब्राईल व मीकाईल उन्हें नवेदे इलाही सुनाएंगे , कि उनका हुक्म तमाम दुनियां पर जारी व सारी है। यह बशारत पाते ही इमाम मेहदी (अ.स.) शुक्रे ख़ुदा बजा लाऐंगे और रूकने हजरे असवद और मक़ामे इब्राहीम के दरमियान खड़े हो कर बा आवाज़े बुलन्द निदा देंगे कि ऐ वह गिरोह जो मेरे मख़सूसों और बुज़ुर्गों से हो और वह लोग जिनको हक़ तआला ने रूए ज़मीन पर मेरे ज़ाहिर होने से पहले मेरी मद्द के लिये जमा किया है ‘‘ आजाओ ’’ यह निदा हज़रत के उन लोगों तक ख़्वाह वह मशरिक़ में हैं या मग़रिब में पहुँच जायेगी , और वह लोग यह आवाज़ सुन कर चश्मे ज़दन में हज़रत के पास जमा हो जायेंगे। यह लोग 313 होंगे और नक़ीबे इमाम कहलाएंगे। उसी वक़्त एक नूर ज़मीन से आसमान तक बलन्द होगा जो सफ़े दुनियां में हर मोमिन के घर में दाखि़ल होगा। जिससे उनकी तबीयतें मसरूर हो जायेंगी मगर मोमिनीन को मालूम न होगा कि इमाम (अ.स.) का ज़हूर हुआ है। सुबह इमाम (अ.स.) मय उन 313 अशख़ास (लोगों) के जो रात को उन के पास जमा हो गये थे काबे में खड़े होंगे और दीवार से तकिया लगा कर अपना हाथ खोलेंगे जो मूसा (अ.स.) के यदे बैज़ा के मानिन्द होगा और कहेंगे कि जो कोई इस हाथ पर बैयत करेगा वह ऐसा है गोया उसने ‘‘ यद अल्लाह ’’ पर बैयत की। सब से पहले जिब्राईल शरफ़े बैयत से मुशर्रफ़ होंगे। इनके बाद मलायका बैयत करेंगे। फिर मुक़द्दम अल ज़िक्र नुक़बा 313 बैयत से मुशर्रफ़ होंगे। इस हलचल और इज़देहाम में मक्के में तहलका मच जायेगा और लोग हैरत ज़दा हो कर हर सिम्त से इस्तेफ़सार करेंगे कि यह कौन शख़्स है। यह तमाम वाक़ेयात तुलूए आफ़ताब से पहले सर अन्जाम हो जायेंगे फिर जब सूरज चढ़ेगा तो कु़रसे आफ़ताब के सामने एक मुनादी करने वाला ज़ाहिर होगा और बाआवाज़े बलन्द कहेगा जिसको साकेनाने ज़मीनो आसमान सुनेंगे कि ‘‘ ऐ गिरोह ख़लाएक़ यह मेहदी आले मोहम्मद (स अ व व ) हैं इनकी बैयत करो फिर मलाएक और 313 आदमी तसदीक़ करेंगे और दुनिया के हर गोशे से ज़ूक दर ज़ूक आपकी ज़्यारत के लिये रवाना हो जायेंगे और आलम पर हुज्जत क़ायम हो जायेगी। इसके बाद दस हज़ार अफ़राद बैयत करेंगे और कोई यहूदी और नसरानी बाक़ी न छोड़ा जायेगा सिर्फ़ अल्लाह का नाम होगा और इमाम मेहदी (अ.स.) का काम होगा। जो मुख़ालेफ़त करेगा उस पर आसमान से आग बरसे गी और उसे ख़ाक इसतर कर देगी।(नूरूल अबसार , इमाम शिब्लन्जी , शाफ़ेई पृष्ठ 155, आलामुल वुरा पृष्ठ 264 )

उलेमा ने लिखा है कि 27 मुख़लेसीन आपकी खि़दमत में कूफ़े से इस क़िस्म के पहुँच जायेंगे जो हाकिम बनाए जायेंगे। जिनके असमा , किताब ‘‘ मुन्तख़ब बसाएर ’’ यह हैं। यूशा बिन नून , सलमान फ़ारसी , अबू दजाना अन्सारी , मिक़दाद बिन असवद , मालिके अशतर और क़ौमे मूसा के 15 अफ़राद और सात असहाबे कहफ़।(आलामुल वुरा पृष्ठ 264, इरशाद मुफ़ीद पृष्ठ 216 )

अल्लामा अब्दुल रहमान जामी का कहना है कि कुतब , अबदाल , अरफ़ा सब आपकी बैयत करेंगे। आपकी जानवरों की ज़बान से भी वाक़िफ़ होंगे और आप इंसानों व जिनों में अदल व इंसाफ़ करेंगे।(शवाहेदुन नबूवत पृष्ठ 216 )

अल्लामा तबरीसी का कहना है कि आप हज़रते दाऊद (अ.स.) के उसूल पर अहकाम जारी करेंगे। आपको गवाह की ज़रूरत न होगी। आप हर एक के अमल से ब इल्हामे ख़ुदा वन्दी वाक़िफ़ होंगे।(आलामुल वुरा पृष्ठ 264 )

इमाम शिब्लन्जी शाफ़ेई का बयान है कि जब इमाम मेहदी (अ.स.) का ज़हूर होगा तो तमाम मुसलमान ख़वास और अवाम ख़ुश व मसरूर हो जायेंगे। उनके कुछ वज़रा होंगे जो आपके अहकाम पर लोगों से अमल कराऐंगे।(नूरूल अबसार पृष्ठ 153 बहवाला फ़तूहाते मक्किया)

अल्लाम हल्बी का कहना है कि असहाबे कहफ़ आप के वज़रा होंगे।(सीरते हल्बिया)

हमूयनी का बयान है कि आपके जिस्म का साया न होगा।(ग़ायत अल मक़सूद जिल्द 2 पृष्ठ 150 )

हज़रत अली (अ.स.) का फ़रमान है कि अन्सार व असहाब इमाम मेहदी (अ.स.) ख़ालिस अल्लाह वाले होंगे।(अरजहुल मतालिब पृष्ठ 469 ) और आपके गिर्द इस तरह लोग जमा हो जायेंगे जिस तरह शहद की मक्खी अपने ‘‘ यासूब ’’ बादशाह के गिर्द जमा हो जाती हैं।(अरजहुल मतालिब पृष्ठ 469 )

एक रवायत में है कि ज़हूर के बाद आप सब से पहले कूफ़े तशरीफ़ ले जायेंगे और वहां के कसीर अफ़राद क़त्ल करेंगे।

इमाम मेहदी (अ.स.) का सिने ज़हूर

ख़ल्लाक़े आलम ने पांच चीजो का इल्म अपने लिये मख़सूस रखा है जिनमें एक क़यामत भी है।(क़ुरआने मजीद) ज़हूरे इमाम मेहदी (अ.स.) चूंकि लाज़मए क़यामत से है लेहाज़ा इसका इल्म भी ख़ुदा ही को है कि आप कब ज़हूर फ़रमाऐंगे। कौन सी तारीख़ होगी , कौन सा सन् होगा। ताहम अहादीसे मासूमीन (अ.स.) जो इल्हाम और कु़रआन से मुसतम्बित होती हैं उनमें इशारे मौजूद हैं। अल्लामा शेख़ मुफ़ीद , अल्लामा सैय्यद अली , अल्लामा तबरेसी , अल्लामा शिब्लन्जी रक़म तराज़ हैं कि हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) ने इसकी वज़ाहत फ़रमाई है कि आप ताक़ सन् में ज़हूर फ़रमाऐंगे जो 1 , 3 , 5 , 7 , 9 , से मिल कर बनेगा मसलन 1300 , 1500 , 1700 , 1900 या 1000 , 3000 , 5000 , 7000 , 9000 , इसी के साथ ही साथ आपने फ़रमाया है कि आपके इस्मे गेरामी का ऐलान बज़रिए जनाबे जिब्राईल (अ.स.) 23 तारीख़ को कर दिया जायेगा और ज़हूर यौमे आशूरा होगा जिस दिन इमाम हुसैन (अ.स.) ब मुक़ामे करबला शहीद हुए हैं।(शरह इरशाद मुफ़ीद पृष्ठ 532, ग़ायतूल मक़सूद जिल्द 1 पृष्ठ 161, आलामुल वुरा पृष्ठ 262, नूरूल अबसार पृष्ठ 155 )

मेरे नज़दीक़ ज़िल्ज्जिा की 23 तारीख़ होगी क्यो कि नफ़से ज़किया के क़त्ल और ज़हूर में 15 रातों का फ़ासला होना मुसल्लम है। इमकान है कि क़त्ले नफ़से ज़किया के बाद ही नाम का ऐलान कर दिया जाय फिर उसके बाद ज़हूर हो।

मुल्ला जव्वाद साबाती का कहना है कि इमाम मेहदी (अ.स.) यौमे जुमा बवक़्ते सुबह बतारीख़ 10 मोहर्रमुल हराम 7100 हिजरी में ज़हूर फ़रमाऐंगे।(ग़ाएतुल मक़सूद पृष्ठ 161 ब हवाला बराहीने साबतीया)

इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) का इरशाद है कि इमाम मेहदी (अ.स.) का ज़हूर बवक़्ते अस्र होगा और वही असराय ‘‘ वल अस्र इन्नल इंसाना लफ़ी ख़ुसरिन ’’ से मुराद है।

शाह नेमत अल्लाह वली काज़मी अल मतूफ़ी 827 हिजरी(मजालिसे मोमेनीन पृष्ठ 276 ) जो शायर होने के अलावा आलिम और मुनज्जिम भी थे। आपको इल्मे जाफ़र में भी दख़्ल था। आपने अपनी मशहूर पेशीन गोई में 1380 हिजरी का हवाला दिया है जिसका ग़लत होना साबित है क्यों कि 1393 हिजरी है। (वल इल्म इन्दल्लिाह) (क़यामत नामा क़ुदवतुल मोहद्देसीन शाह रफ़ीउद्दीन पृष्ठ 38 )

ज़हूर के वक़्त इमाम (अ.स.) की उम्र

यौमे विलादत से ता बा ज़हूर आपकी क्या उम्र होगी ? इसे तो ख़ुदा ही जाने , लेकिन यह मुसल्लेमात से है कि जिस वक़्त आप ज़हूर फ़रमायेंगे मिसले हज़रते ईसा (अ.स.) आप चालीस साला जवान की हैसियत में होंगे।(आलामुल वुरा पृष्ठ 265 व ग़ायतुल मक़सूद पृष्ठ 76 पृष्ठ 119 )

आपका अलम

हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) के अलम पर ‘‘ अल बकीयतुल्लाह ’’ लिखा होगा और आप अपने हाथों पर ख़ुदा के लिये बैयत लेंगे और कायनात में सिर्फ़ दीने इस्लाम का परचम लहरायेगा।(यनाबिउल मोवद्दता पृष्ठ 434 )

ज़हूर के बाद

ज़हूर के बाद हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) काबे की दीवार से टेक लगा कर खडे होंगे। अब्र(बादल) का साया आपके सरे मुबारक पर होगा। आसमान से आवाज़ आती होगी ‘‘ यही इमाम मेहदी (अ.स.) हैं ’’ इसके बाद आप एक मिम्बर पर जलवा अफ़रोज़ होंगे। लोगो को ख़ुदा की तरफ़ दावत देंगे और दीने हक़ की तरफ़ आने की सब को हिदायत फ़रमायेंगे। आपकी तमाम सीरत पैग़म्बरे इस्लाम की सीरत होगी और उन्हीं के तरीक़े पर अमल पैरा होंगे। अभी आपका ख़ुत्बा जारी होगा कि आसमान से जिब्राईल और मीकाईल आ कर बैयत करेंगे। फिर मलाएक ए आसमानी की आम बैयत होगी। हज़ारों मलाएका की बैयत के बाद वह 313 मोमेनीन बैयत करेंगे जो आपकी खि़दमत में हाज़िर हो चुके होंगे। फिर आम बैयत का सिलसिला शुरू होगा। दस हज़ार अफ़राद की बैयत के बाद आप सब से पहले कूफ़े तशरीफ़ ले जायेंगे और दुश्मनाने आले मोहम्मद का गला क़मा करेंगे। आपके हाथ में असाए मूसा होगा। जो अज़दहे का काम करेगा और तलवार हेमाएल होगी।(अयनुल हयात मजलिसी पृष्ठ 92 )

तवारीख़ में है कि जब आप कूफ़े पहुँचेंगे तो कई हज़ार का एक गिरोह आपकी मुख़ालफ़त के लिये निकल पडे़गा और कहेगा हमें बनी फ़ात्मा की ज़रूरत नहीं , आप वापस जाइये , यह सुन कर तलवार से उनका क़िस्सा पाक कर देंगे और किसी को भी ज़िन्दा न छोड़ेंगे। जब कोई भी दुश्मनें आले मोहम्मद और मुनाफ़िक़ वहां बाकी़ न रहेगा तो आप एक मिम्बर पर तशरीफ़ ले जायेंगेक और वाक़िया ए करबला का ज़िक्र करेंगे यानी मजलिसे हुसैन (अ.स.) पढ़ेंगे। उस वक़्त लोग महवे गिरया हो जायेंगे और कई घंटे तक रोने का सिलसिला जारी रहेगा। फिर आप हुक्म देंगे कि मशहदे हुसैन (अ.स.) तक नहरे फ़ुरात काट कर लाई जाये और एक मस्जिद की तामीर की जाये , जिसके एक हज़ार दर हों चुनान्चे ऐसा ही किया जायेगा। इसके बाद आप ज़्यारते सरवरे कायनात के लिये मदीनए मुनव्वरा तशरीफ़ ले जायेंगे।

(आलामुल वुरा पृष्ठ 263 इरशाद मुफ़ीद पृष्ठ 532 नूरूल अबसार पृष्ठ 155 )

क़ुदवतुल मोहद्देसीन शाह रफ़ीउद्दीन रक़म तराज़ हैं कि हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) जो इल्मे लदुन्नी से भर पूर होंगे जब मक्के से आपका ज़हूर होगा और उस ज़हूर की शोहरत अतराफ़ व अकनाफ़े आलम में फैलेगी तो अफ़वाज़ मदीना व मक्का आपकी खि़दमत में हाज़िर होगी और शाम व ईराक़ व यमन के अब्दाल और औलिया खि़दमत शरीफ़ में हाज़िर होंगे और अरब की फ़ौजे जमा हो जायेंगी। आप उन तमाम लोगों को उस ख़ज़ाने से माल देंगे जो काबे से बरामद होगा और मुक़ामे ख़जा़ना को ‘‘ ताजुल काबा ’’ कहते होंगे। इसी असना में एक शख़्स ख़ुरासानी अज़ीम फ़ौज ले कर हज़रत की मदद के लिये मक्के मोअज़्ज़मा को रवाना होगा। रास्ते में इस लशकरे ख़ुरासानी के मुक़द्देमा अल जैश के कमान्डर मन्सूर से नसरानी फ़ौज की टक्कर होगी और ख़ुरासानी लशकर नसरानी फ़ौज को पसपा कर के हज़रत की खि़दमत में पहुँच जायेगा।

इसके बाद एक शख़्स सुफ़ियानी जो बनी कल्ब से होगा हज़रत से मुक़ाबले के लिये लशकरे अज़ीम इरसाल करेगा लेकिन बहुक्मे ख़ुदा जब वह लशकरे मक्काए मोअज़्ज़मा और काबाए मुनव्वरा के दरमियान पहुँचेगा और पहाड़ में क़याम करेंगा जो ज़मीन में वहीं धंस जायेगा। फिर सुफ़ियानी जो दुशमनों आले मोहम्मद होगा नसारा से साज़ बाज़ कर के इमाम मेहदी (अ.स.) से मुक़ाबले के लिये ज़बर दस्त फ़ौज फ़राहम करेगा। नसरानी और सुफ़ियानी फ़ौज के अस्सी निशान होंगे और निशान के नीचे 12000 की फ़ौज होगी। उनका दारूल खि़लाफ़ा शाम होगा। इमाम मेहदी (अ.स.) भी मदीनाए मुनव्वरा होते हुए जल्द से जल्द शाम पहुँचेंगे। जब आप का वरूदे मसऊद दमिशक़ में होगा तो दुश्मने आले मोहम्मद और सुफ़ियानी और दुशमने इस्लाम नसरानी आप से मुक़ाबले के लिये सफ़ आरा होंगे। इस जंग में फ़रीक़ैन के बे शुमार अफ़राद क़त्ल होंगे। बिल आखि़र इमाम (अ.स.) का फ़तेह कामिल होगी और एक नसरानी भी ज़मीने शाम पर बाक़ी न रहेगा। उसके बाद इमाम (अ.स.) अपने लशकरियों में इनाम तक़सीम करेंगे और उन मुसलमानों को मदीनए मुनव्वरा से वापस बुला लेगे जो नसरानी बादशाह के ज़ुल्म व जौर से आजिज़ आ कर शाम से हिजरत कर गये थे।(क़यामत नामा पृष्ठ 4 )

इसके बाद आप मक्काए मोअज़्ज़मा वापस तशरीफ़ ले जायेंगे और मस्जिदे सहला में क़याम फ़रमायेंगे।(इरशाद पृष्ठ 533 )

इसके बाद मस्जिदुल हराम को अज़ सरे नो बनायेंगे और दुनिया की तमाम मसाजिद को शरई उसूल पर कर देंगे , हर बिदअत को ख़त्म कर देंगे और हर सुन्नत को क़ायम करेंगे। निज़ामे आलम दुरूस्त करेंगे और शहरों में फ़ौजें इरसाल करेंगे। इन्सेराम व इन्तेज़ाम के लिये वज़रा रवाना होंगे।(आलामुल वुरा पृष्ठ 262 पृष्ठ 264 )

इसके बाद आप मोमेनीन , कामेलीन और काफ़रीन को ज़िन्दा करेंगे और इस ज़िन्दगी का मक़सद यह होगा कि मोमेनीन इस्लामी उरूज से ख़ुश हों और काफ़ेरीन से बदला लिया जाये। इन ज़िन्दा किये जाने वालों में का़बिल से ले कर उम्मते मोहम्मदिया के फ़राना तक ज़िन्दा किये जायेंगे और उनके किये का पूरा पूरा बदला उन्हें दिया जायेगा। जो जो ज़ुल्म उन्हीं ने किये उनका मज़ा चखेंगे। ग़रीबों मज़लूमों और बे कसों पर जो ज़ुल्म हुआ है उसकी , ज़ालिम को सज़ा दी जायेगी। सब से पहले जो वापस लाया जायेगा वह यज़ीद बिन माविया मलऊन होगा और इमाम हुसैन (अ.स.) तशरीफ़ लायेंगे।(ग़ायत अल मक़सूद)

दज्जाल और उसका ख़ुरूज

दज्जाल दजल से मुश्तक़ है (बना है) जिसके मानी फ़रेब के हैं। इसका असल नाम साएफ़ , बाप का नाम साएद , माँ का नाम काहेता उर्फ़ क़तामा है। यह अहदे रिसालत माआब (स अ व व ) में बमक़ामे तौहा जो मदीना ए मुनव्वरा से तीन मील के फ़ासले पर वाक़े है चहार शम्बे के दिन बवक़्ते ग़ुरूबे आफ़ताब पैदा हुआ है। पैदाईश के बाद आन्न फ़ान्न बढ़ रहा था उसकी दाहिनी आँख फूटी थी और बाई आँख पेशानी पर चमक रही थी। वह चन्द दिनों में काफ़ी बढ़ कर दावाए ख़ुदाई करने लगा। सरवरे कायनात (स अ व व ) जो हालात से बराबर मुत्तला हो रहे थे उन्होंने सलमाने फ़ारसी और चन्द असहाब को लिया और बमक़ामे तीहा जा कर उसको तबलीग़ करना चाही , उसने बहुत बुरा भला कहा और चाहा कि हज़रत पर हमला कर दे , लेकिन आप के असहाब ने मदाफ़ेअत की , आपने उससे यह फ़रमाया था कि ख़ुदाई का दावा छोड़ दे और मेरी नबूवत को मान ले। उलेमा ने लिखा है कि दज्जाल की पेशानी पर ब ख़त्ते यज़दानी ‘‘ अल काफ़िर बिल्लाह ’’ लिखा हुआ था और आँख के ढेले पर भी (काफ़ , फ़े , रे) मरक़ूम था। ग़रज़ कि आपने वहां से मदीना ए मुनव्वरा वापस तशरीफ़ लाने का इरादा किया। दज्जाल ने एक संगे गरां (बहुत बड़ा पत्थर) जो पहाड़ के मानिन्द था हज़रत की राह में रख दिया। यह देख कर हज़रत जिब्राईल (अ.स.) आसमान से आये और उसे हटा दिया। अभी आप मदीने पहुँचे ही थे कि दज्जाल लशकरे अज़ीम ले कर मदीने के क़रीब जा पहुँचा। हज़रत ने बारगाहे अहदियत में अर्ज़ की , ख़ुदाया इसे उस वक़्त तक के लिये महबूस कर दे , जब तक इसे ज़िन्दा रखना मक़सूद है। इसी दौरान में जनाबे जिब्राईल आये और उन्होंने दज्जाल की गरदन को पुश्त की तरफ़ से पकड़ कर उठा लिया और उसे ले जा कर जज़ीरा ए तबरिस्तान में महबूस (क़ैद) कर दिया। लतीफ़ा यह है कि जिब्राईल उसे ले कर जाने लगे तो उसने ज़मीन पर दोनो हाथ मार कर तहतुल शरह तक की दो मुठ्ठी खा़क ले ली और उसे तबरिस्तान में डाल दिया। जिब्राईल (अ.स.) ने सरवरे कायनात (स अ व व ) के जवाब में कहा कि आपकी वफ़ात से 960 साल बाद यह खा़क आलम मे फैले गी और उसी वक़्त से आसारे क़यामत शुरू हो जायेंगे।(ग़ायतल मक़सूद पृष्ठ 64, इरशाद अल तालेबैन पृष्ठ 394 )

पैग़म्बरे इस्लाम का इरशाद है कि दज्जाल को मबहूस होने के बाद तमीम दारमी ने जो पहले नसरानी था जज़ीरा ए तबरिस्तान में ब चश्मे खुद देखा है। उसकी मुलाक़ात की तफ़सील किताब सियाह अल मसाबिह , ज़हरतुल रियाज़ , सही बुख़ारी , सही मुस्लिम में मौजूद है।

ग़रज़ कि अकसर रवायात के मुताबिक़ दज्जाल हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) के ज़हूर फ़रमाने के 18 यौम बाद ख़ुरूज करेगा।(मजमऊल बहरैन पृष्ठ 560 व ग़ायतल मक़ूसद जिल्द 2 पृष्ठ 69 ) ज़हूरे इमाम (अ.स.) और खुरूजे दज्जाल से पहले तीन साल तक सख़्त कहत पडे़गा। पहले साल एक बटे तीन बारिश और एक बटे तीन ज़राएत ख़त्म हो जायेगी। दूसरे साल आसमान व ज़मीन की बरकत व रहमत ख़त्म हो जायेगी। तीसरे साल बिल्कुल बारिश न होगी और सारी दुनियां वाले मौत की आग़ोश में पहुँचने के क़रीब हो जायेंगे। दुनियां ज़ुल्म व जौर , इज़तेराब व परेशानी से बिल्कुल पुर होगी। इमाम मेहदी (अ.स.) के ज़हूर के बाद 18 दिन में कायनात निहायत अच्छी सहत पर पहुँची हो गी कि नागाह दज्जाल मलऊन के खुरूज का गुलग़ुला उठेगा। वह बरवायत अखवन्द दरवीज़ा हिन्दोस्तान के एक पहाड़ पर नमूदार होगा और वहां से ब आवाज़े बलन्द कहेगा ‘‘ मैं खुदाए बुज़ुर्ग हू ’’ मेरी इताअत करो। यह आवाज़ मशरिक़ व मग़रिब में पहुँचेगी। उसके बाद तीन यौम या बरवायत 40 यौम इसी मुक़ाम पर रह कर लश्कर तैयार करेगा। फिर शाम व ईराक़ होता हुआ अस्फ़ाहान के एक क़रये ‘‘ यहूदिया ’’ से ख़ुरूज करेगा। उसके हमराह बहुत बड़ा लश्कर होगा जिसकी तादाद 70 ,00 ,000 (सत्तर लाख) मरक़ूम है। जिन , देव , परी , शैतान इनके अलावा होंगे। वह एह गधे पर सवार होगा। जो अबलक़ रंग का होगा। उसके जिस्म का बालाई हिस्सा सुर्ख़ , हाथ पाँव ताज़ा नौ सियाह उसके बाद से सुम तक सफ़ैद होगा। उसके दोनों कानों के दरमियान 40 मील का फ़ासला होगा। वह 21 मील ऊँचा और 90 मील लम्बा होगा। उसका हर क़दम एक मील का होगा। उसके दोनों कानों में ख़ल्के़ कसीर बैठी होगी। चलने में उसके बालों से हर क़िस्म के बाजों की आवाज़ आयेगी। वह उसी गधे पर सवार होगा। सवारी के बाद जब वह रवाना होगा तो उसके दाहिने तरफ़ एक पहाड़ होगा जो हमराह चलता रहेगा। उसमें नहरें , मेवा जात और हर क़िस्म की नेमते होंगी , और बाईं जानिब एक पहाड़ होगा जिसमें हर क़िस्म के सांप बिच्छू होंगे। वह लोगों को उन्हीं चीज़ों के ज़रिये से बहकायेगा और कहेगा कि मैं खु़दा हूँ। जो मेरा हुक्म मानेगा जन्नत में रखूगा जो न मानेगा उसे जहन्नुम में डाल दूंगा। इसी तरह चालीस दिन में सारी दुनियां का चक्कर लगा कर और सब को बहका कर इमाम मेहदी (अ.स.) की इस्कीम को नाकामयाब बनाने की सई कोशिश में ख़ानाए काबा को गिराना चाहेगा और एक अज़ीम लश्कर भेज कर काबे और मदीने को तबाह करने पर मामूर करेगा और खुद कूफ़े के लिये रवाना होगा। उसका मक़सद यह होगा कि कूफ़ा जो इमाम मेहदी (अ.स.) की आमाजगाह है उसे तबाह कर दे। ‘‘ चूँ आन लईन नज़दीक़ कूफ़ा बरसदे इमाम मोहम्मद मेहदी (अ.स.) बइसतेसाले ओ बरसद ’’ लेकिन ख़ुदा का करना देखिये कि जब वह कूफ़े के क़रीब पहुँचेगा जो हज़रत इमाम मोहम्मद मेहदी (अ.स.) ख़ुद वहां पहुँच जायेंगे और उसे ब हुक्मे खुदा जड़ से उखाड़ देंगे। ग़रज़ कि घमासान की जंग होगी और शाम तक फैले हुए लश्कर पर इमाम मेहदी (अ.स.) ज़बरदस्त हम ले करेंगे बिल आखि़र वह मलऊन आपकी ज़रबों की ताब न ला कर शाम के मक़ामे ‘‘ उक़बाए रफ़ीक़ ’’ या बमक़ाम ‘‘ लुद ’’ जुमे के दिन तीन घड़ी दिन चढे़ मारा जायेगा। उसके मरने के बाद दस मील तक दज्जाल और उसके गधे और लश्कर का ख़ून ज़मीन पर जारी रहेगा। उलेमा का कहना है कि क़त्ले दज्जाल के बाद इमाम (अ.स.) उसके लशकरियों पर एक ज़बरदस्त हमला करेंगे और सब को क़त्ल कर डालेंगे। उसे जो काफ़िर ज़मीन के किसी हिस्से में छुपे गा , वह आवाज़ देगा कि फ़लां काफ़िर यहां छुपा हुआ है इमाम (अ.स.) उसे क़त्ल कर देंगे। आखि़र कार ज़मीन पर कोई दज्जाल का मानने वाला न रहेगा।(इरशाद अल तालेबीन पृष्ठ 397 ) ग़ायतल मक़सूद जिल्द 2 पृष्ठ 71 , ऐनुल हयात पृष्ठ 126 , किताब अल वसाएल पृष्ठ 181 , क़यामत नामा पृष्ठ 7 , माअरफ़ुल मिल्लता पृष्ठ 328 , सही मुस्लिम , लम्आते शरह मिशक़ात अब्दुल हक़ , मरक़ात , शरह मिशक़ात मजमउल बेहार)

बाज़ रवायात में है कि दज्जाल को हज़रते ईसा (अ.स.) बहुक्मे हज़रते इमाम मेहदी (अ.स.) क़त्ल करेंगे।

नुज़ूले हज़रते ईसा(अ स )

हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) सुन्नत के का़यम करने और बिदअत के मिटाने नीज़ इनसेराम व इन्तेज़ामे आलम में मशग़ूल व मसरूफ़ होंगे कि एक दिन नमाज़े सुबह के वक़्त बरवायते नमाज़े अस्र के वक़्त हज़रते ईसा (अ.स.) दो फ़रिश्तों के कंधो पर हाथ रखे हुए दमिश्क़ की जामे मस्जिद के मिनारए शरक़ी पर नुज़ूल फ़रमायेगें। हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) उनका इस्तेक़बाल करेंगे और फ़रमायेंगे कि आप नमाज़ पढ़ाइये हज़रते ईसा कहेंगे कि यह नामुम्किन है नमाज़ आपको पढ़ानी होगी चुनान्चे हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) इमामत करेंगे और हज़रत ईसा (अ.स.) उनके पीछे नमाज़ पढ़ेंगे और उनकी तसदीक़ करेंगे।(नूरूल अबसार पृष्ठ 154 ग़ायत अल मक़सूद पृष्ठ 104 से 154, बहवालाए मुस्लिम व इब्ने माजा , मिशक़ात पृष्ठ 458 ) उस वक़्त हज़रते ईसा (अ.स.) की उम्र चालीस साला नौजवान जैसी होगी। वह इस दुनियां में शादी करेंगे और उनके दो लड़के पैदा होंगे एक नाम अहमद और दूसरे का नाम मूसा होगा।(असआफ़ुल राग़ीबैन , बर हाशिया नूरूल अबसार पृष्ठ 135, क़यामत नामा , पृष्ठ 9, बहवालाए किताबुल वफ़ा इब्ने जोज़ी व मिशक़ात पृष्ठ 465 व सिराजुल कु़लूब पृष्ठ 77 )

इमाम मेहदी (अ.स.) और ईसा इब्ने मरियम का दौरा

इसके बाद हज़रत इमाम मेहदी (अ.स.) और हज़रते ईसा (अ.स.) बलाद मुमालिक का दौरा करने और हालात का जायज़ा लेने के लिये बरामद होंगे और दज्जाल मलऊन के पहुँचाये हुये नुक़सानात और उसके पैदा किये हुये बदतरीन हालात को बेहतरीन सतह पर लायेंगे। हज़रते ईसा (अ.स.) ख़न्जीर के क़त्ल करने , सलीबों को तोड़ने और लोगों के इस्लाम क़ुबूल करने का इन्सेराम व बन्दोबस्त फ़रमायेंगे। अदले मेहदवी से बलादे आलम में इस्लाम का डंका बजेगा और ज़ुल्म व सित्म का तख़्ता तबाह हो जायेगा।(क़यामत नामा क़ुदवतुल मोहद्देसीन पृष्ठ 8 बहवाला सही मुस्लिम)