रमज़ानुल मुबारक की दुआऐ

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रमज़ानुल मुबारक की दुआऐ कैटिगिरी: दुआ व ज़ियारात

रमज़ानुल मुबारक की दुआऐ

यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.

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रमज़ानुल मुबारक की दुआऐ

रमज़ानुल मुबारक की दुआऐ

हिंदी

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रमज़ानुल मुबारक की दुआऐ

अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

दुआऐ या अलीयो या अज़ीम

दुआऐ या अलीयो या अज़ीम

तरजुमा

तलफ्फुज़

يا عَلِيُّ يا عَظِيمُ ، يا غَفُورُ يا رَحِيمُ ، أَنْتَ الرَّبُّ العَظِيمُ الَّذِي لَيْسَ كَمِثْلِهِ شَيءٌ وَهُوَ السَمِيعُ البَصِيرُ ،

ऐ बुलन्द , ऐ अज़ीम , ऐ बख़्शने वाले , ऐ रहम करने वाले , तू अज़ीम परवरदिगार है जिसके मिस्ल कोई नही है वह सुनने वाला और देखने वाला है ,

या अलीयो , या अज़ीम , या ग़फ़ूरो या रहीम , अनतर रब्बुल अज़ीमुल लज़ी लैसा कमिसलिहि शय व हुवस समीउल बसीर ,

وَهذا شَهْرٌ عَظَّمْتَهُ وَكَرَّمْتَهُ وَشَرَّفْتَهُ وَفَضَّلْتَهُ عَلى الشُهُورِ وَهُوَ الشَّهْرُ الَّذِي فَرَضْتَ صِيامَهُ عَلَيَّ وَهُوَ شَهْرُ رَمَضانَ الَّذِي أَنْزَلْتَ فِيهِ القُرْآنَ هُدىً لِلناسِ وَبَيِناتٍ مِنَ الهُدى وَالفُرْقانِ ،

और यह वह महीना है जिसके तूने अज़मत दी करामत दी और शरफ़ और फ़ज़ीलत से नवाज़ा है दूसरे महीनों के मुक़ाबले में और यह वह महीना है जिसके रोज़े को मुझ पर फ़र्ज़ किया है और यह रमज़ान का महीना है जिस में तूने क़ुरआन को नाज़िल किया है जो लोगों के लिये हिदायत और हिदायत की निशानियां हैं और हक़ व बातिल में फ़र्क़ करने वाला है ,

व हाज़ा शहरुन अज़्ज़मतहु व कर्रमतहु व शर्रफ़तहु व फ़ज़्ज़लतहु अलश शुहूर व हुवश शहरुल लज़ी फ़रज़ता सियामहु अलैय्या व हुवा शहरो रमज़ान अल लज़ी अन्ज़लता फ़ीहिल क़ुरआन हुदैन लिन्नासे व बय्येनातिन मिनल हुदा वल फ़ुरक़ान ,

وَجَعَلْتَ فِيهِ لَيْلَةَ القَدْرِ وَجَعَلْتَها خَيْراً مِنْ أَلْفِ شَهْرٍ فَياذا المَنِّ وَلا يُمَنُّ عَلَيْكَ مُنَّ عَلَيَّ بِفَكَاكِ رَقَبَتِي مِنَ النّارِ فِي مَنْ تَمُنُّ عَلَيْهِ وَأَدْخِلْنِي الجَنَّةَ بِرَحْمَتِكَ يا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ

और इस में तूने शबे क़द्र क़रार दी है और इसके हज़ार महीने से बेहतर क़रार दिया है तू ऐ एहसान वाले ख़ुदा जिस पर किसी मे एहसान नही किया मुझ पर एहसान कर मुझ को जहन्नम से आज़ादी दिलाने के ज़रिये जिन पर तूने एहसान किया है और मुझ को अपनी रहमत से जन्नत में दाख़िल कर ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले

व जअलता फ़ीहे लैलतल क़द्र व जअलतहा ख़ैरम मिन अलफ़े शहरिन फ़याज़ल मन्ने वया युम्ननो अलैका मुन्ना अलैय्या बेफ़काके रक़बती मिनन नारे फ़ी मन तमुन्नो अलैहे व अदख़िलनिल जन्नता बे रहमतेका या अरहमर राहेमीन

रमज़ानुल मुबारक मे रोज़ाना पढ़ी जाने वाली दुआऐ

दुआ

तरजुमा

पहली रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اجْعَلْ صِيامِي فِيْهِ صِيامَ الصَّائِمِينَ، وَقِيامِي فِيْهِ قِيامَ القائِمِينَ، وَنَبِّهْنِي فِيْهِ عَنْ نَوْمَةِ الغافِلِينَ، وَهَبْ لِي جُرْمِي فِيهِ يا ألهَ العالَمِينَ، وَاعْفُ عَنِّي يا عافِيا عَنِ المُجْرِمِينَ

ख़ुदाया मेरा रोज़ा इस दिन में रोज़ादारों को रोज़े की तरह क़रार दे और मेरी नमाज़ नमाज़गुज़ारों की तरह क़रार दे और मुझ को होशियार कर दे ग़ाफ़िलों की नींद से और मेरे गुनाह को बख़्श दे ऐ आलमीन के मअबूद और मुझ को माफ़ कर दे ऐ गुनाहगारों को माफ़ करने वाले

दूसरी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ قَرِّبْنِي فِيْهِ إِلى مَرْضاتِكَ، وَجَنِّبْنِي فِيْهِ مِنْ سَخَطِكَ وَنَقِماتِكَ، وَوَفِّقْنِي فِيْهِ لِقِرأَةِ آياتِكَ، بِرَحْمَتِكَ يا أرْحَمَ الرَّاحِمِينَ

ख़ुदाया मुझ को इस दिन में अपनी मर्ज़ी से क़रीब कर और इस दिन में मुझ को अपने ग़ुस्से और अज़ाब से बचा ले और मुझ को इस में तौफ़ीक़ अता कर अपने क़ुरआन की आयतों के पढ़ने की अपनी रहमत के ज़रिये से ऐ सबसे बड़े रहम करने वाले

तीसरी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ ارْزُقْنِي فِيْهِ الذِّهْنَ وَالتَّنْبِيهَ، وَباعِدْنِي فِيْهِ مِنَ السَّفاهَةِ وَالتَّمْويهِ، وَاجْعَلْ لِي نَصِيبا مِنْ كُلِّ خَيْرٍ تُنْزِلُ فِيْهِ بِجُودِكَ، يا أَجْوَدَ الاَجْوَدِينَ

ख़ुदाया इस दिन मुझ को होश और बेदारी अता फ़रमा और मुझ को बेवक़ूफ़ी और जिहालत से दूर कर और मेरे लिये हर उस नेकी में जो तू इस रोज़ नाज़िल करेगा हिस्सा क़रार दे ऐ सबसे बड़े जूद व बख़्शिश वाले

चोथी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ قَوِّنِي فِيْهِ عَلئ إِقامَةِ أَمْرِكَ، وَأَذِقْنِي فِيْهِ حَلاوَةَ ذِكْرِكَ، وَأَوْزِعْنِي فِيْهِ لاَداءِ شُكْرِكَ بِكَرَمِكَ، وَاحْفَظْنِي فِيْهِ بِحِفْظِكَ وَسَترِكَ، يا أبْصَرَ النَّاظِرِينَ

ख़ुदाया मुझको क़ुव्वत दे इस दिन अपने अम्र अंजाम देने की और मुझको अपने ज़िक्र की शीरीनी चखा दे और मुझ को अपने शुक्र के अदा करने के लिये आमादा कर अपने करम से और मुझको अपनी हिफ़ाज़त के ज़रिये और अपनी पर्दापोशी के ज़रिये महफ़ूज़ कर ऐ सबसे ज़्यादा देखने वाले

पाँचवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اجْعَلْنِي فِيْهِ مِنْ المُسْتَغْفِرِينَ، واجْعَلْنِي فِيْهِ مِنْ عِبادِكَ الصَّالِحينَ، واجْعَلْنِي فِيْهِ مِنْ أَوْلِيائِكَ المُقَرَّبِينَ، بَرَأْفَتِكَ يا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ

ख़ुदाया मुझको इस दिन में तौबा करने वालों में से क़रार दे और मुझको अपने नेक बंदों में से क़रार दे जो तेरी इताअत करने वाले हैं और मुझको क़रार दे अपने मुक़र्रब तरीन दोस्तों में अपनी मेहरबानी से ऐ सबसे बड़े रहम करने वाले

छठी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ لاتَخْذُلْنِي فِيْهِ لِتَعَرُّضِ مَعْصِيَتِكَ، وَلا تَضْرِبْنِي بِسِياطِ نَقْمَتِكَ، وَزَحْزِحْنِيِ فِيْهِ مِنْ مُوجِباتِ سَخَطِكَ، بِمَنِّكَ وَأَيادِيكَ يا مُنْتَهى رَغْبَةِ الرَّاغِبِينَ

ऐ खुदा मुझको इस दिन मअसियत की वजह से रुसवा न करना और अपने अज़ाब के ताज़ीयाने से न मारना और मुझको दूर न कर देना अपने ग़ुस्से के मूजिबात की वजह से अपने एहसान से और नेमतों से ऐ शौक़ व रग़बत रखने वालों के इंतेहा आरज़ू

सातवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ أَعِنِّي فِيْهِ عَلى صِيامِهِ وَقِيامِهِ، وَجَنِّبْنِي فِيْهِ مِنْ هَفَواتِهِ وَآثامِهِ، وَارْزُقْنِي فِيْهِ ذِكْرَكَ بِدَوامِهِ، بِتَوْفِيقِكَ يا هادِيَ المُضِلِّينَ

ख़ुदाया तू मेरी मदद कर इस दिन के रोज़े और इबादत पर और मुझको महफ़ूज़ रख इस में लग़्ज़िशों और गुनाहों से और इस में अपने ज़िक्रे दाइम की तौफ़ीक़ दे अपनी तौफ़ीक़ से ऐ गुमराहों की रहनुमाई करने वाले

ऑठवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ ارْزُقْنِي فِيْهِ رَحْمَةَ الاَيْتامِ، وَإِطْعامَ الطَّعامِ، وَإِفْشاءَ السَّلامُ، وَصُحْبَةَ الكِرامِ، بِطَوْلِكَ يا مَلْجَأَ الامِلِينَ

ख़ुदाया इस दिन में मुझको तौफ़ीक़ अता फ़रमा यतीमों पर रहम करने भूख़ों को खाना खिलाने और इस्लाम को फैलाने और नेक लोगो को सोहबत में रहने की अपने ईनाम के ज़रिये ऐ आरज़ूमंदों की पनाहगाह

नवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اجْعَلْ لِي فِيْهِ نَصِيبا مِنْ رَحْمَتِكَ الواسِعَةِ، وَاهْدِنِي فِيْهِ لِبَراهِينِكَ السَّاطِعَةِ، وَخُذْ بِناصِيَتِي إِلى مَرْضاتِكَ الجامِعَةِ، بِمَحَبَّتِكَ يا أَمَلَ المُشْتاقِينَ

ख़ुदाया मेरे लिये इस दिन अपनी रहमत का मुकम्मल वसीअ हिस्सा क़रार दे और इस में मेरी हिदायत कर अपनी रौशन दलीलों के ज़रिये और मेरी पेशानी की अपनी जामेअ ख़ुशनूदी की जानिब ले जा अपनी मुहब्बत के ज़रिये ऐ शौक़ वालों के आरज़ू

दसवे रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اجْعَلْنِي فِيْهِ مِنْ المُتَوَكِّلِينَ عَلَيْكَ، وَاجْعَلْنِي فِيْهِ مِنْ الفائِزِينَ لَدَيْكَ، وَاجْعَلْنِي فِيْهِ مِنْ المُقَرَّبِينَ إِلَيْكَ، بِإحْسانِكَ يا غايَةَ الطَّالِبِينَ

ख़ुदाया मुझको इस में अपने ऊपर तवक्कुल करने वालों में क़रार दे और मुझको इस में अपनी बारगाह में कामयाब होने वालों में क़रार दे और मुझको इस में अपने दरबार में मुक़र्रब लोगों में क़रार दे अपने एहसान से ऐ तलब करने वालों का मक़सद

ग्यारहवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ حَبِّبْ إلى فِيْهِ الاِحْسانَ، وَكَرِّهْ إلى فِيْهِ الفُسُوقَ وَالعِصْيانَ، وَحَرِّمْ عَلَيَّ فِيْهِ السَّخَطَ وَالنِّيرانَ، بِعَوْنِكَ يا غِياثَ المُسْتَغِيثِينَ

ख़ुदाया इस दिन एहसान व नेकी को मेरे लिये महबूब कर दे और फ़िस्क़ व फ़ुजूर व इस्यान को नापसंदीदा कर दे और इस में मुझ पर ग़ुस्सा और जहन्नम को हराम क़रार दे दे अपनी मदद से ऐ फ़रियाद करने वालों के फ़रियादरस

बारहवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ زَيِّنِّي فِيْهِ بِالسِّتْرِ وَالعَفافِ، وَاسْتُرْنِي فِيْهِ بِلِباسِ القُنُوعِ وَالكَفافِ، وَاحْمِلْنِي فِيْهِ عَلى العَدْلِ وَالاِنْصافِ، وَآمِنِّي فِيْهِ مِنْ كُلِّ ما أَخافُ بِعِصْمَتِكَ يا عِصْمَةَ الخائِفِينَ

ख़ुदाया मुझको इस दिन में पर्दापोशी और पाकीज़गी से आरास्ता कर दे और मुझको क़नाअत और किफ़ायत का लिबास पहना कर छुपा दे और मुझको अद्ल व इंसाफ़ में लगा दे और मुझको महफ़ूज़ कर दे हर उस चीज़ से जिससे मैं ख़ौफ़ खाता हूं अपनी हिफ़ाज़त के ज़रिये ऐ ख़ौफ़ खाने वालों को बचाने वाले

तेरहवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ طَهِّرْنِي فِيْهِ مِنَ الدَّنَسِ وَالاَقْذارِ، وَصَبِّرْنِي فِيْهِ عَلى كائِناتِ الاَقْدارِ، وَوَفِّقْنِي فِيْهِ لِلتُّقى وَصُحْبَةِ الاَبْرارِ، بِعَوْنِكَ يا قُرَّةَ عَيْنِ المَساكِينِ

ख़ुदाया मुझको इस में गंदगी और कसाफ़त से पाक कर दे और मुझ को सब्र दे दे कायनाते कज़ा व क़द्र पर और मुझको तौफ़ीक़ दे दे तक़वे की और नेक लोगो की सोहबत की अपनी मदद से ऐ मिस्कीनों की आंख की ठंडक

चोदहवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ لا تؤاخِذْنِي فِيْهِ بِالعَثَراتِ، وَأَقِلْنِي فِيْهِ مِنَ الخَطايا وَالهَفَواتِ، وَلا تَجْعَلْنِي فِيْهِ غَرَضا لِلْبَلايا وَالآفاتِ، بِعِزَّتِكَ يا عِزَّ المُسْلِمِينَ

ख़ुदाया इस दिन मेरी लग़्ज़िशों का मुझसे मवाख़ेज़ा न कर और मेरी ख़ताओं और ग़लतियों के उज़्र को क़बूल कर ले और मुझको बला व आफ़त के तीर का निशाना न बनाना अपनी ईज़्ज़त के वास्ते से ऐ मुसलमानों को इज़्ज़त देने वाले

पंद्रहवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ ارْزُقْنِي فِيْهِ طاعَةَ الخاشِعِينَ، وَاشْرَحْ فِيْهِ صَدْرِي بِإنابَةِ المُخْبِتِينَ، بِأَمانِكَ يا أَمانَ الخائِفِينَ

ख़ुदाया इस दिन में ख़ुज़ूअ व ख़ुशूअ करने वाले बंदों की इताअत मेरा नसीब कर और मेरे सीने को इसमें कुशादा कर अपने ख़ुदा से डरने वालों की फ़ुरूतनी की तरह अपने अमान से ऐ ख़ौफ़ रखने वालों के अमान

सोलहवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ وَفِّقْنِي فِيْهِ لِمُوافَقَةِ الاَبْرارِ، وَجَنِّبْنِي فِيهِ مُرافَقَةَ الاَشْرارِ، وَآوِنِي فِيْهِ بِرَحْمَتِكَ إِلى دارِ القَرارِ، بِإِلهِيَّتِكَ يا ألهَ العالَمِينَ

ख़ुदाया मुझको इस में तौफ़ीक़ अता कर नेकूकारों की मुवाफ़ेक़त की और मुझको महफ़ूज़ रख बदकारों की रिफ़ाक़त से और अपनी रहमत से मुझको बहिश्त दारुल क़रार में जगह दे अपनी उलूहीयत के ज़रिये ऐ आलमीन के मअबूद

सत्रहवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اهْدِنِي فِيْهِ لِصالِحِ الاَعْمالِ، وَاقْضِ لِي فِيْهِ الحَوائِجَ وَالامالِ يا مَنْ لا يَحْتاجُ إِلى التَّفْسِيرِ وَالسُّؤالِ، يا عالِماً بِما فِي صُدُورِ العالَمِينَ صَلِّ عَلى مُحَمَّدٍ وَآلِهِ الطِّاهِرِينَ

ख़ुदाया इसमें मेरी हिदायत फ़रमा नेक आमाल के लिये और इसमें मेरी हाजतों और उम्मीदों को बर ला , ऐ वह ज़ात जो तफ़सीर और सवाल की मोहताज नही है ऐ वह ख़ुदा जो मख़लूक़ के दिलों में पोशिदा राज़ों को जानने वाला है दुरुद नाज़िल फ़रमा मुहम्मद और उनकी पाकीज़ा आल पर

अठारवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ نَبِّهْنِي فِيْهِ لِبَرَكاتِ أَسْحارِهِ، وَنَوِّرْ فِيْهِ قَلْبِي بِضِياءِ أَنْوارِهِ، وَخُذْ بِكُلِّ أَعْضائِي إِلى اتِّباعِ آثارِهِ، بِنُورِكَ يا مُنِّورَ قُلُوبِ العارِفِين

ख़ुदाया मुझको इसमें बेदार रख उसकी सहर की बरकतों के लिये और उसमें मेरे दिल को नूरानी कर उसके नूर से और मेरे तमाम आज़ा व जवारेह को उसके आसार व बरकात के लिये मुसख़्ख़र कर अपने नूर के ज़रिये ऐ मारेफ़त वालों के दिलों को रौशन करने वाले

उनीसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ وَفِّرْ فِيْهِ حَظِّي مِنْ بَرَكاتِهِ، وَسَهِّلْ سَبِيلِي إِلى خَيْراتِهِ، وَلا تَحْرِمْنِي قَبُولَ حَسَناتِهِ، يا هادِيا إِلى الحَقِّ المُبِينِ

ख़ुदाया इसमें मेरे लिये उसकी बरकत ज़्यादा कर और मेरे लिये राह आसान कर उसकी नेकियों की तरफ़ और मुझको महरुम न कर उसकी नेकियों के क़बूल करने से ऐ दीने हक़ की जानिब रहनुमाई करने वाले

बीसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ افْتَحْ لِي فِيْهِ أَبْوابَ الجِنانِ، وَأَغْلِقْ عَنِّي فِيْهِ أَبْوابَ النِّيْرانِ، وَوَفِّقْنِي فِيْهِ لِتِلاوَةِ القُرْآنِ، يا مُنْزِلَ السَّكِينَةِ فِي قُلُوبِ المُؤْمِنِينَ

ख़ुदाया मेरे लिये इस दिन में जन्नत के दरवाज़ों को खोल दे और मेरे ऊपर बंद कर दे जहन्नम के दरवाज़ों को और मुझको इसमें क़ुरआने मजीद की तिलावत की तौफ़ीक़ दे ऐ मोमिनों के दिलों में सुकून नाज़िल करने वाले

इकीसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اجْعَلْ لِي فِيْهِ إِلى مَرْضاتِكَ دَلِيلا، وَلا تَجْعَلْ لِلْشَّيْطانِ فِيْهِ عَلَيَّ سَبِيلاً وَاجْعَلْ الجَنَّةَ لِي مَنْزِلاً وَمَقِيلاً، يا قاضِيَ حَوائِج الطَّالِبِينَ

ख़ुदाया मेरे लिये इसमें अपनी मर्ज़ी का जानिब रहनुमाई क़रार दे और मुझ पर शैतान के लिये राह न क़रार दे और जन्नत को मेरे लिये मंज़िल और मक़ाम क़रार दे ऐ तलबगारों की हाजतों को पूरा करने वाले

बाईसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ افْتَحْ لِي فِيْهِ أَبْوابَ فَضْلِكَ، وَأَنْزِلْ عَلَيَّ فِيْهِ بَرَكاتِكَ، وَوَفِّقْنِي فِيْهِ لِمُوجِباتِ مَرْضاتِكَ، وَأَسْكِنِّي فِيْهِ بَحْبُوحاتِ جَنَّاتِكَ، يا مُجِيبَ دَعْوَةِ المُضْطَرِّينَ

ख़ुदाया इस दिन मेरे लिये अपने फ़ज़्ल के दरवाज़े खोल दे और मुझ पर अपनी बरकतें नाज़िल फ़रमा और मुझको इस में तौफ़ीक़ दे अपनी मर्ज़ी के असबाब की और जन्नत के बीचोबीच मेरा मसकन क़रार दे ऐ परेशान लोगों की दुआओं के क़बूल करने वाले

तेइसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اغْسِلْنِي فِيْهِ مِنَ الذُّنُوبِ، وَطَهِّرْنِي فِيْهِ مِنَ العُيُوبِ، وَامْتَحِنْ قَلْبِي فِيْهِ بِتَقْوى القُلُوبِ، يا مُقِيلَ عَثَراتِ المُذْنِبِينَ

ख़ुदाया मुझको इसमें गुनाहों से पाकीज़ा कर दे और ऐबों से साफ़ कर दे और मेरे दिल का इम्तेहान तक़वे के ज़रिये लेकर मरतबा अदा कर दे ऐ गुनाहगारों की लग़्ज़िशों के माफ़ करने वाले

चोबीसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ فِيْهِ ما يُرْضِيكَ، وَأَعُوذُ بِكَ مِمّا يُؤْذِيكَ، وَأَسْأَلُكَ التَّوْفِيقَ فِيْهِ لاَنْ اُطِيعَكَ وَلا أَعْصِيكَ، يا جَوادَ السَّائِلِينَ

ख़ुदाया मैं तुझसे सवाल करता हूं इसमें उस चीज़ का जो तुझको पसंद हो और मैं तेरी पनाह चाहता हूं उससे जो तुझको अज़ीयत दे और मैं तुझसे सवाल करता हूं तौफ़ीक़ का ताकि मैं तेरी इताअत करूं और मअसीयत न करूं ऐ सवाल करने वालों को अता करने वाले

पचीसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اجْعَلْنِي فِيْهِ مُحِبّا لاَوْلِيآئِكَ، وَمُعادِيا لاَعْدائِكَ، مُسْتَنّا بِسُنَّةِ خاتَمِ أَنْبِيائِكَ، يا عاصِمَ قُلُوبِ النَّبِيِّينَ

ख़ुदाया मुझको इस में अपने दोस्तों का दोस्त और अपने दुश्मनों का दुश्मन क़रार दे और अपने ख़ातिमुल अंबिया की सुन्नत का पाबंद बना दे ऐ पैग़म्बरों के दिलों की हिफ़ाज़त करने वाले

छबीसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اجْعَلْ سَعْيِي فِيْهِ مَشْكُوراً، وَذَنْبِي فِيْهِ مَغْفُوراً، وَعَمَلِي فِيْهِ مَقْبُولاً، وَعَيْبِي فِيْهِ مَسْتُوراً، يا أسْمَعَ السَّامِعِينَ

ख़ुदाया मेरी कोशिश को इसमें मक़बूल बना दे और मेरे गुनाहों को बख़्श दे और अमल को मक़बूल कर दे और मेरे ऐब को पोशिदा कर दे ऐ सबसे ज़्यादा सुनने वाले

सत्ताईसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ ارْزُقْنِي فِيْهِ فَضْلَ لَيْلَةِ القَدْرِ، وَصَيِّرْ اُمُورِي فِيْهِ مِنَ العُسْرِ إِلى اليُسْرِ، وَاقْبَلْ مَعاذِيرِي، وَحُطَّ عَنِّي الذَّنْبَ وَالوِزْرَ، يا رَؤُوفاً بِعِبادِهِ الصَّالِحِينَ

ख़ुदाया इस में शबे क़द्र की फ़ज़ीलत मेरे हिस्से में क़रार दे और मेरे उमूर को मुश्किल से आसानी की तरफ़ ले जा और मेरे उज़्र को क़बूल कर ले और मेरे गुनाह और बोझ को ख़त्म कर दे ऐ अपने नेक बंदो पर मेहरबान

अठाईसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ وَفِّرْ حَظِّي فِيْهِ مِنَ النَّوافِلِ، وَأَكْرِمْنِي فِيْهِ بِإِحْضارِ المَسائِلِ، وَقَرِّبْ فِيْهِ وَسِيلَتِي إِليكَ مِنْ بَيْنِ الوَسائِلِ، يا مَنْ لا يَشْغَلُهُ إِلْحاحُ المُلِحِّينَ

ख़ुदाया इसमें मुसतहेब्बात में मेरा ज़्यादा हिस्सा अता कर और मुझको मुकर्रम बना मसायल के हाज़िर करने के ज़रिये और मेरे वसीले को अपनी तरफ़ के वसाइल में क़रीब कर ऐ वह ख़ुदा जिसको लजाजत करने वालों की लजाजत मशग़ूल नही करती है

उन्तीसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ غَشِّنِّي فِيْهِ بِالرَّحْمَةِ، وَارْزُقْنِي فِيْهِ التَّوْفِيقَ وَالعِصْمَةَ وَطَهِّرْ قَلْبِي مِنْ غَياهِبِ التُّهْمَةِ، يا رَحِيماً بِعِبادِهِ المُؤْمِنِينَ

ख़ुदाया इसमें मुझको रहमत से छुपा दे और मुझको तौफ़ीक़ और हिफ़ाज़त अता कर और मेरे दिल को पाक कर दे शुकूक की तारीकियों से ऐ मोमिन बंदों पर रहम करने वाले

तीसवी रमज़ान की दुआ

اللَّهُمَّ اجْعَلْ صِيامِي فِيْهِ بِالشُّكْرِ وَالقَبُولِ عَلى ما تَرْضاهُ وَيَرْضاهُ الرَّسُولُ مُحْكَمَةً فُرُوعَهُ بِالاُصُولِ، بِحَقِّ سَيِّدِنا مُحَمَّدٍ وَآلِهِ الطَّاهِرِينَ، وَالحَمْدُ للهِ رَبِّ العالَمِين

ख़ुदाया इस दिन में मेरे रोज़े को जज़ा ए ख़ैर के साथ और अपनी बारगाह में मक़बूल क़रार दे जो तेरा पसंदीदा तेरे रसूल का पसंदीदा हो और उसे फ़ुरू व उसूल के साथ मुसतहकम कर बेहक़्क़े सैयद व सरदार मुहम्मद व आलिहित ताहेरीन और हम्द ख़ुदा के लिये है जो आलमीन का रब है