अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

महिला जगत-8

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कला किसे पसन्द नहीं है? ईश्वर की इस सुन्दर सृष्टि में हमें चारो ओर उसकी अभूतपूर्व कला के नमूने देखने को मिलते हैं। सुन्दरता की ओर आकृष्ट होने की मानव प्रवृत्ति ने उसे निरन्तर कलात्मक रचनाओं की ओर प्रेरित किया है। विश्व में एक से एक बड़े कलाकार हुए हैं जिनकी कला को देख कर व्यक्ति स्तब्ध - रह जाता है। इसी संदर्भ में हम आप का परिचय एक ईरानी महीला कलाकार से करवा रहे हैं। कला इनके जीवन में कुछ इस प्रकार रच - बस गई है कि ये उनके जीवन का एक अँग बन गई है।

सुश्री फ़ातमा असअदी विश्वविद्यालय की प्रेफ़ेसर और ईरान के मूर्ति निमार्ण संगठन की प्रबन्धक हैं। डिज़ाइनिंग, चित्र कला, ग्राफ़िक तथा मूर्तिकला में उनकी विभिन्न कृतियां देखने योग्य हैं। अब तक उन्होंने पत्थर, लकड़ी, धातु तथा प्लास्टर की १०० से अधिक मूर्तियां बनाई हैं जिन्हें कई प्रदर्शानियों में रखा जा चुका है।

सुश्री असदी कहती हैं : कला में रचनात्मक योग्यता की महत्वपूर्ण भूमिका है। कलाकार अपनी कला द्वारा पत्थर के एक निराकार, मौन तथा निर्जीव टुकड़े से ऐसी सुन्दर व सूक्ष्म कलाकृति बना सकता है जिसमें कहने के लिए बहुत कुछ छिपा हो। ये कला सूक्ष्म, संवेदनशील तथा बाक़ी रहने वाली है और यह विषय मुझे अत्यधिक शान्ति देता है।

एक कलाकार अपने चारो ओर घटने वाली घटनाओं को अपनी पैनी दृष्टि से परख कर अपने समाज की वर्तमान कठिनाइयों के समाधान को अपने कार्यक्रम में प्राथमिकता दे सकता है।
मेरा प्रयास होता है कि पत्थरों की रहस्यमयी वाणी को भली- भांति समझ सकूं, उसे जान सकूं।
हमने सुश्री असअदी से जब ये पूछा कि आप कला में क्या चीज़ खोजती हैं या आप को इससे क्या प्राप्त होता है, तो उनका उत्तर था।

जिस समय एक कलाकार काम करता है, विशेषकर यदि वो प्रकृति के विषय का चयन करे, तो उसे पता लगता है कि महान ईश्वर ने इस संसार में कितनी महानता भर दी है। एक चिकित्सक जिस समय ऑपरेशन करता है और त्वचा में चीरा लगा कर उसके नीचे देखता है तो बालों जैसी बारीक धमनियों की व्यवस्था, उनका क्रम तथा संबंध देख पाता है। उस समय युक्तिपूर्ण और सक्षम विधाता के प्रति उसका विश्वास और अधिक दृढ़ हो जाता है। कलाकार भी इसी प्रकार है। वो अपनी कलाकृतियो को देख कर ही ये समझ पाता है कि उस महान परमात्मा ने क्या किया है। इसी कारण अपनी हर कलाकृति की रचना के पश्चात में ईश्वर की याद और प्रशंसा में लीन हो जाती हूँ।

हमने सुश्री असअदी से जब ये पूछा कि आप एक महिला - कलाकार के रूप में घर में एक माता की भूमिका किस प्रकार निभाती हैं? तो उनका उत्तर था : मेरे तीन सन्तानें हैं और मेरा विश्वास है कि यदि उचित रूप से कार्यक्रय बनाया जाए तो विभिन्न कार्य किए जा सकते हैं। मैं कला के क्षेत्र में काम करते हुए प्रयास करती हूँ कि एक माता के रूप में भी अपने बच्चों के लिए एक आर्दश प्रशिक्षक बन सकूं। साथ ही में उनको पढ़ाती भी हूं। अलबत्ता इस मार्ग में मेरे पति बहुत अच्छे साथी और सहायक हैं। मेरे विचार में यदि महिलाओं को उनकी योग्यताओं का उचित ज्ञान हो, तो वह समाज में अत्यन्त सकारात्मक भूमिका निभा सकती हैं।

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