अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

महिला जगत-9

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इस भाग में महिलाओं के मामले के एक विशेषज्ञ और धार्मिक विद्वान श्री मेहरीज़ी के विचार सुना रहे हैं। सबसे पहले हमने उनसे जब ये पूछा कि इस्लामी संस्कृति में महिलाओं का स्थान क्या है तो उन्होंने कहा : इस्लामी संस्कृति में महिलाओं के संबंध में सबसे पहले एक महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान देना चाहिए और वह ये है कि, इस्लामी समुदायों में प्राय: जो चीज़ दिखाई पड़ती है, वास्तव में वह इस्लामी संस्कृति नहीं है। क्योंकि इन समाजों में, कुछ ऐसे रीति - रिवाज, प्रथाएं तथा आदतें दीर्ध काल से प्रचलित थीं जो इस्लामी संस्कृति तथा मूल्यों में फुल - मिल गई हैं। इसी कारण कभी - कभी उनकी पहचान तथा अलग से समझने की अत्यधिक आवश्यकता होती है। इस्लामी संस्कृति को पवित्र क़ुरआन तथा धार्मिक नेताओं के कथनों एवं कर्मों में देखना चाहिए। और उसपर अनुसंधानों तथा बुद्धि द्वारा विचार करना चाहिए। उदाहरण स्वरूप महीलाओं के विषय में कुछ दृष्टिकोण या विचार जो मुसलमान समाजों में प्रचलित हैं, उनका स्रोत इस्लामी मूल्य एवं सिद्धान्त नहीं हैं।

उन्होंने आगे कहा: इस्लामी संस्क्रति में ईश्वरीय दूतों तथा पैग़म्बरे इस्लाम (स) का महिलाओं के साथ ब्यवहार, उन्हीं ओदेशों का पालन है जो पवित्र क़ुरआन में दिए गए हैं और यह सभी - आदेश महिलाओं के व्यक्तित्व के विकास तथा परिपूर्णता की दिशा में दिए गए हैं।

हमने श्री मेहरीज़ी से जब प्रश्न किया कि यदि ऐसा है तो फिर कभी - कभी मुसलमानों के बीच महिलाओं के प्रति लज्जाजनक तथा भेदभाव पूर्ण व्यवहारों का प्रचलन क्यों दिखाई देता है और यह कि इन व्यवहारों को धर्मगुरूओं और नेताओं से संबंधित करते हैं?

उत्तर में उन्होंने कहा - वास्तव में इस प्रकार के कार्य इस्लामी नियमों की आड़ लेकर किए जाते हैं तथा क़ुरआनी क़ानूनों के विरूद्ध हैं। इसलामी इतिहास में आया है कि पैग़म्बरे इस्लाम महिलाओं से उनकी आवशयकताओं के विषय पर बात - चीत करते थे, उनके प्रति कृपा की द्रष्टि रखते थे और उनके साथ अत्यन्त आदर एवं उदारता पूर्ण ब्यवहार करते थे और बीमार महीलाओं को देखने के लिए जाते थे।

महीलाएं भी पैग़म्बरे इस्लाम के पास जाती थी और उनसे प्रश्न पूछती थीं। ज़ीनत अत्तारा एक ऐसी महिला थी जो पैग़म्बर की पत्नी के लिए इत्र लाया करती थी। एक दिन पैग़म्बर ने उससे कहा धन्य हो तुम कि तुमने मेरे घर को सुगन्धित कर दिया। उस महिला ने कहा- हे पैग़म्बर आज मैं इसलिए आई हूं कि ताकि इस सृष्टि के बारे में आप से कुछ प्रश्न करूं। पैग़म्बर ने उसके सभी प्रश्नों का उत्तर दिया।

श्री मेहरीज़ी ने आगे कहा - दूसरे स्थान पर पैग़म्बरे इस्लाम द्वारा हम, महिलाओं को शिक्षित करने पर ध्यान देते हुए देखते हैं। एक बार शफ़ा नामक एक लड़की पैग़म्बर के घर आई। पैग़म्बर ने उससे कहा कि उनकी पत्नी हफ़्सा को लिखना सिखाए। पैग़म्बर कहा करते थे कि महिलाओं को मारना - पीटना गिरे हुए तथा बुरे लोगों का काम है। एक और स्थान पर बड़े ही सुन्दर शब्दों में आप ने फ़र्माया है कि - कृपालु तथा सज्जन लोग महिलाओं का आदर करते हैं और गिरे हुए लोग उनका अनादर करते हैं।

पैग़म्बर, महिलाओं से विचार - विमर्श करते थे और उनका आदर करते थे। उनका मानना था कि स्बर्ग माता के पावं तले है। जब हम पवित्र क़ुरआन का अध्ययन करते हैं तो उनका यही स्थान पाते हैं।

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