अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

महिला जगत-10

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६ वर्ष की आयु तक के बच्चे प्राय:हर काम को स्वंय करने का प्रयास करते हैं। अक्सर हम उन्हें ये कहते हुए पाते हैं कि "मुझे आता है" ।

६ वर्ष की आयु तक आप का बच्चा निरन्तर नई नई चीज़ें सीखता रहता है, जैसे अपना नाम कैसे लिखे, अपने कपड़ों के बटन कैसे बन्द करे और अपने लिए ब्रेड पर मक्खन कैसे लगाए। ये सब सीखना आप के बच्चे के लिए संयव है कि उत्सहपूर्ण और मनोरंजक हो परन्तु इसी तेज़ी से ये बच्चे के लिए निराशा का कारण भी बन सकता है। आप का चार वर्षीय बच्चा संभव है हर चीज़ को उल्टालिखे अपने कपड़ों का एक बटन बन्द न करे या फिर मक्खन को ज़मीन पर गिरा दे। आप उसकी सहायता करना चाहते हैं परन्तु वह ज़िद कर रहा हैं कि स्वंय ये काम करेगा। और वह इतनी ज़िद करता है कि उसे वह भली भांति कर सकता है।

इस प्रकार की ज़िद इस आयु के बच्चों में स्वाभविक सी बात है। इस आयु के अधिकांश बच्चे प्रयास करते हैं कि किसी भी तरह उस काम को पूर्ण रूप से स्वंय कर सकें और अपनी क्षमता से प्रयास करते हैं विशेषकर कि जब उनका कोई बड़ा भाई या बहन हो। इस व्यवहार में एक सकारात्मक बिन्दु निहित है। आप चाहते हैं कि आप का बच्चा ऊंचे मापदण्डों को लेकर आगे बढ़े और किसी भी कार्य को करने में निरन्तर प्रयास के महत्व को समझे। परन्तु किसी चीज़ के लिए ज़िद बच्चे में निराशा उत्पन्न करती है। इस आधार पर आप अपने बच्चे की सहायता किस प्रकार कर सकते हैं कि वह अपने कार्यों को स्वंय अपनी क्षमता के आधार पर पूरा करे। बिना इसके कि उनको किसी ऐसी परिस्थिति में डाल दें जो उनके लिए असंभव हो? यहां पर हम कुछ बड़े ही सादे मार्गों का वर्णन कर रहे हैं।

आप को बच्चे की सीमाओं का ज्ञान होना चाहिए।
जब बच्चा किसी ऐसे काम को करने की ज़िद करता है जिसे करने की क्षमता उसमें नहीं है तो निश्चित रूप से उसे निराशा का सामना करना पड़ेगा।
आप का काम यह है कि यह समझें कि इस आयु के अपने बच्चे का प्रोत्साहन किस समय करें और किस समय उसे किसी काम को करने से रोकें।

आप यह न समझें कि आप का चार वर्षीय बच्चा किसी काम को केवल इसलिए कर सकता है कि उसकी आयु के बच्चे उस काम को कर सकते हैं। बच्चों का विकास एक समान नहीं होता है। बच्चों को स्वंय आगे बढ़ने दीजिए। इसी प्रकार आप स्वंय को तैयार कीजिए कि बच्चे को बेहतर काम करना सिखाएं। उदाहरण स्वरूप यदि आप के बच्चा ने बेसबॉल की गेंद को मारना सीखना चाहता है तो बेहतर है कि आप उसके होथों को पकड़ कर बैड से गेंद को मारना सिखाएं और उस समय तक उसकी सहायता करें जबतक आप सन्तुष्ट न हो जाएं कि अब वह अकेले ही यह काम कर सकता है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों की योग्यताओं को यदि छोटे छोटे भागों में वियाजित किया जाए तो उनकी निराशा और भय का कारण कम ही बनें गी। उदाहरण स्वरूप यदि आप का पांच वर्षीय बच्चा जूते की डोरी बांधना सीख रहा है तो पहले उससे यह कहें कि जूते की डोरी खोलना सीखे, जब उससे यह काम सीख लिया फिर उसे बाद का चरण समझाएं। उसने इस छोटे से काम के लिए शाबाशी दें। शाबाश अपने पैर तुमने जूतों में डालना सीख लिया अब डोरी को खींचो।

सैदव इस बात पर बल दिजिए कि किसी काम का प्रयास उस काम के परिणाम की ही भांति महत्व रखता है। जब आप का बच्चा कोई नया काम सीखता है उस समय आप उस काम पर बल दीजिए जो वह कर रहा है न केवल उसके परिणाम पर। उसे इस बात का विश्वास दिलाइए कि उद्धेश्य केवल बेहतरीन होना नहीं है बल्कि जिस चीज़ का महत्व है वह अधिक प्रयास करने का है। उस ५ वर्षीय बच्चे की मां जिसकी hand writing बहुत ख़राब है और वह उसके कारण बहुत दुखी है कहती है- मेरी बेटी अपने हर काम को बड़ी ही गंभीरता से करती है और कभी कभी कहती है कि मम्मी मैं इस काम को कर ही नहीं सकती।

मैं कहूंगी कि कोई बात नहीं मुझे तुमसे यह आशा नहीं है कि अपने सभी कामों को पूरी तरह से भलीभांति करो। हमारे पास अभ्यास के लिए पर्याप्त समय है और हर समय हम कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं।

आप अपने अनुभव बच्चे को बताएं। जब किसी चीज़ को सीखने में आप के बच्चे को कठिनाई हो रही हो तो उससे कहिए कि हर एक को कोई नया काम सीखने के लिए काठिन परिश्रभ करना पड़ता है। यहां तक कि बड़ों को भी। यह बहुत अच्छी बात है कि उसे आप अपना उदाहरण दें। उसे यह पता लगने दिजिए कि आप ने भी जो कुछ सीखा है उसके लिए कठिन परिश्रभ किया है। बच्चे के उद्धेश्य को स्पष्ट कीजिए।

आप के बच्चे को अपनी योग्ताओं पर विश्वास के साथ साथ अपनी कमियों का भी ज्ञान होना चाहिए। संभव है दूसरे बच्चे किसी काम को बेहतर ठंग से कर सकते हों या उससे बुरी तरह। आप का ध्यान उस काम पर होना चाहिए जो वह भली भांति कर सकता है। संभव है आप का बच्चा किसी एक काम को ठीक से न कर पाए परन्तु दूसरे किसी काम में दक्ष हो जाए। उसके लिए अपना उदाहरण पेश कीजिए। उसे विश्वास दिलाइए कि आप को पियानो बजाना नहीं आता परन्तु सोते समय आप कहानी सुना सकती हैं और स्वादिष्ट सैण्डविच बना सकती हैं। जब वह यह समझ लेगा कि आप को भी बहुत से ऐसे काम हैं जो नहीं आते तो वह भी अपने बारे में इसी प्रकार सोचेगा।

जब आप का बच्चा किसी काम को करने में सफल नहीं होता तो उसे अपनी निराशा का पता मत लगने दिजिए। उसने जो प्रयास किए हैं उनकी प्रशंसा किजिए चाहे काम का परिणाम पूरा न हो। उसकी सहायता कीजिए कि वह अपने उद्धेश्यों को महत्व दे। यदि आप चाहते हैं कि आप का बच्चा गेंद को ठीक से फेंके, तो उसकी सहायता कीजिए कि सफलता की कल्पना करे यहां तक कि उससे कहिए कि बेसबॉल खेलते हुए अपना चित्र बनाए और फ़्रिज पर चिपका दे। यदि आप किसी काम के लिए उसपर दबाव डालेंगे तो वह निराश हो जाए गा। याद रखिए कि जब समय आ जाए गा तो वह समझ जाए गा कि किस काम को करे और किसे न करे। बच्चे को व्यस्त रखने के लिए लूडो,मां के साथ खाना पकाने में सहायता, मच्छली की देख भाल, किसी उपहार को पैक करना या पज़ल वाले खेल बहुत अच्छे समझे जाते हैं।

 

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