महिला जगत- 27


किसी भी माली को इस बात के लिए बुरा-भला नहीं कहा जा सकता हैं कि उसने अपने बग़ीचे के चारों ओर बाढ़ क्यों बना रखी है। क्योंकि बिना बाढ़ का बग़ीचा सुरक्षित नहीं होता और इस प्रकार माली के लिए कोई फल या फ़सल नहीं बच सकती। कोई भी स्वतन्त्रता के नाम पर अपने घर की चहार दीवारी को नहीं हटाता। क्योंकि चोरों का ख़तरा सदैव बना रहता है। कोई भी ख़ज़ाने या रत्नों का भालिक अपने हीरे जवाहर बिना सुरक्षा के आने जाने वालों के सम्मुख नहीं रख देता क्योंकि सम्भव है उसके अनमोल रत्नों को चुरा लिया जाए।
जब दूसरों के आने के मार्ग बन्द कर दिए जाते हैं तो वास्तव में हम अपने को सुरक्षित कर लेते हैं, न कि सीमित या जेल में बन्द हो जाते हैं।
इस प्रकार हम अनचाहे हस्तक्षेप करने वालों की दृष्टि से बच जाते हैं, बिना इसके कि हमने अपने को क़ैदी बना लिया हो।
अपने स्थान को सुरक्षित रखने के लिए मनुष्य को एक चहार दीवारी की आवश्यकता होती है और महिला को भी अपनी विशेषताओं तथा स्थान के कारण, सुरक्षित रहना चाहिए और उसकी कोमलता के कारण उसकी पवित्रता का आदर होना चाहिए। उसका श्रृंगार यही है कि अपनी पवित्रता तथा सतीत्व के रत्न का आदर व सम्मान करे।

इसी आधार पर पवित्र कुरआन सूरए नूर की आयत २७,२८,३० और ३१ में कहता है: हे लोगों जो ईमान लाए हो, अपने घरों के अतिरिक्त दूसरे घरों में प्रवेश न किया करो जब तक कि अनुमति न ले लो और उन घरों के रहने वालों पर सलाम न भेज लो , यह तुम्हारे लिए बहुत अच्छा है , कदाचित तुम याद रखो। फिर यदि उन घरों में किसी को न पाओ, तो उनमें प्रवेश न करो जब तक कि तुम्हें अनुमति न दी जाए। यदि तुमसे कहा जाए कि लौट जाओ, तो लौट जाया करो, यह तुम्हारे लिए अधिक पवित्रता की बात है, और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम करते हो। हे पैग़म्बर ! ईमान वाले पुरूषों से कहो कि वे अपनी निगाहें नीची रखें और अपने गुप्त अंगों की रक्षा करें। यह उनके लिए अधिक पवित्रता की बात है नि:सन्देह अल्लाह उसकी ख़बर रखता है जो कुछ वे करते हैं। और ईमान वाली त्रियों से कहो कि वे अपनी निगाहें नीची रखें और अपने सतीत्व की रक्षा करें और अपना श्रृंगार न दिखाएं सिवाय उसके जो उसमें से प्रकट हो रहा हो।