अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

शहादत हज़रत मोहम्मद बाकिर (अ)

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शहादत पा गए ज़हरे दग़ा से पाँचवे रहबर
इमाम इन्सो जिन हज़रत मोहम्मद बाकिरे अतहर

 

हुशाम इब्ने मालिक जब आपसे कुछ बहस करता था
शिकस्त उसको बराबर देता था वह इब्ने पैग़म्बर

 

कुदूरत के सबब बहरे तलब एक रोज़ ज़ालिम ने
किया घोड़ा रवाना ज़ीने सम आलूद कसवा कर

 

सुना जिस दम सवारी आई है दरबारे शाही से
हरम से मिलके निकले और बैठे पुश्ते मरकब पर

 

असर फैला जसद में ज़हर का मरकब पर जब बैठे
हुआ माएल बासबज़ी चन्द साअत में तने अनवर

 

दो शम्बा सात ज़िहिज्जा सन् एक सौ सोलह हिज़री थे
उठा दुनिया से जब नूर निगाहे आबिदे मुज़तर

 

सह शम्बा पन्द्रहा माहे रजब थी साल सत्तावन
हुआ था 'फिक्र' जब पैदा वह इब्ने साकिए कौसर

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