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फूरु-ए दीन

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फूरुअ-ए दीन में प्रवेश करने से पहले हम सब पर अवश्यक हे कि हम जान लें, जो इस्लाम के उसूल व विश्वास इंसान के फ़िक्र के साथ सम्पर्क रख़ता हे, इस लिए हमारा विश्वास व प्रमाण इज्तेहाद के साथ होना चाहीए, लेकिन फूरुअ-ए दीन का विषय इस से और अधिक हे. चीज़ में इंसानों की समस्त प्रकार ज़िन्दगी, जैसे चलना-फिरना, बैठना-उठना जन्म होने से पहले व जन्म के बाद के भी समस्त प्रकार के वक़्या उपस्थित है।


साधारण जनता के लिए संम्भब नहीं है कि उस समस्त प्रकार विषय पर ज्ञान अर्जन करे। लिहज़ा इस समय हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम जाम-ए शारायेत एक मुज्ताहिद को तक़्लीद करे।


फूरुअ-ए दीन (तथा इस्लाम के फुरु) बहुत अधिक हैं, लिहज़ा सार के तौर पर हम सब दस चीज़, जो मशहुर व प्रसिद्ध हैं ऊन में से तक़्लीद करें, उस के बाद ऊन में से कुछ विषय ऐसे है चीज़ में तफ़्सीर व तशरीह देना बहुत आवश्यक है।


1- नमाज़


2- रोज़ा


3- हज्


4- ज़कात


5- ख़ुम्स


6- जिहाद


7- अमर बिल मारुफ़ (अच्छी बातों का आदेश प्रदान करना)


8- नहीं अनिल मुनकिर (बुरी कथाएं से निषेध प्रदान करना)


9- तवल्ला (अल्लाह् रसूल और इमामों से मोहब्बत करना)


10- तबर्रा (अल्लाह् रसूल और इमामों के दुश्मनों से दुश्मनी पैदा करना)


कथा परिष्कार व रौशन होनी चाहिए कि यह गूरुत्वपूर्ण दस चीजों के व्यतीत और भी फुरुअ है जैसे ख़रीदना, बेचना, निकाह, तलाक़, क़्सास, दिआ, के सम्पर्क में इसि ग्रन्थ में (मासाएल के अध्यय में बयान किया जाए गा, लेकिन कुछ फुरुअ ऐसे है जो उस से भी मोहिम व गूरुत्व है, जो प्रत्येक दीन काम में आता है जैसे समाज और निज़ामें इस्लामी, अर्थ व्याबस्था व सियासत, सैनिक बाहिनी व इस्लाम कि मुक़र्रिरात, हकुमत और बिचार, आज़ादी व अज़ादी, परिष्कार, समाज, वगैरह सब इस भाग में सार के तौर पर बयान किया जाएगा, ईन्शा आल्लह।

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