अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इल्में ग़ैब का ज्ञान, क़ुरआन की रौशनी में

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इल्में ग़ैब या अद्रश्य चीज़ों के सिलसिले में अगरचे ख़ुदा वंदे आलम ने बहुत सी आयतों में इल्में गैब के बारे में कहा है कि वह विशेष है ईश्वर से जैसा कि पवित्र क़ुरआने में इरशाद होता है:
وَعِندَهُ مَفَاتِحُ الْغَيْبِ لَا يَعْلَمُهَا إِلَّا هُوَ
(सूरा अनआम आयत 59)
उसके पास गै़ब के ख़ज़ाने हैं जिन्हे उसके अतिरिक्त कोई नहीं जानता।
इसी प्रकार एक दूसरे स्थान पर ईश्वर फ़रमाता है:
 وَلِلَّـهِ غَيْبُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْ‌ضِ
(सूरा नहल आयत 77)
और अल्लाह के लिए है आसमानों और ज़मीनों के ग़ैब।
क़ुरआन में एक दूसरे स्थान पर अल्लाह फ़रमाता है:
 قُل لَّا يَعْلَمُ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْ‌ضِ الْغَيْبَ إِلَّا اللَّـهُ
(सूरा नमल आयत 65)
कह दीजिए कि आसमानों व ज़मीन में ग़ैब का जानने वाला अल्लाह के अतिरिक्त कोई नही है।
लेकिन इसी पवित्र क़ुरआन में एक आयत ऐसी है जिसमें ईश्वर कहता है कि इल्मे गैब केवल अल्लाह के लिए नहीं है, जैसा कि अल्लाह क़ुरआन में फ़रमाता हैः
عَالِمُ الْغَيْبِ فَلَا يُظْهِرُ‌ عَلَىٰ غَيْبِهِ أَحَدًا. إِلَّا مَنِ ارْ‌تَضَىٰ مِن رَّ‌سُولٍ
(सूरा जिन आयत 26, 27)
वह ग़ैब (अद्रश्य) का जानने वाला है और अपने ग़ैब पर किसी को जानकारी नहीं देता है मगर जिस रसूल को पसंद कर ले।
प्रिय पाठकों, इस आयत और ऊपर बयान की गई आयतों को एस साथ रख कर देखने से हमको बता चलता है कि हर प्रकार का इल्मे गै़ब ख़ुदा से विशेष है लेकिन अल्लाह जिस को चाहे उसको यह ज्ञान अता कर सकता है और चुँकि पैग़म्बरे इस्लाम (स) की वफ़ात के बाद उनका ख़लीफ़ा और उत्तराधिकारी कौन होगा इस संबंध में मुसलमानों के बीच मतभेद हुआ इसलिए क़ुरआन की आयतों से यह नतीजा निकलता है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) अपने बाद भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जानते थे इसलिए आप अपनी वफ़ात के बाद ख़िलाफ़त एवं जानशीनी के मसअले में होने वाली घटनाओं और फ़ितनों से आगाह थे
इसीलिए आपने मुसलमानों को इन घटनाओं सो होने वाली हानियों से बचाने के लिए ग़दीर के मैदान में ईश्वर के आदेश से अली को अपना ख़लीफ़ा बना दिया था ताकि मुसलमान किसी ऐरे ग़ैरे को रसूल का ख़लीफ़ा न बना दें कि जिसके बाद इस्लाम अपने वास्तविक पथ से हट जाए।
लेकिन अफ़सोस की मुसलमानों ने पैग़म्बर के बनाए हुए ख़लीफ़ा को स्वीकार नहीं किया और ख़ुद अपने लिए ख़लीफ़ा का चुनाव किया और उसी का नतीजा यह है कि आज पूरे संसार में वही मुसलमान जो कभी दुनिया पर राज किया करते थे अपमान और तिरस्कार का शिकार हैं।

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