रसूले इस्लाम स. का परिचय

एक संपूर्ण और बेहतरीन मॉडल को जानना और चुनना हर बामक़सद ज़िन्दगी जीने वाले आदमी की पैदाइशी ज़रूरत है। इसलिये कि इसका ज़िन्दगी के हर मैदान में, हर छोटे बड़े नैतिक मामले में, तरक़्क़ी के हर मोड़ पर और समाज की सियासी, क़ानूनी और कल्चरल आदान प्रदान पर बहुत ज़्यादा असर पड़ता है।

अल्लाह तआला ने कई पैग़म्बर भेजे ताकि आध्यात्मिक तरक़्क़ी और इंसानी कमाल चाहने वाले लोग उनकी ज़िन्दगी को देख और पढ़ कर सौभाग्य, तरक़्क़ी और कमाल का रास्ता तय करें। पैग़म्बरो में सबसे सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़े आख़िरी नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स.अ हैं जिनकी ज़िन्दगी और तौर तरीक़े को अल्लाह नें क़यामत तक के इन्सानों के लिये मॉडल बनाया है।

आप स.अ. पर ईमान लाने वाले आपके साथी आपका हर काम नज़दीक से देखते और बहुत ज़्यादा प्रभावित होते थे। उनके बाद उनके तौर तरीक़े और अख़्लाक़ में ऐसा बदलाव आता था कि न पूछिये! आपके सबसे क़रीबी सहाबी जिनका प्रशिक्षण भी आप ही ने किया था, हज़रत अली इब्ने अबी तालिब अ. थे जो हर समय आपके साथ रहते और हर चीज़ आपसे सीखते थे। इसका ज़िक्र मौला अली अ. नें नहजुल बलाग़ा के एक ख़ुतबे में भी किया है।

इसमें कोई शक नहीं कि रसूले ख़ुदा स. का कैरेक्टर इन्सानों के लिये कल भी एक बेहतरीन मॉडल था, आज भी है और कल भी रहेगा। आज की दुनिया नें बहुत तरक़्क़ी कर ली है और हर लेहाज़ से पहले के मुक़ाबले में पूरी तरह बदल चुकी है लेकिन अख़्लाक़ और आध्यात्मिकता में रसूलुल्लाह स.अ. की शिक्षाओं की मोहताज है। इसी मक़सद से हमनें यह छोटा सा आर्टिकिल तैयार किया है इसे पढ़ने वालों के सामने पेश कर रहा हूँ। इन्शाल्लाह ख़ातेमुल अम्बिया स.अ. क़ुबूल व मंज़ूर फ़रमाएंगे।

1. शुभ जन्म के समय की घटनाएं

अहलेबैत अ. के मानने वालों यानी इसना अशरी शियों के अनुसार ख़ातेमुल अम्बिया हज़रत मुहम्मद इब्ने अब्दुल्लाह स.अ. सत्तरह रबीउल अव्वल सन् एक आमुल फ़ील को मक्के में पैदा हुए थे। उसी साल हबशा के राजा अबरहा नें हाथियों की फ़ौज लेकर मक्के में ख़ानए काबा पर हमला किया था। हुज़ूर स.अ. की विलादत से पहले ही आपके वालिद का निधन हो चुका था। जब छ: साल के थे प्यारी मां आमेना बिन्ते वहब भी दुनिया से गुज़र गईं। बचपन में ही यतीम हो गए और उसके बाद आपके दादा अब्दुल मुत्तलिब अ. और चचा अबू तालिब अ. नें आपको पालने की ज़िम्मेदारी संभाली। चालीस साल की उम्र और उसके बाद तक ऐसी ऐसी अजीब घटनाएं घटती रहीं जिन्हें पढ़ और सुन कर हर मुस्लिम और ग़ैर मुस्लिम आश्चर्य चकित रह जाता है।

फ़ारस का आतिश कदा बुझ गया, ज़लज़ला आया और बुर अपनी जगह से उखड़ गए, शैतान रोया.. यह सारी चीज़ें बता रही थीं कि कोई बड़ी घटना हुई है और एक नेक और बेमिसाल बच्चा यानी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स. दुनिया में आए हैं जो ज़ुल्म, कुफ़्र और गुमराही से भरी दुनिया को तौहीद, ख़ुदा परस्ती, तक़वा, सदाचार और इंसानी कमालात का रास्ता दिखाएंगे।

2. सीरिया का ऐतिहासिक सफ़र और ईसाई पादरियों की भविष्यवाणी

हुज़ूर स. नें दो बार सीरिया का ऐतिहासिक सफ़र किया है; एक बार बारह साल की उम्र में और एक बार पच्चीस साल की उम्र में। पहले सफ़र मं राहिब बहीरा नें हज़रत अबूतालिब अ. को होशियार किया था कि यहूदियों की तरफ़ से आप स. से बुरा बर्ताव किया जाएगा। दूसरे सफ़र में राहिब नस्तूरा नें ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलद के ग़ुलाम मीसरा को हुज़ूर स. के शानदार भविष्य की ख़ुशख़बरी सुनाई थी। इस सफ़र में आप नें ख़दीजा को बहुत ज़्यादा फ़ायदा हासिल कराया और मीसरा नें भी उन्हें आप स. की ईमानदारी के बारे में बताया।

जब आप बीस साल के थे तो आपनें हलफ़ुल फ़ुज़ूल नामक एक समझौते में हिस्सा लिया। इसी दौरान आप स. मुहम्मद अमीन के नाम से ने जाने लगे। आपका कैरेक्टर (चरित्र) मक्के के उस दौर के जाहिल समाज में लोगों के लिये बहुत ही अजीब था।

3. ख़दीजा से शादी

पच्चीस साल की उम्र उम्र में आपनें ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलद से शादी की। वह एक सती साध्वी, पाक दामन, मुत्तक़ी व सदाचार और ख़ुदा से डरने वाली औरत और बहुत ज़्यादा धन दौलत की मालिक थीं। हज़रत ख़दीजा अ. नें अपनी दौलत का पूरा अधिकार रसूलुल्लाह स. को दिया। हज़रत ख़दीजा अ. का व्यक्तित्व, आपकी इस्लाम और रसूलल्लाह स. की सेवा और दूसरी ख़ूबियों के हवाले से अलग से चर्चा करने की ज़रूरत है।

4. अली इब्ने अबी तालिब अ. का पालन पोषण

तेरह रजब सन् तीस आमुल फ़ील को एक मोवअहिद (ख़ुदा को एक मानने वाला) बाप (हज़रत अबूतालिब अ.) और नेक मां (हज़रत फ़ातिमा बिन्ते असद अ.) के यहां एक बच्चा पैदा हुआ जिसका जन्म काबे के अन्दर हुआ था। वह बच्चा छ: साल की उम्र में सही प्रशिक्षण के मक़सद से रसूलल्लाह स. और जनाबे ख़दीजा स. के घर चला आया। इमाम अली अ. नहजुल बलाग़ा के एक ख़ुतबे में बयान करते हैं कि आपका रसूलुल्लाह स. से कितना नज़दीकी सम्बंध था और किस तरह आपनें रसूलुल्लाह स. से शिक्षा पाई और आध्यात्मिक अनुकम्पा हासिल की।