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उन्नीस मोहर्रम के वाक़ेआत

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अहले हरम की शाम रवानगी
उन्नीस मोहर्रम सन 61 हिजरी को कर्बला के क़ैदियों का काफ़िला शाम की तरफ़ भेजा गया, और चूँकि शाम की सत्ता मोआविया के ही युग से बनी उमय्या के हाथों में थी और बनी उमय्या अहलेबैत (अ) से शत्रुता में प्रसिद्ध थे और और दूसरी तरफ़ से मोआविया पैग़म्बरे इस्लाम (स) का रिश्तेदार भी लगता था इसीलिया मोआविया ने शाम में इस प्रकार माहौल बनाया था और लोगों के बीच इस प्रकार मशहूर किया था कि शाम के लोग मोआविया और उसके परिवार वालों के अतिरिक्त किसी को भी पैग़म्बर (स) के परिवार वाला नहीं समझते थे और उनका मानना यह था कि इस धरती पर केवल मोआविया का परिवार ही वह परिवार है जो पैग़म्बरे इस्लाम (स) से संबंधित है, और यही वह कारण था कि जब अहलेबैत (अ) का लुटा हुआ काफ़िला शाम में लाया गया तो पैग़म्बर (स) के परिवार की महिलाओं और दूसरे लोगों को वहां नाना प्रकार की समस्याओं और मुसीबतों का सामना करना पड़ा। और हम अहलेबैत (अ) पर पड़ने वाली मुसीबतों के बारे में जो सुनते हैं तो उनमें से अधिकतर मुसीबतें वह है जो इसी शहर में अहले हरम पर पड़ी थीं।


उन्नीस मोहर्रम को हुसैनी काफ़िले को कूफ़े से शाम की तरफ़ ले जाया गया, दुख की बात यह है कि जब यह काफ़िला शाम की तरफ़ चला है तो इस काफ़िले में केवल इमाम हुसैन (अ) के परिवार वाले और अहलेबैत (अ) ही थे जो क़ैदी थे क्योंकि वह महिलाएं जो बनी हाशिम के ख़ानदान से नहीं थी और इमाम हुसैन (अ) के साथियों के परिवार से संबंध रखती थी वह महिलाएं उनके क़बीले द्वारा इबने ज़ियाद से निवेदन करने के कारण क़ैद से छूट गई थीं (1) और यह केवल ख़ानदाने बनी हाशिम की महिलाएं ही थी जिनका कोई पुरसाने हाल नहीं था और पैग़म्बर (स) की बेटियां बे पर्दा बे कजावा ऊँटों पर बिठा कर शाम की तरफ़ ले जाई जा रही थीं।
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(1)    तक़वीमे शिया अब्दुल हुसैनी नैशापूरी

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