तफ़सीरे क़ुरआन
सूरए आले इमरान की तफसीर
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पवित्र क़ुरआन के सूरए आले इमरान में आया है कि अलिफ़ लाम मीम, अल्लाह जिसके अतिरिक्त कोई ईश्वर नहीं है और वह सदैव जीवित है और हर वस्तु उसी की कृपा से स्थापित है।
सूरे रअद की तफसीर
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- स्रोत:
- tv shia
उनमें सामाजिक आदेश और मानव समाज की आवश्यकताओं से संबंधित आयतें नाज़िल हुई हैं और उनमें इन सब चीज़ों का उल्लेख किया गया है।
सूरए हिज्र की तफसीर 1
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इस सूरे का नाम आयत क्रमाक 80 में असहाबे हिज्र अर्थात हज़रत सालेह की क़ौम के नाम पर पड़ा है।
हज़रत यूसुफ़ और ज़ुलैख़ा के इश्क़ की कहानी क़ुरआन की ज़बानी
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हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के भाई उन्हें कुएं में डालने के बाद रोते हुए अपने पिता के पास आए। उन्होंने पिता के समक्ष यह सिद्ध करने के लिए यूसुफ़ को भेड़िया खा गया है, उनके शरीर से कुर्ता उतार लिया था और उस पर किसी पशु का ख़ून लगा कर उसे पिता के समक्ष पेश कर दिया था
सूरए अनफ़ाल की तफसीर
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इस घोषणा के कारण युवा सैनिकों ने गौरवपूर्ण वीरता के साथ युद्ध किया, लेकिन बूढ़े लोग झंडों के नीचे खड़े रहे। जब युद्ध समाप्त हो गया तो युवा अपना इनाम लेने के लिए पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पास आए
सूर –ए- आराफ़ का संक्षिप्त परिचय
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पहली आयतों में फ़रिश्तों की सहायता की ओर संकेत किया गया है: उस समय को याद करो जब दुश्मनों की अधिक संख्या और उनके अधिक सैन्य बल से तम बहुत भयभीत थे और तुमने अल्लाह से सहायता मांगी। उस समय अल्लाह ने तुम्हारे दुआ स्वीकार की
सूर - ए - बक़रा की तफसीर 3
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इस सूरे में धर्मशास्त्र से संबंधित नियमों, नागरिक व सामाजिक क़ानूनों, विवाह, तलाक़ सहित पारिवारिक विषयों, क़र्ज़, ब्याज पर रोक सहित व्यापारिक निमयों पर चर्चा की गयी है।
सूर - ए - बक़रा की तफसीर 2
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इस सूरे के उतरने से नवस्थापित इस्लामी समाज से संबंधित ज़रूरी मामले स्पष्ट हुए और मुसलमानों को ज्ञात हुआ कि किस प्रकार वे आपस में और विदेशियों के साथ संबंध स्थापित करें।
सूर - ए - बक़रा की तफसीर 1
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- स्रोत:
- टी वी शिया
इस सूरे में 286 आयते हैं और पवित्र क़ुरआन के तीस भागों में से दो से ज़्यादा भाग इसी सूरे से विशेष हैं। पवित्र क़ुरआन के उतरने वाले सूरों के क्रमांक की दृष्टि यह 86वें नंबर पर उतरने वाला सूरा है किन्तु क़ुरआन में सूरे हम्द के बाद दूसरे नंबर पर है।
सूर –ए- आराफ़ की तफसीर 1
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- स्रोत:
- टीवी शिया
सूरए आराफ़ पवित्र क़ुरआन का सातंवा सूरा है। यह सूरा मक्का में उतरा। यह सूरा जिस समय उतरा उस समय तक पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ने मदीना पलायन नहीं किया था। इस सूरे में 206 आयते हैं।
सूर -ए- अनआम की तफसीर
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सारी प्रशंसा ईश्वर के लिए है जिसने आकाशों और धरती की रचना की और उनमें अंधकार तथा प्रकाश बनाया परंतु काफ़िर, लोगों व वस्तुओं को अपने पालनहार का समकक्ष ठहराते हैं।
हज़रत यूसुफ और जुलैख़ा के इश्क़ की कहानी क़ुरआन की ज़बानी 2
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- स्रोत:
- tv shia
एक दिन उन दोनों ने एक सपना देखा और हज़रत यूसुफ़ के सामने उसका उल्लेख किया और उनसे कहा कि वह उनके सपने की ताबीर अर्थात उसकी व्याख्या बयान करें।
सूर –ए- माएदा की तफसीर 2
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आप उन्हें आदम के दोनों बेटों को सच्चा वृत्तांत सुना दें कि जब दोनों ने क़ुरबानी की तो एक की क़ुरबानी स्वीकार कर ली गयी और दूसरे की स्वीकार नहीं की गयी।
सूर –ए- अनआम की तफसीर 2
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पवित्र क़रआन के सूरए अनआम की 32वीं आयत में आया हैः संसार का जीवन खेल तमाशे के अतिरिक्त कुछ नहीं और परलोक, ईश्वर से डरने वालों के लिए सबसे अच्छा ठिकाना है। क्या तुम चिंतन नहीं करते?
सूरए आराफ़ की तफसीर 2
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कह दीजिए कि ये अनुकंपाएं प्रलय में केवल उन लोगों के लिए हैं जो संसार के जीवन में ईमान लाए। हम इसी प्रकार, ज्ञान वालों के लिए अपनी आयतों का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हैं।
सूर –ए- तौबा की तफसीर 2
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उसके बाद ईश्वर ने अपने पैग़म्बर और मोमिनीन पर सुकून व शांति नाज़िल की और उसने अपनी सेना उतार दी जिसे तुमने देखा भी नहीं और उसने काफिरों को दंडित किया और काफिरों की यही सज़ा है”
सूरए माएदा की तफसीर
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। माएदा का अर्थ दस्तरखान होता है और चूंकि इस सूरे में उस घटना का वर्णन है जिसमें हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने ईश्वरीय भोजन और दस्तरखान के लिए प्रार्थना की थी
सूरे रअद का की तफसीर 2
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आज वैज्ञानिक शोध ने सही कर दिया है बिजली के इंसान और प्रकृति के लिए बहुत से लाभ हैं। प्रायः बिजली चमकने के बाद बारिश शुरु होती है।
सूर –ए- तौबा की तफसीर
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इस सूरे का आरंभ, अनेकेश्वरवादियों से विरक्तता की घोषणा से हो रहा है, और यही कारण है कि इस सूरे के आरंभ में “बिस्मिल्लाहिर रहमानिर्रमहीम” नहीं है क्योंकि दया और विरक्तता, आपस में मेल नहीं खाते।