अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

क्रियेटर और क्रियेशन - 3 (एलीमेन्ट्‌स)

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इंसान ने जब से इस दुनिया में होश संभाला है, उसने अपने चारों तरफ अनगिनत चीज़ें मौजूद पायीं। उन चीजों में से कुछ को उसने जानदार पाया जैसे कि जानवर और पेड़ पौधे। और कुछ को बेजान पाया जैसे कि पत्थर, पहाड़ और पानी। इन चीज़ों ने उसके दिमाग में एक सवाल पैदा किया। क्या कुछ ऐसा खास मैटर है जिससे दुनिया की सारी चीज़ें तैयार होती हैं? मिसाल के तौर पर रोटी, केक, नान या इस तरह की सारी चीज़ों के बनाने के पीछे जो चीज़ें होती हैं वह हैं गेहूं और पानी। गेहूं और पानी को हम रोटी, केक या नान के एलीमेन्ट कह सकते हैं। इसी तरह किसी इमारत को बनाने वाले एलीमेन्ट हैं सीमेंट, मौरंग, बालू वगैरा। तो क्या कुछ ऐसे एलीमेन्ट हैं जो दुनिया की सारी चीज़ों को बनाते हैं।


इस बारे में क़दीम हिन्दुस्तान के फलसफियों ने ग़ौरो-फिक्र के बाद ये नतीजा निकाला कि दुनिया में हर तरह का मैटर दरअसल पाँच तत्वों यानि एलीमेन्ट्‌स से मिलकर बना होता है। ये पाँच तत्व हैं हवा, मिट्‌टी, पानी, आग और आकाश। ये हिन्दुस्तानी फिक्र अरस्तू जैसे यूनानी फिलास्फर ने भी कुबूल की।


लेकिन इस तसव्वुर को तोड़ा सबसे पहले इस्लामी दानिश्वर इमाम जाफर सादिक (अ-) ने। उन्होंने इस थ्योरी को इन अल्फाज में नकारा, ‘मुझे हैरत है कि अरस्तू ने हवा को एलीमेन्ट कहा। जबकि हवा बहुत से एलीमेन्ट्‌स का मिक्सचर है। इनमें से हर एलीमेन्ट साँस लेने के लिए जरूरी है। इसी तरह मिट्‌टी खुद एलीमेन्ट नहीं है बल्कि मिक्सचर है एलीमेन्ट्‌स का। मिट्‌टी में पायी जाने वाली हर धातु एक एलीमेन्ट है।


साइंस और टेक्नालॉजी ने जैसे जैसे तरक्की की, यह साफ होता गया कि मिट्‌टी, पानी, आग, हवा के साथ जमीन पर मिलने वाली हर चीज कुछ एलीमेन्ट्‌स का मजमुआ होती है। इन एलीमेन्टस में से कुछ धातु होते हैं और कुछ गैर धातु । लोहा, तांबा, एल्यूमिनियम, पारा वगैरा धातु एलीमेन्ट हैं जबकि ऑक्सीजन, हाईड्रोजन, क्लोरीन, कार्बन वगैरा गैर धातु हैं। अब तक जमीन पर लगभग एक सौ सोलह तरह के एलीमेन्ट्‌स ढूंढे जा चुके हैं। इनमें कार्बन, आक्सीजन, नाईट्रोजन और हाईड्रोजन सबसे ज्यादा अहम है। क्योंकि ये हर तरह की लाइफ को बनाते हैं। जमीन पर मौजूद हर एलीमेन्ट दूसरे से क्वालिटीज़ के एतबार से पूरी तरह अलग होता है।


वह कौन सी बातें हैं जिनकी वजह से हर एलीमेन्ट दूसरे से पूरी तरह अलग होता है? यह सवाल बरसों तक साइंसदानों के बीच एक अबूझ पहेली की तरह घूमता रहा। जवाब उस वक्त मिला जब साइंसदानों ने एटम की डिस्कवरी की और एटम की बनावट को पूरी तरह समझा।


जैसा कि इससे पहले हमने जाना कि हर एटम का एक मरकज़ यानि न्यूक्लियस होता है जिसमें पार्टिकिल प्रोटॉन और न्यूट्रान पाये जाते हैं, और इस मरकज़ के चारों तरफ इलेक्ट्रान अलग अलग आर्बिट में चक्कर लगाते रहते हैं। साइंसदानों ने यह पाया कि अलग अलग एलीमेन्ट के एटम में इलेक्ट्रानों और प्रोटॉनों की तादाद अलग अलग होती है। अगर हाईड्रोजन के एटम में एक इलेक्ट्रान व एक प्रोटॉन होता है, तो वहीं ऑक्सीजन में आठ इलेक्ट्रॉन व आठ प्रोटॉन होते हैं। इस तरह हम देखते हैं कि अल्लाह ने एक एटम की खिलकत के बाद उसी से बहुत सारे एलीमेन्ट्‌स तैयार कर दिये और फिर उनसे पूरी कायनात की खिलकत कर दी। जिसमें सूरज, चाँद, सितारे, ज़मीन, पानी, पहाड़, जानदार, हम और आप सब शामिल हैं। यही है खालिके कायनात की शान।


एटम में इलेक्ट्रानों और प्रोटॉनों की तादाद का डिफरेंस हर एलीमेन्ट को दूसरों से अलग करता है। और हर एलीमेन्ट अपनी एक अलग पहचान बनाता है। साइंसदानों ने किसी एलीमेन्ट में पाये जाने वाले प्रोटॉनों की तादाद को एक नाम दिया है ‘एटामिक नंबर’।


आईए चन्द मिनटों में एक नज़र डालते हैं जमीन में पाये जाने वाले कुछ एलीमेन्ट्‌स पर। उनके एटामिक नंबर पर और उनकी एक किसी खास क्वालिटी पर। हम देखेंगे कि एलीमेन्ट्‌स की मौजूदगी दरअसल सुबूत है खालिके कायनात के एक होने का और साथ में उसकी इनफाईनाईट अक्ल का। इसलिए क्योंकि बेसिक स्ट्रक्चर एक होने के बावजूद हर एलीमेन्ट की अपनी एक अलग पहचान है।   

हाईड्रोजन जिसका एटामिक नंबर एक है, दुनिया का सबसे हल्का एलीमेन्ट है।

हीलियम जिसका एटामिक नंबर दो है, दुनिया की सबसे कम टेम्प्रेचर तक कायम रहने वाली गैस है।

दुनिया की सबसे हल्की धातु लीथियम है जिसका एटामिक नंबर तीन है। यह धुएं सी हल्की होती है।

सैटेलाइट का एंटीना बनाने में इस्तेमाल होने वाला एलीमेन्ट बेरीलियम का एटामिक नंबर है चार।

कार्बन में चेन की तरह आपस में जुड़कर लाखों चीज़ें बनाने की ताकत होती है। एटामिक नंबर है इसका छह।

सातवें नंबर का एलीमेन्ट नाईट्रोजन भी अत्यन्त उपयोगी है। जो हवा में अस्सी फीसदी शामिल होता है। खाद तथा बारूद दोनों में ही यह मिलता है।

किसी भी चीज को जलाने के लिए जरूरी एलीमेन्ट है ऑक्सीजन आठवें नंबर पर।

बीसवें नम्बर का एलीमेन्ट कैल्शियम हडिडयों, चाक और सीमेंन्ट का खास जुज़ होता है।

आयरन का एटामिक नंबर छब्बीस होता है। सख्त व मजबूत होने की वजह से सुई से लेकर ऊंचे टावर तक बनाने में इसका इस्तेमाल होता है।

 

हम देखते हैं कि जमीन पर पाये जाने वाला हर एलीमेन्ट किसी न किसी तरीके से इंसान या जमीन की दूसरी मखलूकात के लिए कारआमद होता है, इस बात का सुबूत देते हुए कि खालिके कायनात ने कोई चीज बेवजह नहीं खल्क की है। हर चीज़ अल्लाह की रहमत का सुबूत है। हमारा और पूरी कायनात का परवरदिगार जो रहमान भी है और रहीम भी। जमीन पर पाये जाने वाले एक सौ सोलह एलीमेन्ट्‌स में हर कोई दूसरों से पूरी तरह अलग होता है बावजूद इसके कि सभी में एटामिक स्ट्रक्चर एक जैसा होता है। यानि एक न्यूक्लियस जिसके चारों तरफ चक्कर लगाते कुछ इलेक्ट्रान। सिर्फ इलेक्ट्रानों व प्रोटानों की तादाद हर एक में अलग होने की वजह से हर एलीमेन्ट अपनी एक अलग पहचान बना लेता है।


खालिके कायनात ने हर एलीमेन्ट को कुछ ऐसी अलग खुसूसियात बख्शी हैं कि वह किसी न किसी तरीके से हमारे लिए पूरी तरह कारआमद हो जाता है। जैसे कि ऑक्सीजन। इसकी खास बात ये है कि यह हर चीज को जलने में मदद देती है। लेकिन खुद नहीं जलती। अगर इसमें खुद भी जलने की खासियत होती तो यह एलीमेन्ट बेकार साबित हो जाता।


इसी तरह कुछ एलीमेन्ट जरूरत के हिसाब से अपनी कंडीशन बदल भी लेते हैं।


मिसाल के तौर पर नाईट्रोजन गैस होती है। लेकिन पौधों की खाद की जरूरत पूरी करने के लिए ये नाइट्रेट बनाकर ठोस शक्ल में आ जाती है।


कुछ केसेज में एक एलीमेन्ट अगर कहीं काम आता है तो दूसरा एलीमेन्ट उसी फील्ड में कुछ अलग तरह से काम आ जाता है। एक अच्छा आईना बनाने के लिए चाँदी की पालिश करते हैं, वहीं अगर ऐसा आईना बनाना है जिसके एक तरफ तो चेहरे की शबी दिखे और दूसरी तरफ से आरपार दिखाई दे तो प्लेटिनम की पालिश से यह काम हो जाता है। अल्लाह की कुदरत देखिए कि दोनों एलीमेन्ट एक ही काम अलग अलग तरीके से कर रहे हैं। कभी सोने और चांदी के सामने प्लेटिनम कौड़ियों के मोल बिकता था। लेकिन आज अपने क्वालिटीज़ की वजह से यह सबसे कीमती धातु बन चुकी है।


कुछ ऐसे भी एलीमेन्ट परवरदिगारे आलम ने खल्क किये हैं जो अलग अलग रूप व रंग में अलग अलग तरह से काम आते हैं। मिसाल के तौर पर कार्बन। कोयले की शक्ल में ईंधन होता है, तो हीरे की शक्ल में जवाहर। ग्रेफाइट की शक्ल में मज़बूत पेंसिल की तरह काम करता है तो परफ्यूम से लेकर फिल्टर जैसी बीसियों कारआमद चीजों मे नजर आता है। साथ ही ये हर जिन्दा चीज़ का बुनियादी जुज़ है।


अलग पहचान बनाने के बावजूद एलीमेन्ट्‌स में आपस में कई तरह की शबाहतें भी होती हैं। जैसे कि लोहा, तांबा, जिंक जैसे एलीमेन्ट धातु है, वहीं ऑक्सीजन, हाईड्रोजन और नाईट्रोजन गैस हैं।


यह पाया गया है कि एलीमेन्ट्‌स को उनकी शबाहत की बिना पर अलग अलग ग्रुपों में रखा जा सकता है। और ग्रुपों का यह मजमुआ पीरियाडिक टेबिल कहलाता है। यानि अल्लाह ने बहुत सारे एलीमेन्ट खल्क करने के बाद उन्हें पहचानने और उनकी अनजान खासियतों को मालूम करने के लिए कुछ आसान तरीके रख दिये हैं।


इन शबाहतों में भी अल्लाह की मसलहत छुपी हुई है। अगर कोई एलीमेन्ट कम मयस्सर है या नहीं मिल पा रहा है तो उसकी जगह दूसरे से काम लिया जा सकता है। मिसाल के तौर पर कम्प्यूटर के सर्किट बनाने में सिलिकान का इस्तेमाल होता है। लेकिन अगर सिलिकॉन मयस्सर नहीं है तो उसकी जगह जर्मेनियम या गैलियम का भी इस्तेमाल होता है। इसी तरह एटॉमिक एनर्जी हासिल करने के लिए यूरेनियम के साथ प्लूटोनियम और थोरियम का भी इस्तेमाल होता है।


खालिके कायनात ने एलीमेन्ट्‌स को कुछ इस तरह भी खल्क किया है कि वो हमारी हर तरह की जरूरत आपस में मिलकर पूरी कर सकें।


मिसाल के तौर पर हमें बिजली की जरूरत है तो उसको एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए कॉपर और एल्यूमिनियम जैसे एलीमेन्ट मौजूद हैं जिनके तारों में बाआसानी बिजली रवाँ हो जाती है। इसी के साथ कुदरत में कार्बन जैसे ऐसे भी एलीमेन्ट मौजूद हैं जिनकी मदद से रबर और प्लास्टिक जैसे इन्सुलेटर बनाये जा सकते हैं, ताकि वही बिजली हमारे जिस्म को कोई नुकसान न पहुंचा दे। जरा गौर कीजिए कि अगर इन्सुलेटर न होते तो जिस तरह बादलों की बिजली का हम इस्तेमाल नहीं कर पा रहे, उसी तरह इंसान की बनाई बिजली भी किसी काम की न रह जाती। अगर अल्लाह ने साँस लेने में निहायत जरूरी ऑक्सीजन खल्क की तो उसको बैलेंस करने के लिए नाईट्रोजन जैसी गैस भी खल्क कर दी। ताकि यही ऑक्सीजन इतनी ज्यादा न हो जाये कि फेफड़ों के सेल्स को ही जलाना शुरू कर दे।


इस तरह हम देखते हैं कि हर एलीमेन्ट अपने में हैरत अंगेज है।

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