अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

तक़िय्यह कहाँ पर हराम है

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इस ग़लत फ़हमी की असली वजह शियों के अक़ीदेह के बारे में मुकम्मल मालूमात का न होना है, हमारा ख़याल है कि ऊपर बयान की गई वज़ाहत से यह मसला कामिल तौर पर रौशन हो गया होगा।

 

लेकिन इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि कुछ जगहोँ पर तक़िय्यह हराम है। और यह उस मक़ाम पर है जहाँ असासे दीनो व इस्लाम व क़ुरआन या निज़ामे इस्लामी ख़तरे में पड़ जाये।

 

ऐसे मौक़ों पर इंसान को चाहिए कि अपने अक़ीदेह को ज़ाहिर करे चाहे इस अक़ीदेह को ज़ाहिर करने पर कितनी ही बड़ी क़ुरबानी क्योँ न देनी पड़े। हमारा मानना है कि आशूर को कर्बला में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का क़ियाम इसी हदफ़ के लिए था।

 

क्योकि बनी उमय्यह के बादशाहों ने इस्लाम की असास को ख़तरे में डाल दिया था। हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़ियाम ने उन के कामों पर से पर्दा हटा दिया और इस्लाम को ख़तरे से बचा लिया।

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Abbas Nayani:Nayani
2017-07-16 05:12:22
JazakAllah ho khair
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