हज़रते रसूले खुदा की नायाब हदीसे
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
अहले दीन के साथ बैठना दुनिया और आख़ेरत का शरफ है।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
सफर मे नमाज़ रोज़े का क़स्र करना मेरी उम्मत के लिऐ मख्सूस तोहफा हैं लिहाज़ा जिसने कस्र नही किया गोया उसने खुदा के तोहफे को रद्द किया।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
जो शख्स सलाम से पहले क़लाम करे उसके कलाम का जवाब ना दो और जब तक सलाम ना करे उसे खाने की दावत न दो।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
गीबत ज़िना से बदतर है साहिबे ज़िना को खुदा माँफ कर देगा लेकिन साहिबे गीबत को उस आदमी से माँफी माँगना ले जिसकी गीबत की है।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
बेहतरीन इंसान वो है जो लोगो को खाना खिलाए, सलाम में सबकत करे और नमाज़े शब पढ़े।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
काबिले लानत तीन हैः
1 सफर में तन्हा खाना खाने वाला।
2 घर में तन्हा सोने वाला।
3 सहरा मे तन्हा सफर करने वाला।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
ईमान और कन्जुसी एक दिल में जमा नही हो सकता।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
अहद का वफा करना ईमान का जुज़ है।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
बेटे का वालैदैन की तरफ मौहब्बत की निगाह से देखना इबादत है।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
शर्म और हया करना ईमान का जुज़ है।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
वो हम मे से नही है जो हमारे बड़ो का अहतेराम न करे और जो हमारे छोटो पर रहम न करे।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
शरमिंदगी तौबा है।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
जो दूसरो पर रहम नही करता रोज़े क़यामत उस पर भी रहम नही किया जाऐगा।
हज़रते रसूले खुदा स.अ.व.व
मुसाफेहा किया करो क्यूं कि इस से आपसी दुश्मनी खत्म होती है।