क़सीदा

तशनाकामी बेकसी ग़ुरबत फ़रेबे दुश्मनां

नोके ख़न्जर ,बारिशे पैकां बलाऐ ख़ूंचकां

 

है दमें शमशीर से भी तेज़ तर राहे जहां

हर क़दम इक मरहला है हर नफ़्स इक इम्तेहां

 

ज़िन्दगी फिर अहले दिल की है अब आसानी तलब

ये वह मय है जिसका हर क़तरा है क़ुर्बानी तलब

 

फ़ितरते आदम को कर देती है क़ुर्बानी बलन्द

दिल पे ख़ुल जाती है उसके नूर से हर राह बन्द

 

मेहरो मय होते हैं उसकी ख़ाके पा से अरजुमन्द

है फ़रिश्तों के गुलूऐ पाक से उसकी कमन्द

 

सर वह जिसमें ज़ौकें क़ुर्बानी हो झुक सकता नहीं

सिर्फ़ तिनकों से बङा सैलाब रूक सकता नहीं

 

गुलशनें सिदक़ो सफ़ा का लालऐ रंगी हुसैन

शम्में आलम मशअलें दुनिया चराग़ें दीं हुसैन

 

सर से पा तक सर ख़ही अफ़सान-ए- ख़ूनी हुसैन

जिस पे शाहों की ख़ुशी क़ुर्बान वो ग़मगीं हुसैन

 

मतलाऐ नूरे महो परवीं है पेशानी तेरी

बाज लेती है हर इक मज़हब से क़ुर्बानी तेरी

 

जाद-ए आलम में है रहबर तेरा हर नक़्शे क़दम

सायाऐ दामन है तेरी परवरिश गाहे ईरम

 

बाद-ए हस्ती का हस्ती से तेरी है कैफ़ो कम

उठ नही सकता तेरे आगे सरे लौहो क़लम

 

तूने बख़्शी है वह रफ़अत एक मुश्ते ख़ाक को

जो बई सरकरदगी हासिल नहीं अफ़लाक़ को

 

साथी-ए-बज़्में हक़ीक़त नग़मा-ए-साज़े मजाज़

नाज़ के आइना-ए-रौशन में तस्वीरे नियाज़

 

दीद-ए-हक़ बीं ,दिल-ए-आगाह ,निगाह-ए-पाकबाज़

रौनक़े शाहे अजम ऐ ज़ीनते सुब्हे हिजाज़

 

तूने बख़्शी हर दिले मर्दा को शम्मे हयात

जिसके परतों से चमक उठ्ठी जबीने कायनात

 

बारिशे रहमत का मुशदेह बाबे हिकमत की किलीद

रोज़े रौशन की बशारत ,सुब्हे रंगी की नवीद

 

हर निज़ामें कोहना को पैग़ामे आईने जदीद

ऐ कि है तेरी शहादत अस्ल में मर्गे यज़ीद

 

तेरी मज़लूमी ने ज़ालिम को किया यूँ बे निशां

ढ़ुंढ़ता फिरता है उसकी हड्डियों को आसमां

 

हर गुले रंगी शहीदे ख़न्जरे जौरे ख़िज़ां

हर दिले ग़मगीं हलाके नशतरे आहो फ़ुग़ां