अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम और हिन्दुस्तानी हकीम

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एक बार इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम मंसूर दवांक़ी के दरबार मे गऐ। वहा एक हिन्दुस्तानी हकीम बाते कर रहा था और इमाम बैठ कर उसकी बाते सुनने लगे आखिर मे उस हिन्दुस्तानी हकीम ने इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की तरफ मुतावज्जे हो कर आपसे कहा कि अगर आप को मुझ से कुछ पूछना हो तो पूछ सकते है।


इमाम ने उस से कहाः मै क्या पूछू मै खुद तुझ से ज़्यादा जानता हूँ।


हकीम ने कहाः अगर ये बात है तो मै भी कुछ सुनु।


इमाम ने फरमायाः जब किसी बीमारी का गलबा हो तो उसका इलाज उसकी ज़िद्द से करना चाहिऐ यानी गर्म का इलाज सर्द से , तर का इलाज खुश्क से , खुश्क का तर से और हर हालत मे खुदा फर भरोसा रखना चाहिऐ।


याद रखो कि मेदा (पेट) तमाम बीमारीयो का घर है और परहेज़ सौ दवाओ की एक दवा है। जिस चीज़ का इंसान आदी हो जाता है उसके मिज़ाज के मुवाफिक़ और उसकी सेहत का सबब बन जाती है।


हकीम ने कहाः बेशक आपने जो कुछ भी बयान फरमाया यही अस्ल तिब है।


उसके बाद इमाम ने फरमाया कि अच्छा मै चंद सवाल करता हूँ। इनका जवाब दो।


फिर इमाम ने अपने सवाल हकीम के सामने रखेः


आँसू और रतूबतो (नाक वग़ैरा) की जगह सर मे क्यो है ?


सर पर बाल क्यो है ?


पेशानी (माथा) बालो से खाली क्यो है ?


पेशानी पर खत और शिकन (लाईन्स) क्यो है ?


दोनो पलके आँखो के उपर क्यो है ?


नाक का सूराख नीचे की तरफ क्यो है ?


मुँह पर दो होठ क्यो है ?


सामने के दाँत तेज़ और दाढ़े चौड़ी क्यो है ?


और इन दोनो के दरमियान लम्बे दाँत क्यो है ?


दोनो हथेलिया बालो से खाली क्यो है ?


मरदो के दाढ़ी क्यो है ?


नाखून और बालो मे जान क्यो नही है ?


दिल पान की शक्ल का क्यो होता है ?


फेपड़े के दो टुकड़े क्यो होते है ?


और वो अपनी जगह हरकत क्यो करता है ?


जिगर की शक्ल उत्तल ( Convex) क्यो है ?


गुर्दे की शक्ल लोबीये के दाने की तरह क्यो है ?


दोनो पाँव के तलवे बीच से खाली क्यो है ?


हकीम ने जवाब दियाः मै इन बातो का जवाब नही दे सकता।


इमाम ने फरमायाः बफज़ले खुदा मै इन तमाम बातो के जवाब जानता हुँ।


हकीम ने कहाः बराऐ करम जवाब भी बयान फरमाऐ।


अब इमाम ने जवाब देना शुरू किया।


1. सर अगर आसुओ और रूतूबतो (नाक वग़ैरा) का मरकज़ ना होता तो खुशकी की वजह से टुकड़े टुकड़े हो जाता।


2. सर पर बाल इसलिऐ है कि उनकी जड़ो से तेल वग़ैरा दिमाग तक पहुँचता रहे और दिमाग गर्मी और ज़्यादा सर्दी से बचा रहे।


3. पेशानी (माथा) इसलिए बालो से खाली होता है कि इस जगहा से आखोँ मे नुर पहुँचता है।


4. पेशानी मे शिकन (लाईंस) इसलिऐ होती है कि सर से जो पसीना गिरे वो आँखों मे न पड़ जाऐ और जब माथे की शिकनों मे पसीना जमा हो तो इंसान पोछ कर फेंक दे जिस तरह जमीन पर पानी जारी होता है तो गढ़ो मे जमा हो जाता है।


5. पलके इस लिऐ आँखो पर क़रार दी गई है कि सूरज की रोशनी इस क़दर पड़े कि जितनी ज़रूरूत है और बवक्त जरूरत बंद होकर आँख की हिफाज़त कर सके और सोने मे मदद कर सके।


6. नाक दोनो आँखो के बीच मे इस लिऐ है कि रोशनी बट कर बराबर दोनो आँखो तक पहुँच जाऐ।


7. आँखो को बादामी शक्ल का इसलिऐ बनाया है कि जरूरत के वक्त सलाई से दवा (सूरमा , काजल वगैरा) इसमे आसानी से पहुँच जाऐ।


8. नाक का सुराख नीचे को इस लिऐ बनाया कि दिमागी रूतूबत (नाक वगैरा) आसानी से निकल सके और अगर ये छेद उपर होता तो दिमाग तक कोई खुशबू या बदबू जल्दी से न पहुँच सकती।


9. होठ इसलिऐ मुँह पर लगाऐ गऐ है कि जो रूतूबत दिमाग़ से मुँह मे आऐ वो रूकी रहे और खाना भी आराम से खाया जा सके।


10. दाढ़ी मर्दो को इसलिऐ दी गई कि मर्द और औरत का फर्क पता चले।


11. अगले दाँत इसलिऐ तेज़ है कि किसी चीज़ का काटना आसान हो और दाँढ़ को इसलिऐ चौड़ा बनाया कि खाने को पीसना और चबाना आसान हो और इन दोनो के दरमियान लम्बे दाँत इसलिऐ बनाऐ कि इन दोनो को मज़बूती दे जिस तरह मकान की मज़बूती के लिऐ पीलर्स होते है।


12. हथेलियो पर बाल इस लिऐ नही है कि किसी चीज़ को छूने से उसकी नर्मी , सख्ती , गर्मी और सर्दी वग़ैरा आसानी से मालूम हो जाऐ।


13. बाल और नाखून मे जान इस लिऐ नही है कि इनका बढ़ना दिखाई देता है और नुक़सान देने वाला है। अगर इन मे जान होती तो काटने मे तकलीफ होती।


14. दिल पान की शक्ल का इसलिऐ होता है कि आसानी से फेपड़े मे दाखिल हो सके और इसकी हवा से ठंडक पाता रहे ताकि इस से निकलने वाली गैस दिमाग़ की तरफ चढ़ कर बीमारीया पैदा न करे।


15. फेपड़े के दो टुकड़े इसलिऐ हुऐ कि दिल उन के दरमियान है और वो इसको हवा देते रहे।


16. जिगर उत्तल ( Convex) इस लिऐ हुआ है कि अच्छी तरह मैदे के उपर जगह पकड़ ले और अपनी गिरानी और गर्मी से खाने को हज़म करे।


17. गुर्दा लोबीये की शक्ल का इसलिऐ होता है कि मनी (वीर्य) पीछे की तरफ से उस मे आता है और इसके फैलने और सुकड़ने की वजह से आहिस्ता आहिस्ता निकलता है जिसकी वजह से इंसान को लज़्ज़त (मज़ा) महसूस होती है।


18. दोनो पैरो के तलवे बीच मे से इसलिऐ खाली है कि किनारो पर बोझ पड़ने से आसानी से पैर उठा सके और अगर ऐसा न होता और पूरे बदन का बोझ पैरो पर पड़ता तो सारे बदन का बोझ उठाना मुश्किल हो जाता।


इन जवाबो को सुनकर हिन्दुस्तानी हकीम हैरान रह गया और कहने लगा कि आप ने ये इल्म कहा से हासिल किया।


इमाम सादिक़ ने फरमायाः अपने बाप-दादा से और उन्होने रसूले खुदा से हासिल किया है और उन्होने इस इल्म को खुदा से हासिल किया था।


वो हकीम कहने लगे कि मै गवाही देता हुँ कि कोई खुदा नही सिवा एक के और मौहम्मद उसके रसूल और खास बन्दे है और आप इस जमाने के सबसे बड़े आलिम है।

(मनाकिब जिल्द 5 पेज न. 46)

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