अबूसब्र और अबूक़ीर की कथा-3

हमने कहा कि इस्कन्दरिया शहर में अबूक़ीर और अबूसब्र नाम के दो व्यक्ति थे वह दोनों दोस्त थे जिसमें से एक रंगाई का काम करने वाला और दूसरा नाई था। अबूक़ीर झूठा और मक्कार इंसान था जबकि उसका साथी अबूसब्र ऐसा नहीं था। काम में मंदी के कारण दोनों इस्कंन्दरिया नगर छोड़कर किसी दूसरे नगर में चले।  पूरे रास्ते अबूक़ीर खाता और सोता रहा और अबूसब्र काम करता था।

 

काम अधिक होने के कारण अबूसब्र बीमार हो गया और उसका साथी अबूक़ीर जो एक पाखंडी व झूठा इंसान था उसे छोड़कर काम की खोज में चला गया। चूंकि उस नगर में रंगाई का काम करने वाले काले रंग के अलावा किसी और रंग से काम करने से अवगत ही नहीं थे इसलिए वहां के राजा की सहायता से उसका काम धंधा अच्छा चल गया। राजा ने रंग करने के लिए पांच सौ गज़ कपड़ा उसकी दुकान भेजा। अबूक़ीर ने कपड़ों को रंगा और उन्हें अपनी दुकान के सामने धूप में फैला दिया ताकि सूख जायें। चूंकि लोगों ने अब तक रंग बिरंगे रंगे कपड़ों को नहीं देखा था इसलिए वे इन कपड़ों को बड़े आश्चर्य से देख रहे थे और अबूक़ीर से रंगों का नाम पूछते थे। जब रंगे हुए कपड़े सूख गये तो अबूक़ीर उन्हें एकत्रित करके राजा के महल में ले गया। राजा रंग बिरंगे कपड़ों को देखकर बहुत खुश हुआ और उसने अबूक़ीर को बहुत सारा पैसा दिया। संक्षेप यह कि इस रास्ते से अबूक़ीर ने खूब पैसा कमाया। पूरे शहर में अबूक़ीर का नाम प्रसिद्ध हो गया और उसकी दुकान “रंगखानये पादशाह” अर्थात राजा के कपड़ों को रंग करने के नाम से प्रसिद्ध हो गयी। रंग करने वाले अबूक़ीर का हाल यह हुआ परंतु अब देखते हैं कि अबू सब्र का क्या हुआ?

 

इसके बाद कि जब अबूसब्र बीमार पड़ गया था और अबूक़ीर उसे छोड़कर चला गया तो वह तीन दिनों तक बेहोश पड़ा था चौथे दिन उसे होश आया तो उसने रोना शुरु कर दिया। सराय की देखभाल करने वाला चौकीदार उसके कमरे के पास से गुज़रा तो उसने उसके रोने की आवाज़ सुनी। उसके कमरे के निकट गया तो देखा कि उसमें ताला बंद है। उसने चाभी ढूंढ़ी और ताला खोल कर कमरे के अंदर गया। वहां पर उसने देखा कि अबूसब्र बेहाल पड़ा है और रो रहा है। सराय के चौकीदार ने उससे पूछा तुम्हारा साथी कहां गया? अबूसब्र ने कहा मुझे पता नहीं कुछ दिनों  से मैं बेहोश पड़ा था। आज मैं होश में आया हूं तो किसी को नहीं देखा। मैं बहुत भूखा हूं। आओ जो थैला मेरी जेब में है उसे निकालो और उसमें से एक सिक्का ले लो और मेरे खाने का प्रबंध करो।

 

सराय के चौकीदार ने अबूसब्र की जेब से थैला निकाला परंतु वह खाली था। अबूसब्र समझ गया कि अबूक़ीर ने उसके पैसे निकाल लिये हैं अबूसब्र ने एक आह भरी और कहा तो वह मेरे सिक्के लेकर भाग गया है। उसके बाद उसने रोना शुरु कर दिया। सराय का चौकीदार उसे ढ़ारस बंधाई और कहा उससे परेशान न हो ईश्वर उसके कार्यों का दंड उसे अवश्य देगा। उसके बाद वह कमरे से बाहर चला गया और एक प्याले में गर्म अर्थात विशेष ईरानी व्यंजन लेकर आया। अबूसब्र ने गर्म़ गर्म आश खाई और उसे दुआ दी और उसकी देख भाल करता था। धीरे-२ अबूसब्र ठीक हो गया। उसने सराय के चौकीदार के प्रेमपूर्ण व्यवहार की सराहना व प्रशंसा की और कहा हे भाई अगर ईश्वर ने मुझे सक्षम बना दिया तो मैं तुम्हारी अच्छाई का बदला चुकाऊंगा। सराय के चौकीदार ने कहा मैंने जो कुछ किया है वह ईश्वर की प्रसन्नता के लिए किया है और अब ईश्वर का आभार प्रकट करता हूं कि तुम ठीक हो गये हो। अबू सब्र सराय से बाहर आया और शहर के बाज़ार में गया और बाज़ार में घूमने और देखने लगा। संयोग से वह अबूक़ीर की दुकान तक पहुंच गया। देखा कि लोग उसकी ओर के चारों ओर इकट्ठा हैं वह आगे गया और एक व्यक्ति से पूछा यहां कहा है? लोग किस लिए यहां इकट्ठा हुए हैं?

 

व्यक्ति ने जवाब दिया यहां राजा का रंगखाना है। अबूक़ीर नाम का एक व्यक्ति इस दुकान का मालिक है और वह एक दक्ष रंग करने वाला है। वह दूसरे शहर से यहां आया है वह उन रंगों को जानता व पहचानता है जिसे हमारे शहर का कोई भी रंगरेज़ नहीं जानता है। लोग उसकी दुकान पर उसके रंगे हुए कपड़ों को देखने के लिए इकट्ठा हुए हैं। अबूसब्र अपने दोस्त का नाम सुनकर प्रसन्न हो गया उसके बाद उसने अपने आपसे कहा तो अबूक़ीर मुझे देखने के लिए नहीं आया तो इसका कारण यह था कि उसके पास काम बहुत है परंतु निश्चित रूप से उसको मेरी अच्छाइयां भूली नहीं होंगी। जब वह बीमार था तो मैं काम करता था और उसका खर्चा-पानी देता था अब अगर वह मुझे देखेगा तो प्रसन्न होगा। इस सोच के साथ अबूसब्र उसकी दुकान में दाखिल हुआ। उसने देखा कि अबूक़ीर एक ऊंचे स्थान पर बैठा है और आठ दास उसके किनारे खड़े हैं वह इस प्रतीक्षा में था कि उसका साथी अबूक़ीर उसे देखकर खुशहाल होगा और उसका स्वागत करेगा परंतु जैसे ही अबूक़ीर की नज़रें उस पर पड़ीं चिल्लाकर कहा हे निर्लज्ज चोर फिर मेरी दुकान में आ गया?

 

मैंने नहीं कहा था कि दोबारा मेरी दुकान में क़दम नहीं रखना? इसके बाद उसने अपने दासों की ओर देखा और चिल्लाकर कहा इस आदमी को जल्दी पकड़ो और दुकान से बाहर करो। दासों ने अबूसब्र को पकड़ लिया और जैसे ही उन लोगों ने उसे दुकान से बाहर करना चाहा अबूक़ीर चिल्लाया उसे मेरे पास ले आओ। दास, अबूसब्र को बधे हुए हाथों के साथ अबूक़ीर के पास ले गये। अबूक़ीर के हाथ में जो छड़ी थी उसने उसे उठाया और उससे कई बार अबू सब्र के पेट पर मारा और कहा अगर तुम दोबारा यहां आये तो तुम्हें राजा के पास ले जाऊंगा ताकि वह तुम्हारे सिर को तुम्हारे बदन से अलग करने का आदेश दे दे। अबूसब्र को विश्वास नहीं हो रहा था कि यह उसका साथी अबूक़ीर है वह चुपचाप हतप्रभ नज़रों से अबूक़ीर को देख रहा था। अबूक़ीर के दास अबूसब्र को दुकान से बाहर ले गये। जो लोग दुकान में थे उन्होंने अबूक़ीर से पूछा कि इस आदमी ने क्या किया था जिसकी वजह से तुमने उसके साथ इस प्रकार का व्यवहार किया?

 

अबूक़ीर ने जवाब में कहा वह कई बार मेरी दुकान में चोरी कर चुका है और लोगों का कपड़ा उठा ले गया और हर बार लोगों का घाटा मैंने अपनी जेब से दिया और मैंने उससे सुशील अंदाज़ में कहा कि चोरी करना छोड़ दो परंतु वह इस काम से बाज़ नहीं आ रहा है और फिर चोरी करने के लिए हमारी दुकान में आया था। इस वजह से मैंने इस बार उसके साथ इस प्रकार का व्यवहार किया और ईश्वर की सौगन्ध अगर वह एक बार और यहां आ गया तो उसे राजा के पास भेज दूंगा ताकि वह उसे दंडित करे। अबूसब्र घायल शरीर और टूटे हुए दिल के साथ सराय लौट आया और कई दिनों तक वह कमरे में ही रहा और आराम किया यहां तक कि उसके घाव ठीक हो गये। उसके बाद वह सराय से बाहर निकला और उसने हम्माम यानी स्थानगृह जाना चाहा तो उसने एक आदमी से पूछा कि शहर का हम्माम कहां है? उसने आश्चर्य से पूछा कि हम्माम क्या चीज़ है? अबूसब्र ने कहा हम्माम वह जगह है जहां लोग अपने सिर और शरीर के दूसरे अंगों को धोते हैं तो उस आदमी ने कहा हम स्वयं को धोने के लिए समुद्र जाते हैं। अबूसब्र समझ गया कि इस नगर में हम्माम नहीं है और लोगों को हम्माम के बारे में पता नही हैं। उसके दिमाग़ में एक विचार आया और वह राजा के पास जा पहुंचा। उसने राजा से मुलाक़ात की अनुमति मांगी। उसे मिलाने के लिए राजा के पास ले जाया गया।