अबूसब्र और अबूक़ीर की कथा-5

अबू क़ीर रंगरेज़ और अबू सब्र नाई था। अबू क़ीर झूठा और धोखेबाज़ था लेकिन अबू सब्र ऐसा नहीं था। धंधा नहीं हो पाने के कारण दोनों ने यात्रा का निर्णय किया। सफ़र में अबू क़ीर बस खाता और सोता था और अबू सब्र काम करता था। ज़्यादा काम करने के कारण अबू सब्र बीमार पड़ गया। अबू क़ीर ने अपने दोस्त को उसी हालत में छोड़ा और शहर में काम ढूंढने निकल पड़ा।

 

शहर में जितने रंगरेज़ थे वह काले रंग के अलावा और कोई रंग नहीं जानते थे। इस तरह अबू क़ीर ने वहां के राजा की मदद से अपना कारोबार खड़ा कर लिया और उसकी आमदनी होने लगी। उसकी दुकान राजा का रंगख़ाना के नाम से मशहूर हो गई। अबू सब्र भी तबीयत में सुधार आने के बाद काम की तलाश में निकला और उसने राजा की मदद से एक सार्वजनिक हम्माम बना लिया। उसने एलान कर दिया कि हमाम में नहाने के लिए जिसके पास जितने पैसे हैं उतने ही दे दे। उसने हम्माम का दरवाज़ा खोल दिया और लोग झुंड के झुंड आने लगे और हम्माम में नहाने लगे। लोग नहाते और फिर जितने पैसे उनके पास होते थे उसी हिसाब से नहाने का पैसा देकर चले जाते थे। सबू सब्र ने देखा कि रात होने से पहले ही उसका संदूक़ पैसों से भर गया है। अगले दिन अबू सब्र को सूचना दी गई कि रानी हम्माम में नहाने के लिए आने वाली हैं। अबू सब्र ने एलान कर दिया कि आज हम्माम में पुरुषों का आना मना है। उसने संदूक़ पर एक दासी को बिठा दिया और ख़ुद घर चला गया।

 

 

रानी अपनी दासियों के साथ हम्माम में गई और लौटते समय एक हज़ार सिक्के दे गई। उसके बाद से नियम हो गया कि सुबह से दोपहर तक हम्माम पुरुषों के लिए और दोपहर से रात तक महिलाओं के लिए विशेष रहेगा। एक दिन क़बतान भी हम्माम में आया जो समुद्री यात्रा में अबू सब्र के साथ बहुत मेहरबानी से पेश आया था। अबू सब्र ने उससे नहाने के पैसे नहीं लिए। अब अबू क़ीर का क़िस्सा सुनिए। हम्माम की ख्याति अबू क़ीर तक पहुंची। एक दिन वह भी घोड़े पर सवार होकर हम्माम पहुंचा उसके साथ आठ ग़ुलाम थे। अबू सब्र उसे देखकर बहुत खुश हुआ। अबू क़ीर ने नाराज़ होकर कहा कि ख़ूब दोस्ती निभाई है तुमने। इतने दिन हो गए मुझे तुम्हारी कोई ख़बर नहीं मिली। इसी शहर में कपड़े रंगने की मेरी दुकान है जो बहुत मशहूर है लेकिन तुम कभी नहीं आए। मैं तुमको ढूंढ ढूंढ के थक गया। मैं अपने ग़ुलाम रोज़ाना सराय में भेजता था कि तुम्हारे बारे में लोगों से पूछे लेकिन तुम्हारा कुछ पता ही नहीं चला। अबू सब्र ने कहा कि अरे तुम भूल गए मैं तो तुम्हारी दुकान पे आया था। तुमने मुझ पर चोरी का इलज़ाम लगा दिया और मेरी पिटाई भी करवाई और बाहर निकाल दिया।

 

 

अबू क़ीर सकपका गया और फिर खिसयानी हंसी हंसते हुए कहने लगा तो वह तुम थे। मैं क़सम खाता हूं तुम्हारे जैसा ही एक व्यक्ति रोज़ आकर मेरी दुकान से चोरी करता था। यह कहकर अबू क़ीर बहुत शर्मिंदा हो गया। उसने अफ़सोस के साथ कहा कि मैं कितना घटिया इंसान हूं कि अपने दोस्त पर चोरी का इलज़ाम लगा बैठा। लेकिन ग़लती तुम्हारी भी है। तुमने अपना परिचय क्यों नहीं करवाया। अब तुम मुझे माफ़ कर दो। अबू सब्र ने विनम्रता से कहा कि मैंने तुम्हें माफ़ किया। अब तुम हम्माम में जाओ। मैं अभी आकर नहाने में तुम्हारी मदद करता हूं। अबू क़ीर ने कहा कि नहाने से पहले मैं यह जानना चाहता हूं कि तुमने यह हम्मा कैसे खोला और यह इतना चल पड़ा। अबू सब्र ने पूरी कहानी और राजा से मिलने वाली मदद के बारे में अबू क़ीर को बता दिया। इसके बाद अबू क़ीर हम्माम में गया और नहाकर बाहर निकला। अबू सब्र ने उसे चाय पिलाई और मिठाई खिलाई। जाते समय अबू क़ीर ने नहाने का पैसा देना चाहा तो अबू सब्र ने लेने से इंकार कर दिया।

 

 

उसने कहा कि हम आपस में मित्र हैं पैसे की क्या बात है। अबू क़ीर ने कहा कि तुम्हारा बहुत शुक्रिया। चलते चलते एक बात कहना चाहता हूं जो तुम्हारे बहुत काम आएगी। तुमने जो हम्माम बनाया है बहुत अच्छ और ख़ूबसूरत है लेकिन इसमें एक कमी है। अबू सब्र ने ताज्जुब से पूछा कि क्या कमी है। अबू क़ीर ने कहा कि हमारे शहर में चूने से एक दवा बनाई जाती थी और नहाते समय उसे लोग बदन पर मलते थे जिससे बदन बहुत साफ़ हो जाता था। तुम यह दवा बनाओ और जब राजा नहाने आए तो उसे इस दवा के बारे में बताओ और उसे उससे नहलाओ। राजा को वह दवा पसंद आएगी और वह तुम्हें इनाम देगा। अबू सब्र ने कहा कि यह तो बड़ी अच्छी बात तुमने बताई। मैं एसा ही करूंगा। अबू क़ीर विदा लेकर चल पड़ा। अबू क़ीर ईर्ष्यालु व्यक्ति था। उसने यह चाल चली थी कि अबू सब्र बदनाम हो जाए। वह सीधे राजा के महल पहुंचा और वहां जाकर उसने राजा से कहा कि मैं आपको बहुत चाहता हूं। मैं आपको एक बड़े राज़ के बारे में सूचित करने आया हूं। राजा ने कहा कि बताओ। अबू क़ीर ने कहा कि मैंने सुना है कि आपके आदेश से एक हम्माम बनाया गया है। राजा ने कहा कि हां एक ग़रीब व्यक्ति आया था। उसने मुझे हम्माम के फ़ायदे गिनवाए। मैंने हम्माम बनाने का आदेश दे दिया। अबू क़ीर ने कहा कि क्या आप हम्माम में नहाने गए हैं। राजा ने कहा कि हां गया हूं। अबू क़ीर ने कहा कि चलिए अच्छा हुआ कि उस दुष्ट व्यक्ति ने आपको अब तक नुक़सान नहीं पहुंचाया है लेकिन आप जान लीजिए कि एक बार फिर अगर आप वहां गए तो आपकी मौत हो जाएगी। राजा ने हैरत से पूछा कि क्यों? अबू क़ीर ख़ुद बहुत दुष्ट आदमी था, उसने कहा कि अबू सब्र नाम का व्यक्ति आपका दुशमन है। उसने आपकी हत्या के लिए हम्माम बनवाया है।

 

 

वह आपको हम्माम में विषाक्त कर देना चाहता है। उसने एक दवा बनाई है जिसमें ज़हर है। जब आप हम्माम में जाएंगे तो वह कहेगा कि लाइए यह दवा आपके बदन पर लगा दूं ताकि आपका शरीर ख़ूब साफ़ हो जाए। यह दवा लगाने से आपकी मौत हो जाएगी। इस व्यक्ति ने दूसरे राजा को जो आपका शत्रु है वचन दिया है कि आपकी हत्या कर देगा और आपकी जेल में बंद उस राजा की पत्नी और बच्चों को स्वतंत्र करवाएगा। मैं वहां उस राजा की जेल में था और मैंने राजा से कहा कि मैं उसके लिए कई प्रकार के रंग बनाउंगा और मैने एसा ही किया और इसके बदले मुझे जेल से आज़ादी मिल गई।