अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इस्लाम मे नमाज़ की इब्तेदा

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तारीख और रिवायात के मुताबिक पहला हुक्म जो हज़रत मोहम्मद (स) पर नाज़िल हुआ वह नमाज़ पढ़ने का था। बेसत के शुरुआती दिनों में एक दिन जब नबी अकरम (स) मक्का से बाहर तशरीफ फरमा थे तो हज़रत जिबरईल नाज़िल हुऐ और अपना पैर पहाड़ पर मारा। पैर मारने से वहाँ एक चश्मा फूट पड़ा। इसके बाद जिबरईल (अ.स) ने नबी अकरम (स) को तालीम देने के लिऐ उसी पानी से वुज़ू किया और आप (स.अ.व.व) ने भी उनकी पैरवी की। फिर जिबरईल पैग़म्बरे अकरम (स) को नमाज़ पढ़ना सिखाया।

इस वाकेऐ के बाद पैगम्बर (स.अ.व.व) घर लौट आए और जो कुछ सीख कर आए थे वे हज़रत ख़दीजा और हज़रत अली (अ) को भी सिखाया और फिर उन दोनों ने भी नमाज़ अदा की। इसके बाद नबी अकरम (स.अ.व.व) कभी कभी नमाज़ पढ़ने की ग़रज़ से मक्के के दर्रों में तशरीफ़ ले जाते तो अली (अ) भी उनके पीछे चल दिया करते थे। कभी उनके साथ नमाज़ पढ़ते तो कभी (कुछ तारीखदानो के हिसाब से) वही दो लोग जो नबी अकरम (स) पर ईमान लाए थे मस्जिदे हराम या मिना में तशरीफ़ लाते और नमाज़ अदा करते।

अहले तारीख ने अफीफ किंदी से ये रिवायत की है। उसने कहा:

"" मैं एक व्यापारी था और हज की ग़रज़ से मक्के आया और अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब के हां कि जो मेरे दोस्ताना रवाबित भी थे, माल खरीदने के लिये गया। इसलिए इस दिन जब अब्बास के साथ मिना के मकाम पर था (कुछ हदीसों में मिना की बजाय मस्जिदुल हराम का ज़िक्र आया है।) मैंने एक आदमी को देखा जो अपने खेमे से बाहर आया और सूरज की तरफ देखने लगा। जब उसने देखा कि ज़ोहर का वक़्त हो गया है तो वुज़ू किया और काबा की तरफ मुंह करके नमाज़ अदा करने लगा। फिर एक लड़के को देखा जिसकी उम्र बूलूग़ियत के पास थी, आया और वुज़ू करके पहले शख्स के साथ नमाज़ के लिए खड़ा हो गया। इन दोनों के बाद एक औरत को देखा जो आई और इन दोनों के पीछे खड़ी हो गई। इसके बाद मैंने देखा कि वह आदमी रूकु में चला गया तो वह लड़का और औरत भी उसकी पैरवी करते हुए रूकू में चले गए। जब वह मर्द सजदे में गया तो वे दोनों भी सजदे में चले गए।

मैंने यह मंज़र देखने के बाद अपने मेजबान अब्बास से पूछा:

ओह! अब यह कैसा दीन है?

उसने जवाब दिया: यह मेरे भतीजे मोहम्मद (स.अ.व.व) बिन अब्दुल्लाह का दीन है। उसका अक़ीदा है कि खुदा ने उसे पैग़म्बर बनाकर भेजा है। और वह लड़का मेरा दूसरा भतीजा अली इब्ने अबी तालिब है और वह औरत इस मोहम्मद की बीवी खदीजा है।

अफीफ किन्दी मुसलमान होने के बाद कहा करता था: ऐ काश उनके साथ चौथा शख्स मै खुद होता।

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