कुरआने करीम मे इमामो के नाम

कुरआने करीम की आयात और रिवायात से मालूम होता है कि कुरआने करीम मे हर चीज़ का ज़िक्र मौजूद है और खुदा वंदे आलम ने इस मे हर चीज़ को बयान किया है जैसा कि कुरआने करीम मे इरशाद हुआ हैः

” وَ نَزَّلْنا عَلَیْکَ الْکِتابَ تِبْیاناً لِکُلِّ شَیْءٍ

 हमने आप पर किताब नाजिल की है जिस मे हर चीज़ की वज़ाहत मौजूद है।
(सूराऐ नहल आयत न. 89)

ما فَرَّطْنا فِی الْکِتابِ مِنْ شَیْءٍ“

हमने किताब मे किसी चीज़ के बयान मे कोई कमी नही की।

(सूराऐ इनआम आयत न. 38)

और नहजुल बलाग़ा मे भी इस बात का ज़िक्र हुआ हैः

وفی القرآن نباٴ ما قبلکم وخبر ما بعدکم و حکم ما بینکم

किताबे खुदा मे गुज़रे और आने वाले ज़माने की खबरे और ज़रूरत के अहकाम मौजूद है।

 

अहले सुन्नत ने भी मशहूर सहाबी इब्ने मसऊद से नक्ल किया है कि वो कहते है कुरआने करीम मे अव्वलीन व आखेरीन का इल्म है।

 

इस के बावजूद हम मुख्तलिफ जुज़ई अहकाम को देखते है कि जो कुरआने करीम मे नही मिलते है जैसे नमाज़ की रकअतो की तादाद, ज़कात की जिंस और निसाब, मनासिके हज, सफा व मरवा मे सई की तादाद, तवाफ की तादाद और इस्लामी हदो, क़ज़ावत के मामलात और शराएत और इमामो के नाम वग़ैरा।

 

बाज़ अहलेसुन्नत या वहाबी इन बातो की तरफ तवज्जो किये बिना जो कुरआने करीम मे बयान नही हुई है, इस मसले को पेश करते है कि हज़रत अली (अ.स.) का नाम कुरआने करीम मे क्यो नही आया।

 

और इस तरह वो कोशिश करते है कि इस मसले से शियो के विलायत और इमामत के दावे के खिलाफ इस्तेफादा करें।

 

लेकिन ये इस मकाले से ये बात साबित होती है कि हर चीज़ का नाम कुरआन मे नही है इसी लिऐ अहले सुन्नत का ये दावा ग़लत है कि अगर तुम्हारे इमाम हकीकी है तो उनका नाम कुरआन मे क्यो नही आया है।