फ़िदक से संबन्धित अनसुलझे सवाल

सुन्नी और शिया दोनों विद्वान इस बात पर एकमत हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़िदक अपने जीवन में ही हज़रत फ़ातेमा (स) के हवाले कर दिया था और आपके मज़दूर उन ज़मीनों पर कार्य किया करते थे। लेकिन पैग़म्बर (स) की वफ़ात के बाद फ़िदक को आपसे छीन लिया गया और यह कहा गया कि पैग़म्बर (स) मीरास नहीं छोड़ते हैं।

इस संक्षिप्त प्रस्तावना के बाद हम आपके सामने कुछ वह प्रश्न प्रस्तुत करने जा रहे हैं जिनका अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया गया है, और इन प्रश्नों का उत्तर न मिलना मामले को और गंभीर बना रहा है।

1. सबसे पहला प्रश्न यह है कि जो फ़िदक फ़ातेमा ज़हरा (स) के कंट्रोल में था उसको उनसे किस आधार छीन लिया गया?

2.दूसरा प्रश्न यह है किः अगर कोई चीज़ आपके हाथ में हो और कोई दूसरा उसको छीन ले तो अदालत में उस चीज़ को अपनी सम्पत्ति साबित करने के लिए गवाही छीनने वाले से मांगी जाएगी या आपसे?

ज़ाहिर है कि हर व्यक्ति यही कहेगा कि जिसने छीना है उससे गवाह मागा जाएगा, लेकिन हम फ़िदक के मामले में ठीक इसके उलट देखते हैं कि पहले ख़लीफ़ा ने फ़ातेमा (स) से फ़िदक छीना और उसके बाद गवाह भी फ़ातेमा (स) ही से मांगे जा रहें है यह अंधेर नहीं तो और क्या है?

3. अहले सुन्नत की तारीख़ में यह है कि उनके यहां पूरे 100 साल तक पैग़म्बर (स) की हदीस के लिखने और बोलने पर पाबंदी थी, आख़िर इसका कारण क्या था? मुझे तो यही लगता है कि यह पाबंदी इसलिए लगाई गई ताकि लोगों को वास्तविक्ता का पता न चले और सरकार जो चाहे वह करती रहे।

4.सीरए हल्बी जिल्द 3 पेज 488 में है कि हज़रते ज़हरा (स) ने अबू बक्र से कहाः

افی کتاب الله ان ترثک ابنتک ولا ارث ابی…

क्या यह क़ुरआन में लिखा है कि तेरे बेटी तो तुझ से मीरास पाए और मैं अपने पिता (पैग़म्बर) की मीरास न पाऊँ?  

अगरचे पहले ख़लीफ़ा ने कहा था कि पैग़म्बर (स) मीरास नहीं छोड़ते हैं और जो छोड़ते हैं वह सदक़ा होता है लेकिन इसके बावजूद एक बार जब हज़रते फ़ातेमा (स) उनको लाजवाब कर देती हैं तो पहले ख़लीफ़ा उनके लिए फ़िदक का पत्र लिखते हैं (सीरए हल्बी की जो हदीस ऊपर बयान की गई है उसमें आगे इस बारे में भी बयान किया गया है) इस प्रकार पहले ख़लीफ़ा अपने व्यवहार से बता रहे हैं कि मीरास न छोड़ने वाली हदीस सही नहीं है।

अब हम किस बात को सही माने पहले ख़लीफ़ा की पढ़ी हुई हदीस, या हदीस के विरुद्ध किया गया उनका अमल?

5.और ख़ुद दूसरे ख़लीफ़ा उमर ने भी कुछ शर्तों के साथ फ़िदक को वापस पलटाया था (और यह पलटाना बता रहा था कि यह दोनों ख़लीफ़ा अपने दावे में सही नहीं थे और पैग़म्बर की बेटी की बात सही थी फ़िदक उन्हीं की सम्पत्ति थी जिसको छीना गया था)  (सही मुस्लिम किताबुल जेहाद बाबुल फ़ै जिल्द 5, पेज 152 )

6.स्वंय पैग़म्बर (स) की पत्नियों ने भी पैग़म्बर (स) के बाद आपसे प्राप्त होने वाली अपनी मीरास की मांग की थी, अब प्रश्न यह है कि क्या पैग़म्बर (स) की पवित्र पत्नियों को यह पता नहीं था कि पैग़म्बर (स) ने स्वंय फ़रमाया है किः हम नबी मीरास नहीं छोड़ते हैं और जो छोड़ते हैं वह सदक़ा होता है?