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महिला के साथ मुतआ

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अब्दुल्लाहः समस्त प्रकार मुसलमान अबसार विवाह) को हराम व निषेध पर एकत्रित व इत्तेहाद है, क्यों तुम सब शिया इस विवाह को जाएज़ व शुद्ध जानते हो १

रिज़ाः उमर इब्ने ख़त्ताब के कहने के मुताविक़, कि (रसूले ख़ुदा (साः) उस विवाह को (अबसार विवाह को) हलाल व शुद्ध जानते थे... यही कारण है कि हम लोग इसे जाएज़ समझते है.

अब्दुल्लाहः पैग़म्बरे अकरम (साः) ने किया फ़रमाया है १

रिज़ाः (जाहिज़), (क़ुर्रुवी), (सर्ख़सि हनफ़ी), (फ़ख़रे राज़ी) अहले सुन्नत के प्रसिद्ध पेशवा और नेता ने इस कथा को नक़्ल किया है किः उमर ने स्वंय ख़ुतबा में फ़रमाया है किः

((متعتان کانتا علی عهد رسول الله (ص) و أنا أنهی عنهما و أعاقب عليها: متعه الحج، و متعة النساء؛))

दो प्रकार की महिला-औरत (अबसार विवाह) रसूल (साः) के यूग में (जाएज़ व शुद्ध) था लेकिन मै उस को निषेध घोषणा करता हूँ और उस कार्य-काम करने वालों को शास्ति प्रदान करुँगां. महिला-औरत हज(59)

महिला के साथ मुतआ करना (विवाह)(60) तारीख़े (इब्ने ख़ुल्लकान में आया है किः

उमर इब्ने ख़त्ताब ने फ़रमायाः ( दो प्रकार की महिला-औरत रसूल (साः) व अबुबक्र के यूग में जाएज़ व (शुद्ध) था लेकिन मै उस को निषेध घोषणा करता हूँ)।(61)

तुमहारे दृष्ट में इस विषय संम्बधं-सम्पर्क किया है १ किया उमर का कहना कि (दो प्रकार की महिला जो कहा गया है रसूल (साः) के यूग मे जाएज़ और शुद्ध था.) यह कथा झूटी है या सच्छी १!

अब्दुल्लाहः अल बत्ते उमर सठिक फ़रमा रहै है १

रिज़ाः इस विनापर, किया पैग़म्बरे अकरम (साः) के वाणी को परित्याग करना और उमर के कथा पर कोई विबरण रख़ती है १

अब्दुल्लाहः नहीं उमर इब्ने ख़त्ताब इस काम के लिए विस्तृत वयान करेगें।

रिज़ाः अर्थात ( हालाले मुहम्मद क़यामत के दिन तक हलाल और हरामे मुहम्मद क़यामत के दिन तक हराम है)।(62) किया अर्थ रख़ता है कि इस विषय पर समस्त प्रकार इस्लामी सम्प्रदाय के ज्ञानीयों प्रमाण व्यतीत एकत्रित दृष्ट रख़ता है।

अब्दुल्लाहः कुछ चूप रहने के बाद रिज़ाः कि तरफ़ अपना दृष्ट करके कहां सही कह रहै हो, लेकिन किस तरह ( उमर इब्ने ख़त्ताब) दो प्रकार मुतआ को निषेध घोषित किया और किस प्रमाण के साथ हराम क़रार दिया है १

रिज़ाः यह फ़तवा उमर के स्वयं तरफ़ से था अल बत्ते अगर कोई इज्तेहाद प्रदान करे और वे इज्तेहाद सुन्नत और नस के विपरीत हो किसी प्रकार से क़ाबिले क़बूल नहीं है और न-होगा.

अब्दुल्लाहः अगर यह इज्तेहाद उमर जैसे उधारण व्यक्ति से भी हो!१

रिज़ाः अगर उस से भी कोई महान व्यक्ति से भी क्यों ना-हो ध्यान देना जरुरी नहीं है. लेकिन यह बताउ तुमहारे दृष्ट में पैग़म्बरे अकरम (साः) के कहने पर इताअत व फ़र्माबर्दारी- तक़्लीद करना ज़रुरी है या उमर के कहने पर१

अब्दुल्लाहः किया क़ुरआन मजीद में ऐसी कोई आयेत मुतआ (अबसार विवाह संम्बधं पर) जाएज़ होने पर कोई आयेत उपस्तित है १

रिज़ाः हाँ, अल्लाह पाक पवित्र क़ुरआन मजीद में ईर्शाद फ़रमा रहै हैः

(...فما استمتعتم به منهن فأتوهن أجورهن فريضة)

जिन महिला के साथ (अबसार विवाह) किए हो उन की मैहैर को वाजिब विवाह के प्रसंग या उनवान से प्रदान करो।(63)

मर्हूम (अल्लामा आमैनी) स्वयं किताबों में अहले सुन्नत के अधिक से अधिक प्रसिद्ध किताबों से प्रमाण व दलील लाए है, जैसा कि मुस्नद इब्ने हम्बंल, (हम्बेंली सम्प्रदाय के महान नेता व पेशवा ) व..... इन व्यक्तित्वपूर्ण व्यक्ति के पूस्तक से समस्त प्रकार महिला- संमधं आयातें (अबसार विवाह संमधं) व शान-ए नुज़ूल को योग करके फ़रमाते है, कि यह सब तमाम प्रकार आयातें महिला-औरत संमबधं है. जो शुद्ध और जाएज़ होने पर प्रमाण कर रहै है।(64)

अब्दुल्लाहः इस समय तक इस विषय-प्रसगं-संम्बधं मै कुछ नहीं जानता था.

रिज़ाः जो कुछ मै तुम से वर्णना किया हूँ यक़ीनन महत्पूर्ण पूस्तक व गुरुत्वपूर्ण पुस्तक (अल्ग़दीर) पर्यालोचन करने के बाद मिलेगा कि किया हलाले ख़ुदा व मुहम्मद (साः) को उमर के निषेध घोषित करने के साथ परित्याग करो गे १!

अपर तरफ़ यह है किः हम सब किस व्यक्ति के उम्मत है, उम्मते पैग़म्बरे या उम्मते उमर १!

अल बत्ते हम सब उम्मते पैग़म्बरे (अः) है और उमर की फ़ज़िलत भी उम्मते पैग़म्बरे अकरम (साः) से भी होनी चाहिए।

रिज़ाः वह कौन सी चीज़ है कि तुम को पैग़म्बरे अकरम (साः) के वाणी को क़बूल करने से दूर रख़ा है १

अब्दुल्लाहः तमाम मुस्लमानों का महिलाके साथ मुतआ के हराम होने पर एकत्रित होना इस विषय को मुझे आश्चर्य किया है।

रिज़ाः इस विषय संम्बधं पर तमाम प्रकार मुस्लमान का एकत्रित दृष्ट नहीं है.

अब्दुल्लाहः किस तरह एकत्रित दृष्ट नहीं है १

रिज़ाः जैसे कि तुम ने अभी अभी कहाः और उस को क़बूल भी किया, कि शिया हज़रत (अबसार विवाह को) अर्थात महिला के साथ मुतआ करना जाएज़ व शुद्ध जानते है.

शिया हज़रत तक़रीबन पृथ्वी में अधा मुस्लमानों में से है, तक़रिबन एक हज़ार मिलियोन(65) व्यक्ति है. लेकिन यह सब शिया जनसाधारण व्यक्तियों उस महिला-औरत के साथ मुतआ करना हलाल व शुद्ध जानते है, अपर कोई एकत्रित दृष्ट उपस्तथत नहीं रख़ता.

इस से भी अधिक उदाहरण और उत्तम मिसाल है, कि इमाम मासूम (अः) ख़ान्दाने पैग़्म्बर अकरम (साः) थें और पैग़्म्बर अकरम (साः) ने भी उन व्य्कति को नूह (अः) के नौका किश्ती का उधारण दिया था।

((مثل أهل بيتی فيکم کمثل سفينة نوح، من رکبها نجی و من تخلف عنها غرق؛ مثل اهل بيت))

तुमहारे दर्मियान हमारे अहले बैत (अः) के उदाहरण, नूह (अः) के नौका के उधारण जैसे है, जो व्यक्ति उस पर सवार हूआ परित्रान पाया, और जो व्यक्ति अस्विकृती कि वह पधित हूआ,(66)

आप यह व्यतीत अपर हदीस में ईर्शाद फ़रमाते हैः

((انی تارک فیکم الثقلين کتاب الله و عترتی اهل بيتی، و انهما لن يفترقا حتی يردا علی الحوض))

मै तुमहारे सामने दो मूल्यवान वस्तु (अमानत के तौर पर) छोढ़ कर जा रहा हूँ, एक अल्लाह के पवित्र ग्रन्थ अपर मेरी अहले बैत, यह दोनो कभी एक अपर से पृथक नहीं होगें, और हौज़े कौसर के निकट हमारे निकट साक्षात करेगें।(67)

इन व्यक्तियों (अहले बैत (अः) की तक़्लीद करना तथा परित्रान पाना और अल्लाह के निकट पहूँचने के एक माध्ययम है और इन व्यक्तियों के व्यतीत किसी एक को स्वीकृति प्रदान करना तथा पधित और पथभ्रष्ट का रास्ता व कारण है ।

मुतआ विवाह को जाएज़ और मन्सुख़ ना-होना जानते थें और शिया भी इन समस्त प्रकार विषय की तक़्लीद करते है और उस पर भि अमल करते है. हज़रत अली (अः) एक रिवाएत में ईर्शाद फ़रमाते हैः

(لولا أن عمر نهی عن المتعه ما زنی إلا شقي؛)

अगर उमर (राः) महिला के साथ मुतआ को निषेध घोषणा न करता विना संदेह अत्वाचारी व्यक्ति (शक़ी) व्यतीत कोई ज़िना में लिप्त (मुब्तिला) न होता)(68)

हज़रत अली (अः) के मूल्यवान वाणी द्बारा इस का अर्थ यह निकलता है कि उमर की तरफ़ से महिला के साथ मुतआ की घोषणा हराम क़रार देना हराम का कारण बना है. ताकि जनसाधारण व्यक्ति महिला के साथ मुतआ न करे और अधिक से अधिक ध्यान उस मुतआ की तरफ़ न दे और यह व्यतीत जिस के लिए मुमकिन नही है कि सारे जीवन के लिए अपना स्त्री रख़े वह यक़ीनन असहाय हो कर ज़िना में लिप्क हो जाए गा (और अपने दामन को अ-पवित्र करे गा)।

इस के बावजूद अधिक से अधिक मुस्लमानों के नेता और रहबर मुतआ विवाह को जाएज़ और शुद्ध जानते है और बहूत सारे साहाबा-ए किराम, व ताबेईन मुस्लमान भी है कि पैग़म्बरे अकरम (साः) के वाणी और क़ुरआन से दलील के साथ उमर के मुतआ का निर्देश को परित्याग कर दिया है. लिहाज़ा अपर कोई स्थान नहीं है कि समस्त प्रकार मुस्लमान इस मुतआ पर एकत्रित दृष्ठ रख़ते है। और कौन सी दृष्ट पर तमाम प्रकार मुस्लमान एकत्रित नज़र करेगें १

इस स्थान पर कुछ व्यक्तियों ने मुतआ विवाह को जाएज़ और क़बूल भी किया है, जिन व्यक्तियों का नाम और उन के बाणी को भी यहाँ उल्लेख़ कर रहा हूँ।

1- इम्रान इब्ने हसीन, आप फ़रमाते हैः कि आयते ((मुतआ)) पवित्र कुरआन ग्रन्थ मे आया है और कोई अपर आयत इस पवित्र आयत को नस्ख़ नही कि है, हज़रत रसूले ख़ुदा (साः) ने हम सब को निर्देश फ़रमाया है, इसलिए हम सब ने भी उन के साथ (हजजे) तमत्तु अंजाम दिया है यंहा तक की अप इस पृथ्वी त्याग किया लेकिन हम सब को इस कार्य से निषेध घोषणा नहीं किया ( लेकिन एक व्य्कति ) अपकी मृत के बाद ( उमर इब्ने ख़त्ताब आप की मृत के जो कुछ अपने दिल व मन चहा बयान किया है.

2- जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह व अबु साईद ख़ुदरी वह दो व्यक्ति फ़रमाते हैः कि उमर की ख़िलाफ़त के दर्मियान मुतआ करते थे ताकि उमर इस घटनाए ( उमर इब्ने हरीस) जनसाधारण व्यक्तियों को इस कार्य से निषेध घोषणा करे.

3- अब्दुल्लाह इब्ने मसऊदः इब्ने हज़्म स्वींय (अल महल्ली) और ज़र्क़ानि स्वींय पूस्तक (शरहुल मुअत्ता) अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद को उन व्यक्तियों में से उपाधी दि है कि जिन व्यक्तियों ने मुतआ (अबसार विवाह) को जाएज़ और मुबाह जानने पर प्रमाण किया है। उदाहरण के तौर पर हाफेज़ाने (हदीस) भी इस रिवाएत को भी रिवाएत करके कहा हैः ग़ज़वह में रसूले ख़ुदा (साः) के साथ यूद्ध में व्यस्त रहते थे लेकिन (स्वींय स्त्री को अपने साथ) नहीं रख़ते थे, हम सबने पैग़म्बरे अकरम (साः) से कहाः ए- रसूले ख़ुदा हम सब अपने को ख़तना करे१

वे सुमहान व्यक्ति इस कार्य से विरत रख़ कर निर्देश प्रदान किया ताकि ऊज़रत देकर एक निर्दष्ट समय तक अपना स्त्री निर्वाचन करे अर्थात (मुतआ) करे) उस के बाद अपने इस आयेत को अध्यन कीः (जो चीजे़ ख़ुदा बन्दे आलम ने जाएज़ क़रार दिया है उस को हराम क़रार मत दो))(69) -

4- अब्दुल्लाह इब्ने उमर

अहमद इब्ने हम्बल ( हम्बेली सम्प्रदाय के महान नेता) सही प्रमाण के साथ अब्दुर रहमान इब्ने नआम (या नाईम) आरज़ी रिवाएत किया है किः ( मै अब्दुल्ला इब्ने उमर के निकट था कि एक व्यक्ति ने मुतआ प्रसगं उस से प्रश्व किया आपने कहाः अल्लाह का शफ़थ देकर कहता हूँ किः रसूल (साः) के यूग में ज़िनाकार नहीं थे।(70) ( बल्कि अपनी नियाज़ को (अबसार विवाह के माध्यम (मुतआ द्बारा) पूरा करते थे)।

5- सल्माह इब्ने ऊम्मियह इब्ने ख़ल्फ़

इबने हज़्म स्वींय पुस्तक (अल महल्ली) व ज़र्रकानी अपने स्वींय पुस्तक (शरहुल मुतआ) वेह दोनो व्यक्ति ने नक़्ल किया है किः (अबसार विवाह) व मुतआ को जाएज़ व मुबाह जानते थे।

6- माअबाद इब्ने ऊम्मियाह इब्ने ख़ल्फ़

इब्ने हिज़्म फ़रमाते है किः माअबाद इब्ने ऊम्मियाह इब्ने ख़ल्फ़ (अबसार विवाह) मुतआ को मुबाह व जाएज़ व शुद्ध जानते थें।

7- ज़ुबैर इब्नुल आवाम

(राग़ीब) फ़रमाते है किः अब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर, इब्ने आब्बास को मुतआ को जाएज़ जानने पर उस की प्रसंसा किया है। इब्ने आब्बास उस से कहाः तुमहारी माता से प्रश्व करो कि किस तरह तुमहारे पिता व माता आतिश दान मे आग लगाई है ( अर्थात, वे दोनो व्यक्ति किस तरह एक अपर से संगम किया था)१

इस वक़्या के संम्बधं अपने माता से प्रश्व किया उस की माता ने उत्तर मे कहाः तुम को (अबसार विवाह के माध्यम) इस पृथ्वी मे लायी हूँ।(71)

यह महत्पूर्ण वक़्या और घटना के माध्यम प्रमाण होता है कि ज़ुबैर के दृष्ट में (अबसार विवाह) तथा मुतआ जाएज़ था।

8- ख़ालिद इब्ने मुहाज़िर इब्ने ख़ालीद म्ख़ज़मि

वेह एक व्यक्ति के निकट बैठा हूआ था, एक व्यक्ति आया. और उस से मुता संम्बधं मे प्रश्व किया. ख़ालिद उस विवाह को जाएज़ और मुबाह जानता था. इब्ने अबि उमरह अन्सारी उस से कहाः अहिस्ता बोलो ( क्योंकि इस प्रकार का सरल फत्वा दे रहै हो१)

ख़ालिद ने कहाः अल्लाह की शफ़थ दे कर कह रहा हूँ, कि इस प्रकार कार्य परहैज़गार व्यक्ति के ज़माने भी अंजाम देते थें।(72)

9- उमर इब्ने हरीस

हाफिज़, अब्दुर रज़्ज़ाक़ सवींय ग्रन्थ ( मुसन्नफ़) मे वर्णना किया है किः (अबु अल ज़ुबैर) ने हमारे लिए नक़्ल किया है कि जाबिर ने कहाः उमर इब्ने हरीस कूफे में प्रवेश किया, और एक कनीज़ के साथ मुतआ किया, हलाकिं वेह कनीज़ बर्दार थी उमर के निकट ले आए उमर इस घटना को उम्रु से प्रश्व किया और उस को ताईद किया. और यही कारण था कि उमर ने इस मुतआ को अशुद्ध क़रार दिया।(73)

10- ओबै इब्ने काअब

11-रुबिआ इब्ने उमैयाह

12-समीर ( या सुमराह) इब्ने ज़ुन्दूब

13- साईद इब्ने जुबैर

14- ताऊस यामनी

15-अता अबु मुहम्मद मदनी

16- सदी

17- मुजाहिद

18- ज़फ्र इब्ने औस मदनी

और अपर सम्मानी सहाबा व सम्मानी मुस्लमान भि उमर के इस इज़्तेहादी फतवा को बातिल घोषणा और निंदित किया है।

ए-अब्दुल्लाह, इन समस्त प्रकार बिस्तृत तफ़्सील सुन्ने के बाद भि मुस्लमानों के एकत्रित दृष्ट पर इमान रख़ते हो १

अब्दुल्लाहः क्षमा चाहता हूँ. जो कुछ तुमहारे दर्मियान वयान किया हूँ, या सुना था, लेकिन इस विषय संम्बधं हमारा कोई पर्या लोचन नहीं था, ( या नहीं था) लेकिन इस नतीजे पर पहूँचा हूँ कि हम सब को चाहिए सही तरीके से पर्या लोचन करके अपने मन से जातिय या धार्मिक पक्षपत को परित्याग करके सही और सालिम विषय संम्बधं को क़बूल करे।

रिज़ाः तुम क़बूल किए हो कि मुतआ जाएज़ और मुबाह है १

अब्दुल्लाहः मै ने क़बूल किया है कि मुतआ को हराम व निषेध घोषणा करने वाला ख़ुद अपने से फ़त्वा प्रदान किया और अपने ऊपर अमल किया है, लेकिन पवित्र क़ुरआन मजीद ने इस मुतआ को जाएज़ और उस आएत को मन्सुख़ क़रार नहीं दिया है. और उमर जैसे व्यक्ति और उस से बढ़े महान व्यक्ति अल्लाह के निर्देश परिवर्तन कर नहीं सकता लेकिन मै इस बात पर अश्चर्य हूँ कि उमर ने (राः) इस फ़त्वा को किस तरह अपने से सादिर किया है१

अगर मुमकिन हो सके हमारे लिए कोई (या) कई किताबें परिचय करो जो किताबे इल्म व ज्ञान से भर मार हो और सम्प्रदाय के बहस-दुश्मनी से पवित्र हो ताकि मै उस पूस्तक को पर्यालोचन करुँ और हक़िक़त से अधिक से अधिक परिचित लाभ करुँ.।

रिज़ाः (अलग़दीर) अल्लामा अमिनी, ( अननस् वाल इज्तेहाद)) व अल फुसुलूल मुहिम्मह) मर्हूम शर्फ़ुद्दीन व (अल मुतआ) उस्ताद तौफिक़ुल फकीकि, वगैरह यह सब किताबे उपस्थीत है।

यह सब पुस्तकों को गंभीर पर्यालोचन करना तो उस समय मालूम होगा कि हक़िक़त किया है.

अब्दुल्लाहः यक़ीनन मे इस कार्य को अंजाम दूगां और ख़ुदा बन्दे आलम से मै तुमहारे लिए दुआ व प्रार्थना करुगां.

रिज़ाः यहाँ एक समस्या व कठिन मुश्किल देख़ाई दे रही है और वह यह है कि अहले सुन्नत वल जमाअत उमर के फ़त्वा जो मुतआ के संम्बधं है.

अब्दुल्लाहः समस्या किया है१

रिज़ाः उमर तारीके मुतआ व हज्जे मुतआ को निषेध घोषणा क़रार दिया है. लेकिन अहले सुन्नत मुताए-हज को जाएज़ व शुद्ध जानते है लेकिन मुताए- महिला को हराम १ अगर उमर का फ़त्वा सही है, हर दो मुतआ हराम व निषेध होनी चाहिए। और अगर उस का कहना बातिल व अ-शुद्ध है, हर दो मुतआ सही व शुद्ध होना चाहिए।

अब्दुल्लाहः किया अहले सुन्नत वाल जमाअत मुताए-हज को जाएज़ व शुद्ध जानते है१

रिज़ाः हाँ, इस सूरत में कि जिस समय तुम उन की तमाम प्रकार प्रसिद्ध पूस्तकों को पर्या लोचन करोगे तो उत्तम तरिके से ज्ञान मे बृद्ध पाएगा कि सही व ग़लती किया है.

अब्दुल्लाहः आपका धन्यवाद,

سبحان ربک رب العزة عما يصفون و سلام علی المرسلين والحمد لله رب العالمين

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