शिया एक आसमानी नाम है

(شيعه) शब्दार्थ कूरआन मजीद में मात्र हज़रत ईब्राहीम खलीलुर रह्मान के लिए व्यबाहर हूआ हैं जैसा कि क़ुरआन मजीद में इर्शाद हुआ हैः


(وان من شيعته لإبراهيم)

यानि शिया पैरुवाने नुह हज़रत इब्राहीम (अ) के थे, और हज़रत मुहम्मद (स0) मात्र शिया का नाम पैरुवाने व दोस्त दराने हज़रत अली (अ) के लिए उल्लेख किया हैं और उलामाएं सुन्नी ने भी इस विषय के सम्पर्क भी कहा हेः कि शिया एक गौरब नाम है जिस नाम को पैग़म्बरे अकरम (स0) ने फरमाया हैः इस सम्पर्क में ज़ाबिर इब्ने अब्दुल्लह इर्शाद फरमाया हेः कि पैग़म्बरे अकरम (स0) के पवित्र सेवा में बैठा था अचानक़ हज़रत अली (अ) प्रवेश किये आपने फ़रमाया हमारा भाई आया है. सिपास काबा घर की तरफ चेहरा करके आपने दोनों मुबारक हाथों को बुलन्द करके फरमायाः


(शफ़थ हैं उस परवरदिगार का जिसके हाथ में मुहम्मद की जान हैं, अली और पैरुवाने अली क़्यामत के दिन सफलता अर्जन करेगें) और यह गौरब अमीज़ उपाधी रसूल (स0) के यूग में हज़रत सलेमान, अबुज़र, मिक़दाद, और अम्मारे यासिर को कहा जाता था. यह सब हज़रात, हज़रत अली (अ) के वफादार पैरुकार में से थें।