इमामे रिज़ा(अ)
शहादते इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम
- में प्रकाशित
इमाम ने मना कर दिया, लेकिन मामून ने अत्यधिक आग्रह करते हुए विषाक्त अंगूर इमाम को दिए।
पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम
- में प्रकाशित
आज हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े के पावन प्रांगण का वातावरण ही कुछ और है। आपकी शहादत के दुखद अवसर पर आपके पवित्र रौज़े और उसके प्रांगण में विभिन्न संस्कृतियों व राष्ट्रों के हज़ारों श्रृद्धालु एकत्रित हैं
हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत
- में प्रकाशित
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम भी दूसरे इमामों की भांति अत्याचारी शासकों की कड़ी निगरानी में थे। अधिकांश लोग इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का महत्व नहीं समझते थे।
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का जन्मदिवस
- में प्रकाशित
आज इमाम अली इब्ने मूसर्रज़ा अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस है। वह इमाम जो प्रकाशमई सूर्य की भांति अपना प्रकाश बिखेरता है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम का कथन है कि जो भी यह चाहता है कि प्रलय के दिन हंसते हुए तथा प्रसन्नचित मुद्रा में ईश्वर की सेवा में उपस्थित हो उसे चाहिए कि अली इब्ने मूसर्रज़ा से लौ लगाए।
इमाम रज़ा अ.स. ने मामून की वली अहदी क्युं क़ुबूल की?
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी
- स्रोत:
- सीमाये पीशवायान/मेहदी पेशवाई
अकसर लोगों के दरमियान सवाल उठता है कि अगर अब्बासी खि़लाफ़त एक ग़ासिब हुकूमत थी तो आखि़र हमारे आठवें इमाम ने इस हुकूमत में मामून रशीद ख़लिफ़ा की वली अहदी या या उत्तरधिकारिता क्यूं कु़बूल की?
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का अखलाके अज़ीम
- में प्रकाशित
आपके अख़्लाक़ो आदात और शमाएल ओ ख़साएल का लिखना इस लिये दुश्वार है कि वह बेशुमार हैं। ‘‘
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के ज़माने के राजनीतिक हालात का वर्णन
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
लवी शिया उसकी हुकूमत के लिए एक बहुत बड़ा ख़तरा थे क्योंकि वह अहलेबैत के परिवार वालों को ख़िलाफ़त का वास्तविक हक़दार मसझते थे और, सालों यातना, हत्या पीड़ा सहने के बाद अब हुकूमत की कमज़ोरी के कारण इस स्थिति में थे कि वह हुकूमत के विरुद्ध उठ खड़े हों और अब्बासी हुकूमत का तख़्ता पलट दें और यह इसमें काफ़ी हद तक कामियाब भी रहे थे, और इसकी सबसे बड़ी दलील यह है कि जिस भी स्थान से अलवी विद्रोह करते थे
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का ज्ञान
- में प्रकाशित
-
- लेखक:
- सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
फ़ज़्ल ने यहूदियों के सबसे बड़े विद्वान उसक़ुफ़ आज़मे नसारी, सबईयों ज़रतुश्तियों के विद्वान और दूसरे मुतकल्लिमों को निमंत्रण भेजा, मामून ने इस सबको अपने दरबार में बुलाया और उनसे कहाः “मैं चाहता हूँ कि आप लोग मेरे चचा ज़ाद (मामून पैग़म्बरे इस्लाम के चचा अब्बास की नस्ल से था जिस कारण वह इमाम रज़ा (अ) को अपना चचाज़ाद कहता था) से जो मदीने आया है बहस करो।“
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत
- में प्रकाशित
इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की बहुत उपाधियां हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध रज़ा है जिसका अर्थ है राज़ी व प्रसन्न रहने वाला। इस उपाधि का बहुत बड़ा कारण यह है कि इमाम महान ईश्वर की हर इच्छा पर प्रसन्न रहते थे और इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के साथी एवं अनुयाई भी आप से प्रसन्न रहते थे और इमाम के दुश्मन उनकी अप्रसन्नता का कोई कारण नहीं ढूढ पाते थे।
- «
- प्रारंभ
- पिछला
- 1
- अगला
- अंत
- »