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जिस्मानी लज़्ज़तें

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क़ुरआन मजीद की आयतों में बहिश्त की बहुत सी जिस्मानी लज़्ज़तों का तज़किरा हुआ है जिन में से बाज़ यह है:


1. बाग़: बहिश्त में आसमान व ज़मीन से भी ज़्यादा बड़े बाग़ होगें। (सूर ए आले इमरान आयत 133) यह बाग़ तरह तरह के फलों से भरे हुए होगें। (सूर ए दहर आयत 14, सूर ए नबा आयत 32)

2. महल: क़ुरआने मजीद में बहिश्त के घरों के बारे में ‘’मसाकिने तय्यबा’’ का लफ़्ज़ आया है जिस में समझ में आता है कि उस में हर क़िस्म का आराम व सुकून होगा। (सूर ए तौबा आयत 72)

3. लज़ीज़ खाने: क़ुरआन की आयतों से मालूम होता है कि बहिश्त में हर तरह के खाने होगें। इसलिये कि इस बारे में


مما یشتهون.

(सूर ए मुरसलात आयत 42) की ताबीर इस्तेमाल हुई है जिस के मअना हैं जन्नती जो भी चाहेगा वह हाज़िर होगा।


1. लज़ीज़ शरबत: जन्नत में तरह तरह के लज़ीज़ शरबत होगें। इस लिये कि क़ुरआन मजीद में

لذة للشاربین


1. (सूर ए मुहम्मद आयत 47) का इस्तेमाल हुआ है यानी वह शरबत, पीने वाले के लिये लज़ीज़ होता है।

2. बीवियाँ: ज़ौजा या बीवी इंसान के सुकून का सबब होती है। आयतों और हदीसों से मालूम होता है कि जन्नत में ऐसी बीवियाँ होगीं। जो हर तरह की ज़ाहिरी और बातिनी ख़ुसूसियात से आरास्ता होंगी, वह इंतेहाई हसीन, मेहरबान और पाक होगीं। (सूर ए बक़रा आयत 25, सूर ए आले इमरान आयत 15)

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