ख़ास असहाब से आपकी मुलाक़ात

याक़ूब बिन मनक़ूस बिन उसमान उमरी व अबी हाशिम जाफ़री और मूसा बिन जाफ़र बिन वहब बिन बग़दादी का ब्यान है कि हम हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया कि मौला ! आपके बाद अम्रे इमात किस के सुपुर्द होगा और कौन हुज्जते ख़ुदा क़रार पायेगा। आपने फ़रमाया कि मेरा फ़रज़न्द मुहम्मद मेरे बाद हुज्जतुल्लाह फ़िल अर्ज़ होगा। हम ने अर्ज़ की मौला हमंा उस की ज़ियारत करा दीजिये। आपने फ़रमाया ज़रा सामने वाले पर्दे को हठाओ। हमने पर्दा उठाया, तो उसके पीछे से एक निहायत ख़ूब सूरत बच्चा जिसकी उमर पाँच साल थी बरामद हुआ और आकर इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की आग़ोश में बैठ गया। इमाम ने फ़रमाया कि मेरा यह फ़रज़न्द मेरे बाद हुज्जतुल्लाह होगा। मुहम्मद बिन उसमान का कहना है कि हम इस वक़्त चालीस अफ़राद थे और हम ने उनकी ज़ियारत की। इमामे हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने अपने फ़रज़न्द महदी को हुक्म दिया कि वह अन्दर चले जाएं और हमसे फ़रमाया कि आज के बाद तुम उसे दोबारा न देख सकोगे। चुनानचे ऐसा ही हुआ फिर ग़ैबत शरू हो गई।


( कशफ़ुल ग़ुम्मा सफ़ा 139 व शवाहेदुन नुबुव्वत सफ़ा 213)


अल्लामा तबरसी ने किताब आलामुल वरा के सफ़ा 243 में तहरीर फ़माया है कि आइम्मा के नज़दीक मुहम्मद और उसमान उमरी दोनों सिक़ाह हैं।


फिर इसी सफहे पर तहरीर फ़रमाते है कि अबू हारून का कहना है कि मैंने बचपन में साहेबुज़्ज़मान को देखा है “ कअन्नहु अलक़मरु लैलतिल बदरि ” इनका चेहरा चौदवीं के चाँद की तरह चमकता था।