अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इन्तेज़ार के प्रभाव

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कुछ लोगों का यह विचार है कि विश्व स्तर पर सुधार करने वाले (इमाम (अ. स.) का इन्तेज़ार, इंसानों को निष्क्रिय और लापरवाह बना देता है। जो लोग इस इन्तेज़ार में रहेंगे कि एक विश्वस्तरीय समाज सुधारक आयेगा और ज़ुल्म, अत्याचार व बुराईयों को ख़त्म कर देगा, तो वह बुराइयों के सामने हाथ पर हाथ रखे बैठे रहेंगे और ख़ुद कोई क़दम नहीं उठायें बल्कि खामोश बैठे ज़ुल्म व सितम का तमाशा देखते रहेंगे।

यह दृष्टिकोण बहुत सादा व निराधार है और इसमें गहराई से काम नहीं लिया गया है। क्योंकि हज़रत इमाम महदी (अ. स.) के इन्तेज़ार, उसकी विशेषताओं, उसके पहलुओं और इन्तेज़ार करने वाले की विशेषताओं के बारे में जिन बातों का वर्णन हुआ है उनसे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि हज़रत इमाम महदी (अ. स.) का इन्तेज़ार इंसान को निष्क्रिय और लापरवाह नहीं बनाता है, बल्कि उनकी गतिविधियों को तेज़ करने व उन्हें परिपक्व बनाने में सहायक है।

इन्तेज़ार, इन्तेज़ार करने वालों में एक मुबारक व उद्देश्यपूर्ण जज़बा पैदा करता है। इन्तेज़ार करने वाला, इन्तेज़ार की हक़ीक़त से जितना ज़्यादा परिचित होता जाता है, उसकी रफ़्तार मक़सद की तरफ़ उतनी ही बढ़ती जाती है। इन्तेज़ार के अन्तर्गत, इंसान स्वार्थता से आज़ाद हो कर ख़ुद को इस्लामी समाज का एक हिस्सा समझता है, अतः फिर वह समाज सुधार के लिए जी जान से कोशिश करता है। जब कोई समाज ऐसे सोगों से सुसज्जित हो जाता है तो उस समाज में अच्छाईयों व मर्यादाओं का राज हो जाता और समाज के सभी लोग नेकियों की तरफ़ कदम बढ़ाने लगते हैं। जिस समाज में सुधार, उम्मीद, ख़ुशी और आपसी सहयोग, सहानुभूति व हमदर्दी का महौल पाया जाता है उसमें घार्मिक विश्वास फलते फूलते हैं और लोगों में महदवियत का नज़रीया पैदा होता है। इन्तेज़ार की बरकत से इन्तेज़ार करने वाले, बुराईयों के दलदल में नहीं फँसते बल्कि अपने दीन और अक़ीदों की हिफ़ाज़त करते हैं। वह इन्तेज़ार के ज़माने में अपने सामने आने वाली मुश्किलों में सब्र से काम लेते हैं और ख़ुदा वन्दे आलम का वादा पूरा होने की उम्मीद में हर मुसीबत और परेशानी को बर्दाश्त कर लेते हैं। वह किसी भी वक़्त सुस्ती और मायूसी का शिकार नहीं होते।

आप ही बताईये कि ऐसा कौन सा धर्म व मज़हब है जिसने अपने अनुयायियों के सामने इतना साफ़ व रौशन रास्ता पेश किया है ? ! ऐसा रास्ता जो अल्लाह की ललक में तय किया जाता हो और उस के नतीजे में हद से ज़्यादा सवाब व ईनाम मिलता हो !।

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