अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इन्तेज़ार के पहलू

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ख़ुद इंसान की ज़ात में विभिन्न पहलु पाये जाते हैं, एक तरफ़ जहाँ उस में थयोरिकल व परैक्टिकल पहलू पाया जाता हैं, वहीँ दूसरी तरफ़ उस में व्यक्तिगत और सामाजिक पहलू भी पाया जाता है। एक अन्य दृष्टिकोण से इंसान में जिस्म के पहलू के साथ रुह और नफ़्स का पहलू भी मौजूद होता है। इस बात में कोई शक नहीं है कि इन सब पहलुओं के लिए निश्चित क़ानूनों की ज़रुरत है, ताकि उनके अन्तर्गत इंसान के लिए ज़िन्दगी का सही रास्ता खुल जाये और भटकाने व गुमराह करने वाला रास्ते बन्द हो जायें।

हज़रत इमाम महदी (अ. स.) के ज़हूर का इन्तेज़ार, इन्तेज़ार करने वाले के तमाम पहलुओं को प्रभावित करता है। इंसान के सोच विचार व चिंतन का पहलू जो कि इंसान के व्यवहार व आमाल (क्रिया कलापों) का आधारभूत पहलू है, यह इंसानी ज़िन्दगी के बुनियादी अक़ीदों की हिफ़ाज़त करता है। दूसरे शब्दों में इस तरह कहा जा सकता है कि सही इन्तेज़ार इस बात का तक़ाज़ा करता है कि इन्तेज़ार करने वाला अपने ईमान व फ़िक्र की बुनियादों को मज़बूत करे ताकि गुमराह करने वाले मज़हब के जाल में न फँस सके। या हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की ग़ैबत लंबी हो जाने की वजह से ना उम्मीदी के दलदल में न फँस सके।

हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ. स.) फरमाते हैं कि

"लोगों के सामने एक ऐसा ज़माना आयेगा, जब उनका इमाम गायब होगा, खुश नसीब है वह इंसान जो उस ज़माने में हमारे अम्र (यानी विलायत) पर बाक़ी रहे...।"

यानी ग़ैबत के ज़माने में दुशमन विभिन्न शुबहें पैदा कर के शिओं के सही अक़ीदों को ख़त्म करने की कोशिश में लगा हुआ है, इस लिए हमें इन्तेज़ार के ज़माने में अपने अक़ीदों की हिफ़ाज़त करनी चाहिए।

इन्तेज़ार, अपने अमली पहलू में इंसान के कामों व किरदार को सही रास्ता दिखाता है। एक सच्चे मुन्तज़िर (इन्तेज़ार करने वाला) को अमल के मैदान में यह कोशिश करनी चाहिए कि इमाम महदी (अ. स.) की हक़ व सच्चाई पर आधारित हुकूमत का रास्ता हमवार हो जाये। अतः मुन्तज़िर को इस बारे में अपने और समाज के सुधार के लिए कमर बाँध लेनी चाहिए। मुन्तज़िर को चाहिए कि अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी में अपनी आध्यात्मिक ज़िन्दगी और अखलाक़ी फज़ीलतों (श्रेष्ठताओं) को उच्चता प्रदान करने की कोशिश करे और अपने जिस्म व बदन को मज़बूत बनाये ताकि एक कारामद ताक़त के लिहाज़ से नूरानी मोर्चे के लिए तैयार रहे।

हज़रत इमाम सादिक (अ. स.) फरमाते हैं कि

"जो इंसान इमाम क़ाइम (अ. स.) के मददगारों में शामिल होना चाहता है उसे इन्तेज़ार करना चाहिए और इन्तेज़ार की हालत में तक़वे व परेहेज़गारी का रास्ता अपनाना चाहिए और अच्छे अखलाक़ व सदव्यवहार से सुसज्जित होना चाहिए..
इस इन्तेज़ार की एक विशेषता यह है कि यह इंसान को व्यक्तिगत ज़ीवन से ऊपर उठा कर उसे समाज के हर इंसान से जोड़ देता है।


अर्थात इन्तेज़ार न सिर्फ़ यह कि इंसान के व्यक्तिगत जीवन में प्रभारी होता है बल्कि समाज में इंसानों के लिए एक खास योजना पेश करता है और समाज में सकारात्मक क़दम उठाने का शौक भी दिलाता है।


चूँकि हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की हुकूमत सार्वजनिक है, अतः हर इंसान को अपनी सामर्थ्य अनुसार समाज सुधार के लिए काम करना चाहिए और समाज में फैली बुराईयों के प्रति खामोश व लापरवाह नहीं रहना चाहिए, क्यों कि विश्वव्यापी सुधार करने वाले के मुन्तज़िर को फिक्र व अमल के आधार पर सुधार व भलाई के रास्ते को अपनान चाहिए।


संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि इन्तेज़ार एक ऐसा मुबारक झरना है जिसका जीवन अमृत इंसान और समाज की रगों में जारी है और यह ज़िन्दगी के हर पहलू में इंसान को अल्लाह के रंग में रंगता है। अब आप ही फैसला करें कि अल्लाह के रंग से अच्छा रंग कौनसा हो सकता है ?!


कुरआने करीम में वर्णन होता है कि : सिबग़तल्लाहे व मन अहसनु मिन अल्लाहे सिबग़तन व नहनु लहु आबेदून.... صِبْغَةَ اللهِ وَمَنْ اٴَحْسَنُ مِنْ اللهِ صِبْغَةً وَنَحْنُ لَہُ عَابِدُونَ


रंग तो सिर्फ़ अल्लाह का रंग है और उससे अच्छा किस का रंग हो सकता है और हम सब उसी के इबादत गुज़ार हैं।

उपरोक्त उल्लेखित अंशों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि हज़रत इमामे ज़माना (अ. स.) का इन्तेज़ार करने वालों की ज़िम्मेदारी अल्लाह के रंग में रंगे जाने के अलावा कुछ नहीं है। इन्तेज़ार की बरकत से यह रंग इंसान की व्यक्तिगत व सामाजिक ज़िन्दगी के विभिन्न पहलुओं में झलकता है। अगर इस नज़र से देखा जाये तो हम मिन्तज़िरों की यह ज़िम्मेदारियाँ हमारे लिए मुश्किल नहीं होंगी, बल्कि एक अच्छी घटना के रूप में हमारी ज़िन्दगी के हर पहलू को बेहतरीन आध्यातमिक रूप देंगी । वास्तव में अगर देश का मेहरबान बादशाह और काफ़ले का प्यारा सरदार हमें एक अच्छे व लायक़ सिपाही की हैसियत से ईमान के खेमे में बुलाए और हक़ व हक़ीक़त के मोर्चे पर हमारे आने का इन्तेज़ार करे तो फिर हमें कैसा लगेगा ? क्या उस समय हमें अपनी इन ज़िम्मेदारियों को निभाने में कोई परेशानी होगी कि ये काम करो और ऐसे न बनो ?, या हम ख़ुद इन्तेज़ार के रास्ते को पहचान कर अपने चुने हुए उद्देश्य व मक़सद की तरफ क़दम बढाते हुए नज़र आयेंगे ?

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