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नमाज़ और सलाम

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नमाज़ और सलाम


अल्लाह के नेक बंदों पर सलाम हो। हर मुसलमान चाहे वह ज़मीन के किसी भी हिस्से पर रहता हो उसे चाहिए कि दिन मे पाँच बार अपने हम फ़िक्र अफ़राद को सलाम करे। जैसे कि नमाज़ मे है अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन।(हम पर सलाम हो और अल्लाह के तमाम नेक बंदों पर सलाम हो।)

यहाँ पर मालदारों को सलाम करने की तालीम नही दी गयी।

यहाँ पर हाकिमों और ताक़तवरों को सलाम करने की तालीम नही दी गयी।

यहाँ पर रिश्तेदारों को सलाम करने की तालीम नही दी गयी।

यहाँ पर हम ज़बान हम क़ौम हम वतन लोगों को सलाम करने की तालीम नही दी गयी।

बल्कि यहाँ पर है अल्लाह के नेक बंदों को सलाम करने की तालीम दी जा रही है। यहाँ पर मकतबे हक़ के तरफ़दारो को सलाम करने की तालीम दी जा रही है।

हमारी खारजी सियासत(बाह्य नीति) नमाज़ के

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