अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इमाम महदी(अ)और हज्जे काबा

0 सारे वोट 00.0 / 5

यह मुसल्लेमात में से है कि हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम हर साल काबे के हज्ज के लिए मक्का मोअज़्ज़मा उसी तरह तशरीफ़ ले जाते है जिस तरह हज़रत ख़िज़्र व इलयास अलैहिस्सलाम जाते हैं।
(सिराज अल कुलूब सफ़ा 77)


अली अहमद कूफ़ी का ब्यान है कि मैं तवाफ़े काबा में मसरूफ़ था, मेरी नज़र एक निहायत ख़ूब सूरत नौजवान पर पडी।

मैने पूछा आप कौन हैं और कहाँ से तशरीफ़ लाए हैं ?

आपने फ़रमाया ! انا المهدي। 

मै महदी आख़रूज़ ज़मान और क़ाइमे आले मुहम्मद हूँ।


ग़ानम हिन्दी का ब्यान है कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम की तलाश में एक मर्तबा बग़दाद गया। एक पुल से गुज़रते हुए मुझे एक साहब मिले वह मुझे एक बाग़ में ले गये और मुझसे हिन्दी ज़बान में बातें की और फ़रमाया कि तुम इस साल हज के लिए न जाओ, वरना नुक़सान पहुँचेगा।


मुहम्मद बिन शाज़ान का कहना है कि मैं एक दफ़ा मदीने में दाख़िल हुआ तो हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात हुई।

उन्होने मुझे मेरा नाम ले कर पुकारा।

चूँकि मेरे पूरे नाम से कोई वाक़िफ़ न था इसलिए मुझे ताज्जुब हुआ।

मैंने पूछा आप कौन हैं?

फ़रमाया इमामे ज़मान हूँ।


अल्लामा शेख़ सुलेमान कुन्दूज़ी बलख़ी तहरीर फ़रमाते हैं कि अब्दुल्लाह इब्ने सालेह ने कहाः मैंने ग़ैबते क़ुबरा के बाद इमाम महदी अलैहिस्सलाम को हजरे असवद के नज़दीक इस हाल में देखा है कि उन्हें लोग चारों तरफ़ से घेरे हुए हैं।

आपका कमेंन्टस

यूज़र कमेंन्टस

कमेन्ट्स नही है
*
*

अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क