बुराइयों से मुक़ाबला

बुराईयों से रोकना जो कि इलाही हुकूमत की एक विशेषता है, सिर्फ़ ज़बानी तौर पर नहीं होगा, बल्कि बुराईयों का क्रियात्मक रूप में इस तरह मुकाबला किया जायेगा, कि समाज में बुराई और अख़लाक़ी नीचता का वजूद बाक़ी न रहेगा और इंसानी ज़िन्दगी बुराईयों से पाक हो जायेगी।

जैसे कि दुआए नुदबा, जो कि ग़ायब इमाम की जुदाई का दर्दे दिल है, में बयान हुआ है

اَيْنَ قَاطِعُ حَبَائِلِ الْکِذْبِ وَ الإفْتَرَاءِ، اَیْنَ طَامِسُ آثَارِ الزَّيْغِ وَ الأهوَاءِ”[4]

कहाँ है वह जो झूठ और बोहतान की रस्सियों का काटने वाला है और कहाँ है वह जो गुमराही व हवा व हवस के आसार को ख़त्म करने वाला है।