रसूले इस्लाम(स.)की परवरिश

हज़रत पैगम्बर के पिता का स्वर्गवास पैगम्बर के जन्म से पूर्व ही हो गया था। और जब आप 6 वर्ष के हुए तो आपकी माता का भी स्वर्गवास हो गया। अतः8 वर्ष की आयु तक आप का पलन पोषण आपके दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब ने किया।दादा के स्वर्गवास के बाद आप अपने प्रियः चचा हज़रत अबुतालिब के साथ रहने लगे। हज़रत आबुतालिब के घर मे आप का व्यवहार सबकी दृष्टि का केन्द्र रहा। आपने शीघ्र ही सबके हृदयों मे अपना स्थान बना लिया।

हज़रत पैगम्बर बचपन से ही दूसरे बच्चों से भिन्न थे। उनकी आयु के अन्य बच्चे गदें रहते, उनकी आँखों मे गन्दगी भरी रहती तथा बाल उलझे रहते थे। परन्तु पैगम्बर बचपन मे ही व्यस्कों की भाँति अपने को स्वच्छ रखते थे। वह खाने पीने मे भी दूसरे बच्चों की हिर्स नही करते थे। वह किसी से कोई वस्तु छीन कर नही खाते थे। तथा सदैव कम खाते थे कभी कभी ऐसा होता कि सोकर उठने के बाद आबे ज़मज़म(मक्के मे एक पवित्र कुआ) पर जाते तथा कुछ घूंट पानी पीलेते व जब उनसे नाश्ते के लिए कहा जाता तो कहते कि मुझे भूख नही है । उन्होने कभी भी यह नही कहा कि मैं भूखा हूं। वह सभी अवस्थाओं मे अपनी आयु से अधिक गंभीरता का परिचय देते थे। उनके चचा हज़रत अबुतालिब सदैव उनको अपनी शय्या के पास सुलाते थे। वह कहते हैं कि मैने कभी भी पैगम्बर को झूट बोलते, अनुचित कार्य करते व व्यर्थ हंसते हुए नही देखा। वह बच्चों के खेलों की ओर भी आकर्षित नही थे। सदैव तंन्हा रहना पसंद करते तथा मेहमान से बहुत प्रसन्न होते थे।