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इमाम सादिक़(अ)विद्वानो की द्रष्टि मे

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अबुहनीफ़ा की दृष्टि मे

सुन्नी समुदाय के प्रसिद्ध विद्वान अबु हनीफ़ा कहते हैं कि मैं ने हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से बड़ा कोई विद्वान नही देखा। वह यह भी कहते हैं कि अगर मैं हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्लाम से दो साल तक ज्ञान प्राप्त न करता तो हलाक हो जाता। अर्थात उन के बिना कुछ भी न जान पाता।

इमाम मालिक की दृष्टि मे

सुन्नी सम्प्रदाय के प्रसिद्ध विद्वान इमाम मालिक कहते हैं कि मैं जब भी हज़रत इमाम सादिक़ के पास जाता था उनको इन तीन स्थितियों मे से किसी एक मे देखता था। या वह नमाज़ पढ़ते होते थे ,या रोज़े से होते थे ,या फिर कुऑन पढ़ रहे होते थे। वह कभी भी वज़ू के बिना हदीस का वर्णन नही करते थे।

इब्ने हजरे हीतमी की दृष्टि मे

इब्ने हजरे हीतमी कहते हैं कि हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से ज्ञान के इतने स्रोत फूटे कि आम जनता भी उनके ज्ञान के गुण गान करने लगी। तथा उनके ज्ञान का प्रकाश सब जगह फैल गया। फ़िक्ह व हदीस के बड़े बड़े विद्वानों ने उनसे हदीसें नक्ल की हैं।

अबु बहर जाहिज़ की दृष्टि मे

अबु जाहिज़ कहते हैं कि हज़रत इमाम सादिक़ वह महान् व्यक्ति हैं जिनके ज्ञान ने समस्त संसार को प्रकाशित किया। कहा जाता है कि अबू हनीफ़ा व सुफ़याने सूरी उनके शिष्यों मे से थे। हज़रत इमाम सादिक़ का इन दो विद्वानो का गुरू होना यह सिद्ध करता है कि वह स्वंय एक महानतम विद्वान थे।

इब्ने ख़लकान की दृष्टि मे

प्रसिद्ध इतिहासकार इब्ने ख़लकान ने लिखा है कि हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम शियों के इमामिया सम्प्रदाय के बारह इमामो मे से एक हैं। व हज़रत पैगम्बर(स.) के वँश के एक महान व्यक्ति हैं। उनकी सत्यता के कारण उनको सादिक़ कहा जाता है। (सादिक़ अर्थात सत्यवादी) उनकी श्रेष्ठता व महानता किसी परिचय की मोहताज नही है। अबूमूसा जाबिर पुत्र हय्यान तरतूसी उनका ही शिष्य था।

शेख मुफ़ीद की दृष्टि मे

शेख मुफ़ीद कहते हैं कि हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने ज्ञान को इतना अधिक फैलाया कि वह जनता मे प्रसिद्ध हो गये। व उनके ज्ञान का प्रकाश सभी स्थानों पर पहुँचा।

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