अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

नहजुल बलाग़ा ख़िलक़ते आदम(अ)

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परवर दिगारे आलम ने ज़मीन के सख़्त व नर्म और शूर व शीरीं हिस्सों से ख़ाक को जमा किया और उसे पानी से इस क़दर भिगोया कि बिल्कुल ख़ालिस हो गई और फिर तरी में इस क़दर गूँधा कि लसदार बन गई और उस से एक ऐसी सूरत बनाई कि जिस में मोड़ भी थे और जोड़ भी। आज़ा भी थे और जोड़ व बंद भी। फिर उसे इस क़दर सुखाया कि मज़बूत हो गई और इस क़दर सख़्त किया कि खनखनाने लगी और यह सूरत हाल एक वक़्ते मुअय्यन और मुद्दते ख़ास तक बर क़रार रही। जिस के बाद उस में मालिक ने अपनी रुहे कमाल फ़ूंक दी और उसे ऐसा इंसान बना दिया कि जिस में ज़हन की जौलानियां भी थी और फ़िक्र के तसर्रुफ़ात भी। काम करने वाले आज़ा व जवारेह भी थे और हरकत करने वाले अदवात व आलात भी, हक़ व बातिल में फ़र्क़ करने वाली मारेफ़त भी थी और मुख़्तलिफ़ ज़ायकों, ख़ुशबूओं, रंग व रोग़न में तमीज़ करने की सलाहियत भी। उसे मुख़्तलिफ़ क़िस्म की मिट्टी से बनाया गया। जिस में मुवाफ़िक़ अजज़ा भी पाये जाते थे और मुतज़ाद अनासिर भी थे और गर्मी, सर्दी, तरी व ख़ुश्की जैसी कैफ़ियात भी।

 

फिर परवरदिगार आलम ने मलायका से मुतालेबा किया कि उस की अमानत को वापस करें और उस की मअहूदा वसीयत पर अमल करें यानी उस मख़लूक़ के सामने सर झुका दें और उस की करामत का इक़रार कर लें। चुंनाचे उस ने साफ़ साफ़ ऐलान कर दिया कि आदम (अ) को सजदा करो और सब ने सजदा भी कर लिया सिवाए इबलीस के कि उसे तअस्सुब ने घेर लिया और बदबख़्ती ग़ालिब आ गई और उस ने आग की ख़िलक़त को वजहे इज़्ज़त और ख़ाक की ख़िलक़त को वजहे ज़िल्लत क़रार दे दिया। मगर परवर दिगारे आलम ने उसे ग़ज़बे इलाही के मुकम्मल इस्तेहक़ाक़, आज़माईश की तकमील और अपने वअदे को पूरा करने के लिये यह कह कर मोहलत दे दी कि तूझे रोज़े वक़्ते मअलूम तक के लिये मोहलत दी जा रही है।

 

उस के बाद परवर दिगारे आलम ने आदम (अ) को एक ऐसे घर में भेज दिया जहाँ की ज़िन्दगी ख़ुश गवार और मामून व महफ़ूज़ थी और फिर उन्हे इबलीस और उस की अदावत से भी बाख़बर कर दिया। लेकिन दुश्मन ने उन के जन्नत के क़याम और नेक बंदों की रिफ़ाक़त से जल कर उन्हे धोखा दे दिया और उन्होने भी अपने यक़ीने मोहकम को शक और अज़में मुसतहकम को कमज़ोरी के हाथों फ़रोख़्त कर दिया और इस तरह मसर्रत के बदले ख़ौफ़ को ले लिया और इबलीस के कहने में आ कर निदामत का सामान फ़राहम कर लिया। फिर परवर दिगारे आलम ने उन के लिये तौबा का सामान फ़राहम कर दिया और अपने कलेमाते रहमत की तलक़ीन कर दी और उन से जन्नत में वापसी का वअदा कर के उन्हे आज़माईश की दुनिया में उतार दिया। जहाँ नस्लों का सिलसिला क़ायम होने वाला था।

 

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