इमाम अली (अ) और शबे हिजरत




हज़रत अली (अ) उस शख्सीयत का नाम है जो शबे हिजरत पैग़म्बरे अकरम (स) के बिस्तर पर सोए और उनकी शान में यह आयते शरीफ़ा नाज़िल हुई:

(सूरह बक़रह आयत 207)

लोगों में से कुछ ऐसे भी हैं जो अल्लाह की ख़ुशनूदी हासिल करने के लिये अपनी जान तक बेच डालते हैं और अल्लाह ऐसे वंदों पर बड़ा ही शफ़क़त वाला और मेहरबान है।

इब्ने अब्बास कहते हैं: यह आयते शरीफ़ा उस वक़्त नाज़िल हुई जब पैग़म्बरे अकरम (स) अबू बक्र के साथ मुशरेकीने मक्का के हमलों से बच कर ग़ार में पनाह लिये हुए थे और हज़रत अली (अ) पैग़म्बरे अकरम (स) के बिस्तर पर सोए हुए थे।

(अल मुसतदरक अलल सहीहैन जिल्द 3 पेज 4)

इब्ने अबिल हदीद कहते हैं: तमाम मुफ़स्सेरीन ने यह रिवायत की है कि यह आयते शरीफ़ा हज़रत अली (अ) की शान में उस वक़्त नाज़िल हुई जब आप बिस्तरे रसूल (स) पर लेटे हुए थे।

(शरहे इब्ने अबिल हदीद जिल्द 13 पेज 263)

इस हदीस को अहमद बिन हंबल ने अल मुसनद में, तबरी ने तारिख़ुल उमम वल मुलूक में और दीहर उलामा ने भी नक़्ल किया है।