अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

इमाम अली (अ) पैग़म्बरे अकरम (स) के भाई

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हाकिम नैशापूरी अब्दुल्लाह बिन उमर से रिवायत करते हैं: पैग़म्बरे अकरम (स) ने अपने असहाब के दरमियान अक़्दे उख़ूव्वत पढ़ा, अबू बक्र को उमर का भाई, तलहा को ज़ुबैर का भाई और उस्मान को अब्दुल्लाह बिन औफ़ का भाई क़रार दिया, हज़रत अली (अ) ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह, आपने अपने असहाब के दरमियान अक़्दे उख़ूव्वत पढ़ा लेकिन मेरा भाई कौन है? उस वक़्त पैग़म्बरे (स) ने फ़रमाया:

तुम दुनिया व आख़िरत में मेरे भाई हो। (अल मुसतदरक अलस सहीहैन जिल्द 3 पेज 14)

उस्ताद तौफ़ीक़ अबू इल्म (मिस्र अदलिया के वकीले अव्वल) तहरीर करते हैं कि पैग़म्बरे अकरम (स) का यह अमल तमाम असहाब पर हज़रत अली (अ) की फ़ज़ीलत को साबित करता है, नीज़ इस बात पर भी दलालत करता है कि हज़रत अली (अ) के अलावा कोई दूसरा पैग़म्बरे अकरम (स) का हम पल्ला और बराबर नही है। (इमाम अली बिन अबी तालिब पेज 43)

उस्ताद ख़ालिद मुहम्मद ख़ालिद मिस्री रक़्म तराज़ है: आर उस शख्सीयत के बारे में क्या कहते हैं जिसको रसूले अकरम (स) ने अपने असहाब के दरमियान इंतेख़ाब किया ताकि उसको अक़्दे उख़ूव्वत के मौक़े पर अपनी भाई क़रार दे, बहुत मुमकिन है कि हज़रत अली (अ) के ईमान की गहराई बहुत ज़्यादा हो जिसकी वजह से आँ हज़रत (स) ने उनको दूसरों पर मुक़द्दम किया और अपने बरादर के उनवान से मुन्तख़ब किया। (फ़ी रेहाब अली (अ))

उस्ताद अब्दुल करीम मिस्री तहरीर करते हैं कि यह उख़ूव्वत व बरादरी जिसको पैग़म्बरे अकरम (स) ने सिर्फ़ अली (अ) को इनायत फ़रमाई, यह बग़ैर दलील के नही थी, बल्कि ख़ुदा वंदे आलम के हुक्म से और ख़ुद हज़रत अली (अ) के फ़ज़्ल व कमाल की वजह से थी। (अली बिन अबी तालिब बक़ीयतुन नुबुवह ख़ातिमुल ख़िलाफ़ह पेज 110)

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