इमाम अली (अ) की विलायत पर दीन का मुकम्मल होना




सूरए मायदा आयत 6 आयते इकमाल को ज़ैल में सहीहुसस सनद रिवायतों के मुताबिक़ ख़ुदा वंदे आलम ने वाक़ेया ए ग़दीर में रसूल अकरम (स) के ख़ुतबे के बाद यह आय ए शरीफ़ नाज़िल हुई:

(सूरए मायदा आयत 6)

आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया और तुम पर अपनी नेमत पूरी कर दी और तुम्हारे इस दीन इस्लाम को पसंद किया।

इस आयत से यह नतीजा निकलता है कि ख़ुदावंदें आलम इस इस्लाम से राज़ी है जिसमें हज़रत अली (अ) की विलायत पाई जाती हो, क्यो कि दीन आप की विलायत से कामिल हुआ है और नेमतें भी आपकी विलायत का वजह से तमाम हुई हैं और यह हज़रत अली (अ) की इमामत और सर परस्ती से हम आहंन्ग है, लिहाज़ा बाज़ रिवायात के मुताबिक़ आय ए इकमाल के नाज़िल होने के बाद और ग़दीर ख़ुम से लोगों के अलग अलग होने से पहले रसूले अकरम (स) ने फ़रमाया: हदीस ...........

अल बिदाया वन निहायह जिल्द 5 पेज 214, शवाहिदुत तंज़ील जिल्द 1 पेज 157

अल्लाहो अकबर, दीन के कामिल होने, नेमतें तमाम करने, मेरी रिस
ालत और मेरे बाद अली (अ) की विलायत पर राज़ी होने पर।