रोज़े ग़दीर की फ़ज़ीलत

ख़तीब बग़दादी सही सनद के साथ अबू हुरैरा से नक़्ल करते हैं: जो शख्स 18 हिज़हिज्जा को रोज़ा रखे, उसको 60 महीनों के रोज़ों का सवाब मिलेगा और रोज़े ग़दीर ख़ुम है,

जिस वक़्त पैग़म्बरे अकरम (स) ने हज़रत अली बिन अबी तालिब (अ) के हाथ बुलंद करके फ़रमाया: क्या मैं मोमिनीन का वली और सरपरस्त नही हूँ?

सबने कहा: जी हाँ या रसूल्लाह (स) उस वक़्त रसूले अकरम (स) ने फ़रमाया: जिसका मैं मौला हूँ उसके यह अली भी मौला हूँ, उमर बिन ख़त्ताब ने कहा: मुबारक हो मुबारक ऐ अबू तालिब के बेटे, तुम मेरे और हर मोमिन व मोमिना के आक़ा व मौला बन गये, उस मौक़े पर ख़ुदा वंदे आलम ने यह आयए शरीफ़ा नाज़िल फ़रमाई:

तारीख़े बग़दाद जिल्द 8 पेज 290, मनाक़िबे इब्ने मग़ाज़ेली पेज 18, हदीस 24, तज़किरतुल ख़वास पेज 30, फ़रायदुस समतैन जिल्द 1 पेज 77 हदीस 44

इस हदीस को खतीबे बग़दादी ने अब्दुल्लाह बिन अली बिन मुहम्मद बिन बशरान से, उन्होने हाफ़िज़ अली बिन उमर दारक़ुतनी से, उन्होने अबी नस्र हबीशून ख़ल्लाल, उन्होने अली बिन सईद रमली से, उन्होने ज़मरा बिन रबीआ से, उन्होने अब्दुल्लाह बिन शौज़ब से, उन्होने मतर वर्राक़ से, उन्होने शहरर बिन हौशब से उन्होने अबू हुरैरा से नक़्ल किया है।

·अबू हुरैरा, उन रावियों में से हैं जिसकी विसाक़त और अदालत पर सभी अहले सुन्नत ने इजमा किया है।

·शरहे हौशब अशअरी, अबू नईम (इसफ़हानी) ने उनको औलिया में शुमार किया है। () और उनके बारे में ज़हबी कहते हैं: बुख़ारी ने उनकी मदह व सना की है और अहमद बिन अब्दुल्लाह अजली व यहया बिन अबी शैबा व अहमद वनसवी ने उनकी तौसीक़ की है। () और इब्ने असाकर नक़्ल करते हैं कि उनके बारे में अहमद बिन हंबल से सवाल हुआ तो उन्होने उनकी हदीस की तारीफ़ की और ख़ुद भी उनकी तौसीक़ की और उनकी मदह व सना की। ()

हिलयतुल औवलिया जिल्द 6 पेज 67 से 69

मीज़ानुल ऐतेदाल जिल्द 2 पेज 283 हदीस 3756

तारीख़े मदीना दमिश्क़ जिल्द 8 पेज 137 से 148

·मतर बिन तहमान वर्राक़, अबू रजा ए ख़ुरासानी, उनको अबू नईम ने औवलिया में शुमार किया है।

· और इब्ने हब्बान ने उनको सेक़ात का जुज़ क़रार दिया है और अजली से नक़्ल किया है कि वह बहुत ज़्यादा सच बोलने वाले थे।() बुख़ारी व मुस्लिम और दीगर सेहाह ने उनसे रिवायात नक़्ल की हैं।

·अबू अब्दुर्रहमान (अब्दुल्लाह) बिन शौज़ब, उनको भी हाफ़िज़े ने औवलिया में शुमार किया है।() नीज़ ख़ज़रजी ने अहमद और इब्ने मुईन से नक़्ल किया है कि वह सिक़ह थे।()

हिलयतुल औवलिया जिल्द 3 पेज 75

अस सिक़ात जिल्द 5 पेज 435

हिलयतुल औवलिया जिल्द 6 पेज 125 से 135

ख़ुलासतुल ख़ज़रजी जिल्द 2 पेज 66 हदीस 3566

इब्ने हजर ने उनको सिक़ात में से माना है और सुफ़याने सौरी से नक़्ल किया है कि वह हमारे सिक़ात असातीज़ में शुमार होते हैं और इब्ने हलफ़ून ने उनकी तौसीक़ को इब्ने नमीर, अबू तालिब, अजली, इब्ने अम्मार, इब्ने मुईन और निसाई से नक़्ल किया है।

·ज़मरा बिन रबीआ करशी अबू अब्दिल्लाह दमिश्क़ी, इब्ने असाकरने अहमद बिन हंबल से नक़्ल किया है कि वह सिक़ह, अमीन, नेकमर्द और मलीहुल हदीस थे, और इब्ने मुईन से नक़्ल हुआ है कि वह सिक़ह थे।() नीज़ इब्ने साद को उनको भी, अमीन और अहले ख़ैर शुमार करते हैं, जो अपने ज़माने में सबसे अफ़ज़ल थे।()

तहज़ीबुत तहज़ीब जिल्द 5 पेज 225

तारीख़े दमिश्क़ जिल्द 8 पेज 475

अत तबक़ातुल कुबरा जिल्द 7 पेज 471

·अबू नस्र अली बिन सईद हमल ए रमली, ज़हबी ने उनकी तौसीक़ की है और कहते हैं कि मैंने आज तक उनके बारे में कोई गुफ़गुतू नही सुनी, इब्ने हजर ने किताब लेसानुल मीज़ान, में उनकी तौसीक़ को इख़्तियार किया है।

· अबू नस्रे हबशून बिन मूसा बिन अय्यूब ख़ल्लाल, ख़तीबे बग़दादी ने उनकी तौसीक़ की है और दारकु़तनी से हिकायत हुई है कि वह सदूक़ यानी बहुत ज़्यादा सच बोलने वाले थे।

·हाफ़िज़ अली बिन उमर, अबुल हसन बग़दादी, जो साहिबे सोनन हैं और दार क़ुतनी के नाम से मशहूर हैं, बहुत से उलामा ए अहले सुन्नत ने उनकी तारीफ़ की है, ख़तीबे बग़दादी ने उनको वहीदुल अस्र क़रार दिया है।() और इब्ने ख़लक़ान () व हाकिमे नैशापुरी ने उनकी बहुत ज़्यादा तारीफ़ की है।

मीज़ानुल ऐतेदाल, जिल्द 3 पेज 125 हदीस 5833, पेज 131 हदीस 5851

लेसानुल मीज़ान जिल्द 4 पेज 260 हदीस 5806

तारीख़े बग़दाद जिल्द 8 पेज 284 हदीस 4392

वफ़ायातुल आयान जिल्द 3 पेज 279 हदीस 434

तज़किरतुल हुफ़्फ़ाज़ जिल्द 3 पेज 991 हदीस 925