अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

ऐतेराज़ात की तहक़ीक़

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चूँकि हदीस ग़दीर हज़रत अमीरुल मोमिनीन की विलायत व इमामत पर बहुत ही मज़बूत और मुसतहकम दलील है लेकिन अहले सुन्नत ने इस हदीस पर सनदी या दलाली ऐतेराज़ करने की (बेजा) कोशिश की है, लिहाज़ा हम यहाँ पर उन ऐतेराज़ को बयान करे उनके जवाबात पेश करते हैं:

हदीसे ग़दीर सिक़ा तरीक़े से नक़्ल नही हुई है।

इब्ने जज़्म का कहना है कि लेकिन हदीस ... मुवस्सक़ तरीक़े से नक़्ल नही हुई है लिहाज़ा सही नही है।

अल फ़ेसल जिल्द 4 पेज 224

जवाब:

अव्वल: जैसा कि हमने पहले अर्ज़ किया कि बहुत से उलामा ए अहले सुन्नत ने इस हदीसे ग़द़ीर के सही होने का इक़रार किया है। (दोबारा इस हिस्से का मुतालआ कर लें)

दुव्वुम: इब्ने हज़्म, उन लोगों में से जिसके बारे में उस वक़्त के उलामा ने उसके गुमराह होने पर इत्तेफ़ाक़ किया है और यही नही बल्कि अवामुन नास को उसके क़रीब होने से मना किया करते थे।

सिव्वुम: उसके कुछ नज़रियात ही कुछ ऐसे थे जिनसे मालूम होता है कि वह एक मुतअस्सिब और हट धर्म आदमी था, यहाँ तक कि हज़रत अली (अ) से बुग़्ज़ की कीना और दुश्मनी रखता था।

वह अपनी किताब अल मुहल्ली में कहता है कि उम्मत के दरमियान इस चीज़ में कोई इख़्तिलाफ़ नही है कि अब्दुर्रहमान बिन मुल्जिम ने अपनी दलील के तहत अली को क़त्ल किया है, उसके इज्तेहाद ने उसको इस नतीजे पर पहुचाया था कि और उसने यह हिसाब किया था कि उसका काम सही है।

लिसानुल मीज़ान जिल्द 4 पेज 229 रक़्म 5737

अल मुहल्ली जिल्द 10 पेज 482

जबकि बहुत से उलामा ए अहले सुन्नत ने पैग़म्बरे अकरम (स) से नक़्ल किया है कि आपने हज़रत अली (अ) से फ़रमाया: तुम्हारा क़ातिल आख़रीन में सबसे ज़्यादा सख़ी होगा। एक दूसरी हदीस में बयान हुआ है कि लोगों में सबसे ज़्यादा शक़ी होगा। नीज़ एक दूसरी ताबीर में बयान हुआ है: इस उम्मत का सबसे ज़्यादा शक़ी इंसान होगा जैसा कि क़ौमे समूद में नाक़ ए सालेह को क़त्ल करने वाला था।

और एक दूसरी रिवायत में पैग़म्बरे अकरम (स) से नक़्ल हुआ है कि आँ हज़रत (स0 ने हज़रत अली (अ) से फ़रमाया: क्या मैं तुम्हे उस शख्स के बार में ख़बर दूँ जिसको रोज़े क़यामत सबसे ज़्यादा अज़ाब किया जायेगा। हज़रत अली (अ) ने अर्ज़ किया: जी या रसूलल्लाह, आप मुझे ख़बरदार फ़रमायें, उस मौक़े पर आँ हज़रत (स) ने फ़रमाया: बेशक रोज़े क़यामत मैं सबसे ज़्यादा अज़ाब होने वाला शख्स नाक़ ए सालेह को क़त्ल करने वाला है और वह शख्स जो आपकी रीशो मुबारक को आपके सर के ख़ून से रंगीन करेगा।

और आँ हज़रत (स) ने फ़रमाया: तुम्हारा क़ातिल यहूदी के मुशाबेह बल्कि ख़ुद यहूदी होगा।

मुसनद अहमद जिल्द 5 पेज 326 हदीस 17857, ख़सायसे निसाई पेज 162, अल मुसतदरके हाकिम जिल्द 3 पेज 151 हदीस 4679

अक़्दुल फ़रीद जिल्द 4 पेज 155

क़ंज़ुल उम्माल जिल्द 13 पेज 195 हदीस 36582


हज़रत अली (अ) ने एक रोज़ इब्ने मुलजिम से ख़िताब करते हुए फ़रमाया: मैं तूझे मख़्लूक़ाते ख़ुदा में सबसे ज़्यादा शरूर और बुर मानता हूँ।

तारिख़े तबरी जिल्द 5 पेज 145, कामिले इब्ने असीर जिल्द 2 पेज 435

क़ारेईने मोहतरम, किस तरह से इब्ने मुलजिम को मुजतहिद का नाम दिया जा सकता है जबकि उसने अपने वाजिबुल इताअत इमाम को क़त्ल किया। मगर क्या पैग़म्बरे अकरम (स) ने इमामे मुसलेमीन पर ख़ुरूज करने को मुसलमानों की जमाअत से ख़ारिज होने का सबब क़रार नही दिया है और इमाम के क़त्ल से नही फ़रमाई।

सही मुस्लिम किताबुल अमारा

इब्ने हज़्म वह शख्स है जिसने क़ातिल अम्मार (अबुल ग़ादरिया यसार बिन सबए सलमी) को भी अहले तावील और मुजतहिद माना है कि इस काम पर उसके लिये एक सवाब है चुँनाचे वह कहते है कि यह अमल क़त्ले उस्मान की तरह नही हैं क्योकि उस्मान के क़त्ल में इजतेहाद का मक़ाम नही है।

अल फ़स्ल जिल्द 4 पेज 161

जबकि अबुल ग़ाद का दुनिया के जाहिलों में शुमार होता है और किसी ने भी उसकी तारीफ़ और तौसीक़ नही है।

यह कैसा इजतेहाद है कि जो बिलकुल वाज़ेह बयान के मुक़ाबले में है? क्या पैग़म्बरे अकरम (स) ने सहीहुस सनद अहादीस के मुताबिक़ अम्मार से नही फ़रमाया: तुम्हे ज़ालिम गिरोह क़त्ल करेगा।

मगर क्या पैग़म्बरे अकरम (स) ने उनके बारे में नही फ़रमाया: जब लोगों के दरमियान इख़्तिलाफ़ हो जाये तो (अम्मार) फ़रज़ंदे सुमय्या हक़ पर होगें।

क्या आँ हज़रत (स) ने नही फ़रमाया: पालने वाले, क़ुरैश अम्मार को हिर्स व तमअ की निगाहों से देखते हैं बेशक अम्मार का क़ातिल और (उनके) कपड़ों को फाड़ने वाला आतिशे जहन्नम में जायेगा।

अल ऐसाबा जिल्द 2 पेज 512 हदीस 5704

अल मोजमुल कबीर जिल्द 10 पेज 96 पहदीस 10071

अल मुसतदरके हाकिम जिल्द 3 पेज 437 हदीस 5661

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