उस्मान के बाद हज़रत अमीर (अ) की इमामत
बाज़ लोगों का यह कहना है: हम इस हदीस को हज़रत अली (अ) की इमामत व ख़िलाफ़त पर सनद और दलालत के लिहाज़ से सही मानते हैं लेकिन इस हदीस में यह इशारा नही हुआ है कि हज़रत अली (अ) रसूले अकरम (स) के फ़ौरन बाद ख़लीफ़ा व इमाम हैं लिहाज़ा हम दूसरी दलीलों के साथ जमा करते हुए आप को चौथा ख़लीफ़ा मानते हैं।
जवाब:
अव्वल. कोई भी दलील हज़रत अली अ) की ख़िलाफ़त से पहले दीगर ख़ुलाफ़ा की ख़िलाफ़त पर मौजूद नही है ताकि उनके दरमियान जमा करते हुए यह बात कहें।
दूसरे. इस हदीस और हदीसे विलायत को जमा करते हुए कि जिसमें ...(यानी मेरे बाद) को लफ़्ज़ मौजूद है, यह नतीजा हासिल होता है कि हज़रत अली (अ), रसूले अकरम (स) के बाद फ़ौरन ख़लीफ़ा हैं। क्योकि सहीहुस सनद अहादीस के मुताबिक़ रसूले अकरम (स) ने हज़रत अली (अ) के बारे मे फ़रमाया:
हदीस
मुसनद अहमद जिल्द 4 पेज 438
(अली (अ)) मेरे बाद हर मोमिन के वली व आक़ा है।
तीसरे. ख़ुद हदीसे ग़दीर का ज़हूर मख़सूसन क़रायने हालिया व मक़ालिया के पेशे नज़र यह है कि हज़रत अली (अ) पैगम्बरे अकरम (स) के बिला फ़स्ल ख़लीफ़ा है।
चौथे. हदीसे गद़ीर का नतीजा यह है कि हज़रत अली (अ) तमाम मुसलमानों के यहाँ तक कि ख़ुलाफ़ा ए सलासा के भी सरपरस्त हैं तो फिर यह बात हज़रत अली (अ) की बिला फ़स्त खिलाफ़त से हम आहंग हैं।
पाँचवे. अगर उस्मान के बाद हजरत अली (अ) ख़लीफ़ा है तो फिर उमर बिन ख़त्ताब ने रोज़े ग़दीरे ख़ुम हज़रत अली (अ) को क्यो मुबारकबाद पेश की और आपको अपना और हर मोमिन व मोमिना का मौला कह कर ख़िताब किया?।