हज़रत ख़दीजा (स) की तारीख़े वफ़ात

ज़ाहिरी तौर पर इस में कोई इख़्तिलाफ़ नही है कि हज़रत खदीजा (स) की वफ़ात माहे रमज़ान हुई।

तबरी ने हज़ार साल क़ब्ल हज़रत खदीजा (स) के वफ़ात की दक़ीक़ तारीख़ बेसत के दसवें साल दस रमज़ानुल मुबारक बताई है।

अहले सुन्नत की बरजस्ता शख़्सियत सबरावी और शेख़ुल अज़हर बारहवीं सदी में इस बारे में लिखते हैं:

हज़रत ख़दीजा (स) दसवीं रमज़ान को बेसत के दसवें साल हिजरत से (तीन साल) पहले इस दारे फ़ानी से रुख़सत हुईं और हजून में मदफ़ून हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम (स) आप की क़ब्र में उतरे और अपने हाथों से आप के जिस्मे मुबारक को क़ब्र में रखा।

उस वक़्त तक नमाज़े मय्यत शरीयत में नही थी। हज़रत ख़दीजा की वफ़ात हज़रत अबू तालिब (अ) की वफ़ात के तीन माह बाद वाक़े हुई।

जिसकी वजह से पैग़म्बर (स) बहुत ज़्यादा महज़ून हुए। हज़रत खदीजा (स) की तारीख़े वफ़ात जिस किताब में भी ज़िक्र हुई है दस रमज़ान बताई गई है।