हज़रते ख़दीजा की शादी का मक़सद

फ़ितरी तौर पर हर ख़ातून के लिये शादी का मक़सद, माल व दौलत और जाह व हशमत व जमाल हुआ करता है लेकिन अक़ील ए क़ुरैश की नज़र में आद्दी व माद्दी अहदाफ़ की कोई अहमियत नही थी। ख़ुद हज़रत ख़दीजा (स) पैग़म्बरे इस्लाम (स) से अपनी शादी के मक़सद को बयान करते हुए फ़रमाती हैं ........

ऐ मेरे चचा के बेटे मैं आपकी शैदाई हूँ इसकी कई वजहें हैं:

1. आप मेरे रिश्तेदारों में से हैं।

2. आप शराफ़त की बुलंदियों पर फ़ायज़ है।

3. आपको आपकी क़ौम अमीन के नाम से पुकारती है।

4. आप एक सच्चे इंसान हैं।

5. आप का अख़लाक अच्छा है।

हज़रत ख़दीजा (स) ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) की फूफी सफ़िया की ख़िदमत में तोहफ़े भेजे और अर्ज़ किया: ऐ सफ़िया, ख़ुदा के लिये पैग़म्बरे इस्लाम (स) के विसाल तक पहुचने में मेरी रहनुमाई करें। हज़रत ख़दीजा (स) अपने राज़ को सफ़िया से बयान करती हैं...........................

मैं यक़ीनन जानती हूँ कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ख़ुदा वंदे आलम की जानिब से ताईद शुदा हैं। जब हज़रत ख़दीजा (स) ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) को तिजारती काफ़िले की सर परस्ती के लिये इंतेख़ाब किया तो अर्ज़ किया: मैंने गुफ़तार में सदाक़त, किरदार में अमानत और रफ़तार में हुस्ने ख़ुल्क़ की ख़ातिर आपको अपने काफ़िले का सर परस्त बनाया है। हज़रत ख़दीजा (स) के ग़ुलाम मैयसरा ने तिजारती सफ़र से वापस लौट कर पैग़म्बरे इस्लाम (स) के किरदार व रफ़तार को चश्मदीद गवाह के तौर पर हज़रत ख़दीजा (स) की ख़िदमत में बयान किया और नसतूर नामी राहिब से भी जो कुछ सुना था। अक़ील ए क़ुरैश के सामने पेश किया जिसका कहना था कि वही पैग़म्बरे मौऊद हैं।

हज़रत ख़दीजा (स) ने सारी गुफ़तुगू अपने चचा ज़ाद भाई वरक़ा बिन नौफ़ल को बताई और कहने लगीं कि जब मुहम्मद अमीन (स) आ रहे थें तो बादल आपके सर पर साया फ़िगन थे। वरक़ा बिन नौफ़ल ऐसी शख़्सियत थे जिसे गुज़श्ता अंबिया की किताबों का इल्म था उन्होने जवाब में कहा: मज़कूरा ख़ुसूसियात की बेना पर यह वही पैग़म्बरे मौऊद (स) हैं जिसका हम इंतेज़ार करत रहे थे अब उसकी बेसत का वक़्त आ पहुचा है। लिहाज़ा अक़ील ए क़ुरैश चाहती थीं कि अमीने क़ुरैश की बीवी बनने का शरफ़ हासिल करें इसी लिये आप इस रास्ते में तमाम बा असर अफ़राद की मदद से इस मुक़द्दस अम्र के मुक़द्देमात की फ़राहमी के लिये कोशिश कर रही थीं। आपने अपनी बहन हाला को अम्मार के पास भेजा ता कि इस मुक़द्दस बंधन की तमाम रुकावटों को दूर करें। इसी तरह आप सफ़िया नामी एक ख़ातून के साथ पैग़म्बरे इस्लाम (स) की ख़िदमत में हाज़िर हुईं और अर्ज़ किया: मैंने अपने ख़ानदान से आपके लिये एक ख़ातून का इंतेख़ाब किया है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने पूछा वह कौन है? हज़रत ख़दीजा (स) ने अर्ज़ किया: ......... वह तुम्हारी कनीज़ ख़दीजा है।