अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

नसीहत व हिदायत इस्लाम की नज़र में

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हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से यह रिवायत नक़्ल हुई है कि

من رأي اخاه علي امر يكرهه فلم يرده عنه و هو يقدر عليه فقد خانه

जो भी अपने मोमिन भाई को कोई ऐसा काम करते हुए देखे जो नाज़ेबा और बुरा हो, तो अगर वह उसे रोकने की क़ुदरत रखता हो तो उसे रोके और अगर वह लापरवाई के साथ उसके पास से गुज़र जाये तो बेशक उसने उसके साथ ख़ियानत की है।

हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से नक़्ल हुआ है कि:

يجب للمومن علي ا لمومن ان يناصحه

हर मोमिन पर वाजिब है कि वह दूसरे मोमिन की रहनुमाई और हिदायत करे।

दूसरी रिवायतों के मुतालए से मालूम होता है कि यह हिदायत व रहनुमाई सिर्फ़ मुलाक़ात तक महदूद नही है बल्कि अगर इंसान जानता हो कि फ़लाँ मुसलमान ग़लत राह पर चल रहा है तो अब उसकी ज़िम्मेदारी है कि वह उसकी राहनुमाई करे। चाहे वह शख़्स वहाँ मौजूद भी न हो और उसने उससे उसका तक़ाज़ा भी न किया हो।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से नक़्ल हुआ है कि

يجب للمومن علي ا لمومن ان يناصحه له في المشهد والمغيب

हर मोमिन के लिये ज़रूरी है कि अगर वह किसी को बुराई करते देखे तो उसकी रहनुमाई करे चाहे यह काम उसकी मौजूदगी में हो या उसकी ग़ैर मौजूदगी में।

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