मौत

हमारी दुआओं का एक बड़ा हिस्सा मौत और क़यामत पर समर्पित है, ताकि इंसान अपनी ला-परवाही की नींद से जाग जाए! अगर हम वास्तविकता पर विचार करें, तो हम देखते है की दुन्या उसे धोका देती है जो ईस संसार के लिये तड़पता है! लेकिन वो जो अपने सामने मौत क़ो रखता है, और इसका इंतज़ार करता है, न केवल अपने नियमित कार्य ईमानदारी से करता है, बल्कि लगातार प्रयास और अधिक अच्छे कार्य करने की वजह से अल्लाह की संतुष्टि का कारण बन जाता है! वो लोग जानते हैं की मौत किसी भी समय आ सकती है और समय उनके पास कम है (अच्छे कार्यों क़ो अंजाम देने के लिये), पवित्र पैग़म्बर, हज़रत मोहम्मद (स:अ:व:व) ने कहा, " 'निश्चित रूप से लोहे की तरह दिल में भी जंग लग़ जाता है", लोगो ने पूछा, "यह पालिश कैसे हो सकता है?", उन्होंने (स:अ:व:व) जवाब दिया, "मौत क़ो याद करके और क़ुरान का पाठ करके" - नहजुल फ़साहाह

“…मृत्यु जिससे तुम भागते हो, वह तो तुम्हें मिलकर रहेगी, फिर तुम उसकी ओर लौटाए जाओगे जो छिपे और खुले का जाननेवाला है। और वह तुम्हें उससे अवगत करा देगा जो कुछ तुम करते रहे होगे।".” (अल- क़ुरान, सुराः जुमा (62) आयत न० 8)