अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क

ईमान, अख़लाक़ और फिक्र का विकास

0 सारे वोट 00.0 / 5
प्रियः पाठकों !हम नेउपरोक्त यह उल्लेख किया है कि समाज में न्याय के आम हो जाने से समाज में रहने वालों की सही तरबियत होगी और समाज में कुरआन व अहलेबैत (अ.स.) की तहज़ीब व सभ्यता फैल जायेगी।अइम्मा ए मासूमीन (अ. स.) की रिवायतों में हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की हुकूमत के ज़माने में ईमान, अख़लाक़ और फिक्र के विकसित होने व उनके फलने फूलने का सविस्तार वर्णन किया गया है।

हज़रत इमाम मुहम्मद बाकिर (अ. स.) ने फरमाया:

जब हमारे क़ाइम आले मुहम्मद ज़हूर करेंगे तो वह अपना दस्ते करम ख़ुदा के बन्दों के सरों पर रखेंगे उसकी बर्क़त से उनकी अक़्ल अपने क़माल पर पहुँच जायेगी।.

और जब इंसान की अक़्ल कमाल पर पहुँच जाती है तो तमाम खूबिया और नेकियां ख़ुद बखुद उसमें पैदा होने लगती हैं, क्योंकि अक़्ल इंसान के लिए आन्तरिक पैग़म्बरहै और अगर जिस्म व रूह के मुल्क पर इसकी हुकूमत हो जाये तो फिर इंसान को फिक्र, नेकी, सुधार और ख़ुदा की बन्दगी का अच्छा व कल्याणकारी रास्ता मिल जायेगा।

हज़रत इमाम सादिक़ (अ. स.) से सवाल हुआ कि अक़्ल क्या है?

उन्होंने फरमाया:

अक़्ल एक ऐसी हक़ीक़त है जिसके ज़रिये ख़ुदा की इबादत की जाती है और उसी की रहनुमाई से जन्नत मिलती है।

जी हाँ ! वर्तमान समाज में हम देखते हैं कि इमाम और उनकी हुकूमत के बग़ैर अक़्ल पर इच्छाओं का अधिपत्य व ग़लबा है। विभिन्न गिरोहों और पार्टियों पर उनकी इच्छाएं हुकूमत कर रही है जिसके नतीजे में दूसरों के हक़ूक पामाल हो रहें है और इलाही इक्दार को भुलाया जा रहा है। लेकिन ज़हूर के ज़माने में, अल्लाह की हुज्जत, की हुकूमत की छत्र छाया में अक़्ल हुक्म करने वाली होगी और जब इंसान की अक़्ल कमाल की मंज़िल पर पहुँच जायेगी तो फिर नेकियों और अच्छाइयों के अलावा कोई हुक्म नहीं करेगी।

आपका कमेंन्टस

यूज़र कमेंन्टस

कमेन्ट्स नही है
*
*

अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क